🌺 महाशक्ति – एपिसोड 33
"वज्रकेश का प्रतिशोध और सत्य की पुकार"
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🔥 भूमिका
पिछले सात जन्मों से जो प्रेम अधूरा था, वो अब जाग चुका है।
अर्जुन और अनाया अब सिर्फ प्रेमी नहीं — एक शक्ति हैं।
लेकिन जब प्रेम शक्ति बनता है, तो अंधकार और भी भयानक रूप लेता है।
अब युद्ध आरंभ होने वाला है।
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🌑 रात्रि का घेरा – वज्रकेश की वापसी
सातों साधकों की मृत्यु और सेनापति के भस्म होने की खबर वज्रकेश तक पहुँची।
वह क्रोधित था, लेकिन डरता नहीं था।
उसने कहा —
"अब मैं खुद जाऊँगा। स्वयं वज्रकेश, स्वयं विनाश।"
उसने अपने गुप्त तहखाने से एक पुराना शंख निकाला।
यह वही शंख था जिसे उसने हजारों वर्ष पहले शिव की उपासना से प्राप्त किया था, लेकिन फिर उसी शक्ति को पाने के लिए शिव से विश्वासघात किया।
"अब ये शंख पुनः बजेगा — पर शिव के विरोध में।"
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🌩️ भ्रम की अग्नि – गाँव में विद्रोह
वज्रकेश ने अपने तांत्रिकों से गाँव में अफवाह फैलवा दी:
"अनाया कोई साधारण स्त्री नहीं — वह मायावी है।"
"अर्जुन की शक्ति शैतानी है, जो महादेव के रूप में खुद को दिखाता है।"
"अगर वे बचे, तो अगली पूर्णिमा को गाँव जलकर राख हो जाएगा।"
डरे हुए ग्रामीण अब महल की ओर बढ़ने लगे —
हथियारों के साथ, आँखों में भ्रम और हृदय में डर लिए।
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🛕 शांति की पुकार – अनाया की आवाज़
अनाया महल की छत पर चढ़ गई।
उसने पूरे गाँव को देखा — आग जल रही थी, लोग शोर मचा रहे थे।
वह श्वेत वस्त्र में खड़ी हुई, और हाथ ऊपर उठाकर कहा:
"तुम्हारे भीतर जो डर है, वह किसी तांत्रिक का बोया हुआ बीज है।
मैं वो नहीं जो तुम्हें जलाऊँ…
मैं वो हूँ जो तुम्हें बचाने आई हूँ।"
"मैं महाशक्ति हूँ — और मैं किसी का भी विनाश नहीं, बल्कि आत्मजागरण चाहती हूँ।"
भीड़ थोड़ी रुकी — लेकिन तभी…
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⚔️ वज्रकेश का आगमन
काले घोड़े पर सवार, वज्रकेश स्वयं प्रकट हुआ।
उसकी आँखों में लावा था, हाथ में त्रिशूल और पीछे धधकती अग्नि की लहरें।
"बहुत हुआ यह नाटक!"
"अब प्रेम का अंत होगा… और मेरी सत्ता का आरंभ।"
उसने शंख बजाया — और आकाश में गड़गड़ाहट हुई।
काले मेघों से बिजली कड़कने लगी।
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💥 युद्ध का प्रारंभ
अर्जुन सामने आया —
उसके माथे पर शिव का तिलक और हाथ में वही त्रिशूल जो गुरु ने उसे दिया था।
"आज तांडव होगा… पर तेरा अंत निश्चित है, वज्रकेश।"
वज्रकेश हँसा —
"मैं वही हूँ जिसने कभी शिव को भी चुनौती दी थी। तुम क्या हो?"
महायुद्ध प्रारंभ हुआ।
वज्रकेश ने वायु को आग बना दिया,
अर्जुन ने पृथ्वी से शक्ति खींची और अग्नि को शांत किया।
अनाया ने अपने दोनों हाथ जोड़े और महाकाली का आह्वान किया —
"जागो माता, मेरे भीतर आओ!"
उसके चारों ओर तेज़ प्रकाश फैल गया — और उसकी देह पर काले-काले कण चढ़ने लगे।
वह अब शिव-शक्ति का सजीव रूप बन चुकी थी।
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🔮 सत्य की पुकार – पूर्व जन्म का रहस्य
युद्ध के मध्य वज्रकेश चीखा:
"तुम दोनों मुझे कभी नहीं समझ पाए…"
"मैं वही हूँ जिसे शिव ने श्राप दिया था — राक्षस बनने का।
क्योंकि मैंने शिव और पार्वती के प्रेम को तोड़ने का प्रयास किया था, कई जन्मों पहले।"
"और हर जन्म में… तुम दोनों फिर से प्रेमी बनकर आए… और मुझे फिर से हराया।
पर इस बार नहीं!"
अनाया काँप उठी। अर्जुन का चेहरा गंभीर था।
"मतलब… तू वह शापित आत्मा है जिसे हर युग में हमसे द्वेष रहा है?"
वज्रकेश चीखा — "हाँ! और अब मैं जीतूँगा…"
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🌊 प्रकृति का तांडव
वज्रकेश ने शंख को आसमान की ओर उछाला।
चारों दिशाओं में भूकंप, आँधी, और जलप्रलय शुरू हो गया।
लोग भागने लगे।
गाँव संकट में था।
अनाया ने अर्जुन से कहा:
"हमें अब शक्ति और प्रेम को एक करना होगा।"
उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामा — और शिव-पार्वती के मंत्रों का जाप करने लगे:
> “ॐ नमः शिवाय।
आदिशक्ति नमो नमः।
त्रिनेत्रधारी, करुणा की माया।
अब करें समर्पण, प्रेम की छाया।”
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🕉️ महाशक्ति का प्राकट्य
आकाश से शिव-पार्वती की छाया उतरी —
उनकी कृपा उन दोनों पर बरसने लगी।
अर्जुन के भीतर से एक तेज़ निकलकर आकाश की ओर गया —
अनाया के भीतर से शक्ति की ज्वाला।
और तब — उन दोनों के मध्य एक दिव्य रेखा बनी, जो गाँव के ऊपर फैल गई।
तांडव शांत होने लगा।
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⚡ वज्रकेश का पतन
वज्रकेश ने अंतिम वार किया —
लेकिन त्रिशूल उससे टकराकर लौट आया और उसके सीने में धँस गया।
"नहीं… नहीं… यह संभव नहीं…"
वह धरती पर गिरा, और उसी पल उसकी आत्मा धुएँ में बदलकर गायब हो गई।
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🌼 समाप्ति नहीं, शुरुआत
गाँव में शांति लौट आई।
लोगों की आँखों से भ्रम का पर्दा हट गया।
वो सभी अर्जुन और अनाया के चरणों में झुक गए।
गुरु जी बोले:
"अब ये केवल प्रेमी नहीं,
ये इस युग के शिव और शक्ति हैं।"
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✨ एपिसोड 33 समाप्त