वो एक ऐसा लड़का था, जिसके पास सब कुछ था — दौलत, शोहरत, ताक़त... लेकिन फिर भी कुछ अधूरा था।
और मैं?
मैं एक मामूली सी लड़की... सपनों से भरी, किताबों में खोई, दिल से सच्ची।
हम दो अलग-अलग दुनिया के लोग थे।
वो सोचता था कि प्यार कमज़ोरी है।
मैं मानती थी कि प्यार ही सबसे बड़ी ताक़त है।
हमारी पहली मुलाकात हादसा थी...
दूसरी नफ़रत...
और तीसरी?
एक ऐसा मोड़... जहाँ दिल हार गया, पर अहंकार ज़िंदा था।
ये कहानी है प्यार, नफ़रत, ग़लतफ़हमियों, जिद और एक ऐसे रिश्ते की जो हर तूफ़ान के बाद और भी गहरा होता गया।
कभी नज़रों से बात हुई,
कभी चुप्पियों से लड़ाई,
और एक दिन — उस पत्थर दिल ने भी कह दिया...
"तुम्हारे बिना कुछ अधूरा सा है मुझमें।"
📖 अध्याय 1: पहली टक्कर
दिल्ली की वो सुबह बाकी दिनों से थोड़ी अलग थी। कोहरे में लिपटी सड़कों पर लोग अपने-अपने सफ़र में थे, लेकिन आज एक ऐसी मुलाक़ात होने जा रही थी, जो दो ज़िंदगियों का रुख़ बदल देगी।
जहान्वी शर्मा, 23 साल की, दिल्ली की एक साधारण सी लड़की थी। सिर पर हल्का-सा दुपट्टा, हाथ में किताबों से भरा बैग, और दिल में अपने छोटे से सपने लिए वो रोज़ की तरह पैदल ही अपनी लाइब्रेरी की नौकरी पर जा रही थी। सर्द हवा उसके गालों को छू रही थी, पर उसकी सोच किसी और ही दुनिया में खोई हुई थी।
"अगर आज भी देर हुई तो मैडम फिर से सारा गुस्सा मुझ पर निकालेंगी..." उसने खुद से बड़बड़ाते हुए कदम तेज़ कर दिए।
Connaught Place के सिग्नल पर जैसे ही उसने सड़क पार करने की कोशिश की, एक ब्लैक रोल्स रॉयस ज़ोर से उसके सामने आकर रुकी। ब्रेक की आवाज़ के साथ उसके हाथ से बैग गिरा और किताबें सड़क पर बिखर गईं।
"ध्यान से नहीं चल सकती क्या!" कार की खिड़की से तेज़, रूखी आवाज़ आई।
जहान्वी एक पल को घबरा गई। लेकिन डर की जगह गुस्सा ज़्यादा था।
"सड़क आपकी प्रॉपर्टी नहीं है!" उसने झुकते हुए किताबें समेटीं।
तभी कार का दरवाज़ा खुला।
वो उतरा। ऊँचा कद, सिलवाया हुआ सूट, घड़ी की चमक, और चेहरे पर ऐसा भाव... जैसे पूरी दुनिया उसकी गुलाम हो।
आरव मल्होत्रा। 29 साल का, इंडिया का यंगेस्ट अरबपति। बिज़नेस वर्ल्ड में उसका नाम भगवान की तरह लिया जाता था। लेकिन उस वक़्त, वो जहान्वी के लिए सिर्फ़ एक घमंडी अमीर लड़का था।
"Books?" उसने नीचे बिखरी किताबों को देखकर तिरस्कार से कहा, "Seriously? You're risking your life over books?"
जहान्वी ने उसकी आँखों में आँखें डालकर कहा,
"और आप कार चलाते वक़्त फोन पर बात कर रहे थे... आप जैसे लोगों को दूसरों की ज़िंदगी की कदर नहीं होती।"
आरव थोड़ी देर उसे घूरता रहा। कोई लड़की उससे इस तरह बात करे, ये शायद पहली बार हुआ था।
"You're welcome," उसने ठंडी आवाज़ में कहा, "I saved your life, Miss Nobody."
जहान्वी का गुस्सा अब उबाल पर था।
"Thank you for wasting my time, Mr. Somebody!"
वो तैश में अपने किताबों का बैग उठाकर आगे बढ़ गई।
आरव ने उसे जाते हुए देखा... उसकी चाल में गुस्सा था, पर एक अजीब सी सच्चाई भी।
उसे नहीं पता था कि यही मामूली सी लड़की... जल्द ही उसकी ज़िंदगी में तूफ़ान बनकर आने वाली है।
💫 To be continued...
अगला अध्याय 2: "तक़रार और ताना" – क्या होगी अगली भिड़ंत?