🌺 महाशक्ति – एपिसोड 31
प्रेम का द्वार और छल का पर्दा
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अनाया के कदम महल की चौखट से बाहर निकल चुके थे, लेकिन उसका दिल वहीं अर्जुन के पास अटका रह गया था। उसकी हर साँस भारी थी, जैसे किसी अदृश्य जंजीर ने उसे बाँध रखा हो। वह जानती थी कि जो निर्णय उसने लिया है, वह केवल अपने मन की नहीं, किसी डर, किसी भ्रम की उपज है।
"क्या यह वाकई मेरा निर्णय है?" उसने खुद से पूछा।
रास्ते में मंदिर की घंटियाँ अब भी उसके कानों में गूंज रही थीं। दीपक की अचानक तेज़ लौ और सन्त की चेतावनी – यह सब कुछ किसी फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने घूम रहा था।
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🌸 अनाया का आत्मसंघर्ष
रात के अंधेरे में वह अकेली अपने कक्ष में बैठी थी। बाहरी शांति के विपरीत, भीतर तूफान मचा हुआ था। उसने अपना सिर शिव-पार्वती की मूर्ति के आगे झुका दिया।
"हे महादेव, अगर अर्जुन से प्रेम करना विनाश है, तो यह प्रेम ही क्यों दिया?"
"अगर उसका साथ मेरा कर्म है, तो क्यों यह भ्रम मेरे जीवन में लाया गया?"
एक पल को उसे अपनी माँ की बातें याद आईं —
"सच्चा प्रेम कभी विनाश नहीं लाता, बेटी। वह तो आत्मा को शुद्ध करता है, चाहे राह में कितनी ही बाधाएँ क्यों न हों।"
उसके होंठ काँपे — "माँ... क्या मैं प्रेम से भाग रही हूँ या अपने डर से?"
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🔥 वज्रकेश की योजना का विस्तार
इधर वज्रकेश अपने गुप्त कक्ष में अपने सबसे वफादार सेवकों के साथ बैठा था। उसकी आँखों में एक साज़िश की आग जल रही थी।
"अनाया अब भ्रम में है। बस एक आखिरी धक्का और... वह अर्जुन से हमेशा के लिए दूर हो जाएगी।"
उसने एक काले वस्त्रधारी को बुलाया — जो वास्तव में एक तांत्रिक था।
"मैं चाहता हूँ कि तुम अनाया को एक ऐसा स्वप्न दिखाओ, जिससे वह डर जाए... उसे यह लगे कि अर्जुन की मौजूदगी उसके लिए मृत्यु का कारण बन सकती है।"
तांत्रिक मुस्कुराया, "महाराज, जो आज रात अनाया देखेगी, वह उसके पूरे विश्वास को तोड़ देगा।"
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🌒 स्वप्न और संकेत
रात को अनाया को नींद आई, पर वह नींद शांति नहीं लायी। उसने एक भयावह स्वप्न देखा:
वह एक काले आकाश के नीचे खड़ी थी। अर्जुन लहूलुहान पड़ा था। एक रहस्यमयी आवाज़ गूंज रही थी —
"तुम्हारे प्रेम ने उसे मारा है… तुम्हारे साथ उसका अंत तय है… भागो, अनाया, भागो…"
अनाया चीख पड़ी और उसकी नींद टूट गई। पसीने से तरबतर, काँपती हुई वह उठी। उसकी साँसें तेज़ थीं और दिल में एक अजीब सी घबराहट थी।
"यह क्या था? क्या यह कोई संकेत था या वज्र?"
उसने घड़ी की ओर देखा — रात के तीन बजे।
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🧘♂️ अर्जुन की साधना और आत्ममंथन
दूसरी ओर अर्जुन भी शांति की तलाश में मंदिर के पीछे स्थित कंदरा में बैठा ध्यान कर रहा था।
उसकी आँखें बंद थीं, लेकिन भीतर सवालों का मंथन चल रहा था।
"क्या मेरा प्रेम उसे तोड़ रहा है?"
"क्या मेरा होना उसके लिए अभिशाप बन चुका है?"
उसके गुरु वहीं पीछे आए और बोले,
"अर्जुन, प्रेम में सबसे बड़ा बलिदान यह है कि अगर तुम्हारा प्रिय डर में जी रहा है, तो तुम उसे शांति दो, चाहे वह तुम्हारी अनुपस्थिति में ही क्यों न हो।"
अर्जुन ने आँखे खोलीं, "गुरुदेव, क्या प्रेम छोड़ना बलिदान है?"
गुरु मुस्कुराए, "कभी-कभी नहीं छोड़ना ही सबसे बड़ा बलिदान होता है।"
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🛕 मंदिर में देवदूत का आगमन
सुबह होते ही अनाया एक बार फिर मंदिर पहुँची।
इस बार उसकी प्रार्थना में कंपकंपी नहीं, बल्कि एक करुणा थी।
"महादेव, अगर यह भ्रम है, तो कृपा कर इसे तोड़ दीजिए। अगर यह प्रेम सच्चा है, तो मुझे अर्जुन के लिए रास्ता दिखाइए।"
तभी एक अज्ञात स्त्री वहाँ आई — श्वेत वस्त्रों में, आँखों में शांति और चेहरे पर दिव्यता।
"बेटी, क्या तुमने कभी सोचा है कि महाशक्ति का प्रेम, उसकी कमजोरी नहीं बल्कि उसकी शक्ति होता है?"
"जो प्रेम भय से भरा हो, वह प्रेम नहीं, भ्रम होता है।"
अनाया ने आँखें फैलाकर पूछा, "आप कौन हैं?"
वह स्त्री मुस्कुराकर बोली, "बस एक साधारण आत्मा, जो तुम्हारे भीतर की शक्ति को जगाने आई है।"
और वह वहाँ से चली गई… लेकिन उसके शब्द अनाया के हृदय में गूंजते रह गए।
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🌺 सच्चाई की झलक
अब अनाया की सोच बदलने लगी थी। उसे याद आया कि अर्जुन ने कभी उसे बाँधने की कोशिश नहीं की — उसने हमेशा अनाया की स्वतंत्रता को महत्व दिया। उसका प्रेम कभी बोझ नहीं था, बल्कि उसका सहारा था।
वह उठ खड़ी हुई — "मुझे अर्जुन से बात करनी है। अब और नहीं।"
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🛡️ वज्रकेश का अंतिम वार
उसी समय वज्रकेश को खबर मिली कि अनाया मंदिर से सीधे अर्जुन के पास जाने की तैयारी कर रही है। वह चौंका।
"नहीं! अगर आज वो मिल गए, तो मेरा सारा खेल खत्म हो जाएगा।"
उसने अपने सैनिकों को भेजा, "अर्जुन को किले से बाहर निकलने मत देना।"
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🐎 अर्जुन की खोज में अनाया
अनाया तेज़ी से किले की ओर भागी, लेकिन रास्ते में उसे कुछ सैनिकों ने रोकने की कोशिश की। वह डर गई, लेकिन तभी मंदिर की वही श्वेतवस्त्रा स्त्री वहाँ प्रकट हुई और सैनिकों को पीछे हटने को कहा।
"यह प्रेम की यात्रा है, इसमें कोई बाधा नहीं डाल सकता।"
अनाया आगे बढ़ी और अंततः महल के बाहर अर्जुन को ध्यान की अवस्था में पाया।
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❤️ पुनर्मिलन का क्षण
अर्जुन ने उसकी आहट सुनी, और आँखें खोलीं। अनाया उसके सामने खड़ी थी — उसकी आँखों में आँसू थे, पर इस बार डर नहीं, सिर्फ प्रेम था।
"मैं भ्रम में थी, अर्जुन," अनाया बोली।
"लेकिन अब मैं जान चुकी हूँ — तुम्हारा प्रेम मेरी शक्ति है, न कि मेरी कमजोरी।"
अर्जुन की आँखें भर आईं — लेकिन वह मुस्कराया।
"मैं जानता था... एक दिन तुम खुद अपने भीतर की महाशक्ति को पहचानोगी।"
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🌈 एक नई शुरुआत
अनाया ने उसका हाथ पकड़ा और कहा —
"अब चाहे वज्रकेश कोई भी चाल चले, मैं तुम्हारे साथ हूँ। हम एक हैं — प्रेम में, शक्ति में और नियति में।"
दूर खड़ा वज्रकेश यह देखकर दाँत पीस रहा था।
"यह तो शुरुआत है… अब देखो मैं क्या करता हूँ।"
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❓ एपिसोड 31 समाप्त
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🧿 अगले एपिसोड में:
क्या वज्रकेश का अगला षड्यंत्र और खतरनाक होगा?
क्या महाशक्ति के रूप में अनाया की शक्तियाँ जागृत होंगी?
अर्जुन और अनाया मिलकर क्या वज्रकेश को रोक पाएंगे?
(जारी रहेगा...)