वर्नालय — एक ऐसी भूमि जहाँ प्रकृति साँस लेती है,
जहाँ झरनों की सरगम में कविता बहती है,
जहाँ हर हवा के झोंके में कोई भूला हुआ अफ़साना छुपा होता है।
इसी स्वप्नवत् दुनिया के हृदय में खड़ा है Kavya-Durga —
एक महल जो बादलों को छूता है, और जिसकी नींव में आत्माओं की कहानियाँ गूंथी गई हैं।
उस महल की रानी है — Queen Viraasya
एक शासक, एक रचनाकार, एक छुपी हुई लेखिका।
दिन में वह अपने राज्य को सन्तुलन देती है,
और रात में... वह शब्दों से नयी दुनिया गढ़ती है।
उस रात पहाड़ों पर चाँदनी का ठहराव कुछ अलग था।
झरनों की आवाज़ जैसे किसी पुराने राग की तरह धीमी और भावुक थी।
Viraasya अपने विशाल कमरे में अकेली थी —
एक कमरा जिसकी दीवारें किताबों से ढकी थीं,
और खिड़की — एक झरोखा — जो पूरी वादी को देखता था।
वह झरोखा ही उसका संसार था,
जहाँ बैठकर वह अपने दिल की आवाज़ को सुना करती थी।
उसने धीरे से अपनी टेबल से "Main" नाम की डायरी उठाई —
एक जामुनी रंग की, हल्के रेशमी कवर वाली डायरी,
जिसके हर पन्ने में कोई जादुई सच्चाई छुपी थी।
उसने लिखा:
"कुछ लोग आवाज़ों में खो जाते हैं,
और कुछ लोग खामोशी में खुद को पा लेते हैं।
मैं दूसरी तरह की हूँ...
मैं वो हूँ जो ख़ामोशी से बात करती हूँ।"
Viraasya का लिखा सिर्फ़ शब्द नहीं होता था —
वह जीवन बनता था।
हर वाक्य, हर कविता किसी न किसी अनसुनी आत्मा तक पहुँचती थी —
उन्हें थामती, उन्हें जगाती, उन्हें पहचान देती।
उस रात उसने एक लड़की की कहानी लिखनी शुरू की —
एक लड़की जो डर के साये में बड़ी हुई थी,
जिसे कभी खुद से बोलने की इजाज़त नहीं दी गई।
"Ek ladki jise duniya ne kamzor kaha,
usne ek din likha — ‘Main hoon’
aur us lafz se ek naye jahan ka janm hua."
जैसे ही आख़िरी शब्द पूरे हुए,
डायरी से हल्की नीली रोशनी निकलने लगी।
वह रोशनी धीरे-धीरे एक चिड़िया का आकार लेने लगी —
छोटी, नर्म, और उसकी आँखों में अनगिनत कहानियाँ।
वह चिड़िया झरोखे से उड़ चली —
पहाड़ों के ऊपर, झरनों के पास से होती हुई,
वो पहुँची एक छोटे गाँव की झोपड़ी तक —
जहाँ एक लड़की अकेली बैठी थी,
अपने भीतर की चीखों को दबाए, चुपचाप।
चिड़िया ने उसके कंधे पर बैठकर सिर झुकाया,
उसके कानों के पास जाकर कुछ नहीं कहा —
बस उसकी हथेलियों में हल्की गर्माहट छोड़ी।
लड़की ने कांपते हाथों से कागज़ उठाया,
कलम चलाई — और लिखा:
"Main hoon."
उसके लिखते ही उसके चारों ओर की हवा बदल गई।
दरवाज़ा खोलने पर उसे पहली बार ऐसा लगा
जैसे पूरा आकाश उसके नाम की गूंज से भर गया हो।
दूसरी ओर, महल के झरोखे पर बैठी Viraasya मुस्कुराई।
वह जानती थी —
उसकी एक और कहानी किसी को उसका आप लौटा चुकी थी।
वह उठी, डायरी बंद की, और मोमबत्ती बुझाई।
लेकिन आज की रात बाकी रातों से अलग थी।
उसने अपने मन में महसूस किया —
वह लड़की सिर्फ़ एक पाठक नहीं थी...
वह भी एक लेखक बनने जा रही थी।
"मैं रानी भी हूँ,
और रातें भी लिखती हूँ.
जो लफ्ज़ ज़हरुखे से जाते हैं,
वो सिर्फ कहानियां नहीं,
किसी का साहस, किसी की पहचान बन जाते हैं..."