The call of the dead spirit in Hindi Spiritual Stories by Sai Sesya books and stories PDF | मृत आत्मा की पुकार

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मृत आत्मा की पुकार

वह आवाज़ जो वापस आई

 

 

शमशेरपुर ऐसा गाँव था जहाँ कहानियाँ सिर्फ सुनी नहीं जाती थीं, बल्कि हवा में घुलकर हर सांस के साथ महसूस की जाती थीं। पहाड़ों के बीच बसा यह गाँव दिन में साधारण लगता था, लेकिन रात ढलते ही सब कुछ बदल जाता था। यह केवल अंधेरा नहीं होता था — यह किसी की नज़र होती थी, किसी की साँस, जैसे कोई देख रहा हो… सुन रहा हो।

 

गाँव के उत्तर में फैले घने जंगल को लेकर दशकों से एक ही बात कही जाती रही — वहाँ कुछ है। कुछ ऐसा जो जीवित नहीं, फिर भी मौजूद है। आधी रात के बाद लोगों ने कई बार अपने नाम पुकारते हुए धीमी आवाज़ें सुनी थीं। कुछ ने इसे हवा कहा, कुछ ने पागलपन, लेकिन गाँव के बुज़ुर्गों ने हमेशा एक ही नाम फुसफुसाया —

 

"मृत आत्मा..."

 

जिस नाम से यह कहानी बंधी थी — वह नाम था निष्ठा वर्मा।

 

तीन साल पहले, वह एक हँसती-खेलती लड़की उसी जंगल में गई और फिर वापस नहीं आई। कुछ दिन बाद उसकी लाश मिली — आँखें खुली हुई, चेहरा डर में जमे हुए, जैसे मौत से पहले कुछ ऐसा देखा हो जो इंसानी आँखें नहीं देखनी चाहिए थीं। तब से, वह जंगल गाँव वालों की नज़रों और राहों से बाहर हो गया।

 

पर कोई एक थी… जो अब भी हर रात उसे देखती थी।

 

मीरा।

 

निष्ठा की छोटी बहन, अब सत्रह साल की, शांत, लेकिन भीतर से टूटी हुई। जब निष्ठा गई, तब मीरा सिर्फ चौदह की थी। उस दिन से उसने हँसना बंद कर दिया। उसकी दुनिया अब सिर्फ दो चीजों में सिमट गई थी — एक खिड़की, जो जंगल की ओर खुलती थी, और निष्ठा की पुरानी डायरी।

 

हर रात, वह उसी खिड़की के पास बैठती, अंधेरे को ताकती, जैसे किसी की राह देख रही हो। और पिछली रात… वो इंतज़ार खत्म हुआ।

 

उसे आवाज़ आई थी। एकदम धीमी, लेकिन साफ़।

 

"मीरा... जंगल में आओ..."

 

वो आवाज़ उसकी नींद नहीं, उसकी हकीकत में आई थी। मीरा की साँसें जैसे रुक गईं। वह पल जो उसने वर्षों से चाहा, अब सामने था — लेकिन उसके साथ डर भी था, बहुत गहरा।

 

अगली शाम बारिश धीरे-धीरे बरस रही थी। बादल हर ओर घिरे हुए थे। मीरा अपने घर की पुरानी चौखट पर बैठी थी, गोद में वही डायरी थामे — निष्ठा की यादों से भरी, पुराने पन्नों से सजी। हर शब्द जैसे बहन की आवाज़ में बोल रहा हो।

 

तभी पास ही एक स्कूटी की आवाज़ गूंजी। ब्रेक की चीख के साथ रुकती स्कूटी से उतरा रवि — उसका बचपन का दोस्त। वो हमेशा जोश में रहता था, लेकिन आज उसकी आँखों में चिंता थी।

 

"तूने कोई जवाब नहीं दिया, मीरा। क्या हुआ?" उसने आते ही पूछा।

 

मीरा ने धीरे से उसकी ओर देखा। उसकी आवाज़ काँप रही थी।

 

"रवि… मैंने उसे सुना।"

 

"किसे?" रवि ने भौंहें चढ़ाईं।

 

"निष्ठा को," मीरा की आवाज़ फुसफुसाहट से भी हल्की थी।

 

रवि चौंक गया।

 

"मुझे पता है, ये पागलपन लगता है," मीरा जल्दी से बोली, "लेकिन मैं झूठ नहीं बोल रही। उसने मुझे बुलाया — कहा, 'मीरा... जंगल में आओ… मैं यहीं हूँ।'"

 

रवि ने गहरी साँस ली। "मीरा… तीन साल हो गए। तू उसे अब भी बहुत मिस करती है, मुझे पता है। लेकिन हो सकता है तेरा दिमाग..."

 

"नहीं रवि, ये कोई सपना नहीं था। मैं सच कह रही हूँ," मीरा की आँखें नम हो गईं।

 

बारिश थोड़ी और तेज हो गई थी। रवि ने जंगल की ओर देखा, फिर मीरा की ओर।

 

"मैं तेरे साथ हूँ," उसने धीरे से कहा। "जो भी हो — आत्मा, याद, या कुछ और — हम मिलकर सामना करेंगे। लेकिन प्लीज़, अकेले मत जाना।"

 

उसकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि एक ऊँची, चिढ़ाने वाली आवाज़ ने दोनों को चौंका दिया।

 

"ओहो! क्या बात है, ट्रैजेडी फिल्म की शूटिंग चल रही है क्या?"

 

वो था तेजा — गाँव का सबसे शरारती, सबसे बेबाक लड़का। सिर पर भीगती हुई हुडी, हाथ में कुरकुरे का पैकेट और चेहरे पर वही पुरानी शरारती मुस्कान।

 

"तुम दोनों ऐसे बैठे हो जैसे किसी भूत ने पीछा कर लिया हो," वह हँसते हुए बोला।

 

"मीरा ने निष्ठा की आवाज़ सुनी है," रवि ने गंभीरता से कहा।

 

तेजा की मुस्कान कुछ पल के लिए रुकी।

 

"फिर से वही?" उसने धीरे से कहा।

 

"ये मजाक नहीं है, तेजा," मीरा बोली।

 

तेजा कुछ देर तक जंगल की ओर देखता रहा। फिर उसने कहा, "तो चलो ना। अगर आत्मा सच में है… तो देख लेते हैं।"

 

"तेजा, ये कोई खेल नहीं है," रवि ने गुस्से से कहा।

 

"मैं भी मजाक नहीं कर रहा," तेजा बोला, अब पूरी तरह गंभीर। "मैंने भी उस जंगल के बारे में अजीब बातें सुनी हैं। लेकिन कोई वहाँ गया नहीं। शायद अब वक्त आ गया है..."

 

मीरा खड़ी हो गई, उसकी आँखों में डर और जिद दोनों थे। "अगर निष्ठा मुझे बुला रही है… तो मैं जाऊंगी। मैं जानना चाहती हूँ उस रात क्या हुआ।"

 

इसी बीच, हवा में एक फुसफुसाहट सी गूंज उठी — इतनी धीमी, फिर भी साफ़।

 

"मीरा... वापस आओ..."

 

तीनों सन्न हो गए। रवि ने अनजाने में मीरा का हाथ पकड़ लिया। तेजा ने धीरे से गर्दन मोड़कर जंगल की ओर देखा — जहाँ पेड़ों की सरसराहट अब किसी चेतावनी सी लग रही थी।

 

कोई कुछ नहीं बोला।

 

पर अब वे जानते थे —

मृत कभी नहीं बोलते... जब तक उन्हें कुछ चाहिए न हो।

 

और इस आत्मा को...

सुनना ज़रूरी था।

"आप सभी का धन्यवाद मेरे साथ रहने और मुझे समर्थन देने के लिए।

यह मेरी नई कहानी है — मृत आत्मा की पुकार।

यह एक हॉरर कहानी है और मुझे उम्मीद है कि आप सभी को यह पसंद आएगी।

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