Hindi in Hindi Motivational Stories by Ankit books and stories PDF | प्यार बनाम पैसा

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प्यार बनाम पैसा

राजू एक छोटे से गांव का साधारण लड़का था। उसका सपना था पढ़-लिखकर अपने माता-पिता का नाम रोशन करना। दूसरी ओर, नेहा एक बड़े शहर की अमीर लड़की थी, जो गर्मियों की छुट्टियों में अपने नाना-नानी के गांव आई थी। वहीँ उसकी मुलाकात राजू से हुई।

राजू और नेहा की दोस्ती धीरे-धीरे गहरी होती गई। खेतों में घूमना, तालाब के किनारे बैठकर बातें करना, पेड़ों की छांव में किताबें पढ़ना — ये सब उनके जीवन के सबसे सुनहरे पल बनते जा रहे थे। धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई।

नेहा ने पहली बार महसूस किया कि असली खुशी महंगे मोबाइल या शॉपिंग मॉल में नहीं, बल्कि सादगी में छुपी होती है। वहीं राजू को पहली बार लगा कि उसका सपना सिर्फ पढ़ाई नहीं, अब नेहा भी है।

लेकिन कहानी में मोड़ तब आया जब छुट्टियाँ खत्म हुईं और नेहा को शहर लौटना पड़ा। जाते-जाते उसने राजू से वादा किया कि वो वापस आएगी। राजू ने भी उसे यकीन दिलाया कि एक दिन वो कुछ बनकर उसके लायक जरूर बनेगा।

साल बीते। राजू ने कड़ी मेहनत से UPSC की परीक्षा पास की और एक IAS ऑफिसर बन गया। वहीं नेहा शहर की चकाचौंध में खो सी गई थी। उसके घरवालों ने उसकी शादी एक बड़े बिज़नेसमैन के बेटे से तय कर दी थी, जिसकी दौलत अपार थी लेकिन दिल पत्थर जैसा।

शादी से एक दिन पहले, नेहा को राजू का लेटर मिला — "मैंने तुम्हारे लिए खुद को बदल लिया, अब देखो, क्या तुम भी समाज और पैसों के दबाव से ऊपर उठकर अपने दिल की सुनोगी?"

नेहा उलझन में थी। एक तरफ वो राजू का सच्चा प्यार था, दूसरी ओर उसके माता-पिता का सपना और समाज की सोच। आखिरकार, उसने खुद से एक सवाल किया — "क्या पैसा मुझे वो सुकून दे पाएगा जो राजू की आंखों में दिखता था?"

नेहा ने शादी से मना कर दिया। समाज ने ताने मारे, लेकिन उसने अपने दिल की सुनी। वह गांव लौटी, और वही तालाब के किनारे राजू उसका इंतज़ार कर रहा था।

राजू ने पूछा, "तुम पैसा छोड़कर आई हो?"

नेहा मुस्कराई और बोली, "पैसा सब कुछ खरीद सकता है, लेकिन सच्चा प्यार नहीं।"
नेहा ने जब राजू से दोबारा मुलाकात की, तो उसकी आंखों में कोई झिझक नहीं थी — न शर्म, न पछतावा। सिर्फ सुकून था, जैसे सालों की तलाश अब पूरी हुई हो। गांव वही था, तालाब वही था, लेकिन अब नेहा और राजू दोनों बदल चुके थे — अनुभवों से, समय से, और दुनिया की कसौटियों से।

नेहा ने शहर लौटने के बाद खूब संघर्ष किया था। उसके माता-पिता ने उसे समझाने की कोशिश की कि प्यार सिर्फ कहानियों में होता है, असली ज़िंदगी में पैसा ही सबकुछ होता है। शादी, रिश्ते, इज़्ज़त — सब पैसे से चलते हैं। लेकिन नेहा जानती थी, जो सुकून उसने राजू के साथ बिताए पलों में पाया था, वो किसी आलीशान घर या महंगे गहनों में नहीं मिल सकता।

राजू ने भी अपनी मेहनत से एक मिसाल कायम की। उसने गरीबी को अपने रास्ते की रुकावट नहीं, बल्कि ताकत बनाया। वो जानता था कि प्यार बिना सम्मान और आत्मनिर्भरता के अधूरा होता है। इसलिए उसने खुद को उस मुकाम पर पहुंचाया जहां उसे ना खुद पर शर्म थी, ना किसी से मांगने की जरूरत।

जब दोनों मिले, तो सिर्फ प्यार नहीं जुड़ा — दो सोच, दो संस्कृतियां, दो अलग-अलग जिंदगियों ने मिलकर एक नई शुरुआत की।

नेहा ने राजू से कहा, "शहर की भीड़ में इंसान खो जाता है, पर तुम्हारे साथ बैठकर जो सुकून मिलता है, वो अमीरी में भी नहीं था। मैंने पैसे से भरी दुनिया देखी है, पर वहां दिल खाली थे। तुमने मुझे ये सिखाया कि प्यार एक निवेश नहीं, एक विश्वास है।"

राजू मुस्कराया और बोला, "मैंने भी जाना कि प्यार सिर्फ एहसास नहीं, ज़िम्मेदारी भी होता है। तुम्हारे लिए मेहनत की, खुद को साबित किया। अब चलो एक नई कहानी लिखते हैं — प्यार की, सम्मान की, और साथ की।"
                               सीख:
पैसा ज़रूर ज़रूरी है, लेकिन जब प्यार सच्चा हो, तो वो इंसान को पैसे से भी ऊंचा उठा सकता है।
क्योंकि प्यार में आत्मा जुड़ती है — और आत्मा का कोई मूल्य नहीं होता।