Saiyara – When memories turn into love in Hindi Love Stories by Priyanka Singh books and stories PDF | सैयारा – जब यादें ही मोहब्बत बन जाएं

Featured Books
Categories
Share

सैयारा – जब यादें ही मोहब्बत बन जाएं


यह कहानी है कृष और वाणी की — एक गायक और एक गीतकार की। दो टूटे दिलों का मिलन, मोहब्बत की पीड़ा और स्मृतियों में अमर हो जाने वाले प्रेम की दास्तां। सैयारा एक भावनात्मक प्रेमकथा है, जो बताएगी कि सच्चा प्रेम कभी ख़त्म नहीं होता।


भूमिका


"कभी मोहब्बत मिलती है, कभी यादें… और कभी मोहब्बत बस यादों में बदल जाती है। यह कहानी है कृष और वाणी की — जिनका प्रेम गीतों में जन्मा, पीड़ा में परिपक्व हुआ और यादों में अमर हो गया।"


---

कृष की दुनिया – सपनों का गायक

कृष कपूर एक साधारण लेकिन जज़्बातों से भरा युवक था। दिल्ली की तंग गलियों से निकलकर उसने मुंबई की चमक-दमक में अपने लिए जगह बनाई थी। उसका सपना था कि वह अपनी आवाज़ से दुनिया को मोह ले।

बचपन से ही संगीत उसकी रूह में बसा था। पिता की असमय मृत्यु और माँ की संघर्षपूर्ण ज़िंदगी ने कृष को सिखा दिया था कि सपने आसानी से पूरे नहीं होते। वह दिन-रात मेहनत करता, छोटे-मोटे स्टेज शो करता और कभी रिकॉर्डिंग स्टूडियो के बाहर बैठकर मौके का इंतज़ार करता।

लेकिन सफलता की इस दौड़ में उसका दिल कहीं अकेला पड़ गया था।


---

वाणी – शब्दों में जीती लड़की

दूसरी ओर थी वाणी बत्रा — एक शांत, अंतर्मुखी लड़की जो शब्दों में जीती थी। वाणी की आँखों में दर्द की एक परत थी। उसका अतीत एक गहरी चोट छोड़ गया था — विवाह से पहले ही उसके मंगेतर ने उसे धोखा दिया और उसके बाद से उसने लोगों पर भरोसा करना छोड़ दिया।

वाणी अपनी कविताओं और गीतों में ही जीती थी। उसकी डायरी उसकी सबसे करीबी साथी थी — वही डायरी जो एक दिन उसकी ज़िंदगी बदलने वाली थी।


---

पहली मुलाक़ात – गीतों का संगम

एक बारिश भरे दिन, जब सड़कें भीगी हुई थीं, वाणी की डायरी उसके हाथ से गिरकर बहाव में चली गई। उसी समय वहां से गुजर रहा कृष उसे देखता है, दौड़कर डायरी उठाता है और वाणी को लौटाता है।

डायरी पलटते ही कृष की नज़र एक गीत पर पड़ती है। शब्द कुछ यूँ थे:

"दिल के टुकड़े जोड़ भी लूँ,
सांसों में तेरा नाम भी लूँ,
पर ये दर्द क्यों न मिटा…"

कृष उन शब्दों में छिपे दर्द से अचंभित रह जाता है। वह वाणी की ओर देखता है — आँखों में सवाल, होठों पर हल्की मुस्कान।

वाणी पहले तो संकोच करती है, पर कृष के आग्रह पर धीरे-धीरे बात करने लगती है। कृष उसे अपने संगीत की दुनिया के बारे में बताता है और उसके शब्दों को अपनी धुन देने का प्रस्ताव रखता है।


---

धीरे-धीरे खिलता प्रेम

समय के साथ दोनों साथ काम करने लगते हैं। वाणी के लिखे गीत और कृष की आवाज़ का संगम जादू बिखेरने लगता है। हर मुलाकात में दोनों के बीच की दूरी घटती जाती है।

कृष की मस्तीभरी बातें और उसकी सच्ची लगन वाणी के मन की दीवारें तोड़ने लगती हैं। वहीं वाणी की मासूमियत और उसके शब्दों की गहराई कृष को भीतर तक छू जाती है।

पहली बार वाणी को लगता है कि शायद वह फिर से प्रेम पर भरोसा कर सकती है।


---

बीमारी की आहट

जब सब कुछ ठीक चल रहा था, तभी किस्मत ने एक नया खेल खेला। वाणी को अचानक चक्कर आने लगे, चीजें भूलने लगी। डॉक्टरों ने जाँच की और पता चला — उसे प्रारंभिक अवस्था का स्मृतिभ्रंश (अर्ली ऑनसेट अल्ज़ाइमर) है।

यह सुनते ही वाणी की दुनिया बिखर गई। वह कृष को बताना चाहती थी, पर डरती थी कि कहीं कृष उस पर बोझ न समझे। उसने यह राज़ छुपा लिया।


---

जुदाई – दर्द का मोड़

बीमारी बढ़ने लगी। वाणी कई बार बातें भूल जाती, गीत के शब्द गड़बड़ा जाती। एक दिन उसने गलती से कृष को उसके नाम की जगह अपने पुराने मंगेतर का नाम कह दिया। कृष का दिल टूट गया।

कृष समझ नहीं पाया कि वाणी क्यों बदल रही है। वह उसे रोकने की कोशिश करता, पर वाणी चुपचाप उसकी ज़िंदगी से चली जाती है।

वह पीछे छोड़ जाती है एक गीत — “सैयारा”।

"सैयारा… सैयारा…
तेरी यादें हैं उजाला…
तेरे बिन अब क्या जीना…"

कृष उस गीत को गाता है, रिकॉर्ड करता है और वह गीत रातों-रात मशहूर हो जाता है। पर कृष के लिए यह सिर्फ एक गीत नहीं, उसकी मोहब्बत की पुकार थी।


---

खोज – वाणी की तलाश

महीनों बाद कृष को पता चलता है कि वाणी हिमालय की वादियों में एक आश्रम में रह रही है। वह वहाँ पहुँचता है। वाणी शांत, स्थिर और अनजान सी लगती है। उसकी आँखों में अब भी वही गहराई थी, पर स्मृतियाँ धुँधली हो चुकी थीं।

कृष उसके पास बैठता है, वही गीत गाता है जो उन्होंने साथ मिलकर लिखा था। वाणी चुपचाप सुनती है। उसके चेहरे पर भावनाएँ उभरती हैं, पर शब्द नहीं निकलते।


---

यादों की वापसी

दिन बीतते हैं। कृष रोज़ वाणी से मिलता, उसे पुराने गीत सुनाता, उनकी पुरानी यादें दोहराता। धीरे-धीरे वाणी के मन में कुछ पल लौटने लगते हैं — पहली मुलाकात, बारिश में भीगना, गीत लिखना…

एक दिन वाणी अचानक कृष की ओर देखती है और धीमे स्वर में कहती है —
"कृष… क्या यह सचमुच तुम हो?"

कृष की आँखें भर आती हैं। वह उसका हाथ पकड़कर कहता है,
"हाँ वाणी… और हमेशा रहूँगा।"


---

अधूरी लेकिन अमर मोहब्बत

वाणी की यादें पूरी तरह कभी नहीं लौट पातीं। कई बार वह सब कुछ भूल जाती, पर दिल में कृष के लिए प्रेम बना रहता।

कृष और वाणी विवाह कर लेते हैं। वे जानते थे कि ज़िंदगी आसान नहीं होगी, पर उन्होंने साथ रहने का वचन दिया।

कहानी का अंत इस संवाद से होता है –
"कुछ प्रेम ऐसे होते हैं, जो अधूरे रहकर भी पूरे लगते हैं… क्योंकि वे यादों में हमेशा जीवित रहते हैं।"

गीत “सैयारा” उनके प्रेम का प्रतीक बन जाता है — अमर और अनन्त

#सैयारा #प्रेमकथा #भावनात्मककहानी #हिंदीकहानी #प्रियंकासिंह #मोहब्बत