Rebirth ...! - 4 in Hindi Drama by Reshma Janwekar books and stories PDF | Rebirth ...! - 4

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Rebirth ...! - 4


   अब आगे ......,
 
       चंद्रा मेंशन....,

      युग का जोर जोर से खांसने की वजह से रक्तांश मुक्ता से अलग हो कर युग को ही तीखी नजरो से घूरने लगा था | तो वही मुक्ता तो शर्म से पूरी तरह पानी पानी हो गई थी और वह अपने निचले होंठ चबाते हुए नीचे फर्श को घूरने लगी थी | उसे इस वक्त किसी से भी नजरे तक मिलाने शर्म आ रही थी | 

   वही शार्वि और कनक अपने चेहरे पर हल्के मुस्कुराहट लिए बस मुक्ता और रक्तांश को देख रहे थे | उन्हे उनकी शादी में जाने का मौका नही मिला था,लेकिन उन्हे इस तरह एक दूसरे के करीब देख वह दोनो बहुत खुश थे | 

    वही रक्तांश को घूरता युग ने धीमी आवाज में अपने में ही बड़बड़ाते हुए कहा ,""_ इसे डिस्टर्ब कर मैने अपने ऊपर कोई मुसीबत तो नहीं मोल लिया ? यह शैतान मुझे ऐसा घूर रहा है जैसे मैंने इसका अटेंशन पा कर अपने मौत का बुलाआ दिया हो | 

     युग फिर अपने दांत दिखाते हुए रक्तांश के करीब जा कर फुसफुसा कर कहा,""_ रक्तांश,मुझे पता है आज तुम ज्यादा ही मूड में हो लेकिन तुम्हे जगह भी तो देखना चाहिए न ? तुम्हारी मासूम बहन,..मां,और सबसे बड़ी बात मैं अभी सिंगल ही हू तो तुम इस तरह...? "

     युग बोलते बोलते अपने आवाज और धीमी करते हुए चुप हो गया क्यों की अपने सामने खड़े रक्तांश का गुस्से का शिकार, वह गलती से भी होना नही चाहता था | 

     रक्तांश ने युग को पूरी तरह इग्नोर करा,फिर मुक्ता को ले कर सीधे अपने रूम के तरफ चला गया | 

    वही शार्वी और कनक सीधे किचन के तरफ चले गए | लेकिन कनक धीमी चाल चलते हुए शार्वी के पीछे जा रही थी | इस उम्मीद से की उसे कोई रोक लेगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं था तो वह खुद ही रुक गई,और मुड़ कर युग के ओर देखने लगी | 

      युग वही खड़ा था लेकिन वह अपने फोन स्क्रोल कर रहा था और उसका ध्यान भी फोन पर ही था | यह देख कनक अपने पैर जोर से पटकते हुए किचन के तरफ चली गई | 

     उसके जाते ही युग ने अपना सर ऊपर कर कनक को एक नजर देखा,फिर सीधे बाहर चला गया | 

    खुराना मेंशन.....

        ऋषभ ने जैसे ही देवांश से यह जाना था की रक्तांश खुराना मेंशन ना आ कर चंद्रा मेंशन गया है ? तब से उनका ज्यादा ही दिमाग घूम रहा था | 

    ऋषभ इस वक्त अपने स्टडी रूम में आ कर इधर से उधर टहल रहा था | उनके चेहरे के हाव भाव ज्यादा ही बिगड़े हुए थे और वह बार बार किसी को कॉल करने की कोशिश कर रहे थे ,लेकिन ऐसा लग रहा था की वह जिस इंसान को कॉल मिला रहे थे, वह उन्हे कोई रिस्पॉन्स नही दे रहा था | जिससे वह और फ्रस्ट्रेट हो रहे थे | 

    वही हाल में मान्या अभी भी रोते हुए वेदिका के साथ बैठी हुई थी | उसकी नजर बार बार मैन डोर के तरफ जा रहा था जैसे वह किसी का इंतजार कर रही हो | वह इस वक्त रक्तांश का ही आने का इंतजार कर रही थी | जैसे ही रक्तांश आएगा तो वह ऋषभ और वेदिका के सहारे रक्तांश के सामने इमोशनल ड्रामा करेगी फिर मुक्ता को उसका औकात दिखाएगी ,क्यों की उस मुक्ता के सामने आज उसकी कम बेझती नही हुई थी |

  थोड़ी ही देर में मान्या को बाहर कार रुकने की आवाज सुनाई दी | मान्या जल्दी से उठ कर वेदिका के ओर देखने लगी | 

    तभी वेदिका बोली,""_ लो वह आ गया , मैं अभी उससे बात करूंगी ठीक है ....| "

   इतना बोल कर वेदिका अपने जगह से उठी ,लेकिन उसे अंदर सिर्फ देवांश ही आता हुआ नजर आया | 

      वह थोड़ी देर खामोश रही यह सोच कर की रक्तांश धीमी कदमों के साथ अंदर आ रहा हो,लेकिन बहुत देर बाद भी उसे ना रक्तांश अंदर आते दिखा और नाही मुक्ता,तो वह सवालिया निगाहों से देव को देख पूछी,""_ देव.. , रक्तांश कहा है ? "

     देवांश ने ऋषभ को बता दिया था की रक्तांश चंद्रा मेंशन चला गया है, लेकिन यह बात ऋषभ ने ना वेदिका को बताया था और नाही मान्या को,वह सीधे स्टडी रूम के ओर चला गया था | 

     वही वेदिका का सवाल सुन देव ने एक नजर मान्या को देखा ,फिर जवाब में उसने कहा ,""_ वह चंद्रा मेंशन गया है दादी | "

     " चंद्रा मेंशन....? " 
    वेदिका के माथे पर शिकन आ गए थे | उसके चेहरे के हाव भाव एक दम से बिगड़ गए थे | 

   वह देव से पूछी,""_ वह वहा क्यों गया देव ? "

   देव को खुद इस बारे में नही पता था तो वह वेदिका को क्या ही जवाब देता,वह बोला ,""_ मुझे नही पता दादी | "

   इतना बोल कर देव ने एक नजर मान्या को देखा , रक्तांश को घर ना आया देख उसका मुंह उतर गया था | वह काफी देर से रोते हुए यह सोच रही थी, की रक्तांश के आते ही उसे कैसे कैसे इमोशनल ड्रामा करना है ? लेकिन वह आदमी तो घर ही नही आया था | 

   वही देव सीधे अपने रूम के तरफ चला गया | वही वेदिका के अंदर अजीब सा आग सा लग गया था | वह जल्दी से ऋषभ से बात करने स्टडी रूम के ओर चली गई थी | 


     चंद्रा मेंशन....,

      रक्तांश का रूम...,

       रक्तांश जैसे ही वाशरूम से बाहर आया तो उसकी नजर मुक्ता पर गई,मुक्ता का पीठ इस वक्त रक्तांश के तरफ था और वह फोन पर किसी से बात कर रही थी | 

   रक्तांश धीरे से उसके करीब बढ़ा ,फिर वह पीछे से उसे अपने बाहों में भरने को हुआ की उसी वक्त मुक्ता उसके तरफ पलट गई |

     वही मुक्ता को इसका बिलकुल उम्मीद नही था की रक्तांश उसके पीछे ही आ खड़ा है और उसे पीछे से हग करने वाला है | 

     रक्तांश ने अपने दोनो हाथो को उसे अपने बाहों में भरने के लिए फैला दिया था | जो मुक्ता के मुड़ने से अभी भी हवा में ही रह गए थे |

     मुक्ता उसे और हवा में रह गए उसके हाथो को देख, धीरे से अपने कदम पीछे लेते हुए रक्तांश से थोड़ा हकला कर बोली,""_ आ ,आप मेरे क...करीब क्यों आ खड़े रक्तांश..? "

     मुक्ता जैसे जैसे अपने कदम पीछे ले रही थी ,वैसे वैसे रक्तांश के कदम भी अपने आप उसके करीब बढ़ रहे थे | वह बिना भाव के बस मुक्ता के मासूम चेहरा देख रहा था जो इस वक्त घबराहट भरी भाव से भरा था | लेकिन वह बहुत ही क्यूट लग रही थी | 

       रक्तांश को इस तरह अपने करीब आता देख मुक्ता फिर से बोली,""_ आ...,आपको इस तरह मेरे करीब नही आना चाहिए रक्तांश | "

   रक्तांश के कदम एक पल के लिए रुक गए | वह फिर सवालिया निगाहों से मुक्ता के ओर देख कहा ,""_ क्यों.? मै बला अपने बीवी के करीब क्यों नहीं जा सकता ? "

    रक्तांश का यह सवाल सुन मुक्ता उसे ही ना समझी में देखने लगी | वह ऐसे नजरिया से देख रही थी जैसे रक्तांश उसके साथ कुछ अजीब सा बरताव कर रहा हो ? वह सच में अजीब बरताव कर रहा था | 

      रक्तांश ने मुक्ता के कमर पर अपने दोनो हाथ रखा फिर उसे अपने करीब कर उसके गालों पर अपना होंठ रखने को हुआ की तभी मुक्ता उसे खुद से, धीरे से अलग करते हुए बोली,""_ आ..., रक्तांश आप शायद भूल रहे है, हमारी शादी नॉर्मल शादी नही है,हमने कांट्रेक्टर शादी कि है | "

        रक्तांश का ओरा एक दम से ब्लैंक हो गया | उसे अचानक से वह सारे पल याद आने लगे जो एक हफ्ते पहले उसने किस तरह मुक्ता से शादी की थी |

      " मेरे ख्याल से तुम्हे इन कॉन्ट्रैक्ट पेपर्स को कम से कम दो तीन बार तो पढ़ लेना चाहिए मुक्ता ,अगर आगे चल कर तुमसे एक भी भूल हुई,तो तुम्हे बर्बाद कर रखने में मैं एक मिनिट भी देर नहीं लगाऊंगा | " 

       कॉन्ट्रैक्ट पेपर्स को काफी टेबल पर फेंकते हुए रक्तांश ने बेहद घमंड भरी आवाज में कहा | सामने खड़ी मुक्ता रक्तांश की बात ध्यान से सुन रही थी | वह धीरे से उन पेपर्स उठाई फिर ध्यान से पेपर्स पढ़ने लगी, रक्तांश ने उसमे अपने तीन शर्तो को ऐड किया था | 

   पहला शर्त ,शादी सिर्फ एक साल तक ही वैलिड रहेगा और उसके दूसरे दिन ही उन दोनो को डायवोर्स पेपर्स पर साइन करना होगा | 

    दूसरा शर्त, इस एक साल में वह दोनो कभी भी ना एक दूसरे के करीब आएंगे और नाही एक दूसरे के लाइफ में दकलंदाज करेंगे,वह दोनो सिर्फ दुनिया के सामने पति पत्नी के रूप में रहेंगे,बल्कि असल में उनके बीच किसी भी तरह का रिश्ता नही रहेगा | 
  
  तीसरी शर्त,अगर वह दोनो चाहे गलती से ही सही एक दूसरे के करीब आ गए तो ,उन्हें अगले ही पल एक दूसरे के अकाउंट में एक करोड़ का पेनल्टी भरना होगा | 

     जाहिर सी बात थी मुक्ता इतने पैसे अफॉर्ड नही कर सकती थी और उसके पास इस शादी से बचने का रास्ता भी नही था | वह उसके तीनो शर्तो पर हामी भरते हुए उन पर साइन की,उसके बाद रक्तांश ने भी साइन किया | 

     यह सारे शर्ते खुद रक्तांश ने रखा था ,क्यों की उसने सोचा था की पेनल्टी का रकम सुन मुक्ता कभी भी उसका फायदा उठाने की कोशिश नही करेगी,लेकिन खुद रक्तांश का क्या ? वह तो अपने पिछले जन्म के गलती सुधारना चाहता था और उसे एहसास भी हो चुका था की उसकी बीवी ही उसका सच्चा प्यार है ,लेकिन क्या अब मुक्ता उसे खुद के करीब आने देगी ? 

     मुक्ता एक तक रक्तांश के चेहरे को ही देख रही थी ,जिसकी हाव भाव ज्यादा ही बिगड़ गए थे | जाहिर सी बात थी वह अब अपने ही फैसले से पश्चता रहा था | 

     " भाई....,भाभी... ? " तभी रूम में कनक रक्तांश और मुक्ता को आवाज लगाते हुए अंदर आई | 

      मुक्ता और रक्तांश मुड़ कर उसके ओर देखे , कनक बोली,""_ मम्मा आप दोनो को डिनर के लिए नीचे आने कहा है | "

     मुक्ता ने सर हिलाया फिर रक्तांश को टेढ़ी नजरो से देखी, रक्तांश को अब खाने का मन कहा था ? लेकिन वह भी जानता था की उसकी मां उसके लिए प्यार से डिनर तैयार की है ,वह सीधे रूम से बाहर चला गया | 

   डाइनिंग एरिया......

     रक्तांश सीढियों से उतर कर नीचे आया तो उसने देखा की युग पहले से ही डाइनिंग एरिया में बैठा था | रक्तांश भी जा कर अपने चेयर पर बैठ गया | 
    
     वही मुक्ता कनक के साथ सीधे किचन में चली गई | शार्वि ने आज रक्तांश के सारे मन पसंद डिशेज बना लिया था | उन तीनो ने खाना बाउल में लिए डाइनिंग एरिया में चले गए | 

   रक्तांश का चेहरा इस वक्त ज्यादा ही इमोशनलेस हो गया था | और वह चुपचाप अपने ओर आ रही मुक्ता को देख रहा था | मुक्ता उसकी ही थी लेकिन अंजाने में ही सही उसने मुक्ता और अपने बीच बहुत सी दीवार खड़ा कर दिया था |

    मुक्ता रक्तांश के पास जा कर उसके प्लेट में खाना सर्व करने को हुई की तभी शार्वी ने कहा ,""_ मुक्ता बेटा ,तुम भी रक्तांश के साथ बैठो, मैं खाना परोस दूंगी | "

     बोलते हुए शार्वी ने मुक्ता के हाथ से बाउल लिया फिर उसे जबरदस्ती रक्तांश के बगल वाली चेयर पर बैठा दिया | 

   मुक्ता ने एक नजर रक्तांश को देखा फिर अपना डिनर करने लगी | 

   वही कनक की नजर बार-बार युग पर जा रही थी | जिसका पूरा ध्यान सिर्फ अपने खाने पर ही था ,या यूं कहे कि वह जानबूझकर कनक को नजरअंदाज कर रहा था | 

      शार्वी रक्तांश को देख बहुत खुश थी तो वह उससे बात करते हुए डिनर करने लगी | 

     थोड़ी देर बाद उन पांचों ने अपना अपना डिनर खतम किया,फिर सभी लिविंग एरिया में बात करते हुए बैठ गए | 

     खुराना मेंशन....

   " ऋषभ...,आप ज्यादा सोच रहे है , रक्तांश जरूर किसी काम से चंद्रा मेंशन गया है,और कल तक आ जाएगा | " ऋषभ के कंधे थपथपाते हुए वेदिका ने उससे कहा | 

    ऋषभ ने कहा ,""_ रक्तांश को वहा कोनसा काम हो सकता है वेदु ? वह इतने सालों में कभी चंद्रा मेंशन में कदम नही रखा था तो लेकिन आज..? "

    बोलते बोलते ऋषभ ज्यादा ही डिस्टर्व लग रहा था | वेदिका का भी यही हाल था | वह बोली,""_ मुझे भी यही बात कटक रही है ऋषभ,लेकिन आप अभी ज्यादा परिशान मत होइए,कल जब वह आएगा तब हम रक्तांश से आराम से बात कर लेंगे | " 
 
    ऋषभ के पास वेदिका के बातो पर हामी भरने से कोई चारा नहीं था | उसने बस अपना सर हिलाया तो वेदिका उठ कर वहा से बाहर चली गई,लेकिन ऋषभ के चेहरे के हाव भाव और बिगड़ गए थे | वह अपने मन में बोला ,""_ भले ही तुम्हारा खून चंद्रा परिवार का है लेकिन तुम खुराना परिवार का हिस्सा हो रक्तांश,तुम्हे मै उन Chandra's का हवाले नही कर सकता ,कभी नही | "

    ऋषभ का औरा यह सोचते हुए बहुत ही गुस्से से भर गया था लेकिन उसके होंठो पर अजीब तरह का कुटिल मुस्कान बिखरा हुआ था | 
 
      चंद्रा मेंशन.....

      मुक्ता जब रूम में आई तो उसने देखा की युग रक्तांश को उसके दवाई दे रहा था | 
    
     और मुक्ता को यह भी लग रहा था की युग और रक्तांश आपस में कुछ बात कर रहे थे और उसके आने से वह दोनो चुप हो गए | मुक्ता थोड़ा हिचकिचाते हुए उनसे बोली,""_ I Am Sorry, मैने आप दोनो को डिस्टर्ब किया | "

   इतना बोल कर मुक्ता वहा से जाने को मुड़ी की तभी जल्दी से युग उसे रोकते हुए कहा ,""_ अरे भाभी,ऐसी कोई बात नही है और वैसे भी मैं अभी बाहर जा ही रहा था,आप अंदर आइए | "

   इतना बोल कर युग रूम से बाहर चला गया | मुक्ता ने एक नजर रक्तांश को देखा,रक्तांश की नज़र भी उस पर ही टिकी थी | 

    वह जल्दी से रक्तांश से नजरे हटाई फिर एक पिलो लिए काउच पर सोने के लिए जाने लगी | 

   रक्तांश की आईब्रोस अचानक से आपस में ही जुड़ गए थे | वह उसे रोकते हुए थोड़ा सख्ती से कहा ,""_ यह तुम क्या कर रही हो मुक्ता ? "

       मुक्ता मुड़ कर रक्तांश को देख बोली,""_ मू...मुझे नींद आ रही है रक्तांश | "

  " तो तुम काउच पर क्यों सोने जा रही हो ? " रक्तांश दुबारा से मुक्ता से सवाल करते हुए उसके बेहद करीब गया | 

    वही रक्तांश का सवाल सुन मुक्ता को लगने लगा की जरूर रक्तांश के साथ आज कुछ गड़बड़ हुआ है | क्यों की पिछले एक हफ्ते से वह उसके साथ रूम तो शेयर करती लेकिन वह बेड पर नही काउच पर सो रही थी | और रक्तांश ने एक बार भी इससे कोई एतराज नहीं जताया था तो आज रक्तांश को हो क्या गया है ? 

   वह बोली,""_ रक्तांश..., मैं ऐसे ही ...? "

    मुक्ता अपनी बात बोल पाती उससे पहले ही रक्तांश ने उसके हाथ से पिलो चीन कर बेड पर फेंकते हुए,उससेसख्त टोन में कहा ,""_ तुम अब ऐसे मुझसे दूर नही सो सकती | "

    " क्या...? " मुक्ता हैरानी से रक्तांश को देख पूछी,उसके पति को आखिर आज हुआ क्या है ? 

      वह धीरे से बोली,""_ रक्तांश,आपको आज हुआ क्या है ? हम ऐसे एक बेड पर नही सो सकते | "

      " क्यों...? " रक्तांश मुक्ता को कमर से पकड़ कर अपने करीब खींचते हुए पूछा तो,वही मुक्ता अपना मुंह खोले उसे ही देखती रही,फिर अगले ही पल वह उससे अलग होते बोली,""_ क्यों की हमे एक दूसरे के करीब नही आना है,आपको याद है ना ? गलती से भी हममें से कोई भी कॉन्ट्रेक्ट पेपर पर लिखे हुए शर्त का उल्लंघन करता तो उसे एक करोड़ का पेनल्टी भरना होगा | "

      मुक्ता की बात सुन रक्तांश थोड़ी देर खामोश रहा ,फिर मुक्ता के होंठो के आस पास अपने उंगलियों से तिरकन करते हुए थोड़ा मदहोश भरी लहजे में कहा ,""_ ok fine, कल मैं तुम्हारे अकाउंट में एक करोड़ रुपिया ट्रांसफॉर्म कर दूंगा | "

     बोलते हुए रक्तांश मुक्ता के निचले होंठो को हल्के से अपने दांत के बीच दबाया फिर उन्हे अपने होंठो में उलझा कर चूमा | 

   वही मुक्ता हैरानी से अपने आंखे बड़ी बड़ी कर रक्तांश को ही देखने लगी थी | रक्तांश कहना क्या चाह रहा है ? और रक्तांश का इस तरह चूमने से मुक्ता का रोम रोम सिहर उठा था | उसका दिल जोरो से शोर भी करने लगा था | 

    मुक्ता ने जल्दी से रक्तांश के सीने पर हाथ रख कर, उसे खुद से दूर करा,फिर थोड़ा तेज तेज सांस लेते हुए बोली,""_ आ..., आप यह क्या कर रहे है रक्तांश.., ? आपको आज सच में कुछ हो गया है | "

    मुक्ता अपनी उखड़ी सांसों को नॉर्मल करते हुए जल्दी से मुड़ी फिर पिलो लिए वापस काउच पर सोने जाने लगी,लेकिन रक्तांश को उसे छोड़ने का इरादा कहा था ? वह मुक्ता के बाजू पकड़ कर उसे अपने करीब खींचा फिर उससे कहा ,""_ तुम्हे नही लगता बीवी, तुम अपने बीमार पति को आज ज्यादा ही तंग कर रही हो ? "

       मुक्ता को समझ नही आ रहा था की उसके राक्षस पति से कैसे निपटाए ? वह खुद था जो उसे तंग कर रहा था | वह धीरे से मुंह बन कर बोली,""_ मैं..., मैं आपको तंग कहा कर रही हु रक्तांश ? वह तो आप है,...रक्तांश ? रक्तांश क्या हुआ आपको ? "

     मुक्ता एक दम से परिशान हो गई,क्यों की रक्तांश कसके अपने आंखे भींच कर अपना सर पकड़ा था, जैसे उसे अपने सर पर बेहिसाब दर्द हो रहा हो | 

     रक्तांश ने मुक्ता को कोई जवाब नही दिया,वह भारी कदमों के साथ बेड के पास जा कर बैठ गया | 

   मुक्ता उसके पीछे पीछे ही उसके करीब गई थी,वह फिर उसके गाल सहलाते हुए पूछी,""_ रक्तांश... ,रक्तांश आप ठीक है ना ? मैं....में, अभी डॉक्टर को कॉल करती हूं | "

    मुक्ता जल्दी से अपने फोन निकाल कर डॉक्टर का नंबर डायल करने को हुई की तभी रक्तांश ने उसे बेड पर बैठाया फिर उसके गोद में सर रख कर लेटते हुए कहा ,""_ Relax Mukta,मुझे बस सर में हल्का दर्द मेहसूस हो रहा है,तुम थोड़ा मसाज दोगी तो ठीक हो जायेगा | "

    बोलते हुए रक्तांश ने मुक्ता के दोनो हाथो को पकड़ कर अपने माथे पर रखा | 

   मुक्ता बिना कुछ कहे चुपचाप उसका सर दबाने लगी लेकिन रक्तांश उसे बेहद इंटेंस नजरों से देखते हुए उसके गाल को सहला रहा था | 

    रक्तांश के उंगलियां कभी मुक्ता के होंठो के करीब बढ़ते तो कभी उसके टुडी से हो कर गर्दन तक नीचे जाते | 

    रक्तांश के इस हरकत पर मुक्ता का हालत बैठे बैठे ही खराब हो रहा था | उसके धड़कने भी तेज हो गए थे जिससे उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था | 

     मुक्ता लाचारी में रक्तांश के आंखो में देखते हुए अपनी लड़खड़ाती आवाज में बोली,""_ रक्तांश आप अच्छा नही कर रहे है | "

    " अच्छा.....!! " शरारत भरी मुस्कान लिए रक्तांश ने मुक्ता के हथेली पर चूमते हुए कहा | मुक्ता के पूरे बदन में सिहरन सा दौड़ने लगा क्यों की रक्तांश ने उसके दोनो हाथो से अपने चेहरे को सहलाते हुए उसके हाथो को अपने सीने पर ला कर टहरा दिया था |

      वही मुक्ता जल्दी से आपने हाथ पीछे ले कर रक्तांश का सर अपने गोद में से हटाने को हुई,तो रक्तांश बुरी तरह उसे घूरने लगा,मुक्ता का आगे जरा भी हिलने का हिम्मत नही हुआ तो वह वैसे ही उसे मसाज देने लगी | 

     वही रक्तांश का मन तो कर रहा था की वह मुक्ता को अपने बाहों में भर कर उसे जी भर कर प्यार करे लेकिन चीज़े उसके हाथो से बिगड़ गए थे और उसे ही अब ठीक भी करना था | 

    क्या होगा आगे इस कहानी में ? रक्तांश कैसे इस कॉन्ट्रैक्ट मैरिज जैसा दीवार हटा कर मुक्ता को पूरी तरह अपना बनाएगा ? क्या होगा आगे इस कहानी में जानने के लिए पढ़ते रहिए 

     " Rebirth of my Possessive Billionaire husband "

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