Sapna or Safalta - 1 in Hindi Moral Stories by Shivangi Vishwakarma books and stories PDF | सपने और सफलता - भाग 1

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सपने और सफलता - भाग 1

> "हर किसी की ज़िंदगी में एक ऐसा पल आता है जब हम पहली बार ख़ुद से कुछ बड़े सपने देखते हैं… वो पल बहुत साधारण होता है, लेकिन हमारे दिल की धड़कनों को हमेशा के लिए बदल देता है।"

मुझे आज भी वो दोपहर याद है। धानी इस समय क्लास 6 में थी गर्मी की छुट्टियाँ थीं और घर के सारे लोग आराम कर रहे थे। बाहर धूप इतनी तेज़ थी कि सड़कें भी चुप थीं। मैं अकेली अपने कमरे में बैठी थी, और पुराने बक्से से किताबें निकाल रही थी।
तभी एक किताब मेरे हाथ लगी – “कलाम की कहानी।” एक पतली सी किताब थी, जिसके पन्ने अब थोड़े पीले पड़ चुके थे। मैंने उसे यूं ही पलटना शुरू किया। और शायद उसी दिन मेरे सपने ने पहली बार मेरे मन के दरवाज़े पर दस्तक दी।

मैंने देखा कैसे एक मामूली मछुआरे का बेटा, अपनी मेहनत से देश का राष्ट्रपति बना।
एक लाइन ने मेरे दिल को हिला दिया –
सपने वो भी जो हम सोते हुए देखते हैं बल्कि सपने वो है जो हमें सोने नहीं देते 

बस यही पल था जब धानी ने सोचा कि मैं भी कुछ कर सकती हु कुछ बन सकती हु ।
उस दिन के पहले मैं एक में एक आम लड़की थी पर उस दिन के बाद मैने ठान लिया कि में अपने जीवन में जरूर कुछ करुंगी 
अपना नाम बनाऊंगी अपनी पहचान बनाऊंगी ।
पर एक सवाल की मेरा सपना क्या है पर कभी लगा कि टीचर कभी लगा कि डॉक्टर पर डॉक्टर नहीं क्योंकि जब धानी स्कूल जाना शुरू किया तभी उसके पापा ने बोला था कि जिंदगी में कुछ भी बन जाना पर डॉक्टर नहीं क्योंकि इतने पैसे नहीं है मेरे पास की 
में तुम्हे इतना पढ़ा पाऊं पहले सोचा कि टीचर ही बन जाती हु 
पर क्या इतना समय है मेरे पास क्योंकि एक बार मा पापा बात कर रहे थे और मैने चुपके से उनकी बाते सुन ली थी 
धानी की मां धानी के पापा से बोली सुनिए हमे अब धानी की शादी के लिए पैसे जमा शुरू करना चाहिए वरना बाद में अगर देर हो गई तो वैसे भी 20 तक तो हमे उसकी शादी करनी ही होगी न वरना लड़का कहा मिलेगा उसे और दहेज उसके लिए भी हमे पैसे जुटाने पड़ेंगे यह सुनकर धानी के पिता ने सर हा में हिलाया पर धानी जो उनकी बाते सुन रही थी उसे यह सब अच्छा नहीं लगा वो उदास हो 
गई ।

पर उस दिन उसने एक फैसला भी लिया कि वो अपना जीवन ऐसे व्यर्थ नहीं जाने देगी वो भी कुछ बड़ा करेगी अपना नाम बनाएगी।

उस दिन से पहले तक मैं सिर्फ एक सामान्य लड़की थी। गांव में रहने वाली, स्कूल जाती थी, और जैसे बाकी सब लड़कियां जीती थीं, मैं भी जी रही थी।
पर उस दिन के बाद मैं हर चीज़ को नए नज़रिए से देखने लगी।
कक्षा में बैठती तो सिर्फ उत्तर नहीं, सवाल भी सोचती।
टीचर कोई कहानी सुनाते तो मैं सोचती — “क्या मैं भी एक दिन ऐसा कुछ कर पाऊंगी?”

धीरे धीरे अपने सपनो को मैने अपनी एक डायरी में लिखना शुरू कर दिया ।

सपने के सामने एक तारिख – जब वो सपना दिल में आया।
जैसे सपनों की डायरी बन गई हो।
कुछ लोग तो हँसते थे – "बड़ी आई सपना देखने वाली।"

पर क्या करें?
सपने देखने से कौन रोक पाया है किसी को?

धानी के घर की हालत बहुत साधारण थी। पापा दुकान चलाते थे, और मम्मी घर संभालती थीं।
कभी किसी को अपने ख्वाबों के बारे में बताने की हिम्मत नहीं हुई।
क्योंकि डर लगता था — कहीं कोई फिर कह न दे:
"अरे ये सब तो फिल्मों में होता है।"
असल जिंदगी में नहीं 
पर क्या सपना देखना भी कोई जुर्म है?
हमारे जैसे साधारण परिवारों के बच्चों को सपने देखने की आज़ादी कम मिलती है।

क्योंकि यहां हर चीज़ का तौल होता है –
"पढ़ाई में फायदा क्या होगा?"
"इतना पढ़ोगी तो शादी कौन करेगा?" यह सवाल जो आज भी मुझे डराता है क्योंकि उस दिन मेरी मम्मी ने मेरे पापा से यह सवाल भी पूछा कि ,
धानी की मां उसके पापा से सुनिए कही हम कोई गलती तो नहीं कर रहे है ना धानी को पढ़ा कर मेरा मतलब अगर लड़की इतना पढ़ लिख लेगी तो उसे शादी कौन करेगा यह जब धानी ने सुना तो 2 sec के लिए तो वो भी सदमे में चली गई क्योंकि यह बात उसकी ही मां कह रही थी खुद एक लड़की होकर ।पर तभी उसके पापा ने कहा 
"अगर सरकारी नौकरी मिले तो ठीक है, वरना उसकी शादी करा देंगे !"
मेरे अपनो ने भी मुझसे यही कहा कि मैं कुछ नहीं कर सकती 
पर मै भी उन्हें गलत साबित करके दिखाऊंगी यह विश्वास है मेरा एक दिन वो दिन आएगा जब मेरे वो सपने जो इस समय आसमान की दूरी जितने लग रहे हैं वो मेरी मुठ्ठी में होंगे ।

एक रात मैं अपनी खिड़की से बाहर आसमान को देखती।
सोचती — कहीं ऊपर मेरे सपने भी तारे बनकर चमक रहे होंगे।
बस अब मुझे इतना मजबूत बनना है कि मैं वहां तक पहुंच सकूं।
मैं सोच रही थी कि मैं जानती हूं, सपनों का रास्ता आसान नहीं होगा मेरा ।
पर उस दिन, जब पहली बार मैने उनकी बाते सुनी तो खुद से एक वादा किया ।
"कि चाहे जितनी मुश्किलें आएं, मैं हार नहीं मानूंगी मैं कुछ बनूंगी अपनी बंद आंखों से देखे सपनो को साकार करूंगी ।"
ये कहानी सिर्फ मेरी नहीं है।

हर उस लड़की की है जिसने खुद से कुछ बड़ा चाहा।
हर उस लड़के की है जिसे कहा गया – “तुमसे नहीं होगा।”
हर उस इंसान की है जो खुद से लड़ता है, हर दिन।

🌸 और यही तो है इस नई सीरीज का मकसद —
हम बात करेंगे उन सपनों की, उन रास्तों की, उन मुश्किलों की और उन जीत की भी…

कभी मेरी बात, कभी आपकी बात।
कभी धानी की, कभी आपकी ज़िंदगी की बात।
क्योंकि हर किसी के पास एक कहानी होती है —
सपनों से सफलता तक की।

क्या आपने भी कभी ऐसा कोई सपना देखा है जो आपको सोने नहीं देता?
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कभी आपकी बात भी कहानी बन सकती है।

✨ "मिलते हैं अगली शाम — कुछ और बातों के साथ।"

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   🌸  लेखिका 
         शिवांगी 
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                        ❤️ पढ़ने के लिए शुक्रिया।