बारिश की हल्की फुहारें, पुरानी चाय की दुकान और खिड़की के पास बैठी एक लड़की — रूहानी।
उसके हाथ में किताब थी, पर नज़रें बार-बार दरवाज़े की तरफ़ जा रही थीं, जैसे किसी का इंतज़ार हो।
और तभी…
भीगे बाल, नीली शर्ट और होंठों पर हल्की सी मुस्कान लिए आर्यन अंदर आया।
रूहानी ने किताब बंद की — “तुम लेट हो!”
आर्यन हँसते हुए बोला — “तुम तो जानती हो, मैं बारिश से बातें करने रुक जाता हूँ।”
दोनों चाय मंगवाते हैं, और जैसे ही भाप उठती है, एक पुराना गाना बज उठता है —
“तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं…”
उस गाने के साथ उनकी चुप्पियाँ भी बातें करने लगती हैं।
रूहानी धीरे से कहती है —
“तुम्हें पता है, ये पल… ये महक… ये बारिश… ये सब किसी किताब में लिखा नहीं जा सकता।”
आर्यन ने उसकी आँखों में देखते हुए जवाब दिया —
“लिखा जा सकता है, लेकिन सिर्फ़ हम दोनों के लिए — और उसका नाम होगा ‘आशिकाना आलम’…”
उस दिन के बाद हर बारिश, हर चाय, और हर पुराना गाना उनके इश्क़ की याद बन गया —
एक ऐसा आलम, जिसमें वक्त ठहर जाता था और सिर्फ़ धड़कनें चलती थीं।
सेप्टर 1: बारिश और पहली नज़र
रूहानी अपनी पसंदीदा चाय की दुकान पर बैठी थी। बाहर हल्की बारिश हो रही थी, और धुंधली रोशनी में दुकान की दीवारें और भी पुरानी लग रही थीं।
वह किताब पढ़ रही थी, लेकिन उसका मन कहीं और था। उसे इंतज़ार था किसी खास शख्स का, जिसे वह कुछ दिनों से देख रही थी पर बात नहीं कर पाई थी।
तभी दरवाज़ा खुला और एक लड़का, भीगे बालों के साथ अंदर आया। उसकी नज़रें रूहानी पर पड़ीं। थोड़ी हिचकिचाहट के बाद वह पास के टेबल पर बैठ गया।
उनकी आँखें मिलीं और कुछ ऐसा हुआ जैसे दोनों के बीच हवा में बिजली सी कड़क गई हो।
सेप्टर 2: पहली बातचीत और चाय का वो कप
कुछ दिनों तक दोनों अक्सर उसी दुकान पर मिलते रहे।
रूहानी ने जाना कि उसका नाम आर्यन है, जो एक फोटोग्राफर था।
आर्यन ने रूहानी को बताया कि कैसे बारिश उसे शहर की भीड़ से बचा लेती है, और हर बूंद में कुछ कहने को मिलता है।
एक दिन दोनों ने साथ में चाय पी, और आर्यन ने कहा —
“अगर जिंदगी को हम तस्वीर की तरह कैप्चर करें, तो ये पल हमेशा के लिए रह जाएंगे।”
रूहानी मुस्कुराई और बोली —
“फिर तो हमें साथ में कई तस्वीरें बनानी होंगी।”
सेप्टर 3: एहसास और छोटी-छोटी दूरियां
धीरे-धीरे उनका रिश्ता गहरा होने लगा, लेकिन दोनों में छुपे डर और अनबोलें सवाल भी थे।
रूहानी के परिवार को अपनी पढ़ाई और करियर के लिए शहर छोड़ना था, जबकि आर्यन की जिंदगी फोटोग्राफी और अनिश्चितता में थी।
एक शाम बारिश के बीच दोनों के बीच लड़ाई हो गई।
रूहानी बोली —
“क्या ये सब सिर्फ एक ख्वाब है? मैं तो रुकना चाहती हूँ, पर मेरे कदम कहीं और जा रहे हैं।”
आर्यन ने चुपचाप उसे देखा, उसकी आँखों में कुछ टूटन थी।
सेप्टर 4: जुदाई और यादें
कुछ दिन दोनों ने बात नहीं की।
रूहानी शहर छोड़कर चली गई, लेकिन यादों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा।
आर्यन भी हर उस जगह जाता जहां वे साथ गए थे, और उन तस्वीरों को देखता रहता।
दोनों के दिलों में एक-दूसरे के लिए जगह तो थी, पर हालात ने उन्हें अलग कर दिया था।
सेप्टर 5: आशिकाना आलम — मुलाकात फिर से
कुछ महीने बाद, एक बारिश की शाम वही चाय की दुकान, वही पुराना गाना बज रहा था।
रूहानी अचानक वहां आ पहुंची।
आर्यन भी वहीं था। दोनों की नज़रें मिलीं, और इस बार दोनों मुस्कुराए।
रूहानी बोली —
“शायद ये आसमान भी हमारी कहानी जानता था।”
आर्यन ने कहा —
“और ये बारिश… हमारी आशिकाना आलम का दस्तावेज़।”
दोनों ने फिर से हाथ थामा, और महसूस किया कि असली प्यार में दूरियां केवल वक्त की कसौटी होती हैं, जो कभी-कभी मजबूती का रूप ले लेती हैं। https://shayariwalealfaaz.blogspot.com/2025/08/blog-post_5.html