Mamta ki chao in Hindi Anything by Aadi jain books and stories PDF | ममता की छांव

Featured Books
Categories
Share

ममता की छांव

बचपन में मुझे ये समझ नहीं आता था कि माँ का आँचल इतना सुकून क्यों देता है। शायद इसलिए, क्योंकि उसमें छुपा होता था वो प्यार, जो हर दर्द को चुपचाप मिटा देता था। माँ की गोद मेरे लिए जन्नत थी, और उनका आँचल मेरी सबसे बड़ी ताकत।1995 में जब मैं इस दुनिया में आया, तो माँ की हथेलियों का स्पर्श मुझे सबसे पहले महसूस हुआ। उनकी गोद में सो जाना, उनके आंचल में छुप जाना — ये सब मेरे बचपन की सबसे खूबसूरत यादें हैं। मैं बहुत जिद्दी बच्चा था। पापा जब भी डांटते, माँ ही थीं जो मुझे बचा लेतीं। उनकी गोद मेरी सबसे सुरक्षित जगह थी। जब वो घर से बाहर जातीं, तो मैं उनकी चुनरी को लपेटकर सो जाता था, मानो वो मेरे पास ही हों। माँ की खुशबू उस चुनरी में बसी रहती थी, जो मुझे सुकून देती थी।फिर वक्त ने करवट ली।2011 आ गया। अब मैं बड़ा हो गया था। पापा ने मेरी कोचिंग लगवा दी थी, ताकि मैं बोर्ड की परीक्षा की अच्छी तैयारी कर सकूं। पर सच कहूं तो मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगता था। धीरे-धीरे मैं गलत रास्ते पर जाने लगा।मेरी संगत बिगड़ चुकी थी। स्कूल के बाद मैं उन दोस्तों के साथ घूमने-फिरने, वीडियो गेम खेलने और मोबाइल में उलझने लगा, जिनका असर मेरे सपनों पर बुरा पड़ रहा था। माँ को सब समझ आ रहा था। वो बार-बार समझाती थीं —“बेटा, तेरा वक्त बर्बाद हो रहा है… ये दोस्त तुझे कहीं का नहीं छोड़ेंगे।”लेकिन तब मुझे उनकी बातें बोझ लगती थीं।मैंने उनकी बातों को अनसुना कर दिया।मुझे लगा माँ नहीं समझ सकतीं कि दोस्त क्या होते हैं, मोहब्बत क्या होती है।उसी दौरान मेरी जिंदगी में एक लड़की आई। पहले एकतरफा मोहब्बत थी, फिर कुछ समय बाद पता चला कि वो भी मुझसे प्यार करती थी। धीरे-धीरे मेरा ध्यान पढ़ाई से पूरी तरह हट गया। माँ मुझसे बात करने की कोशिश करती थीं, लेकिन मैं दूर होता चला गया। मैं गलती पे गलती करता रहा… और माँ चुपचाप देखती रहीं।फिर एक दिन माँ की तबीयत अचानक खराब हो गई। उन्होंने धीरे से आवाज़ दी थी — "बेटा..."लेकिन मैं अपने कमरे में बैठा मोबाइल चला रहा था।2012 में रिजल्ट आया। मैं फेल हो गया। पापा ने बहुत डांटा। माँ ने बस इतना कहा —“कोई बात नहीं बेटा… तू अगली बार कर लेगा।”पर माँ की आँखों में जो उदासी थी, वो मैंने तब भी नहीं देखी।अगस्त 2012 की उस मनहूस सुबह ने मेरी दुनिया उजाड़ दी।माँ हमेशा के लिए चली गईं।2013 में मैंने अपनी गलती सुधारी। मैंने मेहनत की, गलत संगत छोड़ी, और स्कूल में टॉप किया।लेकिन जीत कर भी मैं हार गया था।क्योंकि वो माँ अब मेरे साथ नहीं थीं।आज भी एक बात दिल तोड़ देती है —काश… मैं गलत संगत से बाहर आ जाता।काश… मैं माँ की बात सुन लेता।काश… मैंने वो एक साल मोबाइल, दोस्त और झूठी मोहब्बत में बर्बाद ना किया होता।माँ… आज भी तेरा आँचल ढूंढता हूँ।काश एक बार तुझसे लिपटकर रो लेता… सब कुछ भूल जाता… उसी ममता की छाँव में।

तू मां वापस आती तो अच्छा होता।