"कभी-कभी कोई एक इंसान, तुम्हारे उस खाली हिस्से को भर देता है,
जिसे तुमने कभी किसी को दिखाया तक नहीं था…"
आर्यन अब हर दिन आशी से बात करने का बेसब्री से इंतज़ार करता।
सुबह की पहली सोच…
रात की आखिरी मुस्कान…दोनों उसी के नाम होती।
Instagram पर शुरू हुई बातचीत अब WhatsApp पर लंबी चैट्स में बदल गई थी।
Reels की हँसी अब Real feelings बन रही थी।
उनकी चैट एक-दूसरे की रूटीन बन गई थी।
"Tera message na aaye, to lagta hai din अधूरा है..."आर्यन ने एक दिन लिखा।
आशी ने दिल छू लेने वाला जवाब दिया "तू है न... इसलिए सब पूरा लगता है।"
वो बातें अब शब्दों से आगे जा चुकी थीं।
रातें लंबी हो चली थीं।
आर्यन की आँखें फोन स्क्रीन पर टिकी रहतीं।
"Typing..." दिखते ही उसकी धड़कनें तेज़ हो जातीं।
कभी-कभी वो बस यूँ ही, आशी की DP को देखता रहता…
मानो उसकी आँखों में कोई कविता छुपी हो।
वो बातों में बह जाते थे,
कभी दिल की दरारों तक उतरते,
तो कभी पुराने ज़ख़्मों पर हँसी के मरहम लगाते।
"तेरे बिना सुकून नहीं आता…"
आर्यन ने एक रात कहा।
आशी ने जवाब में बस एक voice note भेजा।
आर्यन ने सुना , उसके गले में थोड़ी कंपकंपी थी, शायद हल्की सर्दी…
लेकिन आवाज़ में एक मासूम सच्चाई थी।
"आर्यन… तू ना बस दिल का बहुत अच्छा है।
और honestly… मुझे डर लगता है तुझसे दूर जाने का।"
वो voice note आर्यन ने बार-बार सुना।
जैसे कोई धड़कन उसे पुकार रही हो।
फिर एक दिन, उनकी बातचीत late night call में बदल गई।
पहली बार आर्यन ने आशी की हँसी फोन पर सुनी थी।
वो हँसी… जैसे किसी वीराने में चिड़िया ने पहली बार गाना गाया हो।
"तू तो बहुत पागल है!" आशी ने कहा।
"और तू... बहुत कीमती!" आर्यन की आवाज़ थोड़ी धीमी थी, पर दिल से थी।
आर्यन कभी-कभी चुपचाप उसकी बातों को सुनता रहता।
उसे अच्छा लगता था कि कोई उसके साथ है।
ना शक करता है, ना ज़रूरतों की लिस्ट देता है।
बस… "है।"
एक रात आशी ने पूछा "तू इतना परवाह क्यों करता है मेरी?"
आर्यन की उंगलियाँ कांपने लगीं…कुछ देर टाइप किया, फिर मिटा दिया…आख़िर में लिखा "क्योंकि तू मेरी आदत बन गई है…
और मैं तुझसे दूर जाने की आदत नहीं डाल सकता।"
उनकी दोस्ती अब उस मोड़ पर थी जहाँ Silence भी Connection बन चुकी थी।
कोई कुछ न कहे, तो भी दिल में हलचल सी होती थी।
"तू खाना खा ले ठीक से…"
"आज रोई क्या?"
"प्लास्टर खुला या अभी भी दर्द है?"
आर्यन के मैसेज आशी के दिन का हिस्सा बन चुके थे।
वो care करता था,
बिना माँगे, बिना जताए।
वो डरता था…
कहीं ऐसा न हो कि जो मुस्कान उसने अपने शब्दों से सींची है,
वो किसी और की आवाज़ में खो जाए।
एक शाम, आशी ने बहुत थक कर लिखा ..."बस अब और हिम्मत नहीं होती मुझसे रिश्तों की… सब छोड़ जाते हैं।"
आर्यन की आँखों में आंसू आ गए।
उसने बहुत धीमे से voice note भेजा...."तू चाहे जितनी भी बार टूटे, मैं हर बार तुझे जोड़ दूँगा…
बस एक बार तू मुझे छोड़ कर मत जाना।"
आशी चुप हो गई।
फिर reply आया..."मैं वादा करती हूँ…
तू अगर मेरी परवाह करेगा, तो मैं तुझे कभी अकेला महसूस नहीं होने दूँगी।"
आर्यन मुस्कुरा गया…
पर दिल में हल्की-सी कसक थी।
क्योंकि वादों से ज़्यादा तोड़ने वाले लोग ही डराते हैं।
रिश्ते जब सच्चे होते हैं,
तो डर हर दिन होता है…
कि कहीं ये भी अधूरा न रह जाए।
अब उनकी दोस्ती को 3 महीने हो चुके थे।
उनके बीच ना कोई confession था,
ना कोई "I love you"।
पर उस silence में जो मोहब्बत थी…
वो शोर से कहीं ज्यादा loud थी।
एक दिन आशी ने Reel डाली —
“Not everyone who cares is controlling…”
आर्यन ने देखा।
शायद वो किसी को जवाब दे रही थी।
या शायद… खुद को।
उसने सिर्फ एक message किया..."अगर तू टूटेगी, मैं बिखर जाऊँगा।"
और उस दिन के बाद पहली बार…आशी ने Seen करके reply नहीं किया।
आर्यन की उंगलियाँ कांप रही थीं, उसका दिल तेज़ धड़क रहा था।
"क्या मैंने कुछ गलत कहा?"
"क्या वो मुझसे ऊब गई?"
"क्या मैं फिर से… अधूरा रह जाऊँगा?"
रिश्ते जब इमोशनल होते हैं,
तो हर खामोशी में भी दर्द की आवाज़ सुनाई देती है।
वो पूरी रात सो नहीं पाया।
फोन की स्क्रीन देखता रहा।
आशी की DP बार-बार खोलता।
Typing… दिखा, मगर फिर गायब।
अगले दिन बस एक message आया..."आज थोड़ा थक गई हूँ… बात में करते हैं।"
और आर्यन का पूरा दिन जैसे रुक गया।
यहीं खत्म होता है…एक अधूरी सी बात पर, एक अधूरे से जवाब पर।
दिल कह रहा है.."तू है… पर कहीं खो रही है…"