The Light of Planet Auron in Hindi Fiction Stories by het kathi books and stories PDF | The Light of Planet Auron

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The Light of Planet Auron

पृथ्वी से हजारों प्रकाशवर्ष दूर, एक रहस्यमयी ग्रह, जिसे पृथ्विवासी Kepler- 452b के नाम से जानते हैं। इसका आकार, मौसम और वातावरण सब कुछ पृथ्वी से बेहद मिलता- जुलता है। विज्ञानियों ने दशकों तक रेडियो संकेतों, तापमान, और गुरुत्व मापकर यह साबित किया कि ये ग्रह जीवन के लिए उपयुक्त हो सकता है। लेकिन अब तक, कोई भी ये पता नहीं कर सका कि वहाँ सच में कोई जीवन है भी. या नहीं।Kepler- 452b”मगर ये नाम तो सिर्फ पृथ्वी का दिया हुआ है।
इस ग्रह के निवासी इसे कहते है” आरौन"
ऑरोन – प्रकाश और अंधकार का छुपा हुआ संतुलन।
ऑरोन ग्रह के पास अपने तीन चांद थे। दो जो अंधकार मय थे और एक अपनी चमक खोता जा रहा था।
ऑरोन जहाँ हर जीव की आत्मा में कोई न कोई' चिह्न' जन्म से जुडा होता है।
जहाँ जादू हवा में तैरता है। पर देखने के लिए आँखें' जागृत' होनी चाहिए।


भाग एक: जन्म का चिह्न)
ऑरोन पर जन्म एक साधारण घटना नहीं होती
हर नवजात के गले के ठीक पास, त्वचा के नीचे एक धुंधली सी आकृति बनती है। जैसे किसी अदृश्य लौ ने उसे हल्का सा छू लिया हो। ध्यान से देखो, तो वो आकृति एक छोटे, सुलगते हुए ड्रेगन जैसी लगती है। ये सिर्फ एक निशान नहीं. ये एक कनेक्शन है।
इस ग्रह पर आठ प्राचीन ड्रेगन है जो अलग अलग शक्तियों का नैतृत्व करते है।
हर ड्रेगन, किसी एक मूल शक्ति से जुडा होता है — जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी, बर्फ, बिजली, या वो शक्तियाँ जिनका जिक्र सिर्फ प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।
’प्रकाश और अंधकार. ’
ये नाम सिर्फ पुरानी पांडुलिपियों, गुफाओं की दीवारों और दादी की कहानियों में ही सुनने को मिलते थे। कहा जाता था कि प्रकाश, सभी मूल शक्तियों की जननी है और अंधकार, उनका दर्पण. या शायद उनकी परीक्षा। लेकिन अब तक किसी ने भी इन दोनों को न अपनी आँखों से देखा, न अनुभव किया। इंसानों के लिए ये बस कल्पनाओं के जीव थे — मिथक, जो डराने या प्रेरित करने के लिए रचे गए थे।
मगर उस वर्ष. पुराने कथानक.
अब वास्तविकता की दस्तक देने लगे।
Auron ग्रह पर" सुवर्णकुल" एक ऐसा नाम था जो सम्मान, बल, और पुरातन ज्ञान का प्रतीक माना जाता था। इस वंश के लोग प्राचीन ड्रैगनों से जुडी सबसे दुर्लभ मूल शक्तियों के संरक्षक माने जाते थे।
और रवियन.
वो इसी वंश का उत्तराधिकारी था। उसका जन्म एक उत्सव की तरह मनाया गया था। लोगों को विश्वास था कि वह अपने पिता, लॉर्ड दयन" जैसा ही एक महान योद्धा बनेगा।
एक ऐसा नेता, जिसने आग की शक्ति को नियंत्रित कर पूरे उत्तरी ऑरौन को एकत्र किया था।

लेकिन.
रवियन तो कुछ अलग ही था।

छह वर्ष की उम्र में जब हर बच्चे की शक्ति जागती है, उस प्रक्रिया को शक्ति जागरण कहा जाता है। उस दिन जाने आसमान भी अपनी सांसे रोक के बैठा हो। जो बच्चे छह साल के हो चुके होते उन्हें एक जगह पर ले जाया जाता था।
थोडी दूर एक बडे से महल में–
छह साल का रवियन बहुत ज्यादा खुश दिख रहा था। वो उछल कूद कर अपनी माता सान्वी को जल्दी करने आदेश दे रहा था। मां जल्दी करिए आज मेरा शक्ति जागरण दिन है मुने हर हाल में देरी से नहीं पहुंचना है।
उसकी मां कहती है है बेटा बस आ रही हु आप तैयार हुए या नहीं?
हां मां में तो कब का तैयार हो गया हूं अब चलिए भी।
मां कहती है हां हां चलो अब उछलना बंद करो।
दोनों मां बेटा अपनी बग्गी में सवार होकर जागरण स्थल पर पहुंचे। नीचे उतर के देखा तो बच्चों का जमावडा लगा हुआ था। सभी बच्चे अपनी शक्तियों को जागृत करने के लिए बहुत उत्साहित दिख रहे थे।



भाग दो: शक्ति जागरण)
जागरण स्थल)
जागरण स्थल में एक कक्ष है जिसे" जागरण कक्ष" कहा जाता है — एक पवित्र स्थान, जहाँ समय कुछ देर के लिए थम जाता है। उस कमरे की हवा अलग होती है. वहाँ ध्वनि की बजाय ऊर्जा बोलती है।
बच्चे के गले का निशान उस क्षण धधक उठता है — जैसे किसी अनदेखी लौ ने उसे फिर से छुआ हो और फिर. या तो एक मूल शक्ति जागती है।
या. कुछ ऐसा, जो सदियों से सोया था।
कुछ बच्चों के चारों ओर जल की बूँदें तैरने लगती हैं.
कुछ के इर्द- गिर्द हवा सघन हो जाती है.
और कुछ बेहद दुर्लभ ऐसे भी होते हैं, जिनके चारों ओर कईं आग की लपटे फैल जाती है।
उन्हें कहते हैं. अवेकनिंग"

उनकी आत्मा में सिर्फ शक्ति नहीं, एक प्राचीन ड्रेगन की चेतना भी होती है। एक जीवित कनेक्शन जिसके जरिए वे उस शक्ति को पुकार सकते हैं, उसे नियंत्रित कर सकते हैं।
एक एक कर हर बच्चा अपनी शक्ति जागृत कर बाहर निकल रहा था। किसी को जल मूल शक्ति मिलती तो किसीको वायु मूल शक्ति ये सिलसिला थोडी देर चला ही था कि एक लडका जो रवियन की ही उम्र का था वहां खिलखिलाते हुआ आया और रवियन को गले लगाके बोला भाई मुझे भी चाचा की तरह आग मूल शक्ति जागृत की है।
यह सुन कर रवियन बहुत खुश हुआ और उसने उस बच्चे से कहा जो उसके बडे ताऊजी का लडका था। सार्थिक ये तो बहुत अच्छी बात है देखना में भी पापा की तरहा ही आग शक्ति जगाऊंगा।
जागरण कक्ष के बुजुर्ग घुसान की आवाज सुनाई दी ’ रवियन’ ये नाम सुन कर रवियन दौडता हुआ बुजुर्ग घुसान के पास गया। बुजुर्ग ने भी हल्की मुस्कान के साथ कहा चलो तुम्हारी बारी है और उसे जागरण कक्ष में ले गए। वहां जाते ही रवियन ने देखा कि ये एक नीले रंग का कमरा जो बिल्कुल आकाश की तरह दिख रहा था बहुत रहस्यमई था। कमरे में एक शरीर को गर्म करदेने वाली ऊर्जा एक ही गति में घूम रही थी। नीचे फर्श में एक आठ भाग वाली आकृति बनाई हुई थी जिसमें आठ अलग अलग ड्रेगन उभरे हुए थे।
तभी बुजुर्ग घुसान ने रवियन से कहा इस उभरे हुए ड्रेगन के बीच में जो गोला है वहां खडे हो जाओ। रवियन ने एक बार बुजुर्ग के सामने देखा और एक बार उस आकृति की ओर उसके ऊपर खडा हो गया।
वह खडे होने के बाद उसने अपनी आँखें बंद की ओर अपने गले के निशान पर अपनी अंदरूनी शक्ति लेजाने लगा। तभी एक तेज रोशनी बाहर आई चौंधियाने वाली रोशनी पूरे कक्ष में फैल गई। वो इतनी शक्तिशाली थी कि बुजुर्ग घुसान को भी अपनी आँखें बंद करनी पडी। ओर उनका मुंह खुला का खुला रह गया।
क्या सुनहरी रोशनी?



भाग तीन: चुनाव या असफलता)

उन्होंने असमंजस में कहा आखिर ये कौनसी मूलशक्ति है। रवियन भी थोडी देर तक जमा का जमा रह गया उसने सोचा, अगर मैने आग की शक्ति जागृत की होती तो आग की लपटे निकलती, जलमुल शक्ति में पानी और वायु में तूफानी हवा, बिजलीमुल शक्ति में कडाके की बिजली चमकती और भूमि में धरती कांपने लगती पर ये रोशनी का निकलना आखिर Kiss मूलशक्ति का प्रतीक है।
बुजुर्ग घुसान ने सोचा कि शायद रवियन की शकरी इतनी कमजोर थी कि वह आग की लपटे तैयार करने में असफल हुई या फिर उसने कोई शक्ति ही जागृत नहीं की थी। क्योंकि हिसाब से किसीभी मूलशक्ति की ताकत इसी नहीं होती थी। उन्होंने थोडा सोच कर रवियन को हल्की मायूसी के साथ जवाब दिया, मांफकरना रवियन पर मेरे हिसाब से तुमने कोई भी शक्ति जागृत नहीं की है। तुम शक्तियों को जागृत करने में असफल रहे।
ये सुन कर छोटे से रवियन की आंखों में आसू झलक उठे उसने बुजुर्ग घुसान से कहा क्या में ओर एक बार परीक्षण कर सकता हु?
उसकी प्यारी सी आंखों में आसू और लटकी शक्ल देख कर बुजुर्ग घुसान ने उसे अपने हाथों में थामा और बाहर ले जाने लगे, वोह जानते थे कि रवियन सुवर्णकुल के लीडर दयन का सबसे छोटा बेटा था। उसके ओर लीडर दयन के बीच अच्छा रिश्ता था इस लिए वोह रवियन को उसकी मां सान्वी के पास ले कर आए। उसे रोता देख सान्वी ने बुजुर्ग घुसान से कहा: क्या हुआ बुजुर्ग घुसान ये रो क्यों रहा है?
बुजुर्ग घुसान ने नजरे झुका कर कहा: असल में रवियन शक्तियां जगाने में असमर्थ रहा।
यह सुन कर सान्वी का गला सूखने लगा और उसने बुजुर्ग घुसान से कहा? क्या इसने कोई शक्ति नहीं जगाई?
बुजुर्ग घुसान ने कहा गर्म रोशनी के अलावा इसने कोई भी शक्ति संकेत नहीं दिया शायद इसकी आगमुल शक्ति अभी बहुत कमजोर है या ये भी हो सकता है कि वो उसे जगा ही नहीं पाया हो। माफ करिएगा। ये कहकर वो उनके पास से चले गए।
वह खडे सारे लोग यह बात सुनकर हल्की फुसफुसाहट करने लगे।
ये देख रवियन का मुंह उतर गया।
उसके पापा को जब ये बात पता चली तो उनका रवैया राबिया के प्रति बदलने लगा।
रवियन एक बातों का पत्र बन गया।

तभी से तकरीबन छह साल बाद।
अभी भी लोगों के बर्ताव में कोई कमी नहीं आई थी। लोग अभी भी कहते थे कि दयन का बेटा है पर मजाल है कि उसकी एक भी खूबी इसके अंदर आई हो। कहा वो पूरे उत्तरी तट को काबू में कर सके ऐसा योद्धा ओर कहा उनका ये नकारा बेटा। अब रवियन को इन बातों की आदत हो चुकी थी। वोह सीधे जंगल की तरफ चलने लगा।
रवियन बारह साल का था, मगर उसकी आंखों में उम्र से कहीं ज्यादा थकान थी।
पिता की कठोर चुप्पी, माँ की बुझी हुई मुस्कान, और गाँव की फुसफुसाहटें सबने उसके भीतर ऐसा सन्नाटा भर दिया था, जहाँ आवाजें तो थीं. पर कोई उत्तर नहीं।
वो स्कूल नहीं जाता था। ना मंत्र जानता था, ना ऊर्जा की कोई हलचल उसके भीतर जागती थी।
बस एक सवाल हर दिन उसकी आत्मा में चुपचाप जलता रहता:
मैं ऐसा क्यों हूँ?



 
भाग चार: मौन का उत्तर)

उस दिन भी वो अपनी माँ के पुराने संदूक में कुछ ढूंढ रहा था। शायद कोई भूली- बिसरी चीज, या फिर. कोई पहचान।
उंगलियाँ एक भारी, ठंडी चीज से टकराईं। कांसे का बना एक पुराना पेंडेंट। गोल, मगर बीच में एक टूटा हुआ चिह्न — जैसे कोई अधूरी मुद्रा।
माँ, ये क्या है?
माँ कुछ देर तक चुप रहीं, आँखें किसी पुराने दुख में डूबी रहीं, फिर बोलीं: ये तुम्हारे दादा को आखिरी युद्ध के बाद मिला था। उन्होंने कहा था— ‘एक दिन, ये किसी को बुलाएगा। ’" रवियन ने उसे अपनी मुट्ठी में कस लिया। उसे महसूस हुआ. ये वस्तु उसे पहले से जानती है।
उस रात, चुपचाप वो जंगल की ओर निकल पडा। कोई आवाज नहीं. बस पत्तों की सरसराहट और उसकी धडकनों की अनकही थकान।
वो सूखे तालाब के पास बैठ गया। जहाँ न पानी था, न लोग. सिर्फ सन्नाटा।

पेंडेंट उसकी हथेली में हल्का गरम हो रहा था।
जैसे किसी ने स्नेह से उसका हाथ थामा हो।
और तभी उसने कुछ सुना. गहरे सन्नाटे के बीच एक आवाज सुनी.

रवियन.

वो आवाज हवा में नहीं गूंजी। वो उसके भीतर गूंजी. हृदय के किसी गहरे कोने में।
क- कौन हो तुम?
अचानक पेंडेंट से एक धीमी रोशनी निकली, और वो रोशनी जैसे उसे अपने भीतर खींचने लगी। अगले ही क्षण. रवियन एक खाली नीले आकाश में खडा था। ना धरती, ना आकाश, ना समय. बस एक ध्यानस्थ आकृति। सफेद वस्त्र, माथे अनुभव की रेखाएं, और एक शांत, तेजस्वी आभा।
आकृति ने आँखें खोलीं। वो आँखें. जैसे समय के पार देखती थीं।

मैं हूँ. वेदांत
में तेरे लिए कई सदियों से रुका था। तेरी खोज में. या कहे तेरे अस्तित्व की खोज में मैने सालों इंतेजार किया। में तेरा कोई नहीं. में तेरी आत्मा का उत्तर हूँ।
पर. मुझमें कुछ नहीं है। मैं तो बस. एक नाकारा बच्चा हूँ।
वेदांत उठे। उनकी आँखों में वो प्रेम था जो एक पिता से बढकर, एक आत्मा का आलिंगन करता है।
उन्हें ने आंखों में असीम प्यार छलकाते हुए कहा: तेरा दोष नहीं कि तू अलग है, रवियन। दोष उन आँखों का है, जो तुझमें प्रकाश न देख सकीं। पर अब. मुझे वो नाद सुनाई दे रहा है, जो तेरे भीतर वर्षों से मौन पडा है।
क्या तू मुझे अपने गुरु के रूप में स्वीकारता है?

मैं डरता हूँ. सब कहते हैं मैं कुछ नहीं कर सकता.

वेदांत धीरे से मुस्कुराए।
डर, रवियन. वही बीज है, जिसमें भविष्य अंकुरित होता है।
जिनमें शून्यता होती है,
वही सबसे पूर्ण बनते हैं।

रवियन की आँखें भीग गईं।
क्या आप सचमे. मेरे गुरु बनना चाहते हो?

वेदांत ने कुछ क्षण आंखें बंद कीं।
फिर बोले—

मैं तुझे सिखाने तो नहीं आया।
मैं तुझे याद दिलाने आया हूँ।
वो सब कुछ. जो तू पहले से है।
तू मेरा शिष्य नहीं. तू मेरी पूर्णता है।
मैं मरा नहीं था, रवियन.
मैं ठहरा था. तेरे लिए।

रवियन की सांस काँपने लगी।
तुम. रुके क्यों?

वेदांत की आवाज भारी हो गई —
वर्षों की प्रतीक्षा, अधूरा वचन, और मौन प्रेम उसमें घुला था।
क्योंकि मैं अधूरा चला गया था।
मेरा ज्ञान. अधूरा था।
मेरा उत्तर. अधूरा।
और मुझे पूर्णता चाहिए थी।
जो अब. तुझमें मुझे दिख रही है।
तूम मुझे आचार्य वेदांत कह सकते हो आज से में तुम्हारा गुरु हु। ये बोलते हो सन्नाटा ओर ज्यादा बढ गया और उन्होंने अपनी हथेली खोली। उसमें कोई मंत्र नहीं था. सिर्फ मौन।
तेरा पहला पाठ है — मौन।
जहाँ शब्द रुकते हैं, वहाँ शक्ति जन्म लेती है।
हर बार जब तू ये पेंडेंट थामेगा —
मैं तुझमें बोलूंगा।
तेरे डर को सुनूंगा।
तेरे मौन में उत्तर दूँगा।

रवियन अब रो पडा।
इतने वर्षों में किसी ने उसे इतना गहराई से नहीं देखा था।
क्या मैं. सच में बन पाऊँगा वो, जो मैं होना चाहता हूँ?
आचार्य वेदांत ने आँखें बंद कीं — और हल्के से मुस्कुराए।

नहीं.
तू बनेगा नहीं।
तू याद करेगा।
वो सब, जो तू पहले से है।
और अब.
तेरी यात्रा शुरू हो चुकी है।