Hamari Adhuri Kahaani - 2 in Hindi Fiction Stories by Kanchan Singla books and stories PDF | हमारी अधूरी कहानी - 2

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हमारी अधूरी कहानी - 2

वहीं आने वाले खतरे से अनजान रूहानी अपने हाथ पर रूमाल बांधने में लगी थी ताकि खून को बहने से रोक सके। 

वह साया धीरे धीरे चलते हुए नीचे आ रहा था। उसके पीछे उसके जैसे अनगिनत सायों की भीड़ चली आ रही थी। 

इससे अनजान रूहानी मोबाइल की टॉर्च जलाए अपनी चोट पर पट्टी बांधने में लगी हुई थी। हवा से उसके बाल उड़ कर बार बार उसके चेहरे को ढक रहे थे।
वह साया रूहानी के खूबसूरत सफेद दमकते चेहरे को देख कर वहीं ठिठक गया जैसे उसने किसी परी को देख लिया हो। 

उसके एक इशारे से उसके पीछे चल रहे बाकी के साए अंधेरे में ही छिप गए। वह धीरे धीरे सीढियों से उतरते हुए नीचे आया। नीचे आने के साथ साथ ही उसका भयानक रूप बदलते हुए एक सुंदर नौजवान में बदल गया। वह रूहानी के करीब आकर बैठते हुए बोला...आपको इतनी रात को इस अंधेरे से भरे भयानक जंगल में नहीं आना चाहिए था।

उसे एकदम से अपने पास बैठा देख रूहानी चौंकते हुए डर कर पीछे खिसक गई। उसका डर उसकी आंखों में साफ दिखाई दे रहा था।

वह लड़का बोला...डरिए मत! मैं भी आपकी तरह ही भटक कर यहां आ गया। रूहानी को उसकी मीठी आवाज और आंखों में सच्चाई दिखाई दी जिसकी वजह से उसका डर थोड़ा कम हो गया। जब उसने उस लड़के को गौर से देखा तो उसकी भूरी आंखों में खो गई मानों जैसे वह पहले भी इन आंखों में डूब कर खो चुकी हो।
लड़के की आंखों में असीमित प्यार झलक रहा था उसके लिए जैसे बरसों बाद बिछड़ी हुई अपनी प्रेमिका को देख रहा हो। वह उसे छूना चाहता था लेकिन रुक गया। यह बंगला उसके प्यार की दास्तान ही था।
रूहानी उठ खड़ी हुई। वह उस लड़के से बोली...क्या आप इसी गांव में रहते हैं ? 

लड़के ने कहा...नहीं, यहां किसी काम से आया था। और आप ?

रूहानी ने कहा...मैं भी किसी जरूरी काम से यहां आई थी और यहां इस भयानक जंगल में फंस गई। इतना ही नहीं बड़ी मुश्किल से भेड़िए से जान बचा कर यहां तक पहुंची हूं। मुझे लगा ही नहीं था कि मैं जिंदा बच पाऊंगी। वो भेड़िया बहुत खतरनाक था। उसकी आंखें मुझे अब भी डरा रही हैं। आप कैसे पहुंचे यहां ?
वह लड़का बोला...मुझे पता चला था कि यहां हमारी बरसों पुरानी हवेली है जो वीरान पड़ी हुई है और उसे तलाशते हुए जब यहां पहुंचा तो पता चला कि यह बीच जंगल में एक खंडहर बन चुका डरावना बंगला है। निकलने से पहले रात हो गई इसलिए यही हूं। वैसे क्या मैं आपका नाम जान सकता हूं ?

रूहानी ने कहा....इसका मतलब यह बंगला आपका है ? शायद किसी वक्त में यह आलीशान हवेली या कोई राजसी महल हुआ करता होगा ? मेरा नाम रूहानी शर्मा है। और आपका ?

उस लड़के ने कहा...मेरा नाम आरव है। 

वह दोनों बातें करते हुए धीरे धीरे चलते हुए एक बड़े से हॉल की दीवार के पास आकर रुक गए। उस दीवार पर कई तस्वीरें लगी हुई थी साथ ही बीच में एक बड़ी सी तस्वीर लगी हुई थी जिसमें धुंधले से राजकुमार और राजकुमारी की तरह दिखने वाले युवक युवती का चित्र था। रूहानी उस तस्वीर को ध्यान से देखने लगी।
तभी बाहर से भेड़ियों के दहाड़ने की जोर जोर की आवाजें आने लगी। आरव ने बाहर झांक कर देखा हजारों की संख्या में घुर्राते हुए भेड़िए बंगले के बाहर खड़े हुए थे। उनके आगे उनका सरदार खड़ा हुआ था जिसकी दहाड़ से हवेली की ईंटें कांप रही थी। वह ऐसे खड़ा था मानों कोई बरसों पुराना बदला लेने आया हो।

आगे क्या होगा जानने के लिए इंतजार करें अगले अध्याय का। कहानी पसंद आ रही है तो कमेंट में लिखकर जरूर बताएं। धन्यवाद 🙏