### 🧑 पात्र:
* **आरव** – 12वीं का लड़का, थोड़ा एटीट्यूड वाला, क्लास का फनी बॉय लेकिन अंदर से बहुत इमोशनल।
* **रिया** – शांत, समझदार, थोड़ी इंट्रोवर्ट लेकिन सेल्फ रेस्पेक्ट की क्वीन। किताबों और अपने सपनों में डूबी रहने वाली।
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### 🧩 एपिसोड 1: "पहली टक्कर"
**क्लासरूम सीन**
रिया नए स्कूल में ट्रांसफर होकर आती है। वो खुद में रहने वाली लड़की है। पहले दिन ही आरव उसे छेड़ता है:
> "मैडम कितनी किताबें पढ़ती हो? दिमाग में लाइब्रेरी बना रखी है क्या?"
रिया बिना कुछ बोले उसे घूरकर देखती है।
आरव हंसता है, लेकिन कुछ तो अलग महसूस करता है।
**दूसरे सीन में:**
खेल के दौरान आरव गलती से रिया से टकरा जाता है, और उसकी किताबें गिर जाती हैं।
रिया गुस्से में कहती है:
> “तुम्हारे लिए सब मस्ती है न? किसी की मेहनत की कोई कद्र नहीं।”
आरव चुप हो जाता है।
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### 🌱 एपिसोड 2: "बदलते लम्हे"
अब दोनों एक ही प्रोजेक्ट में पार्टनर बन जाते हैं। रोज़ बात होती है। झगड़े भी, बातें भी।
धीरे-धीरे आरव रिया की लाइफ की सच्चाइयों को समझता है — उसके परिवार की स्थिति, उसके सपने।
वहीं रिया को भी आरव के उस चेहरे की झलक मिलती है जो मज़ाक करता है लेकिन अंदर से टूटा हुआ है।
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### ❤️ एपिसोड 3: "कब प्यार हो गया, पता ही नहीं चला"
अब रिया हर रोज़ उसे देखने लगी है, लेकिन समझ नहीं पा रही कि क्यों।
एक दिन आरव स्कूल नहीं आता।
रिया बेचैन हो जाती है।
> "वो आया क्यों नहीं? मुझे क्या फर्क पड़ता है?... पर... पड़ रहा है।"
उस शाम, आरव कॉल करता है — बीमार था।
रिया पहली बार कुछ कहती है जो दिल से निकला:
> "अब बिना बताये ऐसे मत गायब हुआ करो। अच्छा नहीं लगता।"
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## 📖 एपिसोड 4: **"जब प्यार इम्तहान मांगता है"**
**(बैकग्राउंड में)**
आरव के पापा अब रिकवरी मोड में हैं। आरव खुद को बदल चुका है — अब ज़िम्मेदार, शांत, और रिया के लिए इमोशनली कनेक्टेड।
**(दूसरी ओर)**
रिया अब घर-स्कूल-हॉस्पिटल के बीच खुद को थका चुकी है।
एक दिन, रिया की माँ आरव के नाम का ज़िक्र सुन लेती हैं।
**माँ (तेज़ स्वर में):**
> "तू उस अमीर लड़के के पीछे पड़ी है? तू भूल गई हम कौन हैं? उस दुनिया का हमसे कोई लेना-देना नहीं।"
**रिया:**
> "माँ, उसने कभी मुझे नीचे नहीं देखा… मैं उसे इसलिए पसंद करती हूँ क्योंकि वो अब वैसा नहीं रहा…"
**माँ (आँखों में आँसू):**
> "तेरे पापा की जगह मैं होती, तो पूछती क्या बेटी ने प्यार चुना या माँ का भरोसा…"
*(रिया चुप हो जाती है — माँ की आंखों में दर्द और डर साफ़ है। वो खुद को रोक नहीं पाती और धीरे-धीरे आरव से बात करना कम कर देती है।)*
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### 🌸 दूसरी ओर — **नई लड़की की एंट्री: अनुश्री**
एक नई लड़की स्कूल में आती है —
**अनुश्री:** सादी, सुलझी हुई, किताबों में डूबी, ठीक रिया जैसी।
**आरव (पहली नज़र में):**
> "तू भी चुप रहने वाली टाइप है? क्लोन हो क्या किसी का?"
अनुश्री हँस देती है — और वही हँसी आरव को रिया की याद दिला देती है।
आरव अब उलझ चुका है।
**मन में सोचता है:**
> "क्या मैं अनुश्री को इसलिए पसंद कर रहा हूँ क्योंकि वो रिया जैसी है... या मैं रिया को ही भूलने की कोशिश कर रहा हूँ?"
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### 💔 टकराव का सीन
एक दिन स्कूल में आरव, रिया से बात करने की कोशिश करता है।
**आरव:**
> "तू मुझसे बात क्यों नहीं कर रही? कुछ तो कह…"
**रिया (आँखें झुकाकर):**
> "कभी-कभी सही इंसान भी गलत वक़्त पर ज़िंदगी में आता है… और मैं उस वक़्त को बदल नहीं सकती, आरव।"
**आरव:**
> "मैंने सब कुछ बदला... खुद को, अपनी सोच, अपनी लाइफ — सिर्फ तेरे लिए। अब तू क्यों पीछे हट रही है?"
**रिया (रुँधे गले से):**
> "क्योंकि मैं माँ की आँखों का दर्द नहीं देख सकती… और तुम उसकी चिंता नहीं समझ सकते।"
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### 💭 अंत की उलझन
**आरव अनुश्री के साथ समय बिताने लगता है**, लेकिन हर बार रिया की कोई बात, कोई इमोशन उसे याद आता है।
उसे अब समझ आने लगता है —
> "अनुश्री रिया जैसी हो सकती है... पर रिया जैसी कोई नहीं।"
और वहीं रिया, हर रात अकेले अस्पताल की ड्यूटी के बाद अपनी माँ के साथ चुपचाप बैठती है… सोचती है:
> "क्या प्यार सिर्फ सोचने की चीज़ रह गया है… या मैं सच में उससे दूर जा पाई हूँ?"
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## 💔 एपिसोड का अंतिम संवाद:
**आरव:**
> "मैंने तुझे खोया नहीं… तू खुद को खोने लगी है, रिया।"
**रिया (सोचती है):**
> "अगर मेरा प्यार सच्चा था… तो शायद एक दिन मेरी माँ भी उसे समझेगी।"
## 📖 **एपिसोड 5: "इम्तिहान... दिल का भी और दिमाग का भी"**
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### 🎓 **बोर्ड एग्ज़ाम की तैयारी**
अब पूरा स्कूल बोर्ड एग्ज़ाम के प्रेशर में है।
रिया को चाहिए **स्कॉलरशिप** ताकि माँ का बोझ हल हो सके।
लेकिन **अनुश्री** भी पीछे नहीं — वो पिछले साल की टॉपर है और फिर से **रैंक 1** चाहती है।
हर दिन की क्लासेस अब शांति में नहीं, बल्कि **एक अंदरूनी दौड़** में गुजरती है।
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### ❤️ **आरव अब और भी जुड़ चुका है**
**आरव**, जो कभी क्लास का सबसे लापरवाह लड़का था, अब हर चीज़ को रिया की नजरों से देखता है।
**आरव (रिया से एक शाम):**
> "मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं, पर तेरी आँखों से जो दिखता है, उसमें मैं खुद को खो चुका हूँ।
> तू मेरी किताब बन चुकी है, रिया... और तेरे बिना अधूरा हर पन्ना।"
रिया चुप रहती है, लेकिन उसके अंदर **एक तूफान उठ रहा है।**
माँ का डर… सपनों का बोझ… और अब **आरव का बेइंतहा प्यार**।
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### 🌸 **रिया का बदलता मन**
अब रिया पढ़ाई के साथ-साथ अपने दिल को भी **समझने लगी है।**
आरव की यादें, उसकी परवाह, उसकी बदली हुई फितरत — सब कुछ उसकी सोच में समा गया है।
एक रात रिया डायरी में लिखती है:
> "मैं उसे चाहने लगी हूँ… लेकिन कह नहीं पा रही।
> शायद डरती हूँ कि अगर मैंने कहा… तो माँ क्या सोचेगी?"
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### ⚡ ** — आरव गायब है!**
एक दिन स्कूल में आरव नहीं आता।
फिर अगले दिन भी नहीं।
रिया पहले सोचती है – शायद बीमार होगा।
लेकिन जब तीसरे दिन भी वो स्कूल या घर में नहीं मिलता, **रिया पागलों की तरह इधर-उधर दौड़ने लगती है।**
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### 😢 **बीच पर अकेला आरव — जहर की बोतल हाथ में**
आरव समंदर किनारे बैठा है।
**हाथ में एक छोटी शीशी – ज़हर।**
उसका मन तोड़ चुका है।
रिया का प्यार ना मिल पाने का डर,
खुद के अधूरेपन की टीस,
और वो एहसास कि **"मैंने सब कुछ बदल दिया, लेकिन मैं उसके लायक नहीं बना"**
**आरव (समंदर की लहरों को देखता है):**
> "तेरे बिना सब हासिल करके भी क्या होगा, रिया…
> तू ही नहीं तो ये ज़िंदगी किस काम की?"
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### 🌧️ **रिया की दौड़ — दिल से**
जैसे ही रिया को पता चलता है कि आरव आखिरी बार समंदर किनारे देखा गया था —
वो अपनी माँ को कुछ कहे बिना **बारिश में भीगते हुए बीच पर भागती है।**
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### 💔 **संवेदनशील क्लाइमैक्स सीन**
वो आरव को बैठा हुआ पाती है —
हाथ में बोतल, आँखों में आंसू, और दिल में खालीपन।
**रिया (चिल्लाकर):**
> "तू क्या सोचता है? मर जाएगा तो सब खत्म हो जाएगा?"
**आरव (धीरे से):**
> "तू नहीं रही, तो कुछ बचा भी नहीं…"
**रिया (रोती हुई, आरव के हाथ से बोतल छीनते हुए):**
> "मैं तुझसे दूर नहीं जाना चाहती थी... मैं तुझसे... प्यार करने लगी हूँ आरव।
> पर मेरा डर, मेरी माँ... सब कुछ मुझे रोक रहा था।"
**आरव:**
> "तो अब क्यों आई?"
**रिया (काँपती आवाज़ में):**
> "क्योंकि तू मेरी जान बन गया है। अगर तू कुछ कर लेता... तो मैं कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाती।"
दोनों बारिश में भीगते हुए एक-दूसरे को गले लगाते हैं।