Aakhiri Aalingan - 2 in Hindi Fiction Stories by Shivangi Pandey books and stories PDF | आखिरी अलिंगन - 2

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आखिरी अलिंगन - 2

।।।। ये सिर्फ महावीर को लगता था कि वे मधुर को अच्छी परवरिश नही दे पाए क्योंकि मधुर उनकी उम्मीदों से बिल्कुल परे था यहां हम प्रॉब्लम इन जनरेशन गैप कह सकते है 
 आज की जनरेशन में माता –पिता और बच्चों के रिश्ते में हमेशा एक दूसरे के विचारों को सही न करार देने को समस्या रही है माता पिता का परिवेश अलग था और आज का परिवेश अलग है 

मधुर अंगड़ाई लेते हुए उठा 
क्या यार पापा जब देखो आपको लेट ही होता रहता है 
  कभी तो सुकून की नींद ले लिया करो आर्मी कैंप में नही हो अब आप।
हां क्यों नही नवाब जी हम भोजन पानी का खर्चा आपके भंडार गृह से निकाल लेंगे 

लखनऊ में नवाबी अब टोंट मारने में यूज होती है 
  पापा आप तो,,,,, let it be 
मैं बस २ मिनट में नहा के आया 
२ मिनट में ,,,,महावीर जी ने आंखे बड़ी बड़ी करके आश्चर्य से मधुर को देखा ।

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
लो आ गए आपके मंत्री और सेनापति ।
नवाब जी अब आपको सवारी की जरूरत नही है 
मंत्री मतलब कुबेर और सेनापति मतलब कबीर दोनों जिगरी ऑफ मधुर ।
महावीर जी ने दरवाजा खोला ।
हेलो अंकल !
मधुर उठ गया क्या आज एग्जाम है न 
पहले तो महावीर ने उन्हें तरेर कर देखा 
फिर मधुर को जो टॉवेल में खड़ा था।
कुछ नहीं बोले चाभी उठाई और चले गए 
मधुर ने फिर दोनों को गुस्से में देखा 
Sorry यार हमें पता नही था कि अंकल को पता नही था ।
हा तु तो पढ़ लिया है न सब 
तू तो पास हो जाएगा न वही बहुत है 
 कबीर : वैसे एक मस्त उड़ती उड़ती खबर मिली है 
बक फिर 
Delhi से एक न्यू एडमिशन हुआ है 
तो 
तो वो लड़की है वो भी दिल्ली की 
तू थोड़ा चमन चूतिया है क्या बे मैं मतलब लड़की पटाता फिरता हूं मतलब मैं ठरकी दिखता हु तुझे ।
अबे ढक्कन तेरा टेंपर तेरे बाप से भी हाई है घुटने में है क्या तेरा दिमाग 
लड़की का नाम स्नेहा है 
स्नेहा ,,,,दुनिया में बहुत सी लड़कियों का नाम स्नेहा है 
हां!
लेकिन सोच वही हुई तो 
मधुर के चेहरे पर अब मधुर सी मुस्कान थी और थोड़ी सी शर्म 
ओए होय लाल टमाटर हो रहा ये तो 
स्नेहा मधुर के बचपन का बिछड़ा हुआ प्यार
लेकिन क्यों आयेगी इस सवाल के साथ मधुर अपनी दुनिया में गुम 
सुन बे माधुरी अगर वही हुई तो ट्रीट देनी पड़ेगी आलमबाग वाले कैफे में 
बोल 
अबे ले लियो यार आलमबाग वाले कैफे में क्यों ताज में चल लेंगे 
ताज में वो तू ले जाएगा जोरजोर से दोनों हंसते हैं 
मधुर की भाषा में लखनवी के शब्द बहुत कम होते थे और अंदाज पूरा दिल्ली वाला । यूं तो मधुर दंगे करने मार पीट करने न पढ़ने न पढ़ने देने में कभी फेमस था लेकिन चरित्र के मामले में सख्त लौड़ा वाली टाइप थी उसकी।
कबीर थोड़ा ठरकी था कोई लड़की भाव दे दे बस 
कुबेर की अपनी एक gf थी नाम था समीरा 
इन चार का अपना ग्रुप था कॉलेज के सबसे बिगड़े हुए स्टूडेंट्स
                        न्यू प्रिंसिपल 
कॉलेज में पूरी तरह सांसों वाले संवाद चल रहे थे किसी को कोई बात पता न चले जो बात सबको पता थी । क्या हुआ ये सबको पता था लेकिन क्यों ये जानने की उत्सुकता सबके चेहरे पर दिख रही थी।
आखिर पुराने प्रिंसिपल क्यों चले गए , रातों रात क्या हुआ?
इत्ती जल्दी न्यू प्रिंसिपल कैसे आ गई , कोई बड़ी बात होगी, ये होगा वो होगा bla bla ,,,,
सभी को असेंबली में इकट्ठा होना है, वाली बेल लग चुकी थी 
सभी खुसुर फुसुर करते इकट्ठा हो चुके थे।
हल्के नीले रंग में फ्लावर का प्रिंट लिए हुए कॉटन की सारी में एक महिला आते हुए दिखीं , बाल छोटे लेकिन चेहरे पर सूट कर रहे थे उनका व्यक्तित्व रोबीला लेकिन चेहरे पर शांति लिए हुए था।
जैसे वे स्टेज पर आईं पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया जैसे तूफान आने के पहले की शांति हो।
मेरा नाम सुर पंडित है मैंने आज ही आपके कॉलेज की प्रिंसिपल की पोस्ट संभाली है मैं कोशिश करूंगी कि मैं आपके उज्जवल भविष्य का रास्ता बनाने में सहायक सिद्ध हो सकूं।
साथ ही बहुत सारे रूल्स जो आपके कॉलेज में है उनमें बदलवा हो सकते है तो आपसे भी अनुरोध है बिना विरोध आप भी सहायक सिद्ध हों।
उनकी आवाज में इतना ओज था कि किसी की हिम्मत ही न हुई कुछ पूछ सकें।
मधुर और उसके दोस्तों के दिमाग में न जाने कितने सवालों ने डेरा जमा लिया था।  
न्यू एडमिशन श्रेया, न्यू प्रिंसिपल सुर, नए नए नियम 
ऐसे लग रहा था आज सभी का नए कॉलेज में नया एडमिशन हुआ हो। किसी को कुछ पता नही। अभी तक मधुर श्रेया कौन है उसे नही पता चला । लोग कह रहे थे वो शायद मैम की बेटी भी आई है इसी कॉलेज में।

श्रेया की मां,,,, ? मधुर ने उलझन भरे खयालों में एक याद को निकाल कर सोचा, श्रेया की मां तो थी ही नहीं बचपन से उसने श्रेया को बिना मां के ही बड़ा होते देखा है ।

इसी उधेड़ बुन में मधुर बाइक की चाभी उंगलियों में घुमाते, अपनी सोच में डूबा हुआ जा रहा था और अचानक उसकी नजर ऑफिस के अंदर गई वहां प्रिंसिपल और एक लड़की बैठी हुई थी वो कोई और नहीं श्रेया ही थी उन दोनों में कुछ बातें हो रही थी जो बहस जैसी लग रही थी जैसे मां बेटी। बेटी जिद्द करे और मां समझाए।

मधुर समझ नही पा रहा था आखिर हो क्या रहा है तभी उसे एक unknown नंबर से कॉल आई जैसे ही उसने आवाज सुनी वो शॉक हो गया।