gharetin ki nazron me main in Hindi Comedy stories by Yashvant Kothari books and stories PDF | घरैतिन की नज़रों में मैं .

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घरैतिन की नज़रों में मैं .

ताज़ा व्यंग्य

घरैतिन की नज़रों में मैं .

    यशवंत कोठारी

 

प्रोढ़ा पत्नियाँ कांच का सामान होती हैं जरा सी ठपक लगते ही बिखर जाती है हैंडल विथ केयर वाला मामला है .

जो आदमी अच्छी सब्जी  सस्ते में नहीं खरीद सकता ,वो  जीवन में कुछ नहीं कर सकता ,जिन्दगी में सौ  का नोट भुनाना सीख लो ,ये ब्रह्म वाक्य आज सुबह सुबह  चाय के साथ श्रवण करने पर मेरा दिमाग इस पुराने विषय की और चल पड़ा .मोज़े कहाँ है ये पूछने पर कई पेराग्राफ का एक व्याख्यान सुनना पड़ता है ,और कभी कभी तो उपन्यास या एक लम्बी कहानी जो कई पीढ़ियों को समेटती है सुननी पड़ती हैं ,कुल मिला कर घरवाली की नज़रों में मैं एक नाकारा, असफल, डरपोक,और  बेवकूफ हूँ जिसे वे पचास साठ साल से संभाले हुए हैं .सड़क पर कभी चालान की नोबत आती है तो वे पुलिस वाले को बताती है आप की दादा जी के उम्र के हैं और वो भी हमें जाने देते हैं .

कौन सी दवा कब लेनी है किस डाक्टर के पास कब जाना है ये सब उनको याद है .घर परिवार में किस का   जन्म दिन ,शादी कि साल -गिरह कब है  ये भी वे ही बताती हैं .मुझे उनके आदेशों की पालना करनी है बस .उन के  खुद के जन्म दिन व साल गिरह की जानकारी भी सुबह चाय  के पहले कप के साथ ही नाश्ते के रूप में  वे खिसका देती है .

बैंक  के खाते व सड़कों के रास्ते के बारे  में  भी वे ही बताती है ,ये बात अलग है की कई बार वे  दुपहिया पर बैठे उसके पहले ही  मैं  घर की और चल देता हूँ कोई भला मानस बाद में चिल्ला कर बताता है की आंटी जी  तो पीछे ही  छूट गयी है ,मुड़ कर या घर वापस जाकर आना पड़ता है उसके बाद ....!(कल्पना करे )

देशी नुस्खों की तो खान है वे  ,दादी ,नानी ,परदादी से बहुत कुछ सीखा है जो सब खाकसार पर आजमाया जाता है .

जब आप तोलिया ,मोज़े, रूमाल ,गाड़ी की चाबी नहीं ढूंढ सकते तो आप का जीवन में असफल होना निश्चित है .मेरी असफलताओं की एक पूरी फेहरिस्त हर वक्त उनकी  जबान पर रहती है.वे कहती है,  

-हे! चोक, डस्टर, रसायनों की खेती करने वाले  किसान ,कुछ घर के काम काज भी सीख लो, कभी काम आयेंगे .कभी कभी वे सोचती है कैसे बेवकूफ से पाला पड़ा है और उसके आगे वे  ये भी सोचती है बेवकूफ नहीं होता तो मेरे चक्कर में क्यों पड़ता ?कोई और अच्छी बेरबानी-मेहरारू  पाता .

कभी किसी शादी ब्याह में जाने का मौका मिले तो वे तय करती हैं की मुझे क्या खाना है और कितना खाना हैं ?मेरी शक्कर, बी पी तथा किडनी की समस्याओं का उनको इतना ज्ञान है की कई बार खाने पीने की सब चीजे मेरे लिए उपलब्ध नहीं होती .कितना पानी कितनी  बार पीना है ये भी वे ही तय करती है ,किस से कितना रिश्ता रखना है ये भी उनके निर्देशन में ही पूरा होता है .पहनने के कपड़े भी वे ही तय करती हैं ,फिर भले ही मैं उन कपड़ों में कार्टून लगूं.

लिखने पढने के काम को वे ठाले बैठे नवरे  लोगों का काम समझती हैं किताबों का बेतरतीब इधर उधर बिखरना उन को बिलकुल पसंद नहीं, पढो और करीने से वापस जमा दो ,नहीं तो अपने आप को अपराधी मानो. वे सुबह अखबार का पारायण कर के समाचारों की जो व्याख्या करती है उसका भी जवाब नहीं ,अख़बार को अच्छी तरह से तह नहीं करने के कारण कई बार  मैं परेशानी में पड़ चुका हूँ.पत्रिकाएं भी सही जगह पर होनी ही चाहिए .

कार्यालयों की मीटिंग्स,सेमिनार्स ,वर्क शॉप्स   उन को सख्त नापसंद है ,लेकिन खाना बनाने और सिखाने के टी वी कार्यक्रमों के लिए वे किसी से भी लड़ सकती हैं  हर फ़ूड ब्लोगर की गलतियाँ निकालना उनका प्रिय शगल है .लेकिन यात्रा का काम यदि सपरिवार का हो तो वे तुरंत हाँ कर देती हैं .पीयर जाने का कोई मौका नहीं छोडती .

और अंत में –सैंया मोरा नादान जगत को ना पहचाने .केवल वे पहचाने .

 

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यशवन्त कोठारी ,701,  golden fortune SB-5 ,भवानी सिंह  रोड ,बापू नगर ,जयपुर -302015  मो.-94144612 07