Dragon Prince Yash - 1 in Hindi Anything by Isolated Life books and stories PDF | ड्रैगन प्रिंस यश - 1

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ड्रैगन प्रिंस यश - 1

शीर्ष वीर अमृत Dragon ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत दुनिया, Ambrosian में अनगिनत शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था झोमार साम्राज्य।

यहाँ इस साम्राज्य के उत्तर पश्चिमी इलाके में थी एक खास Academy, जिसका नाम था Warlike universe academy.

उस academy के एक छोटे से hall में शांति के बीच, इस वक्त दो लड़के एक दूसरे को घूरते जा रहें थे और उनके चारों ओर उस academy के ढेर सारे students खड़े थे। जिनकी आँखों में डर और हैरानी साफ झलक रही थी।

उस शांति के बीच, शाही कपड़े पहने एक लड़का खड़ा था, जिसका नाम था यशवंत राव। उसने अपने सामने खड़े आलीशान कपडें पहने लड़के को देखकर हंसते हुए कहा, - “अमरान! मैं कहाँ तुझे सोनिका से मुकाबला करने के लिए कह रहा हूँ। मेरे कहने का मतलब है कि इस बार के मुकाबले में Participation token का दांव हम दोनों के बीच लगेगा।”

इतना कहते ही यशवंत ने अपनी जेब से एक चमकता हुआ pendant बाहर निकाला और उसे अपने सामने दिखते desk पर पटकते हुए आगे कहा, - “अगर इस मुकाबले में तुम जीते, तो ये magical pendant तुम्हारा हो जाएगा और अगर मैं जीता, तो तुम्हें मुझे सोनिका का participation token वापिस लौटाना होगा।”

उस Hall में खड़े कई लड़कों और लड़कियों की साँसें थम सी गई, जब उन्होंने यशवंत को अपनी जेब से magical pendant बाहर निकालते हुए देखा। 

तभी अचानक यशवंत के कानों में फिक्र से भरी एक मधुर आवाज पड़ी, - “लेकिन राजकुमार यश, ये करना आपके लिए बहुत खतरनाक होगा!”

यशवंत की चुनौती से उसके बगल में खड़ी गुलाबी uniform पहने एक खूबसूरत लड़की, जिसका नाम सोनिका था। वो बहुत ज्यादा घबरा गई। उसने हडबडाते हुए आगे कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन वो कुछ कह ही नहीं पाई।

सोनिका को यशवंत के magical pendant की कोई परवाह नहीं थी, बल्कि वो तो बस इसलिए उसे रोकना चाह रही थी क्योंकि वो अमरान से मुकाबला करना चाहता था। जिसने पहले ही अपने दो शक्ति आवर्तन खोल लिए थे। और रही बात यशवंत की, तो वो शुरू से ही अपने किसी भी शक्ति आवर्तन को नहीं खोज पाया था, ऐसे में उन्हें खोलना तो बहुत दूर की बात थी।

यहां Ambrosian की दुनिया में हर इंसान के शरीर में आठ शक्ति आवर्तन होते थे, जो धीरे धीरे तब बनते थे, जब कोई इंसान लगभग तेरह साल का हो जाता था। यही वो समय होता था, जब उन आठ शक्ति आवर्तनों को खोजने की जरूरत पड़ती थी।

महज आठ शक्ति आवर्तनों को खोजने से ही कोई मामूली इंसान ताकतवर बनने के लिए अपनी training शुरू कर सकता था। ये शक्ति आवर्तन खोलने का शुरुआती कदम माना जाता था, जहां से आगे की और भी बहुत सी trainings शुरू होती थी।

अपने बगल खड़ी सोनिका के चेहरे की घबराहट देखकर यशवंत ने उसे शांत रहने का इशारा किया और फिर अमरान से हंसते हुए पूछा, - “क्यों! अब क्या हुआ अमरान? है हिम्मत तुम्हारे अंदर मुझसे मुकाबला करने की!”

यशवंत की इस हंसी से बिल्कुल अलग, अमरान की आँखें लालच से चमकने लगी। वो एकटक desk पर पड़े उस चमकते हुए magical pendant को घूरता जा रहा था।

अगले ही पल, अमरान ने जीभ से अपने सूखे होंठ गीले किए और हंसते हुए जवाब दिया, - “हाहाहा, अब जब राजकुमार यश अपने magical pendant को मुझे एक तोहफे के तौर पर देने के लिए इतनी हड़बड़ी देखा रहे है, तो फिर मैं मना कैसे कर सकता हूँ।”

इतना कहने के बाद, अमरान ने गौर से यशवंत के दुबले पतले कमजोर शरीर को देखा और आगे कहा, - “वैसे कहा जाता है कि हमलों के दौरान हाथ पैरों की आँखें नहीं होती। मुकाबले के मैदान में कभी भी कुछ भी हो सकता है राजकुमार यश! इसलिए जरा संभलकर, वरना बाद में मुझे मत कहना कि मैंने तुम्हें बहुत बुरी तरह जख्मी क्यों किया!”

ऐसा नहीं था कि अमरान को यशवंत की चुनौती सुनकर कोई हैरानी नहीं हुई। वो भी साफ देख सकता था, इस वक़्त उसकी और यशवंत की शक्तियों के बीच कितना बड़ा फासला था।

अमरान की बातों को नजरअंदाज कर यशवंत ने अपने चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान लाते हुए कहा, - “मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम्हारी ये बातें मुकाबले के दौरान तुम पर ही भारी न पड़ जाए!”

इस पर अमरान जोर जोर से हँसते हुए यशवंत को घूरने लगा, जैसे कि वो उसकी कमजोरी का मजाक बना रहा हो। फिर बाद में उसने धीरे से अपने हाथों को चटका और अपनी desk से खड़ा होकर hall से बाहर जाने से पहले यशवंत से कहा, - “ठीक हैं फिर, मैं बाहर मुकाबले के मैदान में तुम्हारे आने का इंतजार करूँगा राजकुमार यश! जरा मैं भी तो देखूँ, तुम कैसे मुझसे मेरे जीते हुए participation token को वापिस लेते हो?”

इतना कहकर अमरान हंसते हुए उस hall से बाहर चला गया और वहाँ मौजूद ज्यादातर students आँखें बड़ी-बड़ी करके यशवंत को देखने लगे। फिलहाल उन सबके चेहरे साफ बता रहे थे कि यशवंत बहुत बड़ी बेवकूफी करने जा रहा था, जिसका अंजाम उसके लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता।

अमरान के उस hall से जाने के थोड़ी ही देर बाद, यशवंत भी सोनिका के साथ चलता हुआ सीधे मुकाबले के मैदान में आ पहुँचा।

वहाँ आते ही उसने देखा कि warlike universe academy का वो बड़ा सा मैदान, फिलहाल जहाँ इस वक्त बहुत से students की भीड़ नज़र आ रही थी, आज वो पूरी तरह शोर से भरा हुआ था।

उस बड़े से मैदान के आसपास ज्यादातर students कुर्सियों पर आराम से बैठे हुए आपस में बातें करते दिखाई दे रहे थे। बहुत ही कम ऐसे students थे, जो मुकाबले के मैदान में उतरकर एक दूसरे के साथ practice कर रहे थे।

सिर्फ लड़के ही नहीं, बल्कि वहाँ पर ढ़ेर सारी खूबसूरत लड़कियां भी मौजूद थी, जिनकी निगाहें मुकाबला कर रहे कुछ चुनिंदा students पर टिकी हुई थी।

इतने में, उन सभी लड़कों और लड़कियों का ध्यान अपनी ओर खींचते हुए जब अमरान अलसाए अंदाज़ में चलता हुआ मैदान के एक खाली हिस्से पर आ रुका, तब उसे देखकर हर कोई पूरी तरह से शांत हो गया।

दरअसल, थोड़ी देर पहले यशवंत ने अमरान को जो चुनौती दी थी उसकी खबर बहुत जल्द सबके कानों तक पहुंच चुकी थी। जिसपर किसी को भी पहले यकीन नहीं हुआ लेकिन अब अमरान के मैदान में आते ही सभी समझ गए कि वो खबर झूठी नहीं थी।

तभी उस खबर के बारे में सोचकर कई students आपस में बातें करने लगे, - “क्या सचमें राजकुमार यश अमरान से मुकाबला करना चाहते हैं!”

“लेकिन ये कैसे मुमकिन है! राजकुमार यश ने तो अभी तक अपने एक भी शक्ति आवर्तन को नहीं खोला हैं, जबकि अमरान ने पहले ही अपने दो शक्ति आवर्तन खोल लिए हैं। ऐसे में राजकुमार यश उससे मुकाबला कैसे करेंगे!”

“हाँ! बात तो तुम्हारी सही हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं, अमरान कितना शातिर और मतलबी इंसान हैं। मुझे ऐसा लगता है, उसने पिछली बार की तरह इस बार भी पक्का ही कोई चाल चली है ताकि वो सोनिका की तरह राजकुमार यश को मजबूर कर सके अपने साथ मुकाबला करने के लिए, वरना तुम सोचों! कौन चाहेगा खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना!”

“अरे हाँ भाई, तुमने बिल्कुल सही कहा। पिछली बार अमरान ने राजकुमार यश के बारे में झूठी खबरें फैलाकर सोनिका को बहुत ज्यादा नाराज कर दिया था और उसे अपने साथ मुकाबला करने के लिए मजबूर भी किया था। वैसे अपनी तीन शक्ति आवर्तनों वाली ताकत और लाजवाब काबिलियत के दम पर उस मुकाबले में सोनिका जीत सकती थी लेकिन अमरान ने अपने एक उत्पत्ति हथियार की मदद से उसे बुरी तरह हरा दिया। इसमें कोई शक नहीं कि उस मुकाबले में अमरान ने सोनिका के खिलाफ सिर्फ एक जाल बिछाया था ताकि वो उसका participation token छीन सके।”

“क्या यार दोस्तों! छोड़ों भी अब उस बात को, आज देखना ये है कि इस बार अमरान क्या करता है?”

अगर देखा जाए तो, कोई भी इंसान जिसने अपना पहला शक्ति आवर्तन खोल लिया होता था, उनके शरीर की ताकत, रफ्तार और मजबूती बहुत ज्यादा बढ़ जाती थी। ऐसे में उनके लिए किसी ऐसे को हराना चुटकियों का काम था, जिसने अपना एक भी शक्ति आवर्तन नहीं खोला होता था।

ज्यादातर students यही सब सोचकर इस वक्त हैरान परेशान दिख रहे थे, क्योंकि उनकी नज़रों में ये मुकाबला पुरी तरह से एक तरफा होने वाला था।

वहीं, उस बड़े से मैदान के एक हिस्से पर अलसाए अंदाज़ में खड़ा अमरान अपने आसपास की हैरानी परेशानी भरी बातें सुनकर अपनी हंसी नहीं रोक पाता।

अमरान सोच रहा था कि चाहे वे सभी कुछ भी कहें या समझे। अगर मुकाबले के मैदान में आज उसने यशवंत को बहुत बुरी तरह जख्मी कर दिया, तो ये खबर पूरी warlike universe academy में जंगल की आग की तरह फैल जाएंगी। जिससे हर तरफ बहुत बडा हंगामा खड़ा हो जाएगा। 

ऐसा इसलिए क्योंकि यशवंत झोमार साम्राज्य का राजकुमार था और एक जाने माने ताकतवर महा अलंकृत राव दल का उत्तराधिकारी। ऐसे मुकाबले में यशवंत के हारने का मतलब था उसकी और उसके दल की इज्ज़त का सबके सामने मज़ाक बनना।

जिस वक्त अमरान अपने इन ख्यालों में खोया हुआ था, उसी वक्त students की भीड में हलचल होनी शुरू हो गई। हड़बड़ी में जैसे ही सभी students अपनी अपनी जगह से दूर हटे, तभी उनमें से एक कमजोर दिखता दुबला पतला लंबा लड़का धीरे-धीरे चलता हुआ सामने आया।

इस वक्त उस लड़के के चेहरे पर गजब की चमक थी और आँखों में एक अलग ही ठहराव, जिससे समझ आ रहा था कि वो लड़का काफी तजुर्बेदार और समझदार था। ये कमजोर दिखता दुबला पतला लंबा लड़का कोई और नहीं, बल्कि यशवंत था।

यशवंत बेफिक्र होकर सबकी नज़रों के सामने धीमें कदमों से चलकर अमरान की ओर बढ़ने लगा, तभी उसे फिक्र से भरी एक आवाज सुनाई दी, - “राजकुमार यश! आप अपना ध्यान रखिएगा!”

ये फिक्र से भरी आवाज यशवंत के बगल में चल रही सोनिका की थी। उसके चेहरे पर अभी भी घबराहट थी और वो कैसे भी करके यशवंत को रोकना चाह रही थी।

कुछ कदम आगे चलने के बाद, यशवंत ने सोनिका से मुस्कुराते हुए कहा, - “सोनिका, मैं पीछे नहीं हट सकता। तुम भी जानती हो कि अगर मैंने ऐसा किया, तो सभी मुझे कायर समझेंगे। क्या तुम चाहती हो कि आज मैं सबकी नज़रों के सामने अपना मज़ाक बनते हुए देखूँ!”

यशवंत की बात सुनकर सोनिका के कदम एकदम से रुक गए। अंदर ही अंदर वो भी जानती थी कि यशवंत सही कह रहा था इसलिए इस बार उसने कोई भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।

अपनी जगह चुपचाप खड़ी सोनिका नज़रें घुमाकर मैदान के एक हिस्से पर अलसाए अंदाज़ में खड़े अमरान को देखने लगी, जो इस दौरान अपनी आँखों में अजीब सी चमक के साथ एकटक यशवंत को ही घूर रहा था।

उसके चेहरे पर यशवंत की कमजोरी का मज़ाक बनाने जैसी झलक और शैतानी मुस्कान तैर रही थी। जिसके पीछे छिपे अमरान के बुरे इरादे सोनिका को आसानी से समझ आ गए थे।

तभी यशवंत की ओर देखकर उसने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, - “राजकुमार यश! इस बार के मसलें को ठीक से न संभालना और आपको इस मुश्किल में डालना, मेरी ही गलती हैं। आज मैं आपसे वादा करती हूँ! आगे से मैं कभी किसी की बातों में नहीं आऊंगी और न ही कभी किसी को रहम दिखाउंगी।”

अभी तक तो यशवंत धीमे कदमों से चलता हुआ बहुत आगे निकल चुका था, फिर भी उसे सोनिका की कही बात साफ सुनाई दी। जिसे सुनकर वो थोड़ा हैरान हो गया फिर भी खुश होकर उसने बिना पीछे देखे आगे चलते हुए सोनिका से बस इतना ही कहा, - “हम अच्छे दोस्त है, इसलिए एक दूसरे की मदद करना तो बनता ही हैं।”

यशवंत का ऐसा जवाब सुनते ही सोनिका मुस्कुराकर बस उसकी पीठ की ओर देखती रही। इस बीच, यशवंत चलते हुए अब मैदान के बीचों बीच खड़े अमरान के ठीक सामने आ चुका था।

इस तरह यशवंत को बेफिक्र अंदाज़ में अपने सामने खड़ा देखकर अमरान और जोर से हंसने लगा। उसने अपने कदम आगे बढ़ाए और यशवंत का मज़ाक बनाते हुए कहा, - “क्या बात हैं! मानना पड़ेगा राजकुमार यश! आपमें हिम्मत तो बहुत है। मुझे लगा था, आप मैदान में उतरने की बजाए अपने महल में भाग जाएंगे!”

इसके जवाब में यशवंत ने तुरंत ही अपनी आस्तीन सीधी करते हुए धीरे से कहा, - “लगता है, तुम खुद को कुछ ज्यादा ही ताकतवर समझते हो अमरान।”

अभी के लिए अमरान की नज़रों में यशवंत एक बेवकूफ था क्योंकि उसे लग रहा था यशवंत ने सोनिका की तरफ से participation token जीतने की बहादुरी दिखाई थी।

यही समझकर अमरान ने मुस्कुराते हुए कहा, - “सच कहूँ, तो मैंने कभी सोचा नहीं था कि राजकुमार यश एक खूबसूरत लड़की के लिए मुझसे टकराने की हिम्मत भी करेंगे। ये समझदारी कम, बेवकूफी ज्यादा लग रही है!”

अमरान की मज़ाक भरी ऐसी बेतुकी बातें नज़रअंदाज़ कर यशवंत ने और वक्त ज़ाया नहीं किया, बल्कि अगले ही पल उसने मुकाबले की तैयारी करते हुए कहा, - “चलो तो फिर मुकाबला शुरू करते हैं।”

इतना कहते ही यशवंत ने अपने दोनों पैर एक दूसरे से दूर कर लिए, जैसे कि वो किसी बेहद पुराने मजबूत पेड की तरह मैदान में खड़ा हो।

इससे पहले कि अमरान जवाब में कुछ कह पाता, यशवंत ने हाथ से इशारा करते हुए आगे कहा, - “पहला हमला तुम करों।”

जैसे ही यशवंत के कहे ये शब्द वहाँ मौजूद सभी students के कानों में पड़े, वे हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे। दरअसल, उन्हें बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यशवंत अभी क्या करने की सोच रहा था।

यही सवाल मैदान में खड़े अमरान के मन में भी चल रहा था लेकिन उसने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा क्योंकि उसे लगा, यशवंत उसे सबके सामने नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा था।

यही समझकर अमरान ने एक बार फिर यशवंत का मज़ाक बनाते हुए कहा, - “लगता है राजकुमार यश सबके सामने अपनी बेइज्जती होने का और इंतजार नहीं कर पा रहे। चलो तो फिर, मैं ही पहला हमला करता हूँ!”

इतना कहकर, एक बेरहमी भरी मुस्कान के साथ अमरान ने जमीन पर जोर से अपना पैर पटका और तेज़ी से यशवंत की ओर बढ़ा। अगले ही पल उसकी पांचों उंगलियां मुक्के में बदल गई, जिसके आस पास से हवा के कटने की हल्की आवाजें सुनाई दी।

अमरान के उस मुक्के के अंदर इस वक्त चट्टानों में दरारें लाने जितनी ताकत थी, जिसे महसूस कर यशवंत अपनी जगह पर ही खड़ा रहा। उसने अपने बचाव के लिए कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि अमरान के हमले का सामना करने के लिए अपने दोनों हाथों को ऊपर किया और फिर उन्हें धीरे से अंदर की ओर मोड़ दिया।

मैदान में मौजूद कुछ students यशवंत को इस तरह अमरान के हमले का सामना करने की तैयारी करते देख घबरा गए और उन्होंने तुरंत ही अपनी नज़रें झुका ली क्योंकि वो भी महसूस कर पा रहे थे कि अमरान के हमले में कितनी ताकत थी।

सीधे सीधे उसके इस हमले का सामना करने का मतलब था यशवंत की हड्डियों का टूटना। ऐसा इसलिए क्योंकि अमरान कोई मामूली student नहीं था, बल्कि उसने अपने शरीर के दो शक्ति आवर्तन खोल लिए थे, जिस वजह से उसके शरीर की ताकत, रफ्तार और मजबूती बहुत ज्यादा बढ़ गई थी।

ऐसे में यशवंत और अमरान के बीच का ये मुकाबला महज एक हमले में ही खत्म होने वाला था। कई students मन ही मन यही सोचकर मायूस होने लगे।

उन सबकी नज़रों के ठीक सामने, मैदान के बीचों बीच अमरान ने बेझिझक अपने मुक्के की रफ्तार बरकरार रखते हुए, पूरी ताकत से यशवंत के सीने पर एक जोरदार हमला कर दिया लेकिन उसका हमला यशवंत के सीने की बजाय उसकी कलाइयों पर जा लगा, जिससे मैदान में एक दबी हुई आवाज सुनाई दी।

इस हमले से झटका खाकर यशवंत के पैर जमीन पर खिसकते हुए दो मीटर दूर जा रुके, ये देखकर किसी को भी कोई हैरानी नहीं हुई। उल्टा सबकी मायूसी और ज्यादा बढ़ गई।

इतने में, मैदान से किसी की दर्द भरी चीख सुनाई दी, - “आ आह!”

इस अचानक आई आवाज को सुनकर हड़बड़ाते हुए जब सभी ने मुड़कर देखा, तो उन्हें समझ आया कि ये चीख यशवंत की नहीं, बल्कि उससे थोड़ी दूर खड़े अमरान की थी।

जिसके जोरों से काँपते दाहिने हाथ को देखकर हर कोई दंग रह गया। और ये देखते ही किसी को भी अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ कि कैसे चट्टानों को चीरकर रख देने वाली ताकत यशवंत को कोई नुकसान नहीं पहुँचा पाई थी।

वहीं, मैदान के ऊपर खड़ा अमरान फिलहाल अपने लाल पड़ चुके हाथ की हालत देखकर दर्द से कांप रहा था। इसी कंपकंपी के साथ उसने यशवंत की ओर नज़रें घुमाई और चिल्लाते हुए पूछा, - “राजकुमार यश! तुमने अपनी आस्तीन में क्या छिपाया हैं?”