गाँव के बाहर एक जर्जर हवेली थी, जिसे लोग "शापित हवेली" कहते थे। कहते थे कि वहाँ रात को अजीब आवाज़ें आती हैं—कभी रोने की, कभी किसी के जोर से हँसने की, और कभी चीख़ों की। गाँव वाले वहाँ जाना तो दूर, उस रास्ते से भी जल्दी निकल जाते।
लेकिन अर्जुन, जो शहर से पढ़ाई करके लौटा था, इन सब बातों पर विश्वास नहीं करता था। उसे लगता था कि ये सब अंधविश्वास है। उसने दोस्तों से कहा, “मैं साबित कर दूँगा कि हवेली में कुछ नहीं है।” और उसी रात, वो अकेला हवेली में चला गया।
रात के बारह बजे जब उसने हवेली का भारी दरवाज़ा खोला, तो चरमराने की आवाज़ गूँजी और ठंडी हवा का झोंका आया। अंदर का सन्नाटा डर पैदा कर रहा था। मकड़ी के जाले, टूटी खिड़कियाँ और दीवारों पर अजीब धब्बे। उसने टॉर्च जलाई तो देखा कि दीवारों पर किसी ने खून से अजीब आकृतियाँ बनाई थीं। अचानक पीछे से दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। अर्जुन घबराकर चिल्लाया, लेकिन आवाज़ हवेली की दीवारों में गूँजकर लौट आई।
उसे लगा जैसे कोई उसके पीछे चल रहा है। जब उसने मुड़कर देखा तो उसका खून जम गया। सामने एक काली परछाईं थी—लंबे बाल ज़मीन पर घिसट रहे थे, और आँखें लाल अंगारों जैसी चमक रही थीं। वो धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रही थी। एक भारी आवाज़ गूँजी, “क्यों आए हो यहाँ? ये मेरी जगह है…”
अर्जुन ने टॉर्च गिरा दी और पीछे हटने लगा। परछाईं उसके करीब आकर बोली, “सालों पहले मेरी हत्या इसी हवेली में हुई थी। मेरी चीख़ें किसी ने नहीं सुनीं। मेरी आत्मा आज भी भटक रही है। जो यहाँ आता है, उसे मेरे दर्द का हिस्सा बनना पड़ता है।”
इतना कहकर उसने अर्जुन का हाथ पकड़ लिया। अर्जुन को लगा जैसे बर्फ़ की सुइयाँ उसकी नसों में घुस रही हों। उसने पूरी ताक़त से हाथ छुड़ाया और भागने लगा। लेकिन हवेली के हर दरवाज़े अपने आप बंद हो चुके थे। अचानक हवेली के हर कोने से और भी परछाइयाँ निकलने लगीं। उनकी आँखें भी लाल थीं और सब उसकी ओर बढ़ रही थीं।
अर्जुन चीख़ते हुए बोला, “बचाओ!” लेकिन उसकी आवाज़ हवेली की दीवारों में कैद हो गई। कुछ ही पलों में अंधेरा पूरी तरह छा गया।
अगली सुबह गाँव वाले हवेली के पास पहुँचे। दरवाज़ा आधा खुला था, लेकिन अंदर सिर्फ़ अर्जुन की टूटी हुई टॉर्च पड़ी थी। उसका कोई निशान नहीं मिला। गाँव में खबर फैल गई कि अब हवेली और भी खतरनाक हो गई है, क्योंकि वहाँ अब एक और आत्मा भटकती है—अर्जुन की।
"और आज भी जब आधी रात को उस हवेली से चीख़ सुनाई देती है, लोग कहते हैं कि वो अर्जुन ही है… जो अब कभी बाहर नहीं आ पाया।""शायद मौत से ज़्यादा डरावनी चीज़ है—एक अधूरी आत्मा की कहानी, जो खत्म होकर भी खत्म नहीं होती।"
"क्या आपने कभी किसी ऐसी जगह की सिहरन महसूस की है जहाँ सन्नाटा भी बोलता है? अगर हाँ… तो आप समझ पाएँगे कि अर्जुन के साथ क्या हुआ।" जे मेरी स्टोरी अच्छी लगी तो लाइक जरूर करना के ऐसी और स्टोरी चाहिए तो जरूर बताया मैं उस कॉन्टेंट पर स्टोरी पब्लिश करूंगी धन्यवाद।