"तेरे एहसास की ख़ुशबू" –
भाग 4(पिछले भागों में: आरव और अंशिका के बीच एक अनकहा रिश्ता पनप रहा था। छोटी-छोटी बातों में उनकी नज़दीकियां बढ़ रही थीं, लेकिन दिल की बात अभी भी अधूरी थी।)भाग 4: "मौन की मुस्कान"
बारिश की बूँदें खिड़की से टकरा रही थीं। अंशिका अपनी डायरी में कुछ लिखने ही वाली थी कि फ़ोन की स्क्रीन जगमगाई — "आरव कॉलिंग..."
“हैलो?” – अंशिका ने धीरे से कहा।
“बारिश हो रही है… और मुझे सिर्फ़ एक ही चीज़ याद आ रही है,” – आरव की आवाज़ में वही पुराना सुकून था।
“क्या?” – अंशिका मुस्कराई।
“वो खामोश सी दोपहर… जब तुम्हारे हाथों से गिरती कॉफी को देखकर, मैंने पहली बार तुम्हारी आंखों में सच्चाई पढ़ी थी।”उसके शब्दों में आज कुछ अलग था। जैसे उसके एहसास अब लफ्ज़ों की तलाश नहीं कर रहे थे।
“आरव… क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो?” – अंशिका की आवाज़ कांप गई।
आरव चुप हो गया। एक पल का मौन जैसे सदियों का इंतज़ार बन गया। फिर उसने कहा—
“कभी-कभी इंसान सबसे ज़्यादा डर उस चीज़ से लगता है, जो उसे सबसे ज़्यादा चाहिए होती है। मैं… मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता, इसलिए अब तक कुछ नहीं कहा।”
अंशिका की आंखों से आंसू बहने लगे। वो आंसू जो लंबे समय से जवाब ढूंढ रहे थे।
“मैं तो कब से तेरे एहसास की ख़ुशबू में जी रही हूं आरव… अगर तूने ना कहा होता, तब भी तू मेरा था।”
अब खामोशी दोनों के बीच थी—but उस खामोशी में इकरार था, वादा था, और एक नया
एहसास की ख़ुशबू" – भाग 5
शीर्षक: "पहली बार, बेखौफ़..."
पिछली रात की बातें अंशिका के ज़हन में बार-बार घूम रही थीं। आरव का इकरार, उसकी आंखों की सच्चाई… सब कुछ जैसे किसी सपने जैसा था। सुबह की पहली धूप खिड़की से झांक रही थी, लेकिन अंशिका के चेहरे पर अब एक अलग ही रौशनी थी — इश्क़ की रौशनी।
कॉलेज कैम्पसआरव आज पहली बार अंशिका के सामने वैसे आया जैसे वो हमेशा से आना चाहता था — बिना किसी डर के, बिना किसी झिझक के।
“तुम्हें देखने का अब मन नहीं करता…” – उसने मुस्कराते हुए कहा।
अंशिका चौंक गई — “क्या?”
“क्योंकि जब भी देखता हूं, तुमसे मोहब्बत और गहरी हो जाती है… और फिर खुद पर काबू नहीं रहता।”
वो पहली बार था जब अंशिका ने सबके सामने आरव का हाथ थामा — कोई डर नहीं, कोई शर्म नहीं।इश्क़ को अब किसी परछाईं से छुपाने की जरूरत नहीं थी।
शाम की सैरदोनों शहर की गलियों में साथ चल रहे थे, बारिश की नमी अब सिर्फ मौसम में नहीं थी — अब वो दोनों की रूह में बस गई थी।अंशिका ने धीमे से पूछा —“अगर मैं तुझसे लड़ने लगूं, तो?”
आरव मुस्कराया —“तो मैं हर बार हार जाऊंगा… बस तुझे पाकर जीत जाऊंगा।”
अचानक हवा में एक गुलाब का फूल उड़ता हुआ उनके पास आ गिरा।
“ये इत्तेफाक नहीं है…” – अंशिका ने कहा।
“नहीं… ये मोहब्बत का इशारा है,” – आरव ने फूल उठाकर उसे थमा दिया।
आगे क्या होगा?क्या उनके इस रिश्ते को कोई नई मुश्किल चुनौती देगा?या फिर उनकी मोहब्बत हर आंधी से लड़कर और मजबूत बनेगी?
Kajal Thakur ye tere aaesas ki khusboo ka part 6 aage hoga to padte rheye love stories 😊