Tumhare Naam ab Bhi Dhadkta hai - 2 in Hindi Love Stories by Shivangi Vishwakarma books and stories PDF | ।। तुम्हारे नाम अब भी धड़कता है ।। - 2

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।। तुम्हारे नाम अब भी धड़कता है ।। - 2

✨ तुम्हारे नाम अब भी धड़कता है ✨
[भाग - कॉलेज का पहला दिन]

मेहर और रुहानिका कॉलेज पहुंच चुके थे।

सुरेश जी – "ठीक है बेटा, अपना ख्याल रखना।"

रुहानिका – "जी पापा।"

सुरेश जी – "और मेहर, तू भी ख्याल रखना और किसी से लड़ना-झगड़ना नहीं, समझी?"

मेहर बच्चों की तरह मुंह बनाकर –
"मैं कहां लड़ती हूं! ध्यान से देखिए, कितनी मासूम हूं मैं पापा।"

रुहानिका हँसकर – "अच्छा जी, मैं कहां लड़ती हूं? याद दिलाऊं तुझे?"

मेहर मुंह बिचकाकर बोली – "दी..."

सुरेश जी – "अच्छा अच्छा, नहीं लड़ते। बस अब जाओ, वरना लेट हो जाओगी।"

दोनों, रुहानिका और मेहर मुस्कराकर सुरेश जी को गले लगती हैं और "बाय" बोलकर चली जाती हैं।

सुरेश जी मन में – "यह समय भी कितनी जल्दी बीत गया... ऐसा लग रहा है जैसे कल ही दोनों को पहली बार गोद में लिया था और आज ये इतनी जल्दी इतनी बड़ी हो गईं..."

ये सोचते हुए उनकी आंखों में पानी आ गया।


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दूसरी तरफ, रुहानिका और मेहर कॉलेज में इंटर होती हैं।
चारों तरफ काफी भीड़ थी। कुछ बच्चे ग्रुप बनाकर बातें कर रहे थे और कुछ इधर-उधर घूम रहे थे।

रुहानिका मेहर से बोली –
"देख, अपना ख्याल रखना। क्लास खत्म होने के बाद मुझे मैसेज कर देना।"

वो दोनों बातें कर ही रही थीं कि तभी किसी ने पीछे से रुहानिका को आवाज़ लगाई।

वो दोनों पीछे मुड़ीं, तो देखा कि एक हैंडसम सा लड़का चलकर उन्हीं की तरफ आ रहा था।
उसने सिंपल शर्ट और जींस पहनी थी।

रुहानिका बोली – "सूरज, तू?"

मेहर बोली – "हाय सूरज भइया! कैसे हो आप?"

सूरज – "मैं ठीक हूँ। तू कैसी है?"

सूरज, रुहानिका का बचपन का दोस्त था। दोनों साथ में स्कूल गए थे।

सूरज – "चल क्लास में चलते हैं, वरना लेट हो जाएगा।"

रुहानिका और सूरज एक ही कोर्स से थे – साइंस स्ट्रीम से।
और मेहर आर्ट्स से थी।

बचपन से ही रुहानिका का सपना था कि वो एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करे,
और मेहर का सपना था – एक आर्टिस्ट बनना।

मेहर – "ठीक है दी, बाय! बाद में मिलेंगे।"

रुहानिका – "ठीक, बाय। अपना ख्याल रखना।"

रुहानिका और सूरज वहां से चले गए।

मेहर अपनी क्लास में पहुंचती है, वो जाकर अपनी जगह पर बैठ जाती है।
तभी एक लड़की क्लास में इंटर करती है।

मेहर – "हाय रिया।"

रिया – "हे मेहर।"
(रिया भी मेहर की बचपन की दोस्त है)

रिया, मेहर के पास बैठते हुए –
"वैसे, फ्रेशर्स पार्टी में क्या पहनने वाली है?"

मेहर – "साड़ी।"

तभी कुछ लड़कियां बातें करती हुई सामने से गुजरती हैं –

पहली लड़की – "कितना हॉट है यार वो!"

दूसरी लड़की – "हम्म... जब बास्केटबॉल खेलता है तो और डैशिंग लगता है।"

तीसरी लड़की – "काश मेरा भी उसके जैसा कोई बॉयफ्रेंड होता... मेरा मतलब, काश वो मेरा बॉयफ्रेंड होता।"

दूसरी लड़की – "तेरे सपनों में है न? पता है कौन है वो?"

तीसरी लड़की – "मैंने सुना है पैसा और लड़की को तो वो पानी की तरह समझता है।"

यह कहते हुए वो लड़कियां वहां से चली जाती हैं।

मेहर – "है कौन वो? तू जानती है?"

"जब मैं क्लास में आ रही थी, तब भी लोग ग्रुप बनाकर किसी लड़के के बारे में बात कर रहे थे।"

रिया शॉक में – "तू उसके बारे में भी जानती?"

मेहर – "कौन वो? नाम बताएगी उसका?"

रिया – "अरे पागल! मैं व्योम की बात कर रही हूं... व्योम मल्होत्रा!"

मेहर – "वो तुझे जानती भी है?"

रिया बोली – "रियांश मल्होत्रा का भाई है वो! पता है न मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़ के बारे में कितना बड़ा नाम है?"

मेहर – "क्या? मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़?"

रिया – "हम्म।"

मेहर – "मतलब... रियांश मल्होत्रा का भाई हमारे कॉलेज में पढ़ता है?"

रिया – "हम्म। और तुझे पता है? वो थर्ड ईयर में है।"

मेहर – "मैंने सुना है... बहुत बदतमीज़ है?"

रिया – "हां! और रैगिंग करता है।"

मेहर – "क्या...?"

रिया – "पता है? उसकी बदतमीज़ियों के खिलाफ कोई शिकायत भी नहीं करता।"

मेहर – "भलाई इसी में है कि हम उसे दूर रहें।"

रिया – "सही कह रही हैं तू।"

उसी वक्त क्लास में टीचर आ जाते हैं।
मेहर और रिया क्लास करने लगती हैं।


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कैसे मिलेंगे मेहर और व्योम?
और क्या होने वाला है फ्रेशर्स पार्टी में?

जानने के लिए पढ़िए —
✨ तुम्हारे नाम अब भी धड़कता है ✨


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लेखिका — शिवांगी
शुक्रिया पढ़ने के लिए। अगला भाग जल्द आएगा।