Trishulgadh - 3 in Hindi Fiction Stories by Gxpii books and stories PDF | त्रिशूलगढ़: काल का अभिशाप - 3

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त्रिशूलगढ़: काल का अभिशाप - 3

पिछली बार आपने पढ़ा हुआ था:
श्रेयांस ने उस रहस्यमयी किताब को छुआ और उसका लहू जैसे ही किताब पर गिरा, एक पुरानी दीवार अचानक दरवाज़े में बदल गई। वो ‘पहला द्वार’ खुला — और वो एक गुफा जैसी सुरंग में जा पहुंचा। वहाँ उसकी मुलाकात हुई एक बूढ़े साधु से, जो उसकी पहचान पहले से जानता था...



अब आगे:

तू आ ही गया…
बूढ़े साधु ने अपनी धुँधली आँखें उठाईं और श्रेयांस की तरफ देखा।

आप मुझे जानते हैं? श्रेयांस ने हैरानी से पूछा।

साधु ने सिर हिलाया मैं तुझे तब से जानता हूँ, जब तू इस दुनिया में आया भी नहीं था।

श्रेयांस सन्न रह गया।

तुम कौन हो?

मेरा नाम ‘रुद्र’ है। मैं त्रिशूलगढ़ का अंतिम रक्षक हूँ। और तू... इस अभिशप्त शक्ति का अंतिम वारिस।

श्रेयांस कुछ कहने ही वाला था कि जमीन एकाएक कांपने लगी।
गुफा के अंदर दीवारों पर उकेरे गए चित्र जलने लगे, जैसे कोई जादू activated हो गया हो।

साधु ने तुरंत अपनी कमर से एक पुरानी चोटी निकाली और उसके आगे रख दी।

ये है अग्निबीज़। इसे छू और अपनी अग्निशक्ति को पहचान।

श्रेयांस पीछे हटा, "मुझे नहीं पता ये सब क्या है… मैं कोई योद्धा नहीं हूँ।

लेकिन तू बना ही योद्धा बनने के लिए है।
साधु की आवाज़ अब भारी और दृढ़ हो गई।

श्रेयांस की आँखें उस बीज पर टिक गईं।
बीज में हल्की सी गर्माहट थी… और जैसे ही उसने उसे उठाया — एक जोरदार रोशनी फैली।




दृश्य बदलता है — मन की दुनिया में:

वो खुद को एक विशाल मैदान में खड़ा पाता है।
आसमान लाल है। हर तरफ आग जल रही है।
सामने एक आदमी खड़ा है — लंबा, काले कपड़ों में, उसकी आंखों में खून उतर आया है। वह बड़ा खतनाक लग रहा था जैसा मानो कोई जल्लाद या कोई राक्षस उसे देखकर ही कोई डर सकता था 

अंत में तू मुझसे लड़ेगा...
उसने कहा और हार जाएगा।

तुम कौन हो? श्रेयांस चिल्लाया।

मैं… तेरा दूसरा चेहरा हूँ।
रक्तपुत्र




दृश्य वापस गुफा में:

श्रेयांस हड़बड़ाकर वापस आता है। पसीने-पसीने हो चुका है। वह बहुत धक चुका हुआ होता है पूरे पसीने से भीग हुआ जैसे वह अभी नहा के ही निकला हो उसके कपड़े पूरे भीग चुके थे 

ये क्या था? वह हाँफते हुए पूछता है।

साधु शांत था वो था तेरा पहला दर्शन — तेरे अंत की झलक।
पर अभी सब खत्म नहीं हुआ। ये तो बस शुरुआत है। तेरे इंतहान का 

क्या मैं उससे लड़ पाऊँगा?

अगर तू डर गया, तो नहीं। लेकिन अगर तू अपने भीतर की अग्निशक्ति को जगाता है… तो दुनिया को बदल सकता है।"और बहुत शक्तिशाली हो जाओगे और ये दुनिया शक्ति शाली यों के लिए ही है 



और तभी… गुफा के भीतर एक और दरवाज़ा खुलता है।
धुंध और गर्म हवा बाहर निकलती है। और तभी वह

साधु धीरे-धीरे उस तरफ देखता है।

और कहता है अब तू तैयार है… दूसरे द्वार की अग्नि परीक्षा के लिए।
और इस बार… सिर्फ तेरे भीतर की शक्ति नहीं, तेरा इरादा भी परखा जाएगा। यह इंतहान बहुत मुश्किल होने वाली है तो सोच समझ के फैसला करना 




Hook 

श्रेयांस अब जान चुका था कि ये कोई सपना नहीं…
वो इस युद्ध का हिस्सा बन चुका है 

और अगला द्वार…
शायद सिर्फ उसका शरीर नहीं बल्कि उसका भरोसा भी तोड़ सकता है।

क्या वो खुद पर यकीन कर पाएगा?
या अग्निशक्ति उसे जला देगी?