The Incomplete Ink of Love in Hindi Short Stories by Dhiru singh books and stories PDF | मोहब्बत की अधूरी स्याही

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मोहब्बत की अधूरी स्याही

धीरु एक सीधा-सच्चा लड़का था, जिसकी जिंदगी में बस दो ही चीजें अहम थीं — उसका सपना और उसका प्यार, मेघा। मेघा उसकी ज़िन्दगी की धड़कन थी, वह हर लम्हा मेघा के साथ जीना चाहता था। दोनों की मुलाकात कॉलेज में हुई थी और धीरे-धीरे यह मुलाकात एक सच्चे प्यार में बदल गई थी। मेघा को धीरु की सादगी, उसका समर्पण और उसकी सच्चाई से प्यार हो गया था। धीरु भी मेघा के साथ अपने हर सपने को साझा करता था।

लेकिन किस्मत की चालें अक्सर बेवजह और बेरहम होती हैं। एक शाम, जब धीरु घर लौट रहा था, कुछ बदमाशों ने उसे घेर लिया। वे लोग धीरु से पैसे मांग रहे थे, लेकिन धीरु के पास देने को कुछ नहीं था। बदमाशों ने उसे बेरहमी से मारा और एक सुनसान नदी किनारे फेंक दिया। पूरी दुनिया को यही लगा कि धीरु अब इस दुनिया में नहीं रहा। मेघा की दुनिया उजड़ गई। वो टूट गई, बिखर गई।

धीरु की मौत की खबर ने उसे अंदर से खोखला कर दिया। लेकिन वक़्त चलता रहा, ज़िन्दगी आगे बढ़ती रही। कुछ महीने बीत गए। मेघा की मुलाकात एक लड़के से हुई, नाम था शिवशंकर। वो धीरु का सबसे अच्छा दोस्त था, जिसने अब तक धीरु की मौत का ग़म अपने दिल में दबा रखा था।

शिवशंकर ने मेघा को सहारा दिया, उसकी तन्हाई को समझा, उसकी तकलीफें बाँटी। मेघा को उसके साथ सुकून मिलने लगा। धीरे-धीरे उनके बीच एक अपनापन बनने लगा। मेघा जानती थी कि उसका दिल धीरु के लिए धड़कता है, लेकिन शिवशंकर के साथ उसे एक भावनात्मक सहारा मिला था, एक इंसान जो उसके दर्द को बिना कहे समझता था।

इसी बीच एक दिन मेघा की जिंदगी में भूचाल सा आ गया। धीरु अचानक उसके सामने आ खड़ा हुआ — ज़िंदा। उसका चेहरा घायल था, मगर उसकी आँखों में वही सच्चा प्यार चमक रहा था।

धीरु को देखकर मेघा को यकीन नहीं हुआ। वो उसे छू-छू कर देख रही थी कि क्या ये सपना है। धीरु ने उसे पूरी कहानी सुनाई कि कैसे कुछ स्थानीय लोगों ने उसे बचाया, इलाज कराया और धीरे-धीरे वो ठीक हो गया। मगर जब उसे होश आया, तब तक बहुत वक्त गुजर चुका था।

जब धीरु को पता चला कि मेघा अब उसके सबसे अच्छे दोस्त शिवशंकर के करीब आ चुकी है, उसका दिल चकनाचूर हो गया। वो जानता था कि मेघा अब शिवशंकर से प्यार करने लगी है, भले ही वो आज भी उसे दिल से चाहती हो, लेकिन वक़्त और हालातों ने रिश्तों की दिशा बदल दी थी।

धीरु ने खुद को उनके बीच से हटाना शुरू कर दिया। वो हर दिन मेघा से दूर भागता, उसकी नजरों से, उसके एहसास से, उसकी यादों से।

इसी दौरान धीरु की मुलाकात काजल नाम की एक लड़की से हुई। काजल एक सरल और मासूम लड़की थी, जिसने पहली बार धीरु में एक सच्चा इंसान देखा। धीरु की आँखों में एक गहराई थी जो काजल को आकर्षित करने लगी। वो धीरे-धीरे उससे प्यार करने लगी।

काजल ने अपनी भावनाएं धीरु के सामने रखी, मगर धीरु ने साफ कहा कि उसके दिल में कोई जगह नहीं है। वो अब किसी से जुड़ना नहीं चाहता क्योंकि उसकी मोहब्बत और उसकी दुनिया दोनों अब उससे दूर हो चुके हैं।

फिर एक दिन ऐसी घटना हुई जिसने सब कुछ बदल दिया। कुछ बदमाश, जिनसे शिवशंकर का पुराना झगड़ा था, वापस आ गए थे और उन्होंने बदला लेने की योजना बनाई। उन्होंने शिवशंकर को घेर लिया।

धीरु को जब ये खबर मिली तो वह बिना कुछ सोचे-समझे शिवशंकर की मदद के लिए दौड़ पड़ा। उसने अपने दोस्त को बचाने के लिए जान की बाज़ी लगा दी।

धीरु अकेले उन गुंडों से भिड़ गया, उसके पास कोई हथियार नहीं था, बस अपने दोस्त के लिए जुनून था। वो लड़ता रहा, तब तक लड़ता रहा जब तक उसका शरीर थक कर गिर नहीं गया।

शिवशंकर बच गया, मगर धीरु फिर से मौत के आगोश में चला गया — इस बार हमेशा के लिए।

जब मेघा को ये खबर मिली, तो उसकी आत्मा काँप उठी। वो दोबारा टूट गई। वो जानती थी कि धीरु अब भी उससे उतना ही प्यार करता था, जितना पहले करता था।

उसने अपने दिल से चीखते हुए कहा — “क्यों गए फिर से मुझे छोड़कर? तुम तो मेरे हो, हमेशा मेरे रहोगे।”

शिवशंकर भी टूट चुका था। उसने अपने सीने पर हाथ रखा और बोला — “उसने मेरी जान बचाई, उसने मेरे लिए जान दी। मैं कभी उसे नहीं भूल पाऊँगा।”

काजल, जो अबतक चुपचाप एक कोने में बैठी थी, उसकी आँखों से आंसू रुक नहीं रहे थे। उसने कहा — “मैंने जिससे प्यार किया, उसने कभी मुझे चाहा नहीं, मगर मैं आज गर्व से कह सकती हूँ कि मैंने एक फरिश्ते से मोहब्बत की थी।”

धीरु की मौत अब एक अफ़साना बन गई थी — एक ऐसा अफ़साना, जो प्यार, त्याग और दोस्ती की मिसाल बन गया।

मेघा ने अपना जीवन धीरु की यादों में बिता दिया। वो हर रोज़ धीरु की तस्वीर के सामने बैठती और कहती — “मैं आज भी तुमसे उतना ही प्यार करती हूँ। शायद अगले जन्म में फिर मिलें, बिना बिछड़ने के।”

शिवशंकर ने धीरु की याद में एक संस्था खोली — “धीरु सेवा केंद्र”, जहाँ जरूरतमंदों की मदद की जाती थी। वो हर किसी को बताता था कि एक सच्चा दोस्त क्या होता है।

काजल एक टीचर बन गई और बच्चों को धीरु की कहानी सुनाया करती थी — ताकि आने वाली पीढ़ियाँ जान सके कि सच्चा प्यार कभी मरता नहीं, और सच्चा दोस्त कभी पीछे नहीं हटता।

यही थी “मोहब्बत की अधूरी स्याही” — एक कहानी जो खत्म हो कर भी खत्म नहीं होती, जो हर दिल को ये एहसास दिला जाती है कि प्यार, दोस्ती और कुर्बानी की अपनी ही एक अमर परिभाषा होती है।