Hukm aur Hasrat - 2 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | हुक्म और हसरत - 2

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हुक्म और हसरत - 2

🌷🌷हुक्म और हसरत 🌷🌷

🤌सिया+अर्जुन=अर्सिया

#ArSia😊

“ताज पहनना आसान नहीं होता,
जब हर नजर तुझसे हिसाब माँगती हो…”

“महाराज साहब, फ्लाइट उतर चुकी है,”
महल के पुराने मंत्री ने धीमे स्वर में कहा।

“मुझे बताओ नहीं, सीधा उससे कहो... कि वो अब इस घर में मेहमान नहीं, वारिस है।”

राजा वीर सिंह राठौड़ ने अख़बार मोड़ा और चाय की प्याली आगे बढ़ाई।
*************


“मुझे लग रहा है, अब भी मैं किसी फ्लाइट में बैठी हूं...”
सिया ने खिड़की की ओर देखते हुए धीरे से कहा।

"पांच साल बाद लौट रही हो, थोड़ा तो लगेगा,"
रानी मीरा ने अपनी बेटी के माथे पर हल्का सा चूमा।

राजकुमारी सिया राठौड़ — जयगढ़ की सबसे चर्चित, सबसे बाग़ी और सबसे चर्चित वारिस — आज पांच साल बाद अपने देश लौटी थी। विदेश से डिग्री, विदेश से तहज़ीब... लेकिन दिल अब भी वही था — आज़ाद, उन्मुक्त।

महल की ऊँची दीवारें उसे फिर से कैद लगने लगी थीं।

"राजकुमारी जी, गाड़ी महल में प्रवेश कर चुकी है,"
मोहन काका ने हल्के से झुकते हुए कहा।
जयगढ़ महल के दरवाज़े वर्षों बाद फिर से खुल रहे थे।
लाल रंग की गाड़ी धीमे-धीमे महल के फाटक से अंदर आई। हर नौकर, हर दीवार, हर परछाईं जानती थी — राजकुमारी सिया राठौड़ वापस आ चुकी है।
कितना शांत है ये महल...
कितना घुटा हुआ…”

सिया की नजरें छत की तरफ़ थीं, जहां की नक्काशी अब भी वैसी ही थी — जैसे वक्त यहाँ रुक गया हो। पांच साल लंदन में बिताने के बाद ये सब कुछ उसे फिर से अजनबी लग रहा था, और फिर भी बेहद जाना-पहचाना।

“क्या महल अब भी वैसा ही है, जैसे मैंने छोड़ा था?”
“नहीं,” रानी मीरा मुस्कुराईं, “अब इसमें तुम्हारी ताजपोशी की तैयारी है।”

जैसे ही सिया बाहर उतरी, राजसी स्वागत हुआ — ढोल, पुष्पवर्षा, कैमरे।


सिया ने बेमन से मुस्कराते हुए भीड़ की ओर देखा।
"इन लोगों को ये नहीं पता, कि रानी बनने से ज्यादा थकाऊ कुछ नहीं।"

भोजन कक्ष में एक लंबी टेबल सजी थी।

राजा वीर सिंह, शांत, प्रभावशाली और हमेशा की तरह कम बोलने वाले।
“बेटी, कैसे रही पढ़ाई?”
“डिग्री तो मिल गई, अब जिंदगी का टेस्ट बाकी है,” सिया ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।


रानी मीरा ने अपनी बेटी की थाली में कढ़ी डाली।
“महल में खाना अब भी इतना ही भारी होता है?”
“ये राजसी खानदान है, डाइटिंग की इजाज़त नहीं,” मीरा ने चुटकी ली।

दादी माँ थाली में परोसती गईं — आलू की सब्जी, कढ़ी, पूड़ी, लड्डू।

"इतना खाना? मैं कोई हाथी थोड़ी हूँ!"
"राजकुमारी को भूखा नहीं देखा जाता, बिटिया।"
बगल में छोटी बहन रोशनी आम का टुकड़ा लेकर भागती आई।
दीदी!"
रोशनी, उसकी छोटी बहन, चिल्लाती हुई दौड़कर आई और गले लग गई।

"तू अब भी वैसे ही बच्ची है।"
"और तू अब भी शाही झल्ली!"
"राजकुमारी आपको इस भागना शोभा नही देता ।" दादी मां ने कहा।उनकी बात पर रोशनी ने मुंह बना लिया।

सिया हँसी। कुछ नहीं बदला था — सिवाय उसके दिल के।
♥️
सिया अपनी कमरे में आई।कमरा अब भी वैसा ही था — वही पलंग, वही चादरें, वही खिड़की से दिखता हुआ गुलमोहर।
अपने कमरे में लौटकर सिया खिड़की की ओर चली गई। बाहर का आकाश अंधेरे से घिरा था, और अंदर उसके मन में सवालों का तूफ़ान।

"क्या मैं सच में इस ताज के लायक हूं?"
"या ये महल मुझे फिर से जकड़ने आया है?"
सिया ने बाल खोले, तकिये में मुँह छुपाया और बड़बड़ाई —
“किसी और के सपनों की जगह में खुद को घोंटना... यही तो रॉयल्टी है।”

पलकें भारी थीं, शरीर थका हुआ।
कुछ ही देर में नींद ने उसे अपनी बाँहों में ले लिया।

*******

“राजकुमारी सिया राठौड़?”😐
दरवाज़े पर आवाज़ गूँजी।


सिया चौंकी।
"काव्या कहां है?"मैं सच मच की राजकुमारी हूं भी या नही"!😩
लाल सूट पहने, उलझे बालों के साथ दरवाज़ा खोला।
सामने खड़ा था — एक रहस्यमयी पुरुष, काली कमीज़, मजबूत कद-काठी और आँखें... जैसे वो सब कुछ जानता हो।

“मैं सुरक्षा प्रमुख अर्जुन सूर्यवंशी हूँ। आज से आपकी सुरक्षा मेरी ज़िम्मेदारी है।”😐

सिया ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा —
“आप तो ऐसे खड़े हैं जैसे मुझे दुश्मनों से नहीं, आपसे ही बचने की ज़रूरत है।” सिया के मजाक करने पर भी अर्जुन ने कोई खास प्रतिकिया भी दी।🙄

अर्जुन की आंखें ज़रा भी नहीं झपकीं।😐
“मुझे अपनी ज़िम्मेदारी निभानी है, राजकुमारी — न तो दोस्ती करनी है, न मज़ाक।”😑

सिया ने आँखें तरेरीं,🙃
“इतने सख्त क्यों हैं आप? क्या नमक भी नाप कर खाते हैं?”

"मैं शब्दों से नहीं, नज़रों से बात करता हूँ,"😐
अर्जुन की आवाज़ बर्फ जैसी ठंडी थी।

वो मुड़ने ही वाला था, जब उसने सिया की आँखों में गहराई से देखा और कहा —
“मेरे आने की वजह सिर्फ़ आपकी सुरक्षा नहीं है।”

"तो क्या है?" सिया चौंकी।🤔

"वक़्त आने पर बताएंगे।"
अर्जुन चला गया — मगर कमरे में रह गई एक सिहरन।
" ये क्या था?" सिया मन ही मन सोचने लगी।
"आदमी था या रोबोट"?😏

गलियारे से जाते-जाते अर्जुन एक बार रुक गया।

उसकी जेब में एक छोटा-सा लिफाफा था — "उदयपुर सिंहासन – खून का बदला बाकी है" लिखा हुआ।

उसने धीरे से उसे देखा, फिर सीने की जेब में डाल लिया।

"राजकुमारी को अब सुरक्षा चाहिए?
नहीं... उन्हें अब न्याय चुकाना है।" ये कह कर उन अपना जबड़ा भींच लिया।🔥🔥
*****
सिया खिड़की पर खड़ी थी।

नीचे आंगन में अर्जुन खड़ा था, और उसकी नजरें ऊपर थीं — बिना झुके, बिना मुस्कुराए।

एक चुप्पी थी...
जिसमें आंधी पल रही थी।

****
आधी रात को एक कमरे में:

कमरे में कोई शख्स अपने लैपटॉप के सामने बैठा था।
स्क्रीन पर लिखा था —

"A.S.R.Empire Pvt. Ltd. – CEO Login: स्क्रीन पर एक शख्स का नाम लिखा हुआ आया।😈🔥

पास ही एक लकड़ी का संदूक खुला था —
उसमें एक ताज, एक तलवार और एक पुरानी तस्वीर —
राजा वीर सिंह के साथ किसी शख्स की।

उस शख्स की निगाह उस तस्वीर पर अटक गई।

“अब तुम्हारी बारी है, जयगढ़... बदला लौटाने की।” यह कह कर उसके होठ हल्के से मुस्कुराए।😈



🌷🌷🌷🌷🌷
जयगढ़ राजमहल — सुबह 8:15
सिया की आंख खुलते ही चेहरे पर हल्की झुंझलाहट आ गई —
"उफ्फ, ये खिड़की अब भी सूरज की सीधी किरणें अंदर भेजती है… और ये बिस्तर! बहुत बड़ा है, लेकिन बहुत अकेला…"



पाँच साल लंदन में बिताने के बाद राजमहल का यह कमरा उसे फिर से अजनबी लगने लगा था।

वो उठी, ज़मीन पर पैर रखते ही ठंडी संगमरमर की परत से चौंकी।
"ठंडा फर्श, गरम राजनीति, और मैं बीच में फंसी हुई लड़की…"
उसने दर्पण में खुद को देखा — एक नर्म गुलाबी सूती कुर्ता, खुले बाल और हल्का-सा मुस्कराता चेहरा।


"चलो सिया,अब राजकुमारी जैसे तैयार होना पड़ेगा"!
सिया बाथरूम में गुनगुनाते हुए नहाने गई।
एक घंटे बाद वो अपने गीले बालों को टॉवेल से पोछते हुए अपने कमरे की बालकनी में आई,वहां पर अर्जुन नीचे महल के गलियारे में वर्जिश के रहा था।
"ये अंगरक्षक है या बाहुबली"सिया ने उसकी भुजाओं को देख कर कहा।🤔

" जो भी हो , हैंडसम तो है"!🙄
तभी अर्जुन ने नीचे से सिया की तरफ देखा, अर्जुन को अपनी तरफ देख वो सकपका गई।उसके गाल शर्म से लाल हो गए।😳😳

"हे नाथ!ये मैं क्या कह रही हूं? और क्या कर रही हूं?🙄
राजकुमारियों को ये बिलकुल शोभा नही देता! सिया ने राजमाता की बात याद की। फटाफट ड्रेसिंग टेबल पर आकर तैयार होने लगी।


सिया ने अपने माथे पर छोटी सी बिंदी लगाई और अपने आपको आईने में देख कर मुस्कुराई🤭
" वैसे ! जो भी हो सुंदर तो मैं भी हूं"🤭


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"जिसे आज सिया अपना रक्षक समझ रही थी... कल वही उसका सबसे बड़ा रक्षक भी होगा, और सबसे बड़ा दुश्मन भी।"
©Diksha 
जारी(....)



💖 मेरे प्यारे 𝙿𝚊𝚛𝚊♡𝙷𝚎𝚊𝚛𝚝𝚜  (my readers)💖

आप सभी का इस कहानी की राजसी यात्रा में स्वागत है।  
ये सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि एक रियासत है — जिसमें हर किरदार सांस लेता है, और हर संवाद में एक एहसास बसता है।

"हुक़्म और हसरत" एक ऐसी कहानी है जहाँ हर रिश्ता सत्ता से टकराता है और हर चाहत ताज से भारी हो जाती है।
🙏 अगर आप मेरी मेहनत को महसूस कर पा रहे हैं,  
तो कृपया ⭐रेटिंग दें, 📜समीक्षा करें और इस सफर में मेरे साथ बने रहें।

**आपका हर शब्द, हर प्रतिक्रिया मेरी कलम की ताकत बनती है।**  
आपके बिना ये सफर अधूरा है — क्योंकि मैं लिखती हूँ **आपके लिए, मेरे Para🤭hearts के लिए।** ❤️

— आपकी लेखिका,  
©𝔻𝕚𝕜𝕤𝕙𝕒 𝕄𝕚𝕤 𝕂𝕒𝕙𝕒𝕟𝕚 💌 ✍️  
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