सनातन देवताओं कि महत्वपूर्ण श्रृंखला मे प्रथम तीन देव एवं देवियो का उद्धरण मिलता है जिसे त्रिदेव एवं त्रिदेवी के रूप से नीरूपित किया जाता है ब्रह्मा निर्माण के देवता जिनके पुत्रो को सृष्टि मे प्रज़ापती का दर्जा प्राप्त है विष्णु जी सृष्टि के पालक देवता है जिनके द्वारा सृष्टि कि आवश्यकता अनुसार अवतार लेकर सृष्टि का कल्याण विकास किया जाता है भगवान विष्णु के ही अवतार मत्स्य से लेकर राम, कृष्ण,बुद्ध आदि अवतरो का वर्णन है शिव शंकर महाकाल सृष्टि मे सांघर के देवता के रूप मे जाने जाते है सनातन धर्म मे नारी शक्ति को ब्रह्म सत्ता अर्थात परब्रह्म परमेश्वर कि आधी शक्ति के रूप मे परिभाषित प्रमाणिकता को स्वीकार करता है एवं पर ब्रह्म परमात्मा परमेश्वर को अर्ध नारिश्वर के रूप मे प्रस्तुत करता है ब्रह्मा के अनेक मानस पुत्रो का वर्णन आता है भगवान विष्णु के अवतरो के संतानो का विवरण जैसे राम के लव,कुश भगवान श्री कृष्ण के प्रदुमन्न भगवान शंकर के दो पुत्रो का वर्णन प्राप्त है कार्तिकेय एवं गणेश जी
त्रिदेवीया सरस्वती लक्ष्मी एवं पार्वती जी है जिनके अनेक स्वरूप है जैसे नौ दुर्गा जिनकी उपासना के लिए वर्ष मे 36 दिन निर्धारित किए गए है प्रत्यक्ष शारदीय एवं वाशांतिक नवरात्रि गुप्त दो और है सनातन कि मान्यता ही नहीं ईश्वरीय सिद्धांत मे महादेव के पुत्र भगवान गणेश का सर हाथी का है और शेष शरीर मनुष्य जैसा नारायण भगवान विष्णु के अवतरो मे चौथा अवतार भगवान नरसिंह अवतार जिसमे सर जिसमे शेर एवं मनुष्य के समन्वय कि काया थी!इसी प्रकार दक्ष प्रज़ापाती का सिर बकरे का था तीनो साक्ष्य यह स्पष्ट करते है कि प्राणी मात्र कि संवेदना एवं आत्मीय बोध सामान है जिसे ईश्वर या परमात्मा के एकात्म स्वरूप मे परिभाषित किया जाता है भगवान गणेश माता पिता के सेवक भक्त के आदर्श देव है माता के आदेश के कारण ही उन्हें हाथी का सिर मिला
भगवान गणेश एवं विश्व शांति ---
जन्म---
माता पार्वती ने उबटन से एक बालक कि मूर्ति बनाई और उसमे प्राण डाला और उसे द्वारपाल का दायित्व सौंप स्वंय अंतपुर चली गयी कुछ देर पश्चात महादेव आए और द्वार पर खडे बालक से अंदर जाने के लिए कहा खडे बालक ने उन्हें जाने से मना यह कहते हुए किया कि माता का आदेश है महादेव एवं बालक मे विवाद इतना बढ़ गया कि महादेव क्रोधित होकर अपने त्रिसूल से बालक का गला काट दिया ज़ब पार्वती ने पिता द्वारा वध किया जाना देखा तो क्रोधित हो पुत्र गणेश को जीवित करने के लिए महादेव से कहा महादेव ने अपने गणो से कहा जो भी प्राणी उत्तर दिशा को सर कर सोया हो उसका सिर लाया जाए शिव गण आराध्य का आदेश पाते ही ऐसे प्राणी कि खोज मे निकल पड़े कुछ दुरी पर उन्हें हाथी का बच्चा उत्तर मुख कर सोया मिला जिसका सिर गण लें आए जिसके जुड़ने से भगवान गणेश पुनर्जवित हो गए ऐसा विश्वास है कि उबटन कि बालक मूर्ति मे प्राण प्रतिष्ठा से जन्मे गणेश सिर्फ माता पार्वती का अंश आशीर्वाद था महाकाल महादेव कि लीला से बालक गणेश का महादेव द्वारा सिर छेड़न एवं पुनः उन्ही के द्वारा पुनर्जवित करना माता पार्वती एवं पिता महादेव कि सयुंक्तता कि उत्पति भगवान गणेश है!
प्रथम पूज्य देव---
देवताओं मे एक बार इस बात पर चर्चा एवं बहस शुरू हो गई कि देवताओं मे प्रथम पूज्ज का अवसर किसे दिया जाना चाहिए विवाद का हल निकलते न देख नारद मुनि समस्या के निवारण हेतु महादेव के पास गए महादेव ने अपने दोनों पुत्रो मे कार्तिकेय जी को मोर एवं गणेश जी को चूहा देकर समुर्ण ब्राह्मण का चककर लगा कर जो सबसे पहले वापस आएगा उसे प्रथम पूज्य देवता का स्थान देने कि घोषणा कि षडानन अर्थात भगवान कार्तिकेय मोर पर सवार होकर ब्रह्माड का चक्कर लगाने निकल पड़े ज़ब तक वह लौटे तब तक गणेश जी ने अपने माता पिता के तीन चक्कर चूहें पर सवार होकर लगा चुके थे महादेव गणेश जी कि पितृ भक्ति एवं बुध्दिमत्ता का कायल होते हुए उन्हें प्रथम पूज्ज देव का आशीर्वाद दिया!!
भगवान श्री गणेश जी कि दो पत्नियां रिद्धि एवं सिद्धि है!
रिद्धि --भौतिक सफलता और बुद्धि कि देवी है रिद्धि कि आराधना से सरस्वती प्राप्त होती है!
सिद्धि ---भौतिक सुख धन धान्य कि आराध्य जिनकी उपासना से सुख सवृद्धि धन धान्य कि प्राप्ति होती है!
शुभ देव --
भगवान गणेश विघ्न हर्ता, प्रथम पूज्य देव,ज्ञान बुद्धि के देवता,शुभता व सवृद्धि के प्रतीक,कार्य कि निर्वाध पूर्णता के इष्ट रिद्धि सिद्धि के स्वामी होने के कारण शुभ देव कहे जाते है!!
असुरों का सांघर --
भगवान श्री गणेश ने वक्रतुण्ड अवतार लेकर मत्सासुर का वध किया जो देव शिव भक्तों को सताया करता था!
महोदर रूप धारण कर भगवान श्री गणेश ने मोहा सूर का वध किया जिसने देवताओं को स्वर्ग से निकाल दिया था!
भगवान श्री गणेश ने एक दन्त अवतार लेकर मद (मदनासूर का वध किया जो मद नशे का प्रतीक था!
श्री गणेश जी ने विकट अवतार लेकर मोर पर बैठकर कामा सूर का वध किया जो काम वासना का प्रतीक था!
भगवान श्री गणेश ने लम्बोदर रूप धारण कर क्रोधा सूर का वध किया!
भगवान श्री गणेश जी ने गज़ानन रूप धारण कर लोभा सूर का वध किया जो लोभ लालच का प्रतीक था!
धूम्र वर्ण अवतार लेकर भगवान श्री गणेश ने अहंतासूर का आतंक समाप्त किया!
पिता भगवान शिव कि तपस्या से सिद्ध शक्तिवान गज मुगा सूर का वध भगवान श्री गणेश ने किया!
विघ्नराज स्वरूप मे दैत्य देवताओं को परेशान करता जिसका वध कर भगवान श्री गणेश जी ने देवताओं को मुक्त कराया!
भगवान श्री गणेश जी ने सिन्धु (सिंधुराज ), उसके सेनापति कमलसूर का वध किया!
भगवान गणेश एवं विश्व शांति - शांति सवृद्धि शुभ शांति पूर्णता सम्पूर्णता के सम्पूर्ण देव है विघ्न विनाशक प्रथम देवता प्राणी प्राण ब्रह्माड क़े स्वास धड़कन कि स्थाई भाव काम, क्रोध,मद, मोह,नशा जैसे आसुरी प्रवृतिओ के विनाशक देव वैश्विक शांति के आधार सिद्धांत स्तम्भ एवं विधि विधान नीति नियत नियता है भगवान गणेश का शुभ दिन बुधवार एवं भगवान कृष्ण का भी शुभ दिन बुधवार है भगवान कृष्ण एवं भगवान गणेश दोनों ही सृष्टि कि दृष्टि के आराध्य देव है जो शांति सवृद्धि का श्रोत आधर एवं मूल है!!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!