सुमन एक छोटी सी शहर की लड़की थी, जिसने बड़े सपने लेकर दिल्ली के एक कॉलेज में दाखिला लिया था। पढ़ाई में तेज़ होने के साथ-साथ वह मेहनती भी थी, लेकिन दिल का एक कोना खाली सा रहता था। सच तो यह था कि उसने अब तक प्यार का मतलब समझा ही नहीं था।
कॉलेज की पहली किताबों से भरी सुबह में, उसकी नज़र रणवीर पर पड़ी। वह एक मस्तमौला, हंसमुख और हाजिरजवाब लड़का था, जो हर किसी के दिल को खुश रखने की कोशिश करता था। सुमन ने पहली नजर में उसे पसंद करना तो दूर, उससे दूर रहने की कोशिश की, लेकिन किस्मत कुछ और ही खेल दिखा रही थी।
कुछ दिनों बाद गणित के एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए दोनों की जोड़ी बनी। शुरू-शुरू में वे बस औपचारिक बातें करते थे, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीता, उनकी बातचीत में मिठास आ गई। रणवीर जब भी अपना मज़ाकिया अंदाज दिखाता, सुमन हँस पड़ती। और वह हँसी, उसका दिल छू जाती।
एक दिन, रणवीर ने सुमन के लिए एक छोटी सी चॉकलेट लाकर दी। सुमन की खुशी का ठिकाना न रहा। इस छोटे से उपहार ने दोनों के बीच की दूरी को कम कर दिया। वे जल्दी ही लाइब्रेरी में साथ पढ़ने लगे, कभी कॉफी ब्रेक पर मिलते, और हर छोटी-छोटी बात शेयर करने लगे।
धीरे-धीरे दोनों ने समझा कि यह सिर्फ दोस्ती नहीं, बल्कि प्यार का सुराग है। रणवीर ने एक दिन हिम्मत करके सुमन से कहा, "तुम्हारे बिना यह कॉलेज अधूरा लगता है। क्या तुम मेरे साथ इस सफर को आगे बढ़ाओगी?" सुमन का हृदय विश्वास और खुशी से भर गया, और उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हाँ, हम साथ हैं तो कोई भी मुश्किल मुश्किल नहीं।"
मगर कॉलेज खत्म होने के बाद जिंदगी ने कुछ कठिन चुनौतियां दीं। रणवीर को दूसरे शहर में नौकरी मिली, और सुमन को विदेश में पढ़ाई के लिए ने कहा गया। दूरियां बढ़ने लगीं, बातें कम होने लगीं। पर दोनों ने अपना विश्वास नहीं खोया। वे रोज़ फोन पर बातें करते, वीडियो कॉल पर एक-दूसरे की हँसी देखते, और अपने सपनों को साझा करते।
कुछ महीनों बाद, रणवीर ने सुमन के शहर आने का प्लान बनाया। वह उसके दरवाज़े पर खड़ा था, हाथ में एक गुलाब और मुस्कान लिए। सुमन की आंखों में खुशी के आँसू भर आए। उस दिन उन्होंने महसूस किया कि सचमुच का प्यार दूरियों को भी मिटा सकता है।
उनकी कहानी यह सिखाती है कि प्यार मस्ती, हंसी, संघर्ष और विश्वास का संगम है। जब दो दिल सच्चे मिलते हैं, तो कोई भी दूरी उन्हें अलग नहीं कर सकती।
कई महीनों की दूरी और संवाद के बाद, जब रणवीर और सुमन ने महसूस किया कि उनकी उम्र, परिवार, और करियर की जिम्मेदारियाँ बढ़ रही हैं, तो उन्होंने एक गंभीर बात की। दोनों ने फैसला किया कि अब समय आ गया है अपने रिश्ते को अगले स्तर पर ले जाने का।
रणवीर ने सुमन से प्रस्ताव रखा कि वे दोनों जल्द ही शादी कर लें। यह खबर सुनकर सुमन के परिवार वाले भी खुश हुए, क्योंकि वे दोनों की सच्ची दोस्ती और लगाव को अच्छी तरह समझते थे। शादी की तैयारियों के बीच, दोनों ने अपने-अपने काम और पढ़ाई में भी ध्यान दिया।
शादी के बाद भी उनकी जिंदगी में रोज़ नए रंग आए। कभी ऑफिस की व्यस्तता, तो कभी घरेलू कामों के बीच वे एक-दूसरे का सहारा बने। वे एक-दूसरे को समझने, सहयोग देने, और प्यार जताने में किसी से पीछे नहीं रहे।
कुछ सालों बाद, जब उनका पहला बच्चा हुआ, तो उनका जीवन और भी रंगीन हो गया। वह बच्चा उनके प्यार की सबसे बड़ी खुशी थी। वे सभी चुनौतियों का सामना मिलकर करते, खुशियों को दोगुना करते।
उनकी कहानी बताती है कि प्यार सिर्फ शुरुआत नहीं, बल्कि जीवन भर साथ रहने, समझने और संभालने का नाम है। सुमन और रणवीर की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही साथी मिल जाए तो जिंदगी का हर सफर खूबसूरत बन जाता है।
समय के साथ, सुमन और रणवीर की जिंदगी में खुशियों की बहार आई। उन्होंने हर मुश्किल को साथ मिलकर पार किया और एक-दूसरे के सपनों को पूरा करने में हर संभव मदद की। उनका घर प्यार, सम्मान और समझदारी से भरा था।
एक शाम, जब वे अपने छोटे से बागीचे में बैठे थे, हाथों में हाथ लेकर, रणवीर ने मुस्कुराते हुए कहा, "हमारा सफर कितना खूबसूरत रहा, है ना?" सुमन ने भी खुशी से जवाब दिया, "हां, जब हम एक-दूसरे के साथ थे, तो हर पल जादू जैसा लगता था।"
उनके बच्चे खेल रहे थे, पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी, और आसमान में रंगीन सूरज की किरणें फैल रही थीं। वे जानते थे कि उनके बीच जो प्यार है, वह ज़िन्दगी का सबसे बड़ा खजाना है।
यहीं, उस शाम, दोनों ने फिर से अपनी प्रेम की कसमें खाईं —कि जैसे भी हों, हमेशा एक-दूसरे का साथ निभाएंगे, हर हाल में मुस्कुराते रहेंगे, एक-दूसरे की खुशी में खुश रहेंगे।
और इस तरह, सुमन और रणवीर की कहानी एक खूबसूरत, खुशहाल और प्रेम से भरी जिंदगी में बदल गई, जो उन्हें हमेशा एक-दूसरे के और भी करीब ले आई।