Ishq, Pagalpan ya Hai Junoon - 1 in Hindi Love Stories by Shivangi Vishwakarma books and stories PDF | इश्क, पागलपन, यह है जूनून... - 1

Featured Books
Categories
Share

इश्क, पागलपन, यह है जूनून... - 1

       
                 इश्क, पागलप ,यह है जूनून 
  

" कौन हो तुम...?"

लेखिका – शिवांगी

रात के करीब 11 बज रहे थे।
शहर अब चुप हो चुका था।
सड़कें खाली थीं और आसमान में एक अकेला चाँद चमक रहा था,
जिसकी हल्की रोशनी एक छोटी-सी बालकनी से होते हुए एक कमरे में जा रही थी।

उस कमरे में एक 19 साल की प्यारी-सी लड़की गहरी नींद में सो रही थी।
कमरे की लाइटें बंद थीं, सिर्फ चाँदनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी।
उसका चेहरा इतना मासूम लग रहा था, जैसे कोई थकी हुई परी आसमान से उतरी हो और ज़मीन पर आकर सो गई हो।

उसने आरामदायक नाइटसूट पहना था,
उसके लंबे बाल तकिए पर बिखरे हुए थे,
होंठ गुलाबी थे, जैसे कोई प्यारी सी अधूरी बात।

सब कुछ शांत था, लेकिन उसकी बंद आँखों के पीछे कुछ चल रहा था —
जैसे कोई उलझन या डर।

धीरे-धीरे उसके माथे पर शिकन आ गई।
उसका चेहरा बेचैन लगने लगा,
सांसें तेज हो गईं और वो अचानक डर कर उठ बैठी।

कमरे में अब उसकी धड़कनों की आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी।
उसने काँपते हाथों से पानी का गिलास उठाया और एक ही बार में पी लिया।
फिर धीरे से बालकनी का दरवाज़ा खोला और रेलिंग के पास जाकर खड़ी हो गई।

अब चाँद सीधा उसके सामने था।
उसकी आँखों में सवाल थे और दिल भारी हो गया था।

उसने बहुत धीमे से कहा —

> "कौन थे तुम...? कौन हो तुम, जो हर रात मेरे सपनों में आकर
मुझे बेचैन कर जाते हो...?
क्या कोई रिश्ता है हमारा...?
क्या तुम मेरा गुजरा हुआ कोई हिस्सा हो या आने वाला कल...?"



उसने आंखें बंद कर लीं...
और वही सपना फिर से शुरू हो गया।

बारिश में भीगा हुआ एक अनजान लड़का...
जिसकी बाँहों में वो थी।
उसके दिल की धड़कनें भी सुनाई दे रही थीं।
उसे ऐसे गले से लगाकर रखा था जैसे
दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह वहीं हो।

लेकिन इस बार भी वो चेहरा नहीं दिखा।
हर बार बस वही —
उसका अहसास, उसकी बाँहें, उसकी खुशबू...
पर चेहरा धुंधला।

वो अजनबी झुकता है...
उसे चूमने ही वाला होता है कि —
वो लड़की डर के मारे आंखें खोल देती है।

> "ये सब क्या है...?
कभी प्यार, कभी अजनबीपन...?
ये सपने रोज़ क्यों आते हैं...?

माँ...वो थरथराती आवाज़ में बुदबुदाई,
अपने गले में माँ दुर्गा का लॉकेट पकड़ा,
चेहरे पर डर और उलझन साफ दिख रही थी।

> "ये सपने मुझे चैन से जीने क्यों नहीं देते...?
कौन है वो...?
कभी लगता है मैं उसकी दुल्हन हूँ...
कभी लगता है उसके बिना जीना भी मुश्किल है..."



उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
वो चुपचाप ज़मीन पर बैठ गई।
चाँदनी उसके चेहरे पर धीरे-धीरे बहती रही।

उसका दिल किसी उलझी हुई पहेली की तरह लगने लगा।

अब उसे लगने लगा था —
ये सिर्फ सपना नहीं है।
शायद कोई अधूरा रिश्ता है...
शायद कोई भूली हुई याद...
या कोई ऐसा जुड़ाव, जो उसकी आत्मा से तो जुड़ा है,
पर दिमाग से मिट चुका है...

और यहीं से शुरू होती है चाहत की तलाश —
अपने सपनों, अपने बीते कल और उस अनजान इंसान की।

वो कौन था...?
क्या ये कोई पिछले जन्म का रिश्ता है...?
या कोई आने वाले समय का इशारा...?


[अगला भाग जल्द आएगा...]
लेखिका – शिवांगी

❤️ अगर ये कहानी आपको छू गई हो, तो फॉलो करें, शेयर करें और कमेंट में बताएं —
क्या आपने भी कभी ऐसा सपना देखा है जो बिलकुल हकीकत जैसा लगे...?