जुलाई की पहली बारिश 🌧️ जैसे कोई राज़ बनकर गिरी थी अरावली हिल्स की शांत गलियों में। ये कोई मशहूर शहर नहीं था — ना बड़ी इमारतें 🏢, ना तेज़ ट्रेनें 🚄, ना ही कोई शाही कैफे ☕। मगर यहां की हवा में कुछ तो था… जैसे हर ईंट, हर पेड़ कुछ जानता था — पर बताना नहीं चाहता था 😶🌲।
अनन्या रॉय, 21 साल की पत्रकारिता की छात्रा 🎓, अपने कॉलेज हॉस्टल से समर ब्रेक पर घर लौटी थी 🏠। बचपन से यहीं पली-बढ़ी थी, फिर भी हर बार लौटने पर कुछ अजीब सा एहसास होता… जैसे कुछ बदल गया हो — हल्का सा, पर डराने वाला 😟।
वो खिड़की की सीट पर बैठी थी 🪟, तकिया गले लगाकर 🧸, बाहर गुलाब की झाड़ियों पर गिरती बूंदों को देखती रही 🌹।
> “इस बार जल्दी आ गई?” माँ ने चाय का कप थमाते हुए पूछा ☕🙂।
“हाँ, एग्ज़ाम पोस्टपोन हो गए। सिस्टम में कुछ साइबर गड़बड़ हो गई थी 💻।”
> माँ ने माथा सिकोड़ लिया। “हैकिंग फिर?” 😒
अनन्या ने सिर हिलाया। “शायद।”
चुप्पी छा गई। बस चाय की खुशबू थी, और खामोशी ☁️🍵।
बारिश थोड़ी धीमी पड़ी तो अनन्या ने अपना पुराना कैमरा उठाया 📷 — वही जो पापा ने गिफ्ट किया था उनके जाने से पहले 😢 — और चल पड़ी एक वॉक पर 🚶♀️।
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वो कंकड़ वाली गली से गुज़री, मिसेज मेहता की बेकरी से आती दालचीनी की खुशबू ने उसका ध्यान खींचा 🍪, फिर पुराने सेंट क्लेयर चर्च के सामने से निकली — जो दो साल पहले हुई "घटना" के बाद से बंद पड़ा था ⛪🚫। कोई ज़िक्र नहीं करता था उसका, मगर शहर के लोगों की निगाहें अब भी वहाँ से गुजरते हुए झुक जाती थीं 🫣।
अनन्या ने कैमरा उठाया, आसमान की ओर किया ☁️📸। क्लिक।
फिर जंग लगे फेंस की तरफ़… क्लिक।
वो लेंस को एडजस्ट ही कर रही थी जब एक आवाज़ आई—
> “ऑटोफोकस बंद कर दो। तुम्हारी कम्पोज़िशन बिगड़ रही है।” 😏
वो चौंक गई 😳।
उसने पलट कर देखा — एक लंबा लड़का, शायद 23 साल का, हुडी पहने, हाथ में कैमरा, और आँखों में अजीब सी चमक 🔥।
> “सॉरी, हम पहले मिल चुके हैं क्या?” उसने पूछा।
वो मुस्कुराया। “नहीं। लेकिन तुम्हारा काम जानता हूँ। वो जो विधानसभा के बाहर प्रोटेस्ट की फोटो ली थी — The Rising Voice में छपी थी।” 📰📷
> “तुम The Rising Voice पढ़ते हो?” उसने हैरानी से पूछा।
“मैं हर वो चीज़ पढ़ता हूँ जिसमें क्रांति की ख़ुशबू आती है ✊📖।”
अनन्या हँसी 😂, लेकिन हल्की सी।
> “नाम नहीं बताओगे, क्रांतिकारी?” उसने चुटकी ली।
“रयान, रयान कौल,” उसने हाथ बढ़ाते हुए कहा 🤝।
अनन्या ने थोड़ा झिझकते हुए हाथ मिलाया। उसकी पकड़ गर्म थी — कुछ ज़्यादा ही, मौसम के हिसाब से अजीब 🌡️।
“अनन्या,” उसने जवाब दिया।
> “मालूम है,” रयान ने मुस्कुराकर कहा।
> “फैन हो या स्टॉकर?” 😅
> “दोनों नहीं,” वो बोला। “बस... मिलने का मन था।”
कुछ तो अजीब था।
इससे पहले कि वो और पूछती, रयान मुड़कर चला गया 🚶♂️।
> “सुनो!” उसने पुकारा। “तुम जंगल में क्या कर रहे थे?”
वो रुका, आधा मुड़ा।
> “वहाँ कुछ है,” उसने कहा। “कुछ ऐसा जो दिखना नहीं चाहता।” 👁️🌑
और वो झाड़ियों के पीछे गायब हो गया।
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उस रात अनन्या को नींद नहीं आई 😵💫। रयान की बातों ने उसे बेचैन कर दिया — “कुछ ऐसा जो दिखना नहीं चाहता…”
उसने अपना लैपटॉप खोला 💻, Rayan Kaul सर्च किया 🔎।
कुछ नहीं मिला।
ना सोशल मीडिया, ना कोई न्यूज आर्टिकल। जैसे कोई भूत।
फिर उसने अपने कैमरे की फोटो चेक कीं।
आख़िरी तस्वीर, जो उसने रयान से मिलने से ठीक पहले ली थी, कुछ साधारण सी लगी। लेकिन ज़ूम करने पर उसकी सांसें थम गईं 😨।
दूर जंगल में... पेड़ों के बीच... एक परछाई थी 🧍♂️🌫️। सफेद कपड़े, चेहरा धुंधला... जैसे TV पर पुराना स्टेटिक।
📱 फोन बजा।
अनजान नंबर से मैसेज:
> “आख़िरी फोटो डिलीट कर दो।” 😨
दूसरा मैसेज:
> “जो तुम्हारा नहीं है उसमें दखल मत दो। ये पहली और आख़िरी चेतावनी है।”
अनन्या ने खिड़की से बाहर झाँका 🌃। गली खाली थी। पर किसी की नज़र महसूस हो रही थी।
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अगली सुबह, वो पहुंची टाउन लाइब्रेरी 📚। पुरानी लाल ईंटों वाली बिल्डिंग, जहां आज भी किताबों से ज़्यादा धूल की खुशबू थी 📖🕸️।
> “क्या ढूंढ रही हो, मिस रॉय?” लाइब्रेरियन मिस्टर डीसूज़ा ने पूछा।
“सेंट क्लेयर चर्च की उस रात की रिपोर्ट्स,” अनन्या बोली।
कुछ देर में उन्होंने एक फाइल पकड़ा दी, लाल धागे में बंधी हुई 📂🔴।
हैडलाइन:
> “तीन किशोर तूफ़ान की रात लापता — आख़िरी बार सेंट क्लेयर चर्च के पास देखे गए।”
📅 तारीख: 17 जुलाई 2023 — ठीक दो साल पहले।
तीन नाम: आर्यन मल्होत्रा, तारा बंसल, कुणाल देव — तीनों 19 साल के।
शव कभी नहीं मिले 😔🕳️।
फाइल के आख़िरी पेज पर, पेंसिल से लिखा था:
> “उनमें से एक लौटा। लेकिन वैसा नहीं था जैसा गया था।” ✍️😳
> “ये किसने लिखा?” अनन्या ने पूछा।
> “मैंने नहीं,” मिस्टर डीसूज़ा बोले, घबराते हुए।
अनन्या ने फोटो ली और फाइल बंद कर दी। जवाबों की तलाश अब और गहरी हो गई थी 🕵️♀️🧠।
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शाम को वो फिर जंगल में गई 🌲🌘। अब डर नहीं था — बस जानने की ज़िद थी।
थोड़ा आगे जाकर एक खुला मैदान मिला।
वहाँ एक टूटा हुआ ट्राइपॉड पड़ा था, और एक लाल जैकेट… पुरानी, फटी हुई 🧥📉।
वो झुक ही रही थी कि पीछे से टहनी टूटी। क्रैक 🔉
उसने पलट कर देखा। कुछ नहीं।
फिर बाईं ओर… फिर से आवाज़। कोई नहीं।
फिर एक परछाई सामने आई…
एक लड़का… दुबला, थका हुआ, फटे कपड़े… होंठ कांप रहे थे 😐👤।
> “तुम्हें यहां नहीं होना चाहिए,” वो फुसफुसाया। “वो जागता है जब कोई ज़्यादा करीब जाता है।”
> “तुम... आर्यन हो?” अनन्या ने पूछा।
उसने धीरे से सिर हिलाया 🧠✔️।
> “पर तुम तो दो साल से—”
> “मैं कभी गया ही नहीं,” वो बोला। “मैं फँसा था। वो ‘ध्यान’ पर पलता है। जितना कोई सच जानने की कोशिश करता है, उतना ही वो बड़ा होता है।” 👹
> “पर रयान? वो?” 😟
> आर्यन कांप गया। “तुम उससे मिली?”
> “हाँ, आज सुबह—”
> “वो रयान नहीं है,” आर्यन ने कहा।
> “क्या?”
> “वो वो है,” उसने कहा। “रयान तो एक साल पहले मर गया था। अब उसका चेहरा पहन लिया है उस चीज़ ने।” 😳
अनन्या के पैरों तले ज़मीन खिसक गई 🪨❌।
> “भागो, अनन्या। अभी।” आर्यन चिल्लाया।
पीछे से हँसी आई… इंसानी नहीं 😨😈।
वो भागी 🏃♀️💨।
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घर पहुंचते ही दरवाज़ा बंद किया, लॉक किया 🔐, और ऊपर भागी।
> “क्या हुआ?!” माँ ने पूछा 😧।
> “रयान... रयान नहीं है। और आर्यन ज़िंदा है।”
माँ का चेहरा सफेद पड़ गया 🧾👵।
वो ड्रॉअर से एक पुराना पेपर कटिंग निकाली 📜।
हेडलाइन:
> “स्थानीय युवक रयान कौल मृत पाया गया — जानवरों के हमले की आशंका।”
📅 अगस्त 2024।
> “वो मेरे दोस्त का बेटा था। बहुत प्यारा लड़का… पर जब बॉडी मिली... इंसान जैसी नहीं थी।” 😵
अनन्या कांप गई।
📱 फोन फिर बजा।
उसी अनजान नंबर से:
> “तुमने बहुत देख लिया।” 🕷️👁️
फोन गिर गया।
स्क्रीन पर आख़िरी चीज़ जो दिखाई दी — एक फोटो…
अनन्या की।
जंगल में खड़ी।
पर… वो फोटो उसने कभी खींची ही नहीं थी। 😨📸
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🔚 जारी रहेगा... Chapter 2? 😈📖