🌾 अध्याय 1: धूल भरी पगडंडी और एक चमकती आँख
बिहार के एक छोटे से गाँव "रामपुर" में जन्मा अर्जुन बचपन से ही बाकी बच्चों से अलग था। जब बाकी बच्चे पतंग उड़ाते या खेल-खेल में लड़ते, अर्जुन अपने हाथ में लकड़ी की बनी पुरानी बैट लेकर खुद के बनाए हुए एक कच्चे मैदान में प्रैक्टिस करता।
उसके पास न तो ब्रांडेड बैट था, न बॉल, न जूते, न कोच। उसके पास सिर्फ एक चीज़ थी – जुनून।
गाँव वालों के लिए ये एक मज़ाक था।
"अरे अर्जुन, तेरा बाप तो ईंट भट्ठे पर काम करता है, और तू बनेगा क्रिकेटर? पहले पेट भर खाना तो खा!"
अर्जुन हँसता नहीं था, जवाब भी नहीं देता था।
वो सिर्फ एक बात अपने दिल में दोहराता था:
> "एक दिन... एक दिन मैं इंडिया के लिए खेलूँगा, और यही लोग ताली बजाएँगे।"
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👣 अध्याय 2: संघर्ष की शुरुआत
अर्जुन का दिन सूरज से भी पहले शुरू होता।
सुबह 4 बजे उठकर खेतों की पगडंडी पर दौड़ लगाता, फिर स्कूल जाता, और शाम को पिता के साथ ईंट उठाता। माँ घरों में काम करके चूल्हा जलाती थी।
हर हफ्ते वो अपने 50 रुपये की मजदूरी में से 10 रुपये बचाकर एक नई बॉल खरीदने के लिए जमा करता।
कभी पुराने टायर से बॉल बना लेता, कभी रस्सी से विकेट।
उसकी माँ अक्सर पूछती,
> “बेटा, इतनी मेहनत के बाद भी कुछ नहीं बदलता… क्यों लड़ रहा है तू इतना?”
अर्जुन जवाब देता,
> “माँ, अभी कुछ नहीं है, पर एक दिन सब कुछ होगा… तेरे लिए एक पक्का घर भी।”
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🧱 अध्याय 3: ताने, आँसू और सपने
एक बार गाँव में एक स्कूल क्रिकेट प्रतियोगिता हुई। अर्जुन की टीम हार गई, क्योंकि उसके पास ढंग की किट नहीं थी।
गाँव वालों ने ताने मारे –
> “ये लड़का सिर्फ दिन में सपने देखता है।”
“भूख लगी होगी, तभी रन नहीं बनाए!”
उस रात अर्जुन अकेला खेत में बैठा रोया।
मगर अगली सुबह फिर वही जोश, वही दौड़, वही बैट।
वो मानता था कि आँसू कमजोरी नहीं, आग बन सकते हैं — अगर उन्हें सही दिशा दो।
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🎯 अध्याय 4: पहला मौका – माँ की चूड़ियाँ और बेटे का छक्का
एक दिन पास के ज़िले में क्रिकेट ट्रायल्स का आयोजन हुआ। अर्जुन बहुत उत्साहित था, लेकिन ट्रेनों का किराया और रजिस्ट्रेशन कुल मिलाकर ₹120 लगने थे।
उसके पास ₹40 थे।
उसकी माँ ने अपने हाथ की काँच की चूड़ियाँ और मंगलसूत्र गिरवी रख दिए।
> “जा बेटा… भाग्य को छू ले, मैं तुझे रोके नहीं बैठूंगी।”
ट्रायल के दिन अर्जुन पुराने जूते, फटी टी-शर्ट और टूटी बैट के साथ पहुँचा। बाकी सब खिलाड़ी स्मार्ट किट में थे।
लोगों की हँसी फिर उठी…
पर फिर अर्जुन ने जो किया, उसने सबकी बोलती बंद कर दी:
5 विकेट लिए
78 रनों की तेज़ पारी खेली
हर कोच और चयनकर्ता की नज़र उसी पर थी
कोच बोले:
> “इस लड़के में कुछ है। इसमें क्रिकेट नहीं, आग है!”
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🏆 अध्याय 5: चयन और चमत्कार
अर्जुन का चयन राज्य की अंडर-19 टीम में हुआ।
अब उसके पास सही कोचिंग थी, सही बैट और बॉल — और सबसे ज़रूरी, मौका।
कुछ ही महीनों बाद IPL की एक टीम ने अर्जुन को ₹10 लाख के कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किया। ये खबर गाँव में ऐसे फैली जैसे बिजली कड़क गई हो।
वही लोग जो उसे मज़ाक उड़ाते थे, अब कहते थे:
> “हम तो पहले से ही जानते थे कि अर्जुन कुछ अलग है!”
अर्जुन की माँ अब साड़ी में नहीं, सम्मान में लिपटी नजर आती थी।
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🌍 अध्याय 6: वर्ल्ड कप की आखिरी गेंद
साल 202X का वर्ल्ड कप – फाइनल मुकाबला:
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया
आखिरी ओवर, भारत को जीतने के लिए 5 रन चाहिए।
अर्जुन स्ट्राइक पर।
सारे देश की नज़रें उसी पर थीं।
कॉमेंटेटर बोले:
> “ये वही अर्जुन है, जो कभी टूटी बैट से गाँव में खेलता था… अब देखिए, देश उसके हाथों में है।”
बॉल फेंकी गई…
अर्जुन ने कंधे खोलकर जोरदार छक्का जड़ा —
भारत वर्ल्ड कप जीत गया।
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🏡 अध्याय 7: गाँव में वापसी
गाँव में ढोल, ताशे, फूलों की वर्षा। अर्जुन के लिए कोई रेड कार्पेट नहीं, पर मिट्टी का स्वागत उससे भी सुंदर था।
पिता बोले:
> “बेटा, तूने गरीबी नहीं, हमारी पहचान बदल दी।”
अर्जुन ने गाँव में मुफ़्त क्रिकेट अकादमी खोली।
बोला:
> “मुझे जब सपना देखने की आज़ादी मिली थी, तभी मैं जीत गया था। अब कोई और अर्जुन सपनों के लिए भूखा न सोए।”
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🌟 कहानी की सीख:
> "गरीबी आपकी किस्मत नहीं, सिर्फ एक परीक्षा है।
अगर आपकी आँखों में सपना है, और सीने में आग — तो दुनिया की कोई ताकत आपको रोक नहीं सकती।"
“जुनून जब मिट्टी से उठता है, तब ही वो सितारा बनता है।”