महाराज रुद्र प्रताप सिंह अपने भाई वीर प्रताप सिंह के साथ घर के सामने पहुंचते हैं, तो अंदर से औरतों के बातें करने की आवाज आती हैं, तो रूद्र प्रताप सिंह उन लोगों की बातें सुनने लगते हैं, और काफी देर तक सुनते हैं, अंदर से तीन लड़कीयों की आवाज आती हैं, शायद तीनो बहने होती हैं, बातें करके दो लड़कियां हंसने लगती हैं|
और इधर वीर प्रताप प्यास के मारे तिलमिला उठते हैं|
वीर प्रताप सिंह:- भाई साह जान निकल रही है प्यास के मारे, कुछ कीजिए|
रुद्र प्रताप सिंह आवाज देते हैं:-
रुद्र प्रताप सिंह:- अरे क्या अंदर कोई है?
अंदर से आने वाली आवाजे थम जाती हैं, फिर कुछ देर के बाद, एक बेहद ही खूबसूरत सी, किसी अप्सरा के जैसी, एक लड़की बाहर आती है, और देखती है, कि 2 व्यापारी बाहर खड़े हैं:-
लड़की:- माफ कीजिएगा आगंतुक! अगर आप व्यापारी हैं, और कुछ वेचना चाहते हैं, तो हम कुछ भी नहीं खरीद सकते, आप गांव में अंदर जा सकते हैं|
रुद्र प्रताप सिंह:- क्या पीने के लिए पानी मिलेगा? बहुत दूर से आए हैं|
लड़की अंदर जाती है, और एक बर्तन में ठंडा पानी ला कर देती है, दोनों भाई पानी पीते हैं|
रूद्र प्रताप सिंह:- हमारे घोड़े प्यासे हैं, यहां कहीं आसपास सरोवर होगा?
लड़की एक तरफ इशारा करती है, और दोनों भाई अपने घोडों को ले जाकर, थोड़ी दूरी पर सरोवर में पानी पिलाते हैं, और थोड़ी देर आराम कर के वहां से चलने लगते हैं|
दोनों भाइयों में कोई बात नहीं होती, दोनों ही चुपचाप अपने राज्य की ओर चले जा रहे हैं, रूद्र प्रताप सिंह देखते हैं, कि वीर प्रताप सिंह के चेहरे पर पहले जहां थकान थी, अब वहाँ मुस्कुराहट होती हैं|
रुद्र प्रताप सिंह:- क्या बात है? तुम कुछ ज्यादा ही खुश लग रहे हो|
वीर प्रताप सिंह:- हां भाई साह, खुशी की तो बात है|
रुद्र प्रताप सिंह:- ऐसी भी क्या बात है?
वीर प्रताप सिंह:- हमारे राज्य को महारानी मिलने वाली हैं, और हमें भाभी साह|
रुद्र प्रताप सिंह:- और यह सब कब और कैसे होने वाला है?
वीर प्रताप सिंह:- नहीं हुआ तो क्या हुआ? अब हो जाएगा?
रुद्र प्रताप सिंह:- हमें भी समझाओगे, कि यह सब कब और कैसे होने वाला है?
वीर प्रताप सिंह:- अरे इसमें समझाने वाली भला क्या बात हुई? आपने उस खूबसूरत लड़की की बात नहीं सुनी, उसकी यही तो इच्छा है, आप तो हर किसी की छोटी बड़ी इच्छा पूरी करते हैं, फिर उसकी एक छोटी सी इच्छा पूरी नहीं करेंगे, विश्वास नहीं होता, क्या महाराज रुद्र प्रताप सिंह इसलिए एक लड़की को अपने राज्य की महारानी नहीं बनाएंगे, क्योंकि वह एक गरीब लड़की है|
रुद्र प्रताप सिंह:- आज तक हमने हर किसी की इच्छा पूरी की है, इसके बारे में भी सोचते हैं, राजगुरु से बात करते हैं|
वीर प्रताप सिंह:- (फिर खुश होते हुए) यानी कि आप तैयार है भाई साह, वैसे हमने तो देखते ही उन्हें अपनी भाभी साह मान चुके हैं|
रूद्र प्रताप सिंह:- तुम खुश तो ऐसे रहे हो, जैसे हमने शादी कर ली हो|
वीर प्रताप सिंह:- अरे नहीं हुई, तो क्या हुआ, अब हो जाएगी|
और ऐसे ही बातें करते हुए दोनों भाई अपने राज्य पहुंचते हैं|
रूद्र प्रताप सिंह और वीर प्रताप सिंह अपने राज्य प्रतापगढ़ में आ जाते हैं, और अपने राज्य में काम कार्य में लग जाते हैं, कुछ नए नियम बनाए जाते हैं, कुछ नियम हटाए जाते हैं, लोगों को होने वाली परेशानीयों पर चर्चा की जाती है, और परेशानियों को खत्म करने के लिए कुछ नए उपाय सुझाए जाते हैं, और नई रणनीति बनाई जाती है|
1 दिन राजगुरु रूद्र प्रताप सिंह से कहते हैं:-
राज गुरु:- महाराज! अब इस राज्य को महारानी की जरूरत है, अगर आप कहें तो, हम अपने आसपास, और दूरदराज के राज्यों में किसी खूबसूरत और योग्य राजकुमारी की तलाश करें.............
वीर प्रताप सिंह:- राजगुरु! हमारे राज्य के लिए, अगर आप कहे तो, महारानी के योग्य किसी लड़की के बारे में हम बताएं, जो खुद को महारानी के योग्य मानती है|
राजगुरु:- क्या नजर में है कोई राजकुमारी?
वीर प्रताप सिंह:- गुरु जी महाराज जानते हैं, अगर आपकी आज्ञा हो, तो हम संदेशा भेजें|
रूद्र प्रताप सिंह:- इसमें आज्ञा वाली कौन सी बात है, तुम आज ही उन्हें राज महल आने का बुलावा भेज दो|
वीर प्रताप सिंह सेनानायक को आदेश देते हैं, किसी समझदार व्यक्ति को कुछ सिपाहियों के साथ भेजो, और चंदनपुर गांव में, उन तीनों बहनों का पता बता कर, राज दरबार में उपस्थित होने का आदेश देते हैं........
सेनानायक स्व्यं कुछ सिपाहीयों को लेकर चंदनपुर जाते हैं, और तीनों बहनों को महाराज निमंत्रण सुनाते हैं, और तीनों बहनो को साथ लेकर राज्महल कि ओर रवाना होते हैं|
प्रतापगढ़ को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है, हर घर को, हर सड़क को, और हर चौराहे को सजाया जा रहा है|
जब तीनो बहने राज्य में प्रवेश करती हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है, मानो जैसे कि राज्य में मेला लगा हुआ है|
छोटी लड़की:- महाशय! क्या राज्य में कोई उत्सव मनाया जा रहा है?
सेनानायक:- माफ कीजिएगा मोहतरमा, हमें इस बारे में कुछ भी अंदाजा नहीं है|
दरबार सजा हुआ है, आसपास के सभी राज्यों के राजाओं को बुलाया गया है, सारे लोग दरबार में अपनी अपनी जगह पर बैठे हुए हैं.........
राज महल के प्रवेश द्वार पर ही, सेनानायक को वीर प्रताप सिंह दिखाई दे जाते हैं.........
सेनानायक:- सेनापति जी! आपके मेहमान आ चुके हैं.....
और तीनों लड़कियों को बताते हैं, कि यह हमारे राज्य के सेनापति, और महाराज रूद्र प्रताप सिंह के छोटे भाई, वीर प्रताप सिंह है, तीनों लड़कियां वीर प्रताप सिंह को प्रणाम करती हैं, और वीर प्रताप सिंह तीनों बहनों को लेकर राज महल में प्रवेश करते हैं, और राज्य के रसोईया, वीरभद्र सिंह के साथ दरबार में उपस्थित होने का आदेश सेनानायक को देते हैं..........
तीनों बहनों के साथ वीर प्रताप सिंह राज दरबार में उपस्थित होते हैं, सभी लोग खड़े होकर उनका स्वागत करते हैं, तीनों बहनों को दरबार के बीच में बने हुए, 3 आसन पर बिठा दिया जाता है, अभी तभी वीरभद्र सिंह के साथ सेनानायक दरबार में उपस्थित होते हैं, उन्हें भी बैठने के लिए आसन दिए जाते हैं........
राजगुरु:- हमारे राज्य के लिए, आज का दिन सुनहरे अवसर के रूप में मनाया जा रहा है, जिसकी एक खास वजह है, जिससे महाराज हमें और आप सभी को अवगत कराएंगे.......
रूद्र प्रताप सिंह:- आज हमे आप सभी को यह बताते हुए बहुत ही खुशी हो रही है, कि आज हमारे राज्य मे तीन बडी शादियां होने वाली हैं, जिनमे कि आप सभी को आमनत्रित किया गया है|
और फिर...(बड़ी बहन की तरफ इशारा करते हुए) तुम्हारी यही इच्छा है ना, कि तुम्हारी शादी हमारे राज्य के रसोईया के साथ हो, जिससे कि तुम्हें हर रोज नए नए पकवान मिठाइयां खाने को मिले, यही तुम्हारा शौक है, इसलिए हम तुम्हारी शादी, अपने रसोईया के साथ करवाएंगे|
सारा दरबार तालियों की गड़गड़ाहट से भर जाता है, और सारे लोग बड़ी लड़की और वीरभद्र को शादी की बधाइयां देते हैं, बड़ी लड़की और वीरभद्र दोनों ही बहुत खुश होते हैं|
वीरभद्र:- महाराज मुझे तो विश्वास नहीं होता, कि महाराज खुद इतनी खूबसूरत लड़की से मेरी शादी करवाएंगे, आज मैं कितना खुश हूं, आपको बता नहीं सकता|
वीर प्रताप सिंह:- जाओ वीरभद्र शादी करो, और मजे से रहो, और राज्य की सेवा करते रहो|
रुद्र प्रताप सिंह:- (दूसरी बड़ी लड़की से) तुम्हारी यही इच्छा है ना कि तुम्हारी शादी हमारे सेनानायक के साथ ओ, जिससे कि तुम्हें राज्य की सारी सेना पर अधिकार प्राप्त हो, ताकि सारे लोग तुम्हें सलाम करें, और राज दरबार में तुम्हारा अच्छा खासा दबदबा हो, ताकत और इज़्ज़त यही ख्वाहिश है तुम्हारी, इसलिए हम तुम्हारी शादी हमारे सेनानायक के साथ करवाएंगे|
सारा दरबार एक बार फिर से तालियों की गड़गड़ाहट से भर उठता है, और सारे लोग लड़की और सेनानायक को मुबारकबाद देते हैं, सेनानायक सारे लोगों और महाराज का धन्यवाद करता है, लड़की और सेनानायक दोनों ही बहुत खुश होते हैं|
अब बारी होती है सबसे छोटी लड़की की, जोकि सिर झुका कर सबके सामने बैठी होती है......
रूद्र प्रताप सिंह:- (छोटी लड़की से) तुम्हारी यही इच्छा है ना कि तुम हमारे राज्य की महारानी बनो, और तुम्हारी शादी हमारे राज्य के, यानी कि इस राज्य के महाराज रूद्र प्रताप सिंह के साथ हो, तो ठीक है, हम स्वयं तुमसे शादी करेंगे, और तुम होगी प्रतापगढ़ की महारानी|
सभी लोग महाराज रूद्र प्रताप सिंह और लड़की को शुभकामनाएं देते हैं, और महाराज और महाराज और महारानी को मुबारकबाद देते हैं|
दोनों बड़ी बहनों की शादी उनकी इच्छा के अनुरूप करवा दी जाती है, और छोटी लड़की से महाराज पूरे रीति-रिवाज के साथ शादी करते हैं, तीनों बहनें बहुत खुश होती है, कि उनकी शादी उनकी इच्छा अनुसार हुई|
लेकिन बड़ी दोनों बहने वह सोचती है, कि उनकी छोटी बहन की शादी महाराज के साथ हुई, वो हमेशा महारानी बन कर रहेगी, और उन दोनों की शादी राज्य के मामूली से कर्मचारियों के साथ हुई है, और अब उन्हें अपनी छोटी बहन की दासी बनकर रहना होगा, यही सोच कर उन दोनों को बहुत दुख होता है, और दोनो मन ही मन अपनी छोटी बहन से ही ईर्ष्या करने लगती हैं, वे दोनो अपने ऊपरी मन से छोटी बहन की सेवा करती रहती हैं, लेकिन अंदर ही अंदर उससे बदला लेने का, और महारानी को नीचा दिखाने की योजना बनाती रहती है, और जल्दी ही उनकी यह इच्छा भी पूरी होती है..............
क्रमश:..............................