रvengers in Hindi Drama by Siddhartha Gupta books and stories PDF | रvengers

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रvengers

                                                                                               सुनवाई 

 

सुबह के सात बज रहे थे,कार्तिक अपनी कॉल सेंटर की नाइट ड्यूटी करके अभी अपने फ़्लैट में दाखिल ही हुआ था कि उसकी नजर दरवाजे के नीचे से सरकाये हुए कुछ लिफ़ाफ़ों पर गई,जिन्हे जैसे ही उसने हाथों में लिया तभी उसका फ़ोन एक तेज़ झन्नाहट के साथ बज उठा,एक पल के लिए अपने फ़ोन की और देखने के बाद उसने अपना सिर ऊपर किया,आंखे बंद की और एक गहरी साँस लेने के बाद उसने फ़ोन का हरा बटन दबा दिया और बेहद सुस्त अंदाज में धीरे से बोला,“बोलिये मिश्रा जी”

“अरे कार्तिक बेटे कैसे हो?”,दूसरी ओर से मिश्रा जी ने उत्साहित और चासनी में लिपटी आवाज में पूछा।

“अभी-अभी नाइट ड्यूटी खत्म करके आ रहा हूँ,आप ही बताओ मैं कैसा हो सकता हूँ?”,कार्तिक ने सुस्त अंदाज में जबाब दिया और लिफ़ाफ़ों और अपने कंधे पर टंगे बैग को कुर्सी पर रखकर बाथरूम की ओर जाने लगा।

“ओहो फिर तो बहुत थके हुए होंगे”,मिश्रा जी ने खेद जताने का नाटक करते हुए कहा क्योंकि उनकी आवाज में रत्ती भर भी बदलाब नहीं हुआ था,वो अब भी पहले जितनी ही उत्साह से भरी हुई लग रही थी।

“हाँ,मिश्रा जी आप जल्दी बताइये इतनी सुबह-सुबह कैसे फ़ोन कर दिया?”,कार्तिक ने भी बिना अंदाज बदले पूछा।

“आज तुम्हारी सुनवाई हैं न,सोचा याद दिला दूँ”,मिश्रा जी ने कहा,“कि तुम्हें भी आना है”।

“पिछली 5 सुनवाइयों से मैं लगतार आ रहा हूँ फिर भी….”,कार्तिक ने थोड़ा सख्त आवाज में कहा लेकिन उससे पहले ही मिश्रा जी ने अपनी चासनी में डूबी बातों से उसके शब्द काटते हुए कहा,“ऐसी बात नहीं हैं बेटा,मैं तो बस तुम्हें याद दिला रहा था,पूरा दिन इतनी मेहनत करते हो ये छोटी-छोटी बातें तो दिमाग से निकल ही जाती होंगी हैं न इसलिए”।

“ये कोई छोटी बात नहीं है कि मैं भूल जाऊं”,कार्तिक ने पहले से भी ज्यादा सख्त आवाज में बाथरूम की दीवार पर एक हल्का सा घूंसा मारते हुए कहा लेकिन फिर खुद को काबू करते हुए शांत आवाज में बोला,“फिर भी आपका शुक्रिया,मैं समय पर पहुँच जाऊंगा”,हालाँकि वो शुक्रिया जैसे शब्द कहना नहीं चाहता था फिर भी उनसे पीछा छुटाने के लिए उसने बोल दिए।

“ठीक हैं फिर कोर्ट में मिलते है”,मिश्रा जी ने सामान्य आवाज में कहा। उनके शब्द सुनकर कार्तिक फ़ोन काटने ही वाला था कि मिश्रा जी कुछ याद आने का नाटक करते हुए पहले से भी ज्यादा मीठे शब्दों में बोले,“ओहो मैं तो भूल ही गया मेरा स्कूटर तो ख़राब पड़ा है”,एक पल की ख़ामोशी के बाद मिश्रा जी फिर से बोले,“अब तुमसे क्या छिपाना बेटा बहुत दिनों से सोच रहा हूँ कि ठीक करा लूँ लेकिन अभी माली हालत कुछ ठीक नहीं चल रही न तो हो नहीं पा रहा और मैं बस से भी नहीं आ पाउँगा तुम्हें मेरे घुटने की हालत तो पता ही है”।

उनके शब्दों से कार्तिक एक बार में ही समझ गया कि मिश्रा जी पिछली सुनवाई की बकाया फीस मांग रहे है और जब तक वो उनसे फीस देने की हामी नहीं भर लेता तब तक वो फ़ोन काटना दूर उसे बैठने भी नहीं देंगे,उसने एक बार फिर अपनी आंखे बंद की और धीरे से बोला,“ठीक हैं मिश्रा जी मैं आपको आपके घर से पिक कर लूंगा और आज ही आपकी फीस का भी इंतजाम कर दूंगा”।

“वो बात नहीं बेटा,मैं तो....... “,जब तक मिश्रा जी आगे कुछ कह पाते उससे पहले ही कार्तिक ने फ़ोन काट दिया और  बेसन के ऊपर लगे आईने में खुद को देखने लगा।

उसका चेहरा उसकी उम्र से ज्यादा मुरझाया हुआ लग रहा था,बाल सूखे और पूरी तरह बिखरे हुए थे,माथे पर गहरी शिकन,आँखों में हल्का लालामीपन और उनके नीचे गहरे काले गड्डे पड़े हुए थे जो साबित करने के लिए काफी थे कि कार्तिक पिछले कई दिनों से या शायद महीनों से अच्छी तरह सोया नहीं है। खुद को और अपनी हालत को देखने के बाद उसने अपना चेहरा धोया और बेसन में फैली पानी की मामूली छींटों को साफ कपडे से पोंछने के बाद बाथरूम से बाहर निकल आया और कुर्सी पर रखे बैग और लिफ़ाफ़ों को उठाकर अपने कमरे की ओर चला गया जहाँ उसने बैग को बिस्तर के पास लगी मेज पर दिया और लिफ़ाफ़ों को हाथ में लेकर किचन की ओर जाने लगा। उसका फ़्लैट,सामान्य से बहुत ज्यादा छोटा था जिसके बीच में एक 4*4  की खाली जगह थी जिसे वो हॉल कहता था,उसी के एक ओर एक और 4*4 का कमरा था जो उसका बैडरूम था,एक ओर छोटा सा बथरूम और उसके ठीक विपरीत दिशा में ओपन किचन था जिससे जुड़ा हुआ एक रास्ता,जो एक छोटी सी बालकनी में खुलता था लेकिन वो छोटा सा फ़्लैट अप्रत्याशित रूप से बहुत ज्यादा साफ़ था,इतना ज्यादा साफ़ कि कोई भी उस फ्लैट को देखकर ये नहीं कह सकता था कि यहाँ सिर्फ एक लड़का रहता होगा और कार्तिक की आदतों को देखकर भी ऐसा लग रहा था जैसे वो एक सफाई पसंद शख्स है,जिसे गन्दगी बिलकुल भी बर्दास्त नहीं होती क्योंकि किचन में पहुँचते ही उसने सबसे पहले स्लेप पर रखे स्टोव की सफाई की जो पहले से ही चमचमा रहा था,जिसके बाद उसने अपने फ्रिज की ओर रुख किया और उसमें से दूध का एक पैकेट बाहर निकालकर उसकी एक्सपाइरी डेट चेक करने के बाद एक पतीले में उढेलकर गैस पर चढ़ा दिया और उसे इस तरह देखने लगा जैसे किसी भी पल वो उफनकर वहां फ़ैल जायेगा और जब सच में दूध के उफनकर बहने की बारी आई,तब वो अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था,उसकी नजरें तो दूध पर थी लेकिन उसका ध्यान वहां नहीं था। 

उसे होश तब आया जब गर्म दूध बहता-बहता उसके हाथों से टकरा गया उस समय उसने जोर से हाथ झटका,गैस बंद की और गालियां देते हुए सीधे बाथरूम की ओर भाग गया। कुछ पल बाद अपना हाथ साफ़ करते हुए वो वापस किचन में गया और स्लेव पर फैले दूध को साफ करने लगा लेकिन उसका ध्यान अब भी अपने काम पर नहीं था बल्कि वो तो कुछ सोच रहा था,कुछ गहरा,कुछ बहुत गहरा। उसने कपडे को स्लेव पर कम-से-कम सैड़कों बार घिसा होगा लेकिन तब भी उसके चेहरे पर संतुष्टि का कोई भाव था बल्कि देखा जाये तो उसके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं था वो शून्य अचेत स्थिति में अनजान दिशा में देखे जा रहा था। वो ऐसा शायद कई घंटों तक करता रहता अगर उसका फोन न बजा होता और उसका ध्यान न टुटा होता।

फ़ोन की घंटी सुनते ही कार्तिक जैसे फिर से अस्तित्व में आ गया और कपडा छोड़कर सीधे फ़ोन की ओर भागा। उसके फ़ोन पर किसी का मैसेज आया था जिसने बिना किसी औपचारिकता के सीधे धमकी दी थी कि कार्तिक जल्दी-से-जल्दी उसके पैसे लौटा दे नहीं तो उसके लिए बहुत बुरा होगा। उस मैसेज को पढ़ने के बाद वो दीवार से सटकर बैठ गया और एक बार फिर अनजान दिशा में हवा को ताकने लगा। उसके दिमाग में कुछ चल तो रहा था लेकिन उसके चेहरे को देखकर कोई बता नहीं सकता था। कुछ देर बाद वो फिर से खड़ा हुआ और किचन को पूरी तरह साफ़ करने बाद अपने लिए कॉफी बनाने लगा।

कॉफी बनने में थोड़ा समय था तो उसने पास में रखे लिफ़ाफ़ों को उठाया और पहले लिफाफे को खोला जो कोर्ट से आया था उसे इत्तला करने के लिए कि आज उसकी सुनवाई है,दूसरा लिफाफा उसके क्रेडिट कार्ड का बिल था जो पिछले दो महीने से बकाया था और तीसरा फ्लैट मालिक की ओर से था जिन्होने जल्दी-से-जल्दी फ्लैट खाली करने को कहा था क्योंकि उसने पिछले 3 महीनों से उनका किराया भी नहीं भेजा था और आखिरी नोटिस पढ़ने के बाद तो कार्तिक जैसे अपनी जमीन पर बूत बन गया,उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके बुरे समय में सभी लोग उसका साथ इस तरह छोड़ देंगे क्योंकि उसका आखिरी नोटिस खुद उसके पिता की ओर से था जिन्होंने कानूनन उससे अपने सभी रिश्ते ख़त्म कर लिए थे। कुछ देर वहां मूर्ति की तरह खड़े रहने के बाद उसने अपने लिए कम दूध और बहुत ज्यादा चीनी की एक काली सी कॉफी बनाई और अपनी किस्मत पर मुस्कुराते हुए नन्हे मुर्झाये हुए पौधों और बदरंग हो चुके फूलों से सजी हुई बालकनी में आकर खड़ा हो गया। 

उसका फ्लैट बिल्डिंग के पांचवे और आखिरी मंजिल पर था जहाँ से वो सामने बनी सड़क और उसके बाद बने फ्लाईओवर को देख सकता था,उस पर हो रही चहल-पहल और तेजी से गुजरती गाड़ियों को देख सकता था और साथ ही उसे आसमान का कुछ हिस्सा भी नजर आता था जो आज सफ़ेद बादलों से भरा हुआ था,हवाएं हल्की लेकिन ठंडी थी,बीते 1 सप्ताह की भयंकर गर्मी के बाद कई लोगों को उम्मीद थी कि आज दोपहर या कम-से-कम शाम तक भारी बारिश हो सकती है लेकिन इस खुशनुमा उम्मीद से दूर कार्तिक उस दिन की याद में खो गया जब वो अपने परिवार के साथ पहली बार तृप्ति को देखने गया था। उस समय तृप्ति शायद उतनी नर्वस नहीं थी जितना वो खुद था इसलिए मेल-जोल के इस पुरे कार्यक्रम में उसने एक बार भी तृप्ति की ओर नहीं देखा,न ही ज्यादा बात की जबकि तृप्ति सभी से बातें कर रही थी,अभिनन्दन स्वीकार कर रही थी,किसी के मामूली से चुटकले पर भी इस तरह हंस रही थी जैसे उसने उससे बढ़िया लतीफा कभी सुना ही नहीं है। उस रोज़ उस पुरे कार्यक्रम के केंद्र में सिर्फ तृप्ति रही जबकि वो कार्यक्रम उसके लिए भी था फिर भी किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि सभी लोग जानते थे कि कार्तिक एक शर्मीले किस्म का अंतर्मुखी लड़का है। बचपन से ही उसका व्यवहार इसी तरह का रहा है,वो किसी के भी सामने आसानी से नहीं खुलता,वो बस अपने काम से मतलब रखता है।

उस पहली ही मुलाकात में उसके परिवार ने तृप्ति को उसके लिए पसंद कर लिया और उसी रोज़ उन दोनों की सगाई भी कर दी गई। कुछ दिन बाद जब उन दोनों के बीच फोन पर बातें शुरू हुई तो एक ओर तृप्ति थी जो कभी चुप नहीं होती थी,उसके पास बातों का एक ऐसा सिलसिला था जो कभी नहीं रुकता था,उसके सपने जिन्हे वो पूरा करना चाहती थी,वो उन्हें कार्तिक को इस तरह बताती थी जैसे शादी के बाद ये जिम्मेदारी उसकी है कि वो उन्हें पूरा करने में उसकी मदद करे,जबकि दूसरी ओर कार्तिक था जो कुछ बोल नहीं पाता था। कहते हैं हमें कभी वो शख्स इतना पसंद नहीं आता जिसका स्वाभाव हमारी तरह हो बल्कि वो आता है जो हमारे स्वाभाव के विपरीत हो शायद इसी वजह से कार्तिक भी धीरे-धीरे उसे पसंद करने लग लेकिन उसके मन में अब भी एक सवाल था कि आखिर तृप्ति जैसी लड़की जिसके सैकड़ों की संख्या में दोस्त है वो उसे कैसे पसंद कर सकती है जबकि वो तो उसके टाइप का भी नहीं है। तृप्ति की बातों से कार्तिक इतना समझ चुका था कि तृप्ति एक आजाद ख्याल और एक अति महत्वकांक्षी लड़की है जिसे रोमांच पसंद है,कुछ नया करने या कुछ नया सीखने में उसे मजा आता है जबकि वो उतना ज्यादा प्रगतिशील नहीं है उसे उतना ही पसंद है जितना उसके पास है फिर भी उसने कोशिश की उसके जैसा बनने की,एक ऐसा शख्स बनाने की जिसके ख्याल तृप्ति के ख्यालों से मेल खातें हो,जो उसके जितना ही ऊर्जावान हो,उसके जितना ही चपल और चंचल हो।

खुद को तृप्ति के लायक साबित करने के लिए उसने कुछ झूठ बोले,उसे उस लड़के की कहानी सुनाई जो उसी की तरह महत्वकांक्षी और रोमांच पसंद था लेकिन जल्दी ही उसके उसूलों ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। वो उस लड़की से झूठ कैसे बोल सकता था,उससे अपनी असली फितरत कैसे छिपा सकता था जिसके साथ उसे अपनी पूरी की पूरी जिंदगी बितानी थी तो एक दिन उसने उसे अपनी 25 सालों की सारी हकीकत बता दी कि उसके कोई खास दोस्त नहीं है,कि वो आज तक बस यों ही घूमने-फिरने के लिए शहर से बाहर नहीं गया,कि उसने कभी कोई ऐसी हरकत नहीं की जो उसकी और उसके परिवार की इज़्ज़त को कलंकित करती हो दरअसल उसने कभी रोमांचक या उत्साह से भरा कोई काम किया ही नहीं है,उसने तो बस पढाई की,मेहनत की और एक MNC में ऊँचे दर्जे की नौकरी हासिल की, इसके सिवा उसकी जिंदगी में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे वो मजेदार कह सकता है।

उसे अंदाजा था कि तृप्ति को उसकी हकीकत पता लगने के बाद शायद वो शादी तोड़ देगी या कम-से-कम उसका विरोध करेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,उसने बिना एक भी शब्द कहे कार्तिक के अतीत को स्वीकार कर लिया हालाँकि उसके बाद से उन दोनों के रिश्तों में थोड़ा बदलाव हो गया। तृप्ति अब पहले की तरह घंटो उससे बातें नहीं करती थी बल्कि धीरे-धीरे स्थिति ये हो गई कि कई-कई दिनों तक उन दोनों में कोई बात नहीं होती थी और जब कार्तिक उसे फोन करता तो उसका फोन ज्यादातर समय बीजी बताता था और जब कभी वो उससे इस बारे में पूछता तो वो दोस्तों या रिश्तेदारों से बात कह देती,उसकी आवाज और बात करने के लहजे से भी अनुमान लगाना मुश्किल था कि वो झूठ बोल रही है या सच,हालाँकि कार्तिक समझदार था फिर भी उसे तृप्ति की ये हरकत समझ नहीं आ रही थी,वो तो बस इसी बात से खुश था कि तृप्ति उसका उदासीन अतीत जानकर भी उसके साथ है।

जब उन दोनों की शादी की तारिख नजदीक आने लगी तो एक दोस्त की सलाह पर कार्तिक ने उससे कई बार पूछा भी कि क्या वो इस शादी से खुश है? क्या वो ये शादी अपनी मर्जी से कर रही है? और अगर उसकी जिंदगी में कुछ और है या उसका कोई अतीत है तो वो उसे बता सकती है,लेकिन उस समय तृप्ति उसके सवालों को नजरअंदाज करके अपने आने वाले भविष्य की कल्पना करने लगती,जिससे कार्तिक की उम्मींदे पहले से भी ज्यादा बढ़ जाती,उसे लगने लगा जैसे तृप्ति ही वो लड़की है जो उसकी वीरान सी जिंदगी को तृप्त करके उसके जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगी।

शादी होने के बाद तो कार्तिक को जैसे धरती पर ही स्वर्ग मिल गया,उसे उम्मीद नहीं थी कि तृप्ति के साथ गुजरी उसकी पहली ही रात में वो खुद के अंदर एक नए शख्स को महसूस कर लेगा,जो पुराने कार्तिक से इतना अलग होगा कि वो खुद उसे पहचान नहीं पायेगा। उनके हनीमून के लिए उसके दोस्तों और परिवार ने दार्जलिंग को चुना था,जिसके लिए कार्तिक खुद भी तैयार था लेकिन तृप्ति मॉरीशस जाना चाहती थी,जिसके लिए न तो उसका परिवार तैयार था और न ही खुद कार्तिक लेकिन एक ही रात में तृप्ति ने उसका इरादा बदल दिया और कुछ दिन बाद वो दोनों परिवार से झूठ बोलकर मॉरीशस के लिए चले गए। उनके वापस आने के बाद जब उनके परिवार को इस बारे में पता लगा तो घर के कुछ सदस्य उनसे नाराज हो गए लेकिन ज्यादा दिनों के लिए नहीं, जल्दी ही माहौल फिर से पहले जैसा हो गया।

कार्तिक का परिवार एक सामान्य सा परिवार था जो दिखावे से ज्यादा अपनी जरूरतों पर ध्यान देता था,वहीँ तृप्ति जरूरतों से ज्यादा दिखावे पर ध्यान देती थी,जितना खर्चा कार्तिक का परिवार 1 या 2 सप्ताह में करता था उतना ही खर्चा तृप्ति हर रोज कर रही थी। तृप्ति खुद भी एक सामान्य से घर से आती थी,जहाँ उस पर कई तरह की बंदिशे थी जिसके चलते उसकी महत्वाकांक्षाएं कभी वो उड़ान नहीं भर पाई जो वो चाहती थी शायद इसलिए शादी के बाद उसकी इच्छाएं उफन-उफनकर बाहर आ रही थी जिन्हें कार्तिक खुद भी रोक नहीं पा रहा था। वो जब भी ऐसा करने की कोशिश करता तृप्ति अपने रूपजाल से,अपनी बातों के जाल से उसकी कोशिश को नाकाम कर देती लेकिन उसका परिवार तृप्ति की हरकतों को नजरअंदाज नहीं कर पा रहा था,वो हर रोज उसके सामने तृप्ति की हरकतों का एक लम्बा ब्यौरा पेश करते,उसे आगाह करते,उसे समझाते और वो उनकी बातें समझ भी जाता था लेकिन अपने कमरे में पहुंचते ही तृप्ति उसकी आँखों पर अन्धविश्वास की एक ऐसी काली पट्टी बाँध देती जिसमें सिर्फ तृष्णा और कामना में डूबी उम्मीदें होती और उसी पट्टी के चलते कार्तिक अपने असली उद्देश्य से हटकर उसके गुलाम की भूमिका निभाने लगता। तृप्ति उससे जो कुछ कहती वही उसके लिए हकीकत बन जाता जबकि जो हकीकत उसका परिवार उसे बताता वो सब झूठ। तृप्ति के चंद दिनों के प्यार ने कार्तिक की मति को पूरी तरह भ्रष्ट कर दिया जिसके चलते एक समय वो आ गया जिसमें उसे अपना ही परिवार अपना दुश्मन नजर आने लगा। कार्तिक की स्थिति अब ये हो चुकी थी कि वो सब कुछ सुन सकता था यहाँ तक कि अपने परिवार की नीचता और उनकी बुराइयां भी लेकिन तृप्ति के बारे में वो कुछ भी गलत सहन नहीं कर पाता था।

शादी के पहले महीने से ही उनके घर में आंतरिक कलह के कुछ दबे हुए किस्से हवा में उड़ने लगे थे जिन्हें कार्तिक नजरअंदाज कर रहा था लेकिन दूसरे महीने में वो किस्से दबकर नहीं बल्कि तूफ़ान की तरह उनके घर को तोड़ने लगे जिन्हें चाहते हुए भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। स्थिति उस दर्जे पर पहुँच चुकी थी कि अब वो कोई भी दिन हो सकता था जब कार्तिक के घर में एक बड़ा हंगामा हो जाए और तीसरे महीने में ही वो दिन आ गया जब उसके भाई ने उसे बताया कि उसने तृप्ति को किसी और लडके के साथ मॉल में देखा था और जब ये बात तृप्ति से पूछी गई तो उसने इस इल्जाम से साफ़ इंकार करते हुए उल्टा उसके भाई पर आरोप लगा दिया कि वो उस पर गलत नियत रखता है,बिना इजाजत उसके कमरे में आता है,उसे छूने की कोशिश करता है। कार्तिक जो शादी से पहले अपने परिवार की कही हर बात को बिना किसी सवाल-जबाब के मान लेता था,शादी के कुछ इतना बदल गया कि उसे अपने परिवार के शब्द फरेब जबकि तृप्ति के कहे शब्द हकीकत लगने लगे। अपने शब्दों से,बनावटी आंसुओं और याचना करते भाव के साथ तृप्ति को बस ये शोला भड़काना था बाकी का काम उसकी अन्धविश्वास की पट्टी ने कर दिया। उस रोज उनके घर में वो कलह हुआ जो शायद उसके परिवार ने न तो कभी देखा होगा और न ही कभी सोचा होगा। कार्तिक ने अपने भाई पर हाथ उठा दिया जब उसके पिता,माँ और बहन उसे रोकने आये तो उसने उनके साथ भी मार-पीट कर दी और एक मजबूत फैसला लेते हुए उसी समय तृप्ति को लेकर घर छोड़कर निकल आया। उस रात उसने अपने एक दोस्त के घर रात गुजारी और अगले दिन एक ऊँची बिल्डिंग में एक आलिशान सा फ़्लैट किराए पर ले लिया।

कार्तिक शुरू से ही एक संयुक्त परिवार का हिस्सा रहा था इसलिए उसे इस फ़्लैट का खालीपन रास नहीं आ रहा था जबकि तृप्ति उस घर में बहुत ज्यादा खुश थी शायद इसलिए भी क्योकि अब उस पर न तो कोई नजर रखने वाला था और न ही कोई रोक-टोक करने वाला। उनके लगभग 6 महीने उस घर में बहुत मजेदार बीते हालाँकि खर्चा अब बहुत ज्यादा हो रहा था लेकिन कार्तिक अपनी जमापूंजी की मदद से उस खर्चे को भी सम्हाल रहा था। कार्तिक सुबह अपने स्टोर के लिए चला जाता और तृप्ति घूमने या शॉपिंग करने,हर रोज का उनका यही नियम सा बन गया था लेकिन फिर स्थिति बदलने लगी,तृप्ति के बेलगाम खर्चों की वजह से कार्तिक की जमापूंजी लगभग आधी होने की कगार पर पहुंच गई। पहले वो अपने परिवार के साथ रहता था इसलिए उसने कभी सीखा ही नहीं था कि एक घर को कैसे चलाया जाता है या उसे चलाने में कितनी परेशानियों का सामना करना होता है और अब जब वो अकेला रह रहा था तो उसे उन सभी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था जबकि तृप्ति सिर्फ अपनी जिंदगी के मजे ले रही थी। हालाँकि वो परेशान तो रहता था लेकिन उसने कभी भी इन परेशानियों को तृप्ति तक नहीं पहुँचने दिया और न ही कभी उसे अपने खर्चे कम करने के लिए टोका क्योकि वो हर कीमत पर सिर्फ और सिर्फ तृप्ति को खुश देखना चाहता था। 

कार्तिक शुरू से ही एक झुझारू किस्म का शख्स रहा था जो किसी भी परेशानी में हिम्मत नहीं हारता था इसलिए उसने यहाँ भी हिम्मत नहीं हारी बल्कि पहले से ज्यादा मेहनत करने लगा,वो अपनी नौकरी के साथ-साथ दूसरी नौकरी भी करने लगा जिसके चलते वो बस कुछ घंटों के लिए ही अपने घर आ पाता था और कभी-कभी तो घर भी नहीं आ पाता था लेकिन तृप्ति ने कभी भी उसके इस बदलाब के बारे में नहीं पूछा बल्कि वो तो अब पहले से भी ज्यादा खुलकर जिंदगी जीने लगी थी। पहले जब कार्तिक अपने स्टोर से आता था तब उसे,वो कम-से कम घर पर तो मिलती थी लेकिन जब से उसने दूसरी नौकरी करना शुरू किया था,उसके वक्त की भारी कमी हो गई तब से तो वो जैसे पूरी तरह आजाद हो गई थी,हर रात वो शराब पीकर और महंगा-महंगा सामान लेकर घर आने लगी थी। 

कार्तिक को तृप्ति की ये हरकत कुछ रास नहीं आ रही थी पहले जहाँ वो उस पर जान छिड़कती थी वहीँ अब वो उसकी ओर ठीक से देखती तक नहीं थी और जब कभी वो उसके बेवजह के खर्चों के बारे में पूछता तो वो और भी ज्यादा बिफर जाती,उसका ठीक से ख्याल न रखने के लिए लानतें देने लगती जिससे कार्तिक को लगता जैसे ये उसी की गलती है लेकिन कहीं न कहीं उसके मन में एक सवाल आने लगा कि आखिर तृप्ति ऐसा करती क्यों है? और हर दिन, हर रात वो जाती कहाँ है? उसके ऐसे कौन से दोस्त है जो उसे समझने के वजाये उसे और भी ज्यादा बिगाड़ रहे है?

लेकिन उसके पास न तो इतना वक्त था कि वो तृप्ति का पीछा कर सके और न ही इतनी हिम्मत कि उससे पूछ सके। एक समय के बाद जब हालात बिलकुल ही बेकाबू हो गए तो एक दिन कार्तिक ने अपनी पूरी हिम्मत समेटकर सख्ती के साथ तृप्ति से सवाल-जबाब किये। शुरुआत में तृप्ति उसे खुद ही लानतें देती रही,जब उससे कार्तिक कमजोर नहीं हुआ तो उसने जिस्मजाल और शब्दजाल का इस्तेमाल किया लेकिन उस दिन कार्तिक कमजोर नहीं हुआ तो वो उससे भी ज्यादा नाराज होकर घर छोड़कर चली गई।

अगले ही दिन कार्तिक का गुस्सा शांत हो गया और वो उसे मनाने के लिए उसके घर जा पहुंचा लेकिन वो वहां नहीं थी और इस मामले में उसके परिवार का रवैया भी बेहद उदासीन था,उसने तृप्ति के कुछ दोस्तों को भी फोन किया,जिन्हें वो जानता था लेकिन किसी को उसकी जानकारी नहीं थी हालाँकि जब तक वो कोई सख्त प्रतिक्रिया कर पाता उससे पहले ही उसे पता चल गया कि तृप्ति वापस अपने पिता के घर पहुँच गई है। उस शाम कार्तिक फिर से उसे मनाने के लिए गया लेकिन जब वो नहीं मानी तो वो भी वापस अपने घर आ गया। कार्तिक जानता था कि कुछ ही दिनों में तृप्ति का गुस्सा शांत हो जायेगा और वो खुद ही उसके पास वापस आ जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि जो हुआ उसने कभी उस बारे में सोचा तक नहीं था।

दो दिन जब कार्तिक अपने स्टोर में था तो दो पुलिस वाले वहां आये और उसे अपने साथ ले जाने लगे,वजह पूछने पर उसे सिर्फ इतना बताया कि उसकी पत्नी ने उस पर घरेलु हिंसा और दुष्कर्म के लिए FIR दर्ज कराई है,पहले तो उसे लगा कि शायद ये कोई गलतफहमी है और वो इसे परिवार के बड़े-बुजुर्गों की मदद से ठीक कर सकता है लेकिन जब वो पुलिस स्टेशन पहुंचा तो वहां उसका पूरा परिवार भी था। एक पल के लिए उसे लगा कि वो लोग उसकी मदद के लिए वहाँ आये हैं लेकिन नहीं,तृप्ति ने उन पर भी दहेज़ मांगने का आरोप लगाया था। इतना सब होने के बाद भी कार्तिक को उम्मीद थी कि शायद तृप्ति ने ये सब नाराजगी में किया होगा,वो उससे बात करके इस मामले को ख़त्म करा देगा लेकिंन ये भी नहीं हुआ। वो पूरा दिन पुलिस स्टेशन में बैठा रहा और बार-बार तृप्ति से बात करने की गुजारिश करता रहा और जब शाम को वो वहां आई तो उसने साफ शब्दों में उसे बता दिया कि ये कोई गलतफहमी नहीं है उसके साथ ऐसा हुआ है इसलिए उसने तंग आकर ये कदम उठाया है।

उसके शब्दों से जैसे कार्तिक के पैरों तले जमीन ही खिसक गई,उसके बाद उसने उसे मनाने या उससे बात करने की कोई पेशकश नहीं की। जिस औरत पर उसने विश्वास किया था उसी औरत ने उसे धोखा दिया,उसे उसके परिवार से अलग कर दिया और आज उसकी हालत ये है कि उसे समझ ही नहीं आ रहा कि क्या करना चाहिए?। दो दिन बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया जहाँ उसके परिवार ने एक अच्छे वकील के जरिये अपनी जमानत करा ली जबकि कार्तिक को विचाराधीन कैदी के रूप में रिमांड रूम भेज दिया गया जहाँ उसे अगली सुनवाई जो लगभग 4 महीने बाद थी,वहां रहना था। इस चार महीने में से लगभग तीन महीने तक कार्तिक बस यही सोचता रहा कि आखिर तृप्ति ने ऐसा क्यों किया? लेकिन जब वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा तो उसने इस बारे में सोचने से बेहतर जेल से बाहर निकलने के बारे में सोचा और अपने एक दोस्त के जरिये मिश्रा जी को अपना केस लड़ने के लिए चुना। मिश्रा जी,पहली ही मुलाकात और उसकी सारी कहानी सुनने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि इस केस को लड़ने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि वो एक लड़का है जो कभी भी अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर सकता,कोर्ट उसकी किसी भी दलील को बिना सुबूत के कभी नहीं मानेगी जबकि तृप्ति,वो चाहे कुछ भी आरोप लगा दे,उसे वो साबित नहीं करना क्योंकि वो एक लड़की है इसलिए उसके कहे शब्द ही उसका सुबूत बन जायेगे,साथ ही उन्होंने इससे बचने के एक रास्ता भी सुझाया और वो था कि वो तृप्ति के साथ समझौता करना,उसे कुछ मुआवजा देना ताकि वो इस केस को वापस ले ले। कार्तिक को भी ये तरीका ज्यादा बेहतर लगा और उसने इस समझौते को पूरा करने की जिम्मेदारी मिश्रा जी को दे दी,जिन्होंने अपना काम इतनी फुर्ती से किया कि अगले चार दिनों में ही उस पर लगाए सारे केस ख़ारिज कर दिए गए हालाँकि इसके लिए उसे अपनी जमापूंजी का बहुत बड़ा हिस्सा तृप्ति को देना पड़ा लेकिन अब वो आजाद था।

जिस कीमत पर उसे आजादी मिली थी शायद कार्तिक को उस कीमत का मलाल न हो लेकिन आजाद होने के बाद उसे जिन चीजों को सामना करना पड़ा उसका मलाल उसे ताउम्र रहने वाला था,उसने जिन विचारों को सिर्फ सोचा था वो अब हकीकत बनने वाले थे। जेल से बाहर आते ही वो सबसे पहले अपने फ़्लैट पर गया लेकिन वहां ताला लगा हुआ था क्योंकि 4 महीने से उसने किराया नहीं भरा था,जैसे-तैसे बात-चीत करके उसने उस फ़्लैट का ताला खुलवाया और उसी दिन अपना सामान लेकर वहां से निकल आया,ये उसका पहला अंदाजा था जो एकदम सही साबित हुआ। उसके पास रहने के लिए कोई और जगह नहीं थी तो वो पिता के घर चला गया लेकिन उसके पिता ने भी उसे घर में घुसने नहीं दिया,उसने जो किया उसके लिए शायद उसका परिवार उसे माफ़ कर भी दे लेकिन तृप्ति ने जो किया उसके बाद तो बिलकुल भी नहीं, उसके परिवार में तो क्या,उसके खानदान में भी शायद ही कोई होगा जो कभी पुलिस स्टेशन गया होगा लेकिन तृप्ति की वजह से और कहीं न कहीं उसकी वजह से भी उसका पूरा परिवार 2 दिनों तक जेल में रहा और आज भी कोर्ट के चक्कर लगा रहा है,ये था उसका दूसरा अंदाजा जो सही साबित हुआ था,दोस्तों ने पारिवारिक दबाब और समाज की वजह से खुलकर उसका साथ देने से इंकार कर दिया,ये एक दुर्लभ विचार था लेकिन ये भी सही साबित हुआ,जो रिश्तेदार कभी उसकी तारीफ़ करते नहीं थकते थे उन रिश्तेदारों ने उसके लिए दरवाजे तक नहीं खोले,होटल के एक कमरे में बैठकर जब उसने अपना लैपटॉप खोला तो उसमें 2 ई-मेल थे,उसकी दोनों नौकरियां जा चुकी थी,ये भी उसका एक अंदाजा था जो सही साबित हुआ लेकिन उसे कुछ ऐसी भी स्थिति का समाना करना पड़ा जिसके बारे में उसने सोचा नहीं था। अब पूरी दुनिया ने ही उसका बहिष्कार करना शुरू कर दिया था,जो कोई भी उसे जानता था वो उसकी मदद करना तो दूर उसे अनदेखा कर रहा था,उससे इस तरह बर्ताब कर रहा था जैसे वो कोई संक्रमित व्यक्ति हो। वैसे तो कार्तिक को अकेलापन पसंद था लेकिन अब वही अकेलापन उसे काट रहा था। तृप्ति ने उसे पूरी दुनिया से इस तरह अलग कर दिया था जिसके बारे में उसने कभी सोचा तक नहीं था।

कुछ दिन होटल में बिताने के बाद वो इस फ़्लैट में आ गया और यहाँ आने के कुछ ही दिनों बाद उसके भाई ने उसे कॉल करके बताया कि कोर्ट से कुछ कागजात आये है और जब कार्तिक ने उन्हें पढ़ा तो पता लगा कि ये तृप्ति उसका पीछा नहीं छोड़ने वाली,उसने तलाक की याचिका दायर की थी,जब उसने वो कागज मिश्रा जी को दिखाए तो उन्होंने बताया कि तृप्ति तलाक चाहती है जिसके लिए कार्तिक भी तैयार था वो भी अब उससे पीछा छुड़ाना चाहता था लेकिन तृप्ति ने बहुत मोटे मुआवजे की मांग की थी और साथ ही भारी भरकम आजीविका भत्ते की भी। कार्तिक के पास अब न तो इतना पैसा बाकी था कि वो तृप्ति की मांग पूरी कर सके और न ही कोई नौकरी जिससे वो उसे भत्ता दे सके,अब उसके पास सिर्फ एक ही रास्ता था कि वो ये केस लड़ता रहे और इंसाफ की उम्मीद करता रहे जो नामुमकिन थी।

मिश्रा जी वैसे तो 50 साल के थे लेकिन उनका दिमाग बहुत तेज़ था उन्होंने कार्तिक का फैसला सुनते ही उसे एक तरीका बताया जिससे उसे तलाक भी मिल सकता था और उसे मुआवजा या भत्ता भी नहीं देना पड़ता। कार्तिक को बस ये सबित करना था कि तृप्ति ने उसे धोखा दिया है शादी से पहले और उसके बाद भी उसका किसी के साथ सम्बन्ध रहा हैं। पहले तो कार्तिक ये सब करने के तैयार नहीं था क्योंकि उसे लगता था कि ये सब झूठ है लेकिन बचने के लिए उसके पास यही रास्ता था इसलिए वो मान गया और एक बार फिर इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई मिश्रा जी को जिन्होंने लगभग चार महीने और दो सुनवाइयों के बाद ही उसके सामने तृप्ति का पूरा कलाचिट्ठा खोलकर रख दिया।

तृप्ति का अतीत काले दागों से इतना ज्यादा सना हुआ था कि उसकी असली शख्सियत ढूंढ पाना नामुमकिन जैसा था बेशक उस पर कई पाबंदियां थी लेकिन उन पाबंदियों के लगने की वजह भी वो खुद ही थी। बहुत ही कम उम्र में,लगभग नादानियों वाली उम्र में ही वो उस लड़की में बदल चुकी थी जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है और लगभग 17 साल की उम्र तक वो अपने इस काम में इतने ज्यादा माहिर हो चुकी थी कि अपने शरीर तक का फायदा उठाने लगी थी। परीक्षाओं में पास होने के लिए,किसी महँगी चीज को उपहार के रूप में पाने के लिए या अपनी अनुचित इच्छाओं को पूरा करने के लिए वो अपने शब्दजाल और जिस्मजाल की कला का पूरा इस्तेमाल करने लगी थी। एक समय बाद जब ये बात उसके घर पर पता लगी तो उस पास कई तरह की पाबंदिया लगा दी गई लेकिन तब भी वो आंशिक रूप से इस तरह के कामों में लिप्त रही। 20 साल का होते-होते जब तृप्ति की कुछ अफवाहें जोर पकड़ने लगी तो उसके परिवार ने उसके लिए लड़के की तलाश शुरू कर दी और जब उसकी उम्र 21 हुई तो उसकी शादी कार्तिक से कर दी गई लेकिन उसके बाद भी उसकी हरकतों में कोई कमी नहीं आई और जब वो लोग अपने परिवार से पूरी तरह अलग हो गए,उसके बाद तो जैसे उस पर से सारी बंदिशे ही ख़त्म हो गई,वो खुलकर अपने जीवन का मजा लेने लगी। 

इसके आगे की पूरी कहानी को कार्तिक अपनी कल्पनाओ में देख सकता था,एक ओर वो दो नौकरियां करके अपना घर,अपनी पत्नी को खुश करने की कोशिश कर रहा था दूसरी ओर तृप्ति सिर्फ अय्याशी कर रही थी,जीवन के मजे ले रही थी। अब उसे वो सारी बातें याद आने लगी जो तृप्ति ने की उससे कहीं थी और जिन पर आंख बंद करके उसने विश्वास कर लिया था असल में उसे वो सब कुछ एक साजिश की तरह लग रही थी।

तृप्ति ने उससे शादी भी शायद इसी उद्देश्य से की थी,उसका प्यार,उसका लगाव वो सब कुछ एक साजिश था। इस हकीकत को जानकर कार्तिक जैसे सदमे में चला गया लेकिन उसे एक गहरा धक्का तब लगा जब मिश्रा जी ने उसे बताया कि उन्हें ये सब पता तो है लेकिन वो इसे हाल-फिलहाल साबित नहीं कर सकते क्योंकि तृप्ति के खिलाफ कोई भी कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है और वो कुछ दिनों से बहुत ज्यादा सावधानी भी बरत रही है। जब तक वो कोई गलती नहीं करती तब तक वो इस केस के लिए कोई सुबूत जमा नहीं कर सकते और साथ ही उन्होंने कार्तिक को आगाह भी किया कि किसी भी कीमत पर तृप्ति को ये पता न लगे कि हम उसके अतीत और उसकी साजिश के बारे में जानते है नहीं तो वो उस गलती को बहुत लम्बे समय तक नहीं करेगी लेकिन कार्तिक ने जैसे उनकी बात सुनी ही नहीं,वो तुरंत खड़ा हुआ और सीधे तृप्ति के घर उससे आमना-सामान करने जा पहुंचा,जहां तृप्ति ने उसे जो बताया उसके बाद तो जैसे उसे उसके साथ बिताया अपना जीवन ही धोखा जैसा लगने लगा।

कार्तिक ने जब उससे इस बारे में पूछा तो पहले तो उसे खुद ही यकीन नहीं हुआ कि कोई उसके अतीत के बारे में इतना कुछ जानता होगा लेकिन फिर उसने अपने उस अतीत को स्वीकार कर लिया और पुरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि हाँ,उसने ये सब साजिशन किया है क्योंकि जब उसके परिवार ने उस पर बंदिशे लगा थी तभी से वो अपनी जिंदगी को उस अंदाज में नहीं जी पा रही थी जैसा वो चाहती थी और बंदिशों से बचने का सिर्फ एक ही जरिया था और वो था शादी। शादी होने के बाद वो पूरी तरह आजाद हो जाती,उसे लड़कों की कमजोरियां पता थी इसलिए वो अपने पति को आसानी से काबू कर सकती थी और फिर उसकी शादी कार्तिक से तय हो गई और उसी पल से उसने एक जाल बुनना शुरू कर दिया,उसने अपनी इच्छाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी कार्तिक के कंधे पर डालना शुरू कर दिया। शुरुआत में कार्तिक ने जो कुछ भी उसे अपने बारे में बताया था उससे उसे लगा था कि कार्तिक कोई आसान शिकार नहीं होने वाला लेकिन एक दिन उसने खुद ही उसे अपनी सच्चाई बता दी तो उसे पूरा यकीन हो गया कि कार्तिक से ज्यादा आसान और बेबकुफ़ शिकार उसे कहीं मिलने वाला नहीं है इसलिए उसने शादी के लिए हामी भर दी। शादी होने के बाद उसकी जिंदगी में कुछ ख़ास बदलाब नहीं आया हालाँकि वो उसके अपने घर से बेहतर स्थिति में थी लेकिन अब उसे और भी ज्यादा आजादी चाहिए थी इसलिए उसने एक और साजिश रची,कार्तिक को अपने ही घर से अलग करने की साजिश ताकि उस पर कोई पाबन्दी न रहे और कुछ ही दिनों में ऐसा हो भी गया। उसके बाद तो उसकी जिंदगी ऐसी हो गई मानो जन्नत,वो अब किसी भी होटल में या बार में या मॉल में किसी भी लड़के के साथ कभी भी जा सकती थी उसे कोई रोकने या टोकने वाला नहीं था लेकिन जब कार्तिक के पैसे ख़त्म होने लगे और वो सवाल-जबाब करने लगा तो उसने इस तरह के कदम उठाये ताकि उसके पैसे की परेशानी भी ख़त्म हो जाये और उसे पूरी तरह आजादी भी मिल जाये।

इतना सुनने के बाद कार्तिक को अहसास हुआ कि एक लड़की कितना नीचे तक गिर सकती है सिर्फ अपनी ख़ुशी के लिए वो किसी को भी बलि चढ़ा सकती है,कि जिन फैसलों को वो अपना मानकर ले रहा था असल में उनमें से कोई भी फैसला उसका खुद का नहीं था बल्कि उन्हें लेने के लिए उसके साथ साजिश रची गई थी।

बिना कोई भी प्रतिक्रिया दिए कार्तिक वापस अपने घर आ गया और तभी से उसकी जिंदगी में एक ऐसा सिलसिला शुरू हुआ,एक ऐसी रात का जिसका आज तक कोई अंत नहीं है। 

बीते 2 साल में हुई 5 सुनवाइयों ने उसकी जिंदगी इतनी नरक बना दी या कहा जाये तो उसकी जिंदगी इतनी पीछे चली गई जितनी उसने सोची भी नहीं थी। उसकी सालों की बनाई इज़्ज़त,उसकी नौकरी सब चली गई,समाज ने,उसके परिवार ने,उसके दोस्तों और रिश्तेदारों ने उसका बहिष्कार कर दिया और जब सालों से थोड़ा-थोड़ा पैसा जोड़कर जो जमापूंजी तैयार की,वो उस केस को लड़ने में ख़त्म हो गई तो उसे लोगों के सामने हाथ तक फैलाने पड़े,शुरुआत में कुछ दोस्तों ने उसकी मदद की लेकिन वो कब तक कर सकते थे,उसके बाद उसने कुछ बैंक लोन भी लिए जिनकी एक भी क़िस्त वो आज तक नहीं भर पाया,जब वो पैसा भी ख़त्म हो गया तो कुछ सूदखोरों से दोगुनी ब्याज पर पैसे लिए,जो अब उसका जीना हराम कर रहे थे। इस केस ने उससे बहुत कुछ छिना था लेकिन अब भी उसने हिम्मत नहीं हारी थी। उसके ऊपर एक केस चल रहा था इसलिए कोई भी अच्छी कंपनी उसे नौकरी देने को तैयार नहीं थी इसलिए अपने रोजमर्रा के खर्चे पुरे करने के लिए वो एक छोटे से कॉल सेंटर में नौकरी कर रहा था जो उसका झुझारूपन दिखाने के लिए काफी है,उसे अब भी उम्मीद थी कि एक दिन सब कुछ ठीक हो जायेगा,शायद पहले जैसा न हो,परिवार,दोस्त और रिश्तेदार उसे फिर से स्वीकार न करे,शायद उसे पहले की तरह समाज में इज़्ज़त न मिले लेकिन उसे शुकुन और शांती जरूर मिलेगी।

तभी उसके फ़ोन घंटी तेज़ झनझनाहट के साथ फिर से बजी जिससे उसका ध्यान एक बार फिर टूट गया। उसके हाथ में लगा कॉफी का कप वैसा का वैसा ही था उसने एक घूंट भी नहीं पिया था,आसमान में बिखरे सफ़ेद बादल अब धीरे-धीरे काले हो रहे थे और हवाएं पहले से ज्यादा ठंडी हो चुकी थी। कार्तिक धीरे-धीरे चलते हुए अपने फोन तक पहुंचा,उसे किसी अनजान नंबर से कॉल आ रही थी,जिसे जब तक वो उठाता फ़ोन कट गया। फ़ोन की तेज़ और कम्पन करती गूंज जब शून्य में बदल गई तब उसने उस नंबर को ध्यान से देखा,जब से उसने कर्ज लेना शुरू किया था तभी से उसके फ़ोन पर इस तरह के अनजान नंबर से कॉल आती रहती है जो या तो उसे कर्ज चुकाने की धमकी देने के लिए होती है या नया कर्ज लेने की पेशकश के लिए। शुरुआत में कार्तिक उन कॉल का जबाब भी देता था लेकिन धीरे-धीरे उसने जबाब देना बंद कर दिया। कुछ पल बाद उसका फ़ोन फिर से बजा,ये वही नंबर था जिससे पहले कॉल आई थी,उसने एक बार उस नंबर को फिर से देखा और फिर हरा बटन दबाकर धीरे से बोला,“हैलो”,उसके मन में बस एक ही प्रार्थना चल रही थी कि बस ये फ़ोन किसी सूदखोर का न हो 

“कार्तिक”,दूसरी ओर से किसी लड़की की हंसती हुई आवाज आई जिसे एक पल से भी कम समय में वो पहचान गया,“मैं तृप्ति बोल रही हूँ,तुम्हे याद है न तुम्हारी पत्नी”

तृप्ति की आवाज सुनकर कार्तिक एक पल के लिए जम सा गया क्योंकि जब से उनके बीच ये मामला शुरू हुआ था तब से आज तक उसने कार्तिक को एक बार भी फ़ोन नहीं किया था लेकिन आज अचानक फ़ोन आ जाने से कार्तिक थोड़ा विचलित हो गया हालाँकि उसने जल्दी ही खुद को सम्हाल लिया और बेहद समझदारी दिखाते हुए अपने फ़ोन की रिकॉर्डिंग चालू कर दी और सख्त और ताना कसती आवाज में बोला,“तो तुम अब भी मुझे अपना पति मानती हो”।

“नहीं मानना चाहती लेकिन जब तक हमारा तलाक नहीं हो जाता तब तक तो मानना ही पड़ेगा न”,तृप्ति ने भी ताना मारते हुए खिलखिलाकर कहा लेकिन तभी कोई लड़का पीछे से तेज़ आवाज में बोला,“क्या टाइमपास कर रही हो बेबी,इतनी प्यार से बात करोगी तो वो कभी तलाक नहीं देगा” और फिर उससे फ़ोन लेते हुए तेज़ और धमकी भरी आवाज में कहा,“सुन बे तू उसे तलाक क्यों नहीं दे रहा?,पता है तेरे चक्कर में ये कितनी परेशानियों का सामना कर रही है”,पीछे से तृप्ति की नाटक करती हुई आवाज आई “ओह हाँ देखो मैं यहाँ घुट-घुटकर मर रही हूँ”,और इसी के साथ वो दोनों हंसने लगे।

“तुम उसके बॉयफ्रेंड हो क्या?”,कार्तिक ने अपने गुस्से को काबू करते हुए सामान्य आवाज में पूछा

“हाँ तो”,उस लडके ने हँसते हुए कहा,“इसकी भी शिकायत कोर्ट में करेगा क्या?,जा कर ले,मैं भी एक वकील हूँ तुझे उल्टा न फंसा दिया न तो मेरा नाम बदल देना”

“नहीं,मैं तो बस ये पूछ रहा था कि कौन से नंबर के बॉयफ्रेंड हो”,कार्तिक ने मुस्कुराते हुए पूछा,“पिछली बार तो किसी और लडके से बात हुई थी” हालाँकि उन दोनों के बीच पहले कभी कोई बात नहीं हुई थी फिर भी कार्तिक ने सिर्फ मजे लेने के लिए बोल दिया जिसका असर उसे तुरंत सुनाई भी दे गया।

“क्या बोला तू”,दूसरी और से लड़के ने गुस्से भरी आवाज में कहा और पीछे से हंस रही तृप्ति की आवाज भी ख़ामोशी में बदल गई

“वही जो तूने सुना”,कार्तिक ने कहा,एक पल की ख़ामोशी के बाद वो लड़का फिर से बोला,“बकवास बंद कर और मेरी बात ध्यान से सुन,आज हम दोनों ने सोचा कि तुझे एक खास ऑफर दिया जाये,ये सिर्फ आज और अभी के लिए है इसलिए ध्यान से सुन,अगर तू तैयार है तो तृप्ति बिना भत्ता लिए सिर्फ मुआवजा लेकर तुझे तलाक देने के लिए तैयार है”

“और अगर मैं तैयार नहीं हूँ तो”,कार्तिक ने पूछा 

“तो आज हम एक और याचिका दायर करेंगे जिसमें मुआवजा दोगुना और भत्ता चार गुना होगा”,लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा,“बेहतर होगा मेरी बात मान ले,कम पैसे में तेरे काम हो जायेगा”

कार्तिक ने एक पल के सोचा और फिर धीरे से बोला,“पता है मैं कॉल रिकॉर्ड कर रहा हूँ”

“तुझे क्या लगता है हमें पता नहीं होगा”,लड़के ने हँसते हुए कहा,“मैं एक वकील हूँ गधे,तेरे इस तरह की बचकानी चालों को एक मिनट में ही ख़ारिज करा दूंगा”

कार्तिक एक पल के लिए चुप हो गया क्योंकि वो खुद भी जानता था कि एक कॉल रिकॉर्डिंग को पुख्ता सुबूत की तरह नहीं माना जाता

“क्यों लग गया झटका”,लडके ने मजाक उड़ाती हुई आवाज में कहा,“अब बता क्या फैसला ले रहा है,चाहे तो थोड़ा बहुत समय ले ले लेकिन सुनवाई शुरू होने से पहले ही जबाब दे देना”

“मेरे पास मुआवजा देने के लिए पैसे नहीं है”,कार्तिक ने एक पल और सोचने के बाद कहा 

“ओहो फिर तो गड़बड़ हो गई”,लडके ने नाटकीय आवाज में कहा

“लेकिन मेरे पास एक रास्ता है”,कार्तिक ने जल्दी से कहा,“असल में ये एक तरह का प्रस्ताव है”,

“अच्छा तो वो भी बता दे”,लडके ने फिर से उसी अंदाज में पूछा,“अच्छा लगा मान भी लेंगे”,

“बिलकुल आसान है,तृप्ति आज ही मुझे बिना किसी शर्त के तलाक दे दे और मेरा कर्जा चुकाने में मेरी मदद कर दे”,कार्तिक ने शांत और एकदम ठंडी आवाज में कहा

“सुबह-सुबह नशा करके बैठा है क्या?”,लडके ने सख्त आवाज में कहा,तभी पीछे से तृप्ति भी उसी अंदाज में बोली,“और तेरे पैर छूकर मांफी भी मांगूं”,तृप्ति की बात सुनकर वो लड़का हँसते हुए बोला,“लगता है ये पागल हो गया है”

 “नहीं”,कार्तिक ने शांत आवाज में कहा,“न तो मैं पागल हुआ हूँ और न ही इस लड़की को मुझे छूने की जरुरत है,बस जितना प्रस्ताव दिया है उतना ही करना है”एक पल चुप रहने के बाद कार्तिक फिर से बोला,“चाहो तो सोचने के लिए कुछ समय ले लो लेकिन आज की सुनवाई ख़त्म होने के बाद मुझे बता देना,नहीं तो तुम्हारे लिए बहुत बुरा होगा”,

“सच-सच बता तूने नशा नहीं किया है न”,लडके ने फिर से सख्त आवाज में कहा,“क्योंकि जिस हालत में तू है उसमें न तो तू तृप्ति का कुछ बिगाड़ सकता है और मेरा तो भूल ही जा”

“हाँ सच है तेरा तो कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन तृप्ति,यकीन मान उसकी जिंदगी नरक से भी बदतर बना सकता हूँ’,

“अच्छा और भला वो कैसे?”,लडके ने मुस्कुराते हुए पूछा

“आत्महत्या करके”,कार्तिक ने बहुत सामान्य आवाज में कहा

“ऐ पागल है क्या तू”,लडके ने जल्दी से कहा 

“नहीं,लेकिन अगर मैं एक खत में लिख दूँ कि तृप्ति और उसके बॉयफ्रेंड ने मुझे मानसिक यातना दी है जिससे परेशान होकर मैं आत्महत्या कर रहा हूँ फिर”,कार्तिक ने सामान्य आवाज में कहा 

“तुम दोनों पिछले 2 साल से भी ज्यादा समय से अलग रह रहे हो फिर ये सब साबित कैसे होगा?”,उस लडके ने पूछा 

“तभी तो ये कॉल रिकॉर्ड कर रहा हूँ”,कार्तिक ने मुस्कुराते हुए कहा 

“अबे गधे तुझे बताया था न कि इस तरह की रिकॉर्डिंग को कोर्ट पक्के सुबूत की तरह नहीं मानती,मुझे एक मिनट भी नहीं लगेगा इसे ख़ारिज करवाने में”,उस लडके ने हँसते हुए कहा,“और आत्महत्या करके भी तू अपना ही नुकसान करेगा,कानूनन तेरी पत्नी अभी तृप्ति ही है तेरे मरने के बाद तेरी सारी संपत्ति उसे ही मिलेगी इससे अच्छा है तू बिना आत्महत्या करे अपनी संपत्ति इसे दे दे कम-से-कम तू जिन्दा तो रहेगा” 

“अबे गधे”,कार्तिक ने अपनी आवाज की टोन को भी मजाकिया अंदाज में बदलते हुए कहा,“मैं तलाक या घरेलू हिंसा के मुक़दमे की बात नहीं कर रहा हूँ,मैं आत्महत्या की बात कर रहा हूँ जिसके लिए ये कॉल रिकॉर्डिंग काफी है और हाँ मैं चाहता हूँ कि मेरे मरने के बाद मेरी सारी संपत्ति तृप्ति को ही मिले”

“ऐसा क्यों?”,लडके ने गंभीर आवाज में कहा 

“मेरे ऊपर लाखों का कर्जा है जिसे कानूनन पत्नी होने के नाते तृप्ति को ही चुकाना होगा”,कार्तिक ने मुस्कुराते हुए कहा 

“मैं क्यों चुकाऊँगी?,तेरा बाप चुकाएगा न”,तृप्ति ने तेज़ आवाज में कहा 

“वो क्या हैं न मेरे बाप ने मुझसे सारे रिश्ते-नाते ख़त्म कर लिए है”,कार्तिक की मुस्कान अब धीरे-धीरे हंसी में बदलने लगी,“वो भी कानूनन और वैसे भी मैंने जहाँ-जहाँ से लोन लिए है या कर्जे लिए है उन सभी जगहों पर अपना उत्तराधिकारी तुम्हे दिखाया है”

फ़ोन के दूसरी ओर एकदम ख़ामोशी छा गई जबकि इस ओर कार्तिक अब बुरी तरह हंस रहा था। कुछ देर बाद उसने खुद पर काबू किया और खिलखिलाते हुए बोला,“तो ठीक है अपना फैसला मुझे आज की सुनवाई के बाद बता देना”,और हँसते हुए ही फोन काट दिया।