बेबीसिटर
गोवा की स्वतंत्रता के बाद ऐनी सिल्वा पंजिम ( पणजी ) में ही रह गयी थी हालांकि उसके माता पिता वापस पुर्तगाल चले गए थे . ऐनी अपने माता पिता की एकमात्र संतान थी . उसके पिता का बिजनेस था , उसके दो होटल थे . एक होटल बड़ा था जो अच्छा चल रहा था . दूसरा होटल छोटा था जिस से ज्यादा लाभ तो नहीं होता था पर वह घाटे में भी नहीं था . पूरा परिवार एक बड़े बंगले में रहता था . अब ऐनी ही सभी संपत्ति की उत्तराधिकारिणी थी . उसने एक स्थानीय भारतीय युवक देव से शादी कर ली थी . शादी के बाद ऐनी ने हिन्दू धर्म अपना लिया था .
गोवा की आज़ादी के पहले से ही स्थानीय दबंगों ने उसके बड़े होटल को हड़पने के लिए उसके परिवार पर दबाव बनाये रखे थे . आज़ादी के एक साल के अंदर ही ऐनी को उस होटल को औने पौने दाम में बेचना पड़ा था . दूसरे होटल से कुछ ख़ास कमाई नहीं थी . वह अपने स्टाफ की छंटनी नहीं करना चाहती थी . लगभग दो साल तक ऐनी ने उन्हें रहने दिया हालांकि इसके लिए उसको निजी जमा पूँजी से वेतन देना पड़ता था . इसके बाद उसे न चाहते हुए भी आधे स्टाफ को मुआवजा दे कर निकालना पड़ा .
ऐनी को एक बेटी थी रीता , उसकी उम्र तीन साल से कुछ ज्यादा थी . एक बार देव को बिजनेस के सिलसिले में बॉम्बे ( अब मुंबई ) जाना पड़ा था . दुर्भाग्यवश एक रोड एक्सीडेंट में बॉम्बे में देव का निधन हो गया . ऐनी पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा . बहरहाल नियति के सामने वह असहाय थी . धीरे धीरे उसकी लाइफ पटरी पर आने लगी थी .
परन्तु कहा गया है न विपत्ति अकेला नहीं आती है . तब रीता लगभग चार साल की थी . जब ऐनी अपने काम पर जाती थी उसने बेटी के लिए एक बेबीसिटर रखा था . वह करीब 17 - 18 साल का एक लड़का था - सचिन . सचिन प्रतिदिन दिन में 8 से 12 बजे तक चार घंटों के लिए रीता की देखभाल करता था .
कुछ दिनों के बाद एक बार ऐनी को होटल की इन्वेंट्री के लिए साउथ गोवा जाना था . उसने सचिन से कहा “ क्या आज तुम एक दो घंटे ज्यादा रुक सकते हो ? शायद मुझे आने में कुछ देर हो जाए . वैसे मैं जल्द से जल्द आने का प्रयास करूंगी . “
“ नो प्रॉब्लम , आप जा सकती हैं . “
उस दिन सचिन रीता को खिला पिला कर तैयार कर उसके सामने ढेर सारे खिलौने रख दिए , उसके खेलने के लिए . इत्तफाक से उस दिन बॉम्बे में इंडिया और इंग्लैंड का टेस्ट मैच चल रहा था . उन वह ड्राइंग रूम में रेडियो पर कमेंट्री सुनने में व्यस्त था और उसका ध्यान रीता पर नहीं रहा . ऐनी के बैकयार्ड में एक छोटा सा स्विमिंग पूल था . रीता ने खिड़की के शीशे से देखा कुछ पक्षी उस पूल में स्नान या क्रीड़ा कर रहे थे . उसने धीरे से एक स्टूल खिसका कर बैकयार्ड का दरवाजा खोला . वह पूल के बिलकुल बैठ कर अपने हाथ फैला कर चिड़ियां को पकड़ना चाहती थी . चिड़ियां उसकी पहुँच से बाहर थी , वह कुछ और आगे हाथ बढ़ाने का प्रयास कर रही थी . इस दौरान उसका संतुलन बिगड़ गया और वह पूल में जा गिरी . ऐनी के एक पड़ोसी की नजर रीता पर पड़ी . वह बीच का बाउंड्री वाल फांद कर दौड़ कर आया . जब तक वह पूल में कूदा रीता डूब कर पूल ही तल पर पड़ी थी . उसने पूल से रीता को निकाला . तब तक सचिन भी दौड़ कर वहां पहुंचा . रीता की सांसे नहीं चल रही थीं . पड़ोसी ने तुरंत CPR दिया तब उसकी सांस चलने लगी . फिर भी रीता लगभग निर्जीव पड़ी थी , उसके शरीर में कोई हरकत नहीं थी . दोनों मिलकर उसे अस्पताल ले गए . उन दिनों मोबाइल फोन नहीं थे . ऐनी भी जहाँ गयी थी वहां का पता या फोन नंबर नहीं दे गयी थी. आमतौर पर ऐनी जिन दो तीन जगहों से इन्वेंट्री लेती थी सचिन ने उन जगहों पर फोन कर ऐनी का पता लगाया और ऐनी को इस दुर्घटना की खबर दी .
इधर अस्पताल में डॉक्टर ने रीता की जांच कर उपचार शुरू किया . उसने सचिन और ऐनी के पड़ोसी से कहा “ बेबी अभी कोमा में है . लगता है वह पांच मिनट से ज्यादा पूल में डूबी पड़ी थी . हम उसका बेस्ट इलाज कर रहे हैं पर अभी तत्काल निश्चित तौर पर कुछ कह नहीं सकते हैं . “
तब तक ऐनी भी लौट आयी थी उसने भी डॉक्टर से बेटी के बारे में पूछा . डॉक्टर ने उसे भी वही बात कही जो सचिन को कहा था . ऐनी ने पड़ोसी का शुक्रिया अदा किया .
जब पड़ोसी चला गया ऐनी अस्पताल में ही सचिन को जोर जोर से डांटने लगी . डॉक्टर ने उसे शांत रहने को कहा . फिर बोला “ आप धैर्य रखें , शुरू के 48 घंटे क्रिटिकल हैं . इस बीच अगर रीता को होश आ गया फिर उसके ठीक होने की उम्मीद है . “
ऐनी बार बार सचिन को डांटती और उसे जाने को कहती पर वह अस्पताल में ही रुका रहा . वह बोला “ मैं रीता का कसूरवार हूँ . जब तक उसे होश नहीं आ जाता है मैं अन्न जल ग्रहण नहीं करूंगा . “
ऐनी ने कहा “ मुझे अब तुम्हारी जरूरत नहीं है , तुम जा सकते हो . “
“ जब तक रीता को होश नहीं आती है मैं कहीं नहीं जाने वाला हूँ . “ सचिन बोला
लगभग 24 घंटे के कुछ बाद ही रीता कोमा से बाहर आ गयी , डॉक्टर ने इस बात की सूचना ऐनी को दी . सचिन ने भी सुना और भगवान को धन्यवाद दिया . डॉक्टर ने कहा “ अब बेबी आउट ऑफ़ डेंजर हैं . आपलोग कुछ देर आराम कर लें . तब तक हम उसकी जांच कर लेते हैं . उसके फेफड़े और ब्रेन की सघन जांच जरूरी है उसके बाद ही हम बेबी के बारे में सही डायग्नोसिस कर सकते हैं . “
अगले दिन डॉक्टर ने कहा “ रीता पानी में ज्यादा देर तक डूबी रही थी जिसके कारण उसके लंग्स और ब्रेन को कुछ देर तक ऑक्सीजन पूरा नहीं मिला था . इसका बेबी पर कुछ दूरगामी असर हुआ है . फिर भी घबराने की कोई खास बात नहीं है , बेबी कुछ हकला सकती है और कभी कभी सीज़र का दौरा भी पड़ सकता है . उसे और किसी प्रकार का खतरा नहीं है . फिर भी कुछ दिन और हम उसे अपनी निगरानी में रखेंगे . “
रीता एक सप्ताह तक अस्पताल में रही थी . इस बीच ऐनी के मना करने के बावजूद सचिन रोज उस से मिलने आता और कुछ देर उसके साथ रहता था . ऐनी तो उस पर मुकदमा दायर करना चाहती थी . उसने जब वकील से बात किया तब वकील बोला “ ऐसा कर आप खुद ही गुनाहगार मानी जाएँगी और शायद उल्टे आपको ही कहीं सज़ा नहीं हो जाए . “
“ क्यों ? “
“ क्योंकि सचिन की उम्र उस समय 18 वर्ष से कम थी और कोर्ट उसे नाबालिग समझेगा . किसी नाबालिग को बेबीसिटर रखने के जुर्म में कानूनन आप ही दोषी होंगी . “
“ सचिन को बालिग़ होने के बाद भी अब मैं नहीं रखने वाली हूँ . “
समय के साथ रीता बड़ी होती रही . वह स्कूल और फिर कॉलेज तक पहुँच गयी थी . इस बीच सचिन रीता से अक्सर स्कूल और कॉलेज में मिला करता था . इधर ऐनी का स्वास्थ्य दिन पर दिन गिरता जा रहा था . रीता ग्रेजुएशन पूरा कर चुकी थी . ऐनी अपने जीवनकाल में उसकी शादी कर देना चाहती थी . रीता के हकलाने और सीजर की बीमारी के चलते उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं था . उसे कई बार स्कूल और कॉलेज में ही सीजर के दौरे पड़ते थे हालांकि कुछ देर में वह ठीक भी हो जाती थी .
कुछ माह बाद ऐनी बहुत बीमार थी , उसे लंग्स कैंसर था . वह दो सप्ताह से अस्पताल में बेड पर थी . सचिन प्रतिदिन उस से मिलने जाता था और उस से कहता “ ऐनी , मुझे माफ़ कर दें , मैं आपका और रीता का कसूरवार हूँ . पर जब तक आप माफ़ नहीं करेंगी मुझे सुकून नहीं मिलेगा . “
पर ऐनी खामोश रहती थी . रीता सचिन को समझाती और कहती “ डोंट वरी , हैव पेशेंस . सब ठीक हो जायेगा . “
अगले दिन जब सचिन अस्पताल पहुँचा वहां डॉक्टर रीता से बोल रहा था “ सॉरी रीता , अब हम कुछ नहीं कर सकते . प्रे टू गॉड . आपकी माँ की साँसे किसी भी समय थम जाएंगी . अपने नजदीकी लोगों को खबर कर दें . “
ऐनी होश में थी . डॉक्टर की बात सुनकर उसके होठों पर दर्द भरी मुस्कान थी . सचिन उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ कर बोला “ ऐनी , अब तो मुझे आफ कर दें . “
“ चलो , तुम्हें माफ़ किया . अब चलने की बेला में किसी को दुखी नहीं करूंगी . मैं भी कितनी बदनसीब हूँ , चैन से मर भी नहीं सकती हूँ . मेरे बाद रीता का कोई नहीं रहेगा . “ बहुत धीमी आवाज में ऐनी ने कहा
“ नहीं ऐसा नहीं होगा . मैंने रीता के एक्सीडेंट के बाद से की मन में निश्चय किया था कि जरूरत पड़ने पर मैं रीता की जिम्मेदारी ताउम्र निभाऊंगा . “
“ तुम किस तरह उसकी जिम्मेदारी निभाओगे ? मेरा मतलब किस रिश्ते से ? “
“ आप को और रीता को जो भी रिश्ता मंजूर हो - आपका बेटा बन कर , आपका दामाद बन कर , रीता का दोस्त बन कर या फिर बिना किसी रिश्ते के भी . “
यह सुन कर ऐनी के चेहरे पर ख़ुशी की एक झलक दिख रही थी . उसने सचिन के हाथ में रीता का हाथ थमाते हुए किसी तरह कहा “ तुमलोगों को जो भी रिश्ता मंजूर होगा मैं उसी में ख़ुशी ख़ुशी अंतिम सांस ले सकती हूँ . “
कुछ मिनट के बाद ऐनी चल बसी .
समाप्त xxxx
नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है