Akhari Aalvida in Hindi Love Stories by NBV Novel Book Universe books and stories PDF | आख़िरी अलविदा

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आख़िरी अलविदा

एक प्यार जो कभी नही मरता...... ❤‍🔥

" कुछ रिश्ते पहली नजर में जुडते है और आखिरी अलविदा तक टूटते नही..."

साल 2012 क्लास 9 वी गर्मियों का पहला दिन..... नई यूनिफॉर्म नई क्लास और वही पुराना ड्रेस आरव जो एक सीधा-सादा लडका था आज अपने स्कूल 9-B में दाखिल हुआ। क्लास के लास्ट बेंच पर जा के बैठ गया तभी जोडो से बारिश होने लगी सारे बच्चे क्लास में ही बैठे थे

तभी क्लास कि एक नई लडकी आती है जो खिडकी के पास बैठी थी बाल खुले हुए नंजरे नीचे और हाथ में कॉपी।

क्लास टीचार बोली-बच्चो ये नई स्टूडेंट है नाम है अवनी अभी-अभी भोपाल से आई है।अवनी ने एक हल्की सी मुस्कान दी।

आरव ने पहली बार किसी की मुस्कान को इतने देर तक याद रखा। उसके नाम से ज्यादा मुझे उसकी आखों ने छू लिया था।

छोटी सी बात बडा असर....

 आरव हर क्लास और नोट बुक में सिर्फ उसका चेहरा देखता और सोचता रहता । हर बार सोचता कि उससे बात करू लेकिन हिम्मत नही कर पाता एक दिन रीसेस में जब सब खेल रहे थे अवनी अकेले बैठी थी आरव ने हिम्मत करके एक पेपर स्लिप उसकी कापी में रख दीया-

'Hi'अगर तुम चाहो तो हम दोस्त बन सकते है।- आरव

अगले दिन उसका जवाब आया हम अच्छे दोस्त बन सकते हैधीरे-धीरे कॉपी शेयर करना साथ बैठना स्कूल के प्रोजेक्टस बनाना कैंटीन में समोसा खाना.....

क्लास 10 वी आते-आते आरव और अवनी पुरे स्कूल में बेस्ट फ्रेंड कहलाने लगे। पर आरव जानता था मै सिर्फ दोस्त नही हूँ मै

उससे आरव उसके लिए कविता लिखता उसे सुनाता एक दिन आरव और अवनी शाम को स्कूल से घर जाते है और कही मिलने का सोचते है शायद स्कूल कि पहाडी पर मिलते है आवनी पिले कलर कि कपडे पहन के आई थी आरव का ध्यान उससे हथ ही नही रहा था आरव अवनी को एक कविता सुनाता है।

'मैं तमाम दिन का थका हुआतू तमाम शब का जगा हुआ जरा ठहर जा इसी मोड पर तेरे साथ शाम गुजार लू.....आभी इस तरफ निगाह कर गजल की पलके सवार लू मेरा लब्ज-लब्ज वो आईना है तुझे आईने में उतार लू....

! तुझे आईने में उतार लू.....!'

तू मेरी थी पर कहने की हिम्मत नही हुई

'कभी-कभी डर सिर्फ इंकार का नहीं होता...

डर होता है उसके खो जाने का...'

क्लास 10वी मार्च का महीना।

पेपर चल रहे थे पर आरव की कॉपी से ज्यादा उसका मन अवनी के चेहरे में खोया था।हर दिन जब वो अवनी को देखता दिल कहता अब बोल दे ... कह दे कि तुझसे मोहब्बत है....

पर जब भी वो आखों में झॉकने की कोशिश करता शब्द गले में अटक जाते। शायद ये बात अवनी भी अब जान चूकि थी कि आरव मुझे पसंद करता है।

एक दिन स्कूल से निकलते समय अवनी ने कहा आरव पता है? स्कूल के बाद शायद मुझे शहर छोडना पडे पापा का ट्रांसफर हो रहा है। आरव कि सांसे थम गई।

उसने मुस्कुरा कर कहा आच्छा है नई जगह नए लोग मजा आएगा। पर उसकी आखे कह रही है

तू जा रही है पर मै वही रह जाउगां- अधूरा...

'न जाने क्यों हर वक्त कुछ सोचता हूँ जो सामने नही उसी को हर रोज खोजता हूँ।'

अगले दिन..... लाईब्रेरी में

आरव ने एक कागज पर लिखा

"मुझे नहीं पता ये कब हुआ पर तुम्हारे बिना अब कुछ अधूरा लगता है तुम चली जाओगी तो शायद कुछ मुझमें भी मर जाएगा..."

पर वो कागज उसने कभी अवनी को नही दिया।

अप्रैल – बोर्ड के बाद की छुट्टियाँ

अवनी अचानक स्कूल आना बंद कर चुकी थी।

आरव ने क्लास टीचर से पूछा-मैम अवनी क्यों नही आ रही।

भोपाल वापस चली गई। बेटा....

मैने कभी उसे बताया नही ... और शायद अब जिंदगी भर अफसोस ही रहेगा कि मैने कहा भी नही ......"

जाते हुए देखना किसी अपने को जाते हुए देखना शायद दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है गीली आखों से उस पल को धुंधला कर देना और अपने मन को आसू बहाकर हल्का कर लेना ही

कुछ मुलाकाते दोबारा होती है.... पर वक्त वही नही रहता और लोग भी.....

तीन साल बाद 2015

कॉलेज का पहला दिन दिल्ली।

आरव अब भी वही है- शांत अकेला पर अंदर से वो टूटा हुआ इंसान जिसने कभी प्यार किया पर कह न सका।

कालेज का पहला लेक्चर -इंट्रोक्शन क्लास प्रोफेसर बोले

"Please welcome our transfer student -Avni Sharma From Bhopal"

आरव का दिल जैसे रूक गयावही चेहरा वही आखे वही नाम वो मुस्कुराई-ठीक वैसे ही जैसे पहले मुस्काराया करती थी आख की आखे नम हो गई उसने नजरे झुका ली पर अवनी कि नजरे उसे ढूँढ चुकी थी।

ब्रेक टाईम कॉरिडोर में अवनी ने उसे रोका।

आरव....? तुम......? यहा....?

आरव बस मुस्कराया - और बोला तुम बदल गई हो अवनी...... वो हसी

अगले दिन अवनी जब कॉलेज आई तो उसके उगली में रिंग थी।

कॉमन फ्रेड ने बताया उसकी सगाई हो चुकी है .... भोपाल में किसी डॉक्टर से।

आरव ये बात सुनते ही कुछ ना कह सका जिस लडकी से मैं आज भी मोहब्बत करता हूँ वो अब किसी ओर की होने जा रही है।.........

काश! उस दिन मै प्रपोज कर देता......!

उसकी शादी और मैं मेहमान बनकर गया था

'जिस दिन वो किसी ओर की दुल्हन बनी डस दिन मेरा प्यार यतीम हो गया.......

' दिनः 12 दिसंबर 2015

ठंडी शाम थी....आसमान धुंध से ढका हुआ था और आरव के दिल में बस एक ही सवाल था क्या मुझे जाना चाहिए? कॉमन फ्रेडं की शादी का कार्ड था... लेकिन दूल्हा और कोई नही रित्विक और अवनी शर्मा। वही अवनी..... जिससे उसने कभी कुछ कहा नही जिसे उसने दिल की गहराइयों से चाहा पर कभी हक नही जताया।

वेडिंग वेन्यू - शाम 7:30 बजे

सजावट रोशनी से भरी थी... बैडं बज रहा था.... लोग हँस रहे थे... पर आरव की आखों में सिर्फ एक चेहरा – अवनी।

और जब वो लाल जोडे में स्टेज पर आई उसने उसे देखा ठीक उसी तरह जैसे स्कूल के बीच आखिरी बार देखा था।

मुस्कुराते हुए आखों में हजार कहानिया छुपाए हुए।

स्टेज के नीचे आरव का अकेलापन वे सबसे पीछे खडा था.... ना कोई गिफ्ट ना बधाई बस खुद के टूटे हुए टुकडे समेटे ।

अवनी की नजरे एक बार उस तक पहुची वो पल रूका जैसे वक्त भी थम गया हो।

अवनी ने धीमी आवाज में अपने करीबी से पूछा क्या वो आरव है?

किसी ने कहा हॉ

शादी के समय आरव हाथ में गुल्लाब जामुन खाते हुए उसे ही देख रहा था उसके बाद आरव वहा से बिना कुछ कहे चला गया बस चुपचाप अपनी बाईक पर बैठा और शहर की गलियों में खो गया।

एक अधूरा खत-जो कभी भेजा नहीं गया

'तू आज किसी और की हो गई...

लेकिन आज भी मेरी धडकनें तूझे ही पुकारती है. मैं दुआ करता हूँ...तू हमेशा खुश रहें भले तेरी दुआओं में मेरा नाम कभी न हो'

कुछ प्यार मुकम्मल नहीं होते लेकिन फिर भी जिंदगी भर दिल में जिंदा रहते है।....

आरव का अकेलापन

मैं हसता रहा....

लोगो के सामने तस्वीरों में उसकी शादी में पर भीतर एक सन्नाटा था बेजुबान मगर जिंदा। मैने खुद को उस शाम उन झूमती लाइटो के नीचे मरा हुआ महसूस किया था जहाँ सब उसे खुश देख रहे थे और मैं बस देख रहा था उसे किसी और की जिंदगीं बनतं हुए। मैने पी लिया था थोडा सा जहर हर रात थेडी मौत पीता रहा कभी उसकी शादी की तस्वीरो को देखता रहा तुम मेरी जिंदगी हो कितना बडा झूठ था वो।

रात के 2 बजे-

एक पुरानी डायरी कुछ तस्वीरें और अधूरी कविताए .....

तू अब किसी और की सांसो में है पर मेरी सासे अब भी तेरा नाम लेती है।

हर धडकन कहती है-

तू आखिरी नहीं थी....पर तू ही थी।

मै रोया नही मर जाता है वो रोता नही।

खिडकी से बाहर देखा नीला आसमान और उडते कबूतर नही थे अब बस धुंधथी जैसे आखें में चुभता हुआ काई पुराना सपना मै आस्पाल में था ओवरडोज डॉक्टर कुछ कह रहे थे पर मै बस एक नाम सुनना चाहता था उसकाते रा नाम मेरी सांसो में है आखिरी दम तक

उसका एक आखिरी मैसेज आया

तब तक मै जवाब देना छोड चुका था वो और उसका पति मुझे देखने आए थे मैने सब कुछ छोड चुका था दुनिया शब्द ख्वाब खुद को।

आरवी आरव कि डायरी देखती है जो उसने उससे बिझडने के बाद लिखा था उसे पडती है उसमै लिखा था

कभी सोचा था

तू दूर जाएगी तो सासें भी बगावत करेगी?

मै तुझसे दूर होकर जिन्दा कैसे रहूंगा?

शादी के बाद वो शहर भी बदल गई थी और जिन्दगी भी।

आरव अब बस दो चिजो से बात करता थ एक वो पुराना पीला स्कार्फ जो उसने दिया था और दूसरा वो खत जो उसने कभी भेजा नही ...

अगले ही पल हस्पिटल से खबर आती है आरव नही रहा-आरवी शौक हो गई उसकी आखो में आशु थे शायद आख के लिए थे उस पल के लिए समय जैसे रूक सा गया था।

लास्ट सीन

तीन दिन बीत चुके थे मेरी मौत को। कब्रिस्तान की मिट्टी अब सूख चुकी थी..... लेकिन मेरे इंतजार की रूह हर रात जागती थी।

अचानक एक दिन मेरे कब्र के पास एक लडकी आई

आरव.....

उसके लबो से नाम निकलता जैसे किसी पुराने गीत का टूटा हुआ साज। उसके हाथ में गुलाब था वही गुलाब जो रि रोज मैं लाया करता था आज वो मेरी कब्र पर रख रही थी।

मै मर चुका था लेकिन मेरी रूह वही थी उसकी आखों से गिरे आसू मिट्टी में नही सीने में समा रहे थे।

आरव मुझे माफ कर दो मैने बहुत दर्द दिया ना तुम्हे काश सब कुछ और आसान होता

तुम क्यों आया अब?

अब तो मै तुझसे कभी कुछ कह भी नही सकता.... वो बैठ गई ... मेरी कब्र के पास उसी तरह जैसे कभी पार्क की बेंच पर बेठा करती थी मौन मगर हर लम्हा बोलता हुआ। उसके चेहरे पर पछतावा था मै मजबूर थी आरव जिससे शादी की वो एक रिश्ता था प्यार सिर्फ तुझसे किया ...

मेरी रूह चीख पढी तो फिर मुझे आकेले क्यो छोड दिया था उस दिन...?

वो धीरे से उठी मेरी कब्र को छूकर बोली अब शायद हम आगले जन्म में मिलें लेकिन अगर रूहों का कोई वादा होता है.... तो मेरी रूह तुझसे हमेशा जुडे रहेगी...।

और वो चली गई...... लेकिन मेरी रूह को पहली बार सुकून मिला।


THE END


लेखक-अनुज श्रीवास्ताव

"आख़िरी अलविदा" — एक इमोशनल सफ़र, जो आपके दिल को छू जाएगा।

🖋️ Anuj Shrivastava की कलम से…