💔 Break Up 💔
रात के 11 बजे थे।
मैं अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ा शहर की लाइट्स देख रहा था।
नीचे सड़कों पर गाड़ियाँ भाग रही थीं, हॉर्न की आवाज़ें आ रही थीं, लेकिन मेरा दिल… बस एक जगह अटका हुआ था।
उस जगह का नाम था — रुही।
हमारी मुलाकात दो साल पहले हुई थी।
एक कॉफ़ी शॉप में, जहाँ वो अपने दोस्तों के साथ हँस रही थी और मैं अकेला कोने में लैपटॉप पर टाइप कर रहा था।
उस दिन बारिश हो रही थी, और शायद उसी बारिश ने हमारी कहानी लिख दी थी।
वो अचानक मेरी टेबल पर रखी किताब को देखकर बोली —
"आप भी ये पढ़ते हैं? ये मेरी फेवरेट है।"
मैंने हल्की-सी मुस्कान के साथ कहा,
"हाँ, और ये मेरी तीसरी बार पढ़ने की कोशिश है।"
हम हँस पड़े।
उस दिन से हमारी बातें शुरू हुईं — पहले कॉफ़ी, फिर मैसेज, फिर रात-रात भर फोन कॉल।
धीरे-धीरे, हम एक-दूसरे की आदत बन गए।
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प्यार का सफर
हमने दो साल तक हर खुशी साथ जी।
पहली बार समुंदर किनारे हाथ पकड़कर घूमना, बारिश में भीगना, मूवी मैराथन, और एक-दूसरे के लिए छोटे-छोटे सरप्राइज़।
रुही की हँसी, उसकी आँखों की चमक, उसकी आदतें… सब मेरे लिए दुनिया थी।
मुझे लगता था, ये रिश्ता हमेशा रहेगा।
लेकिन जिंदगी हमेशा हमारी उम्मीदों के हिसाब से नहीं चलती।
कुछ महीनों से मैंने महसूस किया कि रुही बदल रही है।
वो अब पहले जैसी हँसती नहीं थी।
मैसेज का जवाब देर से देती, मिलने के बहाने बनाती।
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सच का सामना
एक शाम, मैंने उसे कैफ़े में बुलाया।
वो आई, लेकिन उसकी आँखों में वो चमक नहीं थी जो पहले होती थी।
मैंने धीरे से पूछा,
"रुही, क्या सब ठीक है हमारे बीच?"
वो कुछ सेकंड चुप रही, फिर बोली —
"आदित्य… हम अब वैसे नहीं रहे जैसे पहले थे।"
मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई।
"मतलब?" मैंने किसी तरह पूछा।
उसने गहरी साँस ली,
"मतलब… शायद हमें अलग हो जाना चाहिए।"
उस पल लगा जैसे किसी ने मेरे सीने में तेज़ छुरी घुमा दी हो।
मैंने हज़ार सवाल पूछना चाहा — क्यों? कब से? क्या मैं बदल गया? — लेकिन उसके चेहरे की बेचैनी ने मुझे रोक दिया।
आखिरी मुलाकात
हमने अगले दिन आखिरी बार मिलने का तय किया।
वो आई, सफेद ड्रेस में — ठीक वैसे ही जैसे पहली बार हमारी मुलाकात में पहनी थी।
हमने चुपचाप कॉफ़ी पी।
फिर उसने कहा,
"तुम अच्छे हो, आदित्य… लेकिन शायद हम एक-दूसरे के लिए नहीं बने।"
मैंने हँसने की कोशिश की,
"तो इन दो सालों का क्या था?"
उसकी आँखों में आँसू आ गए।
"यादें… और कुछ खूबसूरत पल। बस।"
मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं था।
बस एक लंबा-सा आलिंगन (हग), और फिर… वो चली गई।
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ब्रेकअप के बाद
पहले कुछ हफ्ते नर्क जैसे थे।
रातों में नींद नहीं आती, सुबह उठने का मन नहीं करता।
हर गाना, हर जगह, हर चीज़ उसकी याद दिलाती।
मैंने अपने आप को काम में झोंकने की कोशिश की, लेकिन खालीपन हर जगह साथ था।
कभी-कभी मैं उसका नंबर डायल करता, लेकिन कॉल बटन दबाने से पहले डिलीट कर देता।
एक दिन, आईने में खुद को देखा — आँखों के नीचे काले घेरे, थकान, और एक अजीब-सी ख़ाली नज़र।
तभी एहसास हुआ… मैं खुद को खो रहा हूँ।
नई शुरुआत
मैंने खुद से वादा किया —
अब मुझे अपने लिए जीना है।
मैंने नए काम शुरू किए, पुराने दोस्तों से मिला, और अपने शौक पूरे किए।
धीरे-धीरे, दिल का घाव भरने लगा।
रुही अब सिर्फ़ एक याद थी — मीठी, लेकिन दूर
आज
आज भी जब बारिश होती है, मैं खिड़की के पास कॉफ़ी लेकर बैठता हूँ।
कभी-कभी उसकी याद आती है, लेकिन अब वो दर्द चुभता नहीं।
बस एक हल्की-सी कसक रहती है।
मैंने सीख
लिया है —
Break up अंत नहीं होता, ये एक नई शुरुआत होती है।
और कभी-कभी, खुद से प्यार करना ही सबसे बड़ा प्यार होता है।