Arjun's sharp tongue in Hindi Magazine by ALEKH SATPATHY books and stories PDF | अर्जुन की तीखी जबानी

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अर्जुन की तीखी जबानी

पंचगांव नाम का एक सुंदर-सा गांव था, जहां हरियाली, सादगी और अपनापन बसा था। उसी गांव में रहता था अर्जुन — एक लंबा, गोरा, चौड़े कंधों वाला, तीखी नाक और बड़ी-बड़ी आंखों वाला लड़का। उसकी मुस्कान इतनी प्यारी थी कि लोग पलटकर देखे बिना रह नहीं पाते। गांव की हर लड़की उसके पीछे दीवानी थी, लेकिन अर्जुन को घमंड नाम की चीज़ छूकर भी नहीं गई थी। वह नम्र, होशियार और दिल से बेहद साफ था।अर्जुन का बचपन संघर्षों से भरा था। उसके पिता किसान थे, और मां सिलाई करके घर चलाने में मदद करती थीं। अर्जुन को कभी ब्रांडेड कपड़े या मोबाइल नहीं मिले, लेकिन उसका आत्मविश्वास और व्यवहार इतना प्रभावशाली था कि हर कोई उसकी इज्जत करता था।विद्यालय में वह पढ़ाई में अव्वल, खेल में माहिर और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी आगे रहता था। उसके टीचर्स उसे “गांव का हीरो” कहते थे। वह स्कूल के बाद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था और जो पैसे मिलते थे, उनसे घर के खर्च में मदद करता।अर्जुन का सपना था कि वह एक दिन मॉडल बने और अपने गांव का नाम रोशन करे। लेकिन modelling और fashion की दुनिया गांव से बहुत दूर थी। एक दिन गांव में एक NGO के द्वारा एक fashion talent hunt का आयोजन हुआ। अर्जुन को उसके दोस्तों ने ज़बरदस्ती फॉर्म भरवाया। उसे उम्मीद नहीं थी कि वह चुना जाएगा, लेकिन जब चयनकर्ताओं ने उसका आत्मविश्वास और चाल-ढाल देखी, तो वह सीधा जिला स्तर पर चुन लिया गया।जिला स्तर की प्रतियोगिता में उसे शहर आना पड़ा। पहली बार उसने ट्रेन में सफर किया, पहली बार mall देखा, पहली बार रैम्प पर चला। वहां उसके जैसे और भी लड़के थे — शहर के, stylish, अंग्रेज़ी बोलने वाले। अर्जुन शुरू में थोड़ा घबरा गया, लेकिन उसे अपनी मां की बात याद आई —"तू सुंदर है, पर तेरा दिल सबसे सुंदर है बेटा। जब तक सच्चाई तेरे साथ है, तुझे कोई हरा नहीं सकता।"अर्जुन ने पूरे आत्मविश्वास के साथ रैम्प पर वॉक की, इंटरव्यू राउंड में अपनी मेहनत की कहानी सुनाई और जजेस का दिल जीत लिया। उसे जिला स्तर पर पहला स्थान मिला। अब उसे राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिला।राज्य स्तर पर मीडिया, कैमरे, मेकअप — सबकुछ नया था उसके लिए। लेकिन अर्जुन सीखने में तेज था। वह देर रात तक practice करता, अंग्रेज़ी सीखता, modelling की किताबें पढ़ता और अपने छोटे से कमरे में खड़ा होकर आईने के सामने expressions की practice करता।आख़िरकार वह दिन आया जब उसका राज्य स्तरीय फिनाले था। अर्जुन ने सफेद कुर्ता-पायजामा पहना और अपनी गांव की मिट्टी से जुड़ी संस्कृति को मंच पर पेश किया। वहां western पहनावे में खड़े बाकी contestants से बिल्कुल अलग, अर्जुन की simplicity और आत्मविश्वास ने सभी को हैरान कर दिया।जब परिणाम आया, तो अर्जुन ने राज्य प्रतियोगिता जीत ली थी। उसके आंखों में आंसू थे — खुशी के आंसू। वह जानता था कि उसने सिर्फ modelling नहीं जीती, बल्कि अपने सपनों का पहला कदम पार कर लिया था।अब उसे national level की competition के लिए मुंबई जाना था। पहली बार flight में बैठा, बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें देखीं, फिल्मी सितारों से मिला। लेकिन अर्जुन वही था — विनम्र, ज़मीन से जुड़ा हुआ, और मेहनती। उसने national platform पर भी अपनी मेहनत और सादगी से सबका दिल जीत लिया।अर्जुन आज एक सफल मॉडल है, कई brands का चेहरा बन चुका है, और अक्सर fashion shows में दिखाई देता है। लेकिन आज भी वह हर साल अपने गांव आता है, अपने पुराने स्कूल जाता है, बच्चों को पढ़ाता है और युवाओं को सपनों का पीछा करने की प्रेरणा देता है।लोग उसे "हैंडसम अर्जुन" कहते हैं, लेकिन जो लोग उसे जानते हैं, वो कहते हैं —"अर्जुन का सबसे बड़ा सौंदर्य उसका दिल है, जो हर किसी को सुंदर देखना चाहता है।"---शिक्षा:यह कहानी हमें सिखाती है कि सुंदरता केवल चेहरे की नहीं होती, बल्कि आत्मविश्वास, मेहनत, और विनम्रता में भी होती है। अगर दिल सच्चा हो और सपना मजबूत, तो कोई भी गांव का लड़का दुनिया का सुपरस्टार बन सकता है।