A journey To Jungle in Hindi Short Stories by Dr. Gyanendra Singh books and stories PDF | जंगल में एक अविस्मरणीय यात्रा

Featured Books
Categories
Share

जंगल में एक अविस्मरणीय यात्रा



मेरा नाम Dr. Gyanandra Singh है, और यह मेरे जीवन की असली कहानी है — एक ऐसा अनुभव जिसने मेरी सोच, मेरा नज़रिया, और मेरा पूरा अस्तित्व बदल दिया। यह घटना उस दिन की है जब मैं एक गहरे जंगल की ओर निकल पड़ा — अकेले। बाहर से देखने पर यह बस एक प्राकृतिक सैर लग सकती थी, लेकिन भीतर से यह एक आत्मिक खोज थी।



जंगल में एक अविस्मरणीय यात्रा

Dr Gyanandra Pratap Singh ,  HR, psychology, Content Writer 


पिछले साल की गर्मियों की बात है। मैं अपने दोस्तों के साथ हिमाचल के एक घने जंगल में ट्रेकिंग के लिए गया था। हमारा प्लान था कि हम दो दिन में एक पहाड़ी चोटी तक ट्रेक करेंगे और वहाँ से प्रकृति का आनंद लेंगे। शुरुआत में सब कुछ ठीक था। हरे-भरे पेड़, चहचहाते पक्षी, और ठंडी हवा हमें उत्साहित कर रही थी। हमने अपने टेंट लगाए, खाना बनाया, और रात को आग जलाकर गाने गाए। लेकिन अगले दिन, सब कुछ बदल गया।

सुबह जब हम ट्रेक शुरू करने वाले थे, तो मैंने अपने दोस्तों से कहा कि मैं पास के झरने तक अकेले जाऊँगा, कुछ तस्वीरें लूँगा, और जल्दी लौट आऊँगा। मुझे लगा कि यह एक छोटा-सा साहसिक कदम होगा। मेरे दोस्तों ने मना किया, लेकिन मैं अपनी जिद पर अड़ा रहा। मैंने अपना बैग लिया, जिसमें पानी की बोतल, एक टॉर्च, और कुछ बिस्किट थे, और जंगल की ओर चल पड़ा


चुनौती का सामना

जंगल की राहें शुरू में आसान लगीं, लेकिन जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ा, पगडंडियाँ गायब होने लगीं। घने पेड़ों और झाड़ियों ने रास्ता ढक लिया था। मैंने सोचा कि मैं झरने की आवाज़ का पीछा करूँगा, लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि मैं भटक गया हूँ। सूरज ढल रहा था, और जंगल में अंधेरा छाने लगा। मेरा फोन सिग्नल खो चुका था, और मेरे पास कोई नक्शा नहीं था। डर मेरे दिल में समाने लगा।

तभी, मैंने दूर से एक भालू की गुर्राहट सुनी। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। मैंने टॉर्च निकाली, लेकिन उसकी बैटरी कम थी। मैंने खुद को शांत करने की कोशिश की और एक बड़े पेड़ के पीछे छिप गया। भालू कुछ देर तक इधर-उधर भटका और फिर चला गया, लेकिन मेरा डर कम नहीं हुआ। रात हो चुकी थी, और ठंड बढ़ रही थी। मेरे पास न तो गर्म कपड़े थे, न ही पर्याप्त खाना।


चुनौती पर विजय

उस रात मैंने हार नहीं मानी। मैंने सोचा कि अगर मैं रुका रहा, तो शायद सुबह तक जीवित न रहूँ। मैंने अपने बैग से बिस्किट निकाले और थोड़ा खाकर ऊर्जा जुटाई। फिर, मैंने टॉर्च की मद्धम रोशनी में आसपास के निशान देखने शुरू किए। मुझे एक पेड़ पर कुछ टूटी टहनियाँ दिखीं, जो शायद मेरे दोस्तों ने रास्ता बनाने के लिए तोड़ी थीं। मैंने उस दिशा में चलना शुरू किया।

कई घंटों की मेहनत के बाद, मैंने दूर से अपने कैंप की आग की रोशनी देखी। मेरे दोस्त मुझे ढूँढने के लिए निकल चुके थे और मेरी आवाज़ सुनकर मेरी ओर दौड़े। जब मैं कैंप में पहुँचा, तो मेरे दोस्तों ने मुझे गले लगाया और राहत की साँस ली। मैं थक चुका था, लेकिन जीवित था।


जीवन का सबक

उस रात जंगल में मैंने बहुत कुछ सीखा। पहला सबक यह था कि अकेले साहसिक कदम उठाने से पहले पूरी तैयारी और सावधानी ज़रूरी है। मैंने अपनी जिद के कारण न केवल खुद को, बल्कि अपने दोस्तों को भी खतरे में डाल दिया था। दूसरा सबक था धैर्य और हिम्मत का महत्व। जब मैं भटक गया था, तो डर मुझे हावी कर सकता था, लेकिन मैंने शांत मन से रास्ता ढूँढा और हार नहीं मानी। तीसरा और सबसे बड़ा सबक था टीमवर्क और दूसरों की सलाह की कीमत। अगर मैंने अपने दोस्तों की बात मानी होती, तो शायद यह खतरा मोल ही न लेना पड़ता।

उस दिन के बाद, मैंने जीवन में हर कदम सोच-समझकर उठाना शुरू किया। जंगल की वह यात्रा मेरे लिए सिर्फ एक ट्रेक नहीं थी, बल्कि एक ऐसा अनुभव था जिसने मुझे सिखाया कि चुनौतियाँ कितनी भी बड़ी हों, अगर हम हिम्मत, धैर्य, और दूसरों का सहयोग लें, तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।

अंत में, मैं आज भी उस जंगल की यादों को अपने दिल में संजोए रखता हूँ, क्योंकि उसने मुझे न सिर्फ जीवित रहना सिखाया, बल्कि एक बेहतर इंसान बनना भी सिखाया।