Stories of Contemporary Consciousness in Hindi Book Reviews by Neelam Kulshreshtha books and stories PDF | समसामयिक चेतना की कहानियां

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समसामयिक चेतना की कहानियां

डी. एन. प्रसाद

 

प्रतिष्ठित कथा रचना की शिल्पी नीलम कुलश्रेष्ठ अपनी रचनाधर्मिता में श्रेष्ठ हैं। अनेक  कहानी संग्रह व आधा दर्जन उपन्यास के साथ अन्यान्य रजनाधर्मिता की पोषिका नीलम कुलश्रेष्ठ की स्वयं चुनी गई दस कहानियों का संकलन हैं ‘मेरी कहानियाँ जिसे ‘कथामाला 39’ के अंतर्गत इंडिया नेटबुक्स ने श्रृंखलाबद्ध रूप से चुनिंदा कहानीकारों से स्वयं चयनित कहानियों का संकलन प्रस्तुत कराया है। ज़ाहिर है कहानीकार ने अपनी कहानियों से श्रेष्ठ कहानियों ,अपनी मन पसंद की रचना का रसायन परोसा है।

संकलन की पहली कहानी` सफाई’ प्रदूषण को लेकर फैक्टरी के प्रबंधक व शासन के अधिकारी के बीच की कार्य- पद्धति व व्यवहार का खुला चिठ्ठा प्रस्तुत करती है। लकेरा नाम का एक पात्र का वक्तव्य है, "क्या हम पाँच लोगों के ईमानदार होने से प्रदूषण  रूक जायेगा ?" वहीं कहानी में फैक्ट्री के मालिक या संदर्भित एक समसामयिक कथन युगधर्म की तरह प्रांसगिक दिखाई देता है – सारे सरकारी महकमे चाहे वह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हो, पुलिस विभाग हो या इनकम टैक्स विभाग। इनके इशारे पर इनकी जेब में समा जाते हैं.....

‘रस – प्रवाह` कहानी वात्सल्यता के हेतु औरत को आधुनिक पद्धति से ‘सरोगेट मदर’ बनने को बाध्य कर रही है। तो फिर भी मुँह बंद कर कहते सुना जाता है ` ‘ओ माँ !उसने कोख किराये पर दी, उसे शर्म नहीं आई?" यह रोग पश्चिम की जीवन शैली से उपजा हुआ है तभी तो कहानी के प्रसंग में यह आई उतान कैसे-कैसे प्रासंगिक होती जा रही है, यह नैतिक – अनैतिक के मध्य बीज बो रही है-’ `दुनियाँ भर के लोग क्यों भारत की सरोगेट मदर चाहते हैं क्योंकि यहाँ की औंरते मेहनती होती हैं, सिगरेट, शराब नहीं पीती। तुम सुन्दर हो, नाम तुम्हारा सोनल है। स्वस्थ हो सेरोगेट मदर बनने लायक। ‘आज भारत के हर बडे शहरों में इनके लिए बडे आधुनिक विशिष्ट अस्पताल फल-फूल रहे हैं।

‘पूना पलट’ कहानी फिल्म जगत के प्रकरणों से सम्भरित है। फिल्म सिटी की कार्य-पद्धति से अनुनादित यह कहानी रिसोर्ट – कल्चर को भी बयाँ कर रही है। ‘गिनी पिग्स’ कहानी पुलिन के मौत पर आँसू बहाने और मेडिकल-व्यवस्था की संवेदनहीन कथा का सृजन है जो मौत और मेडिकल की कथा बुनती हैं।’ जनवरी 2008 से अगस्त 2010 तक देश भर में क्लीनिकल ट्रायल से डेढ़ हजार इंसानों की मौत हो चुकी हैं। इस ट्रायल पर नजर रखने वाली इथिक्स कमेटियाँ जो आम तौर पर क्रियान्वयन करती हैं, उसे पर्दाफाश करने की कोशिश है....

‘हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली’ की कथा-रचना गुजराती शादी की पृष्ठभूमि को स्पष्ट करती है। साथ ही गुजराती भाषा – बोली, कहावतों को भी चरितार्थ करती है। इसी बीच ढिंगली के खो जाने की खबर से हलचल मचती है। संदर्भ यह कि कहानी घटती नब्ज पर हाथ रखती है। घर समाज के बोल तो निकलेंगे ‘` मासी! दुखी मत हो, जरुर अपने ब्वोय-फ्रेन्ड के साथ भाग गई होगी.`’ और दूसरी तरफ, ‘हम ग्लोबलाइज्ड हो रहे हैं इसलिए एक और नया शब्द चला है, ‘सेक्स टूरिज्म’। इसकी भरपाई के लिए जगह-जगह होटल खुले रहे हैं, जिनके लिए औरत चाहिए । लडकियाँ चाहिए, यहाँ तक कि किड पोर्न के लिए बच्चे चाहिए।’

परिप्रेक्ष्य यह कि पश्चिमी अनुकरण में हम कहाँ आ गये। नीलम कुलश्रेष्ठ की रचना विविधा में विषय विविधा का ताना-बाना कितना समसामयिक होता है, यह लेखिका की सामाजिक पैनी नजर का दायरा है। होटल-कल्चर और कॉरपोरेट – कल्पर की जीवन शैली की व्याख्या ‘युग्म’ शीर्षक कहानी का प्रेय है जो अपनी परम्परागत जीवन शैली के प्रति एक अनुमोदन भी है।

अस्पताल में इलाज और मरीज की भर्ती, उसके इलाज संदर्भित कवायदें और उसे जल्द अस्पताल से छुट्टी न मिलने की कथा को जिस बेबाकी से नीलम कुलश्रेष्ठ ने कथा -संरचना की सृष्टि की है, वह यथार्थ की अद्भुत तस्वीर हैं ‘निचली अदालत’ शीर्षक कहानी।  दवा की काला बाजारी वार्ड कर्मचारियों की अव्यवहारिकता और मुर्दा को जिन्दा बनाकर अर्थ की उगाही आज आम हो गयी है। ‘सारा प्यार, सारे आदर्श, सारे रिश्ते, सारे जुड़ाव, स्नायुतंत्र का उत्साह फीका पड़ता जाता है।जब किसी परिवार के व्यक्ति की अस्पताल में रहने की अवधि बढ़ती जाती है।’ यह अति यथार्थ की ‘गूँज है.... ‘आर्तनाद’, शीर्षक कहानी ‘अ स्टोरी बिहाइन्ड अ स्टोरी’ के बीच आर्तनाद की अनुगूँज है। ग्रामीण परिवेश की दबंगई की कथा रचती ‘आर्तनाद, जल्पा के ही नहीं है पूरे औरत समाज की है। मारवाड़ प्रदेश के गंवई ग्रंथ में सनी कहानी अपनी भाषा चेतना से पूरित भी है, यह लेखिका की अंतर्दृष्टि है। ‘उल्टी चलती ट्रेड मिल’ कहानी अपने शीर्षक की अंतर्दृष्टि वाली कहानी की संरचना है जिसमें सम्पूर्ण परिवेश पल्लवित हुआ है। अंतिम कहानी ‘उस महल की सरगोशियाँ’ अपने अर्थ संदर्भ को परिभाषित करती है।

कुल मिलाकर नीलम कुलश्रेष्ठ की कहानियाँ अपने अनुभव व परिवेश की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करती हैं। इनकी कहानियों में समसामयिक समय की अनूगंज है जिसे कहानी पढ़ते समय दृश्य का पटल सामने चलता दिखाई देता है। समय के सच से पूरित कहानियाँ समस्या को उठाती समाधान की दिशा भी देती हैं। कहानीकार नीलम कुलश्रेष्ठ की कहानियों को पढ़ना समय और समकाल को समझना तथा सचेत होना है। अपने आस-पास के परिवेश को खुली आँखों से देखना और अनुभवजन्य समाधान के संदेशों को ग्रहित करना नीलम कुलश्रेष्ठ की कहानियों का उपजीव्य है।

पुस्तक -मेरी प्रिय कहानियां ( कहानी-संग्रह)

लेखिका---- नीलम कुलश्रेष्ठ

प्रकाशक ----इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड

मूल्य----300.00

पुस्तक समीक्षक-    डी. एन. प्रसाद

मो   न.--9420063304