Internet ki Duniya - 3 in Hindi Moral Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | इंटरनेट की दुनिया - भाग 3

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इंटरनेट की दुनिया - भाग 3



आभासी बनाम वास्तविक 


प्रिया ने काम से कुछ देर का ब्रेक लिया था। उसने अपना फोन उठाया। वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर गई। सुबह उसने कुछ पिक्स पोस्ट की थीं। वह देखना चाहती थी कि कितने लोगों ने उन्हें लाइक किया है। उन पिक्स पर कितने कमेंट्स आए हैं। 

सिर्फ पाँच लाइक्स और एक कमेंट 'नाइस पिक्स' आया था।

प्रिया को निराशा हुई। कुछ दिन पहले वह अपनी कज़िन की शादी पर गई थी। उस शादी के अलग अलग फंक्शन्स की पिक्स ही उसने डाली थीं। उसे उम्मीद थी कि जब वह चेक करेगी तो लाइक्स और कमेंट्स की बाढ़ आई हुई होगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। उसने गुस्से से फोन डेस्क पर पटक दिया। 

पिछले दो साल से प्रिया वर्क फ्रॉम होम कर रही थी। दिनभर ऑफिस का काम करती थी। बीच बीच में अपने तीन साल के बेटे व्योम को देख लेती थी। उसे लगने लगा था कि वह एक बोरिंग सी ज़िंदगी में फंसकर रह गई है। 

उसने अपना फोन उठाया और अपने कॉलेज के दिनों की सहेली नम्रता के सोशल अकाउंट पर गई। नम्रता ने कुछ पिक्स डाली थीं। पिक्स में वह अपने पति के साथ किसी रेस्टोरेंट में थी। पिक्स पर बेशुमार लाइक्स और कमेंट्स थे। प्रिया के मुंह से निकला,

"कॉलेज में सब इसे बहनजी कहते थे। आज इसके हर लुक पर कितने लोग मरते हैं। लाइफ तो ऐसी होनी चाहिए। मेरी किस्मत में तो बस ये बकवास ज़िंदगी लिखी है।"

उसने फोन फिर वापस रख दिया। अपनी आँखें बंद करके चेयर पर थोड़ा पसर कर बैठ गई‌। 

"मम्मी...."

व्योम उसके पास आकर उसकी गोद में चढ़ने की कोशिश करने लगा। प्रिया का मूड अभी ठीक नहीं था।‌ उसने आवाज़ लगाई,

"रूबी...इसे ले जाओ।"

रूबी आकर व्योम को ले गई। व्योम जाना नहीं चाहता था इसलिए ज़ोर ज़ोर से रो रहा था। उसके रोने से प्रिया और खीझ रही थी।‌ उसने डांटते हुए कहा,

"ठीक से संभाल नहीं सकती हो। नीचे ले जाओ‌ तो बहल जाएगा।"

रूबी व्योम को लेकर निकल गई। प्रिया उठी और अपने लिए कॉफी बनाने लगी।

कॉफी पीते हुए वह सोच रही थी कि सबकी ज़िंदगी कितनी मस्त है। नम्रता को ही लो। हमेशा से एक एवरेज स्टूडेंट थी। जबकि वह टॉपर ना सही पर अच्छे मार्क्स लाती थी। उसने अच्छी डिग्री भी ले रखी थी‌। नम्रता ने सिर्फ बीए किया था। आज नम्रता कितनी अमीर और खुश है। अपना बिज़नेस कर रही है। उसका पति किसी बड़ी कंपनी में अच्छी पोस्ट पर है। जब कभी पिक्स और वीडियोज़ अपलोड करती है तो कहीं ना कहीं घूम रही होती है या पार्टी कर रही होती है। उसने एक आह भरकर कहा,

"यहाँ तो ज़िंदगी इस बोरिंग जॉब और समय‌ से पहले बुढ़ा चुके पति में फंसकर रह गई है।"

उसकी नज़र घड़ी पर पड़ी। ब्रेक खत्म होने वाला था। 


प्रिया के फ्लोर से दो फ्लोर नीचे राहुल अपने कमरे में बैठा था। वह अपने सोशल अकाउंट पर खुद को मिले कमेंट्स पढ़कर खुश था। कमरे के दरवाज़े पर नॉक हुई। उसकी मम्मी अंदर आईं। मिल्क शेक उसके सामने रखकर बोलीं,

"प्रशांत फोन कर रहा था। तुमने उठाया क्यों नहीं?"

राहुल ने मिल्क शेक का गिलास उठाते हुए कहा,

"आपको कैसे पता?"

"उसने मुझे फोन किया था। तुम्हारे बारे में फिक्र कर रहा था।"

राहुल ने गिलास वापस रखते हुए कहा,

"अजीब है। इतने पर भी समझ नहीं पा रहा है कि मैं उससे बात नहीं करना चाहता हूँ। मैंने फोन नहीं उठाया तो आपको फोन कर दिया।"

"तो बात क्यों नहीं करते हो उससे? बचपन का दोस्त है। कितना काम आया है तुम्हारे।"

अपनी मम्मी की बात राहुल को अच्छी नहीं लगी। उसने कहा,

"अगर वह काम आया है तो मैंने भी उसके बहुत से काम किए हैं। रही बचपन की दोस्ती की बात तो अब हम बच्चे नहीं रहे। कॉलेज में हैं हम दोनों।"

उसकी मम्मी ने कहा,

"ये क्या बात हुई? दोस्ती समय‌ के साथ बढ़ती है या खत्म हो जाती है। पुराने दोस्तों से तो और बनाकर रखना चाहिए। वो जितना आपको समझते हैं कोई और नहीं समझ सकता है।"

राहुल उनकी बात मानने को तैयार नहीं था।‌ उसने कहा,

"मम्मी आप पुराने ज़माने की बात कर रही हैं। आज‌ ज़माना बदल गया है। खैर आप समझेंगी नहीं। इतना जान लीजिए कि हम दोनों के बीच अब कोई मेल नहीं है।‌ उसकी पर्सनैलिटी और मेरी पर्सनैलिटी में बहुत अंतर है।"

उसकी मम्मी ने उसे घूरकर देखा। वह बोलीं,

"ठीक है... लेकिन अब फोन आए तो ये बातें उससे कह देना।"

वह कमरे से बाहर जाने लगीं। फिर रुककर बोलीं,

"मिल्क शेक पीकर गिलास यहीं मत छोड़ देना। किचन में जाकर धोकर रखना।"

अपनी मम्मी के जाने के बाद राहुल मिल्क शेक पीने लगा। वह अपनी और प्रशांत की दोस्ती के बारे में सोच रहा था। उनकी दोस्ती की शुरुआत तब हुई थी जब दोनों दस साल के थे। टेंथ क्लास तक दोस्ती बहुत अच्छी चली थी। इलेवेंथ से दोनों अलग अलग दिशाओं में चले गए। राहुल ने आर्ट्स चुना क्योंकि वह फाइन आर्ट्स में बैचलर डिग्री चाहता था। प्रशांत साइंस पढ़कर आगे इंजीनियरिंग में जाना चाहता था। उसके बाद दोनों ने स्कूल भी बदल लिए। धीरे धीरे दोनो की दोस्ती में दूरी आने लगी।‌

दोनों की दोस्ती में दूरी आने की वजह राहुल की सोशल मीडिया पर बढ़ती लोकप्रियता थी। वह एक अच्छा कलाकार था। अपनी ड्रॉइंग्स को सोशल मीडिया पर अपलोड करता था। लोग उसकी खूब तारीफ करते थे। राहुल सुंदर और स्मार्ट था। अपनी पिक्स और वीडियोज़ अपलोड करता था। इसके कारण बहुत से लोग उसे फॉलो करते थे। इनमें अधिकांश लड़कियां थीं। 

राहुल को प्रशांत की शख्सियत बहुत फीकी सी लगती थी।‌ वह सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव नहीं था। कभी कभी अपनी कोई साधारण सी पिक अपलोड कर देता था। उस पर भी कम ही लोग ध्यान देते थे।

सोशल मीडिया पर अपनी बढ़ती लोकप्रियता और प्रशांत की ढीली ढाली शख्सियत के कारण राहुल ने उससे दूरी बना ली थी। एक वक्त आया जब उसने उसे अपने सोशल अकाउंट पर ब्लॉक कर दिया था। जब कभी प्रशांत मिलने के लिए कहता तो वह टाल जाता था। फोन पर भी उससे कम बात करता था।

ट्वेल्थ पास करने के बाद राहुल ने फाइन आर्ट्स में दाखिला ले लिया। प्रशांत इंजीनियरिंग करने बाहर चला गया। उनके बीच बातचीत बंद हो गई। प्रशांत छुट्टियों में घर आया था। एक मॉल में उसकी मुलाकात राहुल से हुई। राहुल ने ये कहकर उसे इग्नोर किया कि बहुत ज़रूरी काम से जाना है। वह उसे छोड़कर चला गया। उसके बाद से प्रशांत फोन कर रहा था लेकिन राहुल जवाब नहीं दे रहा था। 

राहुल बड़बड़ाया,

"ये तो जबरदस्ती गले पड़ने वाली बात है। उस दिन मॉल में मैंने हिंट दे दिया था फिर भी मान नहीं रहा है।‌"

राहुल ने सोचा कि उसका नंबर ब्लॉक कर देता है। उसने फोन उठाया। नंबर ब्लॉक करने से पहले मैसेज लिखा कि मैं तुमसे दोस्ती नहीं रखना चाहता हूँ। मैसेज भेजकर उसने नंबर ब्लॉक कर दिया। प्रशांत का नंबर ब्लॉक करके उसे अजीब सी खुशी मिली। उसने अपने आप से कहा,

"मम्मी को क्या पता कि मेरी फॉलोइंग कितनी है। कितने लोग मुझे मैसेज करते हैं। कितनी लड़कियां मेरे चार्म की दीवानी हैं। मुझे प्रशांत जैसे ढक्कन की ज़रूरत नहीं है।"

उसने मिल्क शेक खत्म किया और आदत के मुताबिक गिलास टेबल पर छोड़ दिया।


अपना काम खत्म करके प्रिया अपने कमरे से बाहर आई तो देखा कि उसका पति अनुभव कॉफी पी रहा है। उसने कहा,

"आज जल्दी आ गए।"

अनुभव ने बिना उसकी तरफ देखे जवाब दिया,

"एक मीटिंग के लिए ऑफिस से निकला था। मीटिंग के बाद वापस जाने का मन नहीं किया।"

प्रिया उसके पास बैठ गई। उसने आवाज़ लगाई,

"रूबी....एक गिलास पानी ले आओ।"

रूबी पानी लेकर आई। साथ में व्योम भी था।‌ वह प्रिया की गोद में चढ़कर बैठ गया। प्रिया ने पानी पिया फिर व्योम को उतार कर बगल में बैठा दिया। व्योम फिर उसकी गोद में बैठने की कोशिश करने लगा। प्रिया ने उसे डांटा,

"चुपचाप बैठो...."

व्योम रोने लगा‌। रूबी उसे ले गई। अनुभव ने कहा,

"थोड़ी देर गोद में बैठा लेती।"

इस बात से प्रिया चिढ़ गई। उसने कहा,

"तुम भी तो उसके बाप हो। तुम बैठा लेते।"

"व्योम तुम्हारी गोद में आने की ज़िद कर रहा था मेरी नहीं।"

प्रिया ने चिढ़कर कहा,

"मैं दिनभर वर्क फ्रॉम होम करती हूँ। घर में पड़ी आराम नहीं करती हूँ।"

अनुभव ने उसे घूरकर देखा। वह बोला,

"इतना चिड़चिड़ाने की क्या ज़रूरत है।"

प्रिया का मूड खराब था। इन सारी बातों से उसका गुस्सा और अधिक बढ़ रहा था। उसने कहा,

"ये अच्छा है। कुछ बोलूँ तो चिड़चिड़ी और झगड़ालू बन जाती हूँ।"

वह उठी और पैर पटकते हुए बेडरूम में चली गई।


अनुभव ने महसूस किया था कि प्रिया दिन पर दिन चिड़चिड़ी हो रही है। वह उसके पीछे पीछे बेडरूम में आया। उसे देखकर प्रिया ने कहा,

"मैं कुछ देर शांति से रहना चाहती‌ हूँ।"

अनुभव उसके पास गया। कंधे से पकड़ कर उसे बिस्तर पर बैठाया। उसने कहा,

"प्रिया.... क्या बात है? तुम इन दिनों कुछ परेशान लगती हो। काम का प्रेशर है या कोई और बात।"

प्रिया ने कहा,

"प्लीज़ मुझे कुछ देर के लिए छोड़ दो।"

"मैं तुम्हें परेशान करने नहीं आया हूँ। तुम्हारी फिक्र है। जानना चाहता हूँ कि बात क्या है?"

अनुभव उसके बगल मे बैठ गया। प्रिया कुछ नहीं बोली। अनुभव ने कहा,

"कोई तो परेशानी है। बताओ क्या बात है?"

प्रिया ने उसकी तरफ देखकर कहा,

"ज़िंदगी में परेशानी के अलावा है क्या? रोज़ का घिसा पिटा रुटीन। बस रोज़ रोज़ वही करते रहो।"

"अभी अपनी कज़िन की शादी से होकर तो आई हो।"

"यही... यही बात कह रही हूँ मैं। बदलाव के नाम पर किसी की शादी में चले जाओ या किसी रिश्तेदार के घर।‌ बहुत हुआ तो तुम्हारे सो कॉल्ड रिच अंकल के फार्म हाउस पर।"

अपनी बात कहकर प्रिया ने गुस्से से अनुभव की तरफ देखा। वह चुप था। प्रिया ने कहा,

"तुम्हें बहुत चिंता थी ना। जानना चाहते थे कि मेरी परेशानी क्या है? आई एम फेडअप....इस घिसी पिटी ज़िंदगी से ऊब गई हूँ मैं।"

अनुभव ने कुछ कहना चाहा तो वह बोली,

"रहने दो.... तुम्हारा वही पुराना रोना। फ्लैट की ईएमआई है। अभी हम अच्छी तरह सेटेल नहीं हैं। बचत करनी होगी।"

उसने गुस्से से हाथ झटकते हुए कहा,

"ना जाने लोगों की ज़िंदगी इतनी खुशहाल कैसे है? यहाँ तो लगता है कि मरते दम तक यही हाल रहेगा।"

वह उठी और वॉशरूम में जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया। अंदर से उसके रोने की आवाज़ आ रही थी। अनुभव परेशान सा खड़ा था।


राहुल ने कुछ समय पहले ही अपनी एक ड्रॉइंग पूरी की थी। ये एक पोट्रेट था। वह लोगों की अनुमति लेकर उनके पोट्रेट बनाकर अपने प्रोफाइल पर डालता था। उसने कुछ पलों तक उसे अच्छी तरह देखा। उसके मुंह से निकला,

"राहुल....यू आर ग्रेट...."

उसने अपनी डॉइंग को सावधानी से स्कैन किया। उसके बाद अपने लैपटॉप से अपने सोशल अकाउंट पर लॉगइन किया। उसने अपनी ड्रॉइंग को अपलोड किया। साथ में उस पिक को जिसके आधार पर पोट्रेट बनाया था। एक अच्छा सा कैप्शन दिया।‌ उसके बाद उसे पोस्ट कर दिया। ड्रॉइंग पोस्ट करने के बाद उसने कहा,

"लेट्स सी.... कितने लाइक्स और कमेंट्स आते हैं।"

उसके कमरे के दरवाज़े पर नॉक हुई।‌ उसकी मम्मी ने आवाज़ लगाई,

"राहुल डिनर लग गया है। पापा तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं।"

राहुल ने जवाब दिया,

"बस पाँच मिनट में आ रहा हूँ।"

राहुल ने अपना लैपटॉप बंद कर दिया। कुछ देर बैठा रहा। वह अपने पापा का सामना नहीं करना चाहता था। उसके पापा को उसका फाइन आर्ट्स करना पसंद नहीं था। वह हमेशा उसे एहसास दिलाते थे कि वह जो कर रहा है सिर्फ एक टाइमपास है। उससे ज़िंदगी में कोई मकाम हासिल नहीं होगा।

उसकी मम्मी और पापा को अलग हुए पाँच साल हो गए थे। उसके पापा अलग मकान में रहते थे। उन लोगों को ये फ्लैट दे रखा था। महीने दो महीने में एकबार यहाँ मिलने आते थे। वह उसकी मम्मी से अलग हो गए थे पर आज भी घर पर उनका पूरा नियंत्रण था। उसकी मम्मी कुछ कह नहीं पाती थीं। अलगाव के बाद भी सारा खर्च उसके पापा ही उठा रहे थे। 

एकबार फिर दरवाज़े पर नॉक हुई। वह उठकर वॉशरूम गया। हाथ मुंह धोकर बाहर डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया।‌ उसके पापा ने कहा,

"क्या बात है? अपने कमरे में घुसे रहते हो। मालूम था कि मैं आया हूँ। आकर मिल नहीं सकते थे।"

राहुल जब भी उनके पास बैठता था एक दबाव महसूस करता था। उसने कहा,

"कॉलेज का एक असाइनमेंट कर रहा था।"

उसके पापा ने घूरकर देखा।‌ फिर बोले,

"असाइनमेंट था या मुझसे मिलना नहीं चाहते थे।"

राहुल चुप रहा। उसके पापा ने कहा,

"तुमसे कहा है कि हफ्ते में एक दो दिन ऑफिस आ जाया करो। कुछ सीख लोगे तो अपने ऑफिस में काम दे दूँगा। इस चित्रकारी से कुछ हासिल नहीं होगा। अपनी ज़िद पूरी कर ली तुमने। अब मेरी बात मानो। वैसे भी मेरे बाद कोई बिज़नेस संभालने वाला नहीं है। ऑफिस आओगे तो मेरे बाद बिज़नेस संभाल पाओगे। नहीं तो सब बर्बाद हो जाएगा।"

राहुल का मन कर रहा था कि चिल्ला कर कह दे कि उसे उनका बिज़नेस संभालने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उसकी कला की कद्र करने वाले बहुत से लोग हैं। एक दिन उसकी कला ही उसे ऊँचे मकाम पर ले जाएगी। लेकिन जो कुछ था वह एक बवंडर की तरह उसके सीने में उठकर वहीं शांत हो गया। वह चुपचाप खाना खाता रहा। उसके पापा उसे बातें सुनाते रहे।

अपने पापा के जाने के बाद जब राहुल अपने कमरे में आया तो वह बुरी तरह टूटा हुआ था। उसका आत्मविश्वास हिल गया था। अपने बिस्तर पर लेटकर वह रोने लगा। 

बचपन से उसने अपने पापा को ऐसा ही पाया था। पहले वह उसकी मम्मी को बात बात पर लज्जित करते थे। उनके हर काम में कमी निकालते थे। जब वह कुछ बड़ा हुआ तो उसके साथ भी ऐसा ही करने लगे। सब उसकी ड्रॉइंग्स की बहुत तारीफ करते थे पर वह यही कहते थे कि ये सब वक्त की बर्बादी है। उन्होंने कभी भी उसकी तारीफ नहीं की थी। 

वह और उसकी मम्मी जानते थे कि उसके पापा का अफेयर चल रहा है। बहुत समय से वह अपनी प्रेमिका के साथ रह रहे थे। वह उन पर शादी का दबाव डाल रही थी।

वह टेंथ क्लास में आया ही था जब उसके पापा ने उसकी मम्मी से कहा कि वह उनसे तलाक लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अलग होने के बाद भी वह पहले की तरह ही सारी ज़िम्मेदारी उठाएंगे। उसकी मम्मी ने कभी उनका विरोध नहीं किया था। उन्होंने आपसी सहमति से तलाक के कागज़ पर साइन कर दिए।

अलग होने के बाद भी उन्होंने अपना नियंत्रण वैसे ही बनाकर रखा था जैसे पहले था।

टेंथ के बाद जब राहुल ने आर्ट्स लेने की बात कही थी तो उसके पापा बहुत नाराज़ हुए थे लेकिन राहुल इस मामले में झुकना नहीं चाहता था। अंत में उन्होंने ये कहकर अनुमति दे दी कि कुछ भी करो लेकिन तुम्हें मेरा बिज़नेस संभालना होगा। 

जब टेंथ के बाद उसने आर्ट्स ली थी और प्रशांत ने साइंस तब उसके पापा ने ताना मारते हुए कहा था कि तुम हमेशा आसान रास्ता तलाशते हो। अपने दोस्त को देखो उसने वो राह चुनी है जहाँ चुनौती है पर अच्छा भविष्य भी है। 

प्रशांत से दूरी बनाने का एक ये भी कारण था। उसे अपने पापा की इस तरह तुलना अच्छी नहीं लगी थी।

सोशल मीडिया पर जब उसे तारीफ मिलने लगी तो उसके मन में एक अहंकार आने लगा था। वह सोचता था कि एक दिन मेरी लोकप्रियता इतनी बढ़ जाएगी कि मेरे पापा को भी मानना पड़ेगा कि वह गलत थे। 


अनुभव बेड पर लेटा छत को ताक रहा था। जो कुछ भी प्रिया ने कहा था वो ये बताने के लिए बहुत था कि अपनी ज़िंदगी से वह कितनी नाखुश है। उसने पलट कर देखा। प्रिया करवट किए लेटी थी। यह कहना मुश्किल था कि वह जाग रही है या सो रही है। वह प्रिया से बात करना चाहता था। उसने करवट बदली और प्रिया के ऊपर अपना हाथ रख दिया। प्रिया ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी पर अनुभव को समझ में आ गया कि वह सो नहीं रही है। उसने उसे अपनी बाहों में भर लिया। प्रिया ने अपने आप को छुड़ाते हुए कहा,

"क्या मैं हॉल में जाकर सो जाऊँ?"

अनुभव ने उसे छोड़ दिया। उसने कहा,

"प्रिया मैं मानता हूँ कि हमारी ज़िंदगी इतनी आरामदायक नहीं है पर ऐसा भी नहीं है कि घुटन महसूस हो।"

"अनुभव तुम अपना ज्ञान मत दो मुझे।‌ मैं अपने आसपास के लोगों को देखती हूँ। तब समझ आता है कि उनमें और हममें क्या फर्क है। नम्रता को तो तुम जानते हो‌। उसकी ज़िंदगी में सब कितना अच्छा है। जब कभी उससे अपनी तुलना करती हूँ तो लगता है कि जैसे मेरी ज़िंदगी में कुछ है ही नहीं।"

"क्यों करती हो ऐसी तुलना?"

प्रिया उठकर बैठ गई। उसने गुस्से से कहा,

"तो मैं कुएं का मेंढक बन जाऊँ। खुद को समझाऊँ कि मेरा संसार तो स्वर्ग से सुंदर है।"

वह उठकर बेडरूम से बाहर निकल गई।


राहुल को नींद नहीं आ रही थी। उसने घड़ी देखी।‌ रात के दो बजकर सत्ताइस मिनट हुए थे। वह उठकर बालकनी में गया। वहाँ जाकर हंग चेयर पर बैठ गया। उसके मन में अपने पापा की बात घूम रही थी। 

"तुम अपनी डिग्री पूरी करो मैं मना नहीं कर रहा हूँ। साथ में वक्त निकाल कर ऑफिस आया करो। समय लगेगा चीज़ें सीखने में।"

इधर उसके पापा ने ऑफिस आने पर अधिक ज़ोर देना शुरू कर दिया था। वह इसका कारण जानता था। पहले उन्हें यकीन था कि अपनी प्रेमिका से उन्हें औलाद मिलेगी। ऐसा हुआ नहीं था‌। होने की संभावना भी नहीं थी। अब उनके पास अपने बिज़नेस के उत्तराधिकारी के रूप में उसकी तरफ देखने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया था। इसलिए उनके ताने और बढ़ गए थे जिससे राहुल परेशान होकर उनकी बात मान ले। उसने अपने आप से कहा,

"मुझे जितना भी तोड़ने की कोशिश कर लें मैं उनकी बात नहीं मानूँगा। मुझे मेरा रास्ता पता है।"

उसे सोशल अकाउंट पर अपलोड की गई अपनी ड्रॉइंग की याद आई। वह उठकर अंदर आया। अपना टैब उठाया। सोशल अकाउंट पर जाकर चेक किया। तीस लाइक्स और दस कमेंट्स थे। राहुल उत्साहित हो गया। उसने कमेंट्स खोलकर पढ़ना शुरू किया। सबसे पहले जिस कमेंट पर नज़र गई उसे पढ़कर उसका मन बुझ गया।

उसने दो तीन बार उस कमेंट को पढ़ा। हर बार उसके मन में कांटे जैसा चुभा। 

ऐसा लगता है जैसे कि किसी नौसीखिए ने बनाई है। बहुत सारी कमियां हैं। वैसे भी पोट्रेट बनाना हर किसी के बस की बात नहीं है।

राहुल कमेंट करने वाले के प्रोफाइल पर गया। इंडियन पिकासो नाम से एक पेज था। अपने बारे में लिखा था कि वह अपने फन का माहिर है। इस बात को उसकी बनाई पेंटिंग्स से परखा जा सकता है। राहुल ने उसके पेज पर उसकी बहुत सारी पेंटिंग्स देखीं। उसका काम अच्छा था पर उसने जिस तरह से राहुल की पोस्ट पर कमेंट किया था वह उसे अच्छा नहीं लगा था। 

उसने टैब वापस रख दिया‌। कमरे में टहलने लगा। पहली बार था जब किसी ने उसकी ड्रॉइंग पर ऐसी प्रतिक्रिया दी थी। वह पहले ही अपने पापा की बातें सुनकर दुखी था इस कमेंट ने उसके बचे खुचे आत्मविश्वास को भी डिगा दिया था। वह वापस अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया। उसने इंडियन पिकासो के कमेंट का जवाब लिखा।

आप मेरे प्रोफाइल पर बाकी पोस्ट्स‌‌ को देखें। उन पर आए कमेंट पढ़ें। फिर बात करें 

अपना जवाब पोस्ट करने के बाद वह बिस्तर पर जाकर लेट गया।


प्रिया हॉल में सोफे पर लेटी थी। उसे लग रहा था कि अनुभव उसे समझने की कोशिश नहीं कर रहा है। वह कहना चाहता है कि वह छोटी सी बात को बड़ा करके देख रही है। वह लेटे हुए बड़बड़ाने लगी,

"कह रहा था कि क्यों ध्यान देती हो? किस किस को इग्नोर करूँ। मीनाक्षी की शादी में ही सारे कज़िस कितने खुश थे। सबके पास कुछ ना कुछ था बताने को सिवा मेरे। अब मैं और नहीं सह सकती हूँ।"

उसने कहा तो था कि अब और नहीं सह सकती हूँ पर करना क्या है उसे नहीं पता था। उसका मन तो बार बार उसकी और नम्रता की ज़िंदगी की तुलना कर रहा था। नम्रता की रंगीन और चमकदार ज़िंदगी के सामने उसे अपनी ज़िंदगी बहुत ही नीरस और बेरंग लग रही थी।


राहुल के कमेंट के जवाब में इंडियन पिकासो ने उसकी कई और ड्रॉइंग्स पर उसी तरह के कमेंट किए थे। उनको पढ़ने के बाद उसका अपनी कला पर यकीन बहुत कम हो गया था। पंद्रह दिन हो गए थे। उसने कुछ नया नहीं बनाया था। कॉलेज का प्रोजेक्ट जैसे तैसे पूरा करके दिया था। उस पर उसके टीचर ने नाराज़गी जताई थी। अब उसका दिल अपनी पिक्स और वीडियोज़ डालने का भी नहीं होता था। जो राहुल हर आधे घंटे में अपने सोशल मीडिया अकाउंट को चेक करता था उसने लगभग बारह घंटे से अपना टैब तक नहीं उठाया था।‌

एक अजीब सी उदासी ने राहुल को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। उसका मन खाने पीने में भी नहीं लग रहा था। उसकी मम्मी उसे लेकर परेशान थीं। 

राहुल पेट के बल बिस्तर पर लेटा था। उसका मुंह तकिए में घुसा था। उसकी आँखों से बहते आंसू तकिए को भिंगो रहे थे। उसकी मम्मी ने दरवाज़े पर नॉक किया। दरवाज़ा खोलकर वह अंदर आईं। राहुल वैसे ही लेटा रहा। उसकी मम्मी ने कहा,

"क्या हो गया है तुम्हें? दिनभर इस तरह निढाल पड़े रहते हो। कोई प्रॉब्लम हो तो बताओ। डॉक्टर के पास ले चलूँ।"

राहुल ने उनकी तरफ बिना देखे हुए कहा,

"मम्मी आप प्लीज़ मुझे अकेला रहने दीजिए।"

"तीन चार दिनों से अकेले ही तो इस कमरे में पड़े हो। कोई बात तो है। मुझे बताओ।"

उसकी मम्मी उसके पास बैठ गईं। उन्होंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा। राहुल उठकर बैठ गया। अपनी मम्मी के गले लगकर रोने लगा। उसकी मम्मी परेशान हो गईं। उन्होंने कहा,

"राहुल सच सच बताओ कि बात क्या है?"

राहुल ने उन्हें सारी बात बताई। उसकी मम्मी ने कहा,

"ये बात क्या दिल से लगाने वाली है?"

"मम्मी उसके मुझसे बहुत ज्यादा फॉलोअर्स हैं। उसके इस तरह के कमेंट्स से मेरी फॉलोइंग पर फर्क पड़ेगा। वह मुझसे अधिक अनुभवी है।"

"देखो अगर तुमको लगता है कि वह तुमसे अनुभवी है तो उसकी बात पर ध्यान देकर अपनी कला में सुधार करो। इस तरह हताश होकर बैठने से क्या होगा?"

"मम्मी आप नहीं समझेंगी। उसने मेरी इमेज को बर्बाद करने की कोशिश की है। ऐसा रहा तो जल्दी ही मेरे फॉलोअर्स मुझे छोड़ देंगे।"

राहुल की मम्मी देर तक उसे समझाती रहीं पर वह बार बार एक ही बात कर रहा था कि उसकी इमेज खराब हो रही है‌।


प्रिया बुरी तरह अवसाद में घिरी हुई थी। अपनी इस स्थिति का कारण अनुभव को मानती थी इसलिए बात बे बात उससे लड़ने लगती थी। रात दिन सोचते रहने से प्रिया बीमार हो गई थी‌। उसने ऑफिस से कुछ दिन के लिए छुट्टी ले ली थी। अनुभव उसकी इस स्थिति से बहुत परेशान हो गया था।‌ वह अधिकतर वक्त उसके साथ बिताने की कोशिश करता था। उसे समझाता था पर प्रिया पर कोई असर नहीं हो रहा था। 

अनुभव ने प्रिया को डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने कहा कि ये बीमारी शारीरिक नहीं मनोवैज्ञानिक है। उन्होंने प्रिया को किसी साइक्राइटिस्ट को दिखाने के लिए कहा। 


प्रिया को लेकर अनुभव शहर के मशहूर साइक्राइटिस्ट डॉ. मदन के पास आया था। डॉ. मदन किसी और पेशेंट के साथ थे। अनुभव प्रिया के साथ अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था। कुछ देर बाद डॉ. मदन के केबिन से एक महिला एक जवान लड़के के साथ निकलती दिखाई दी। अनुभव उस महिला को पहचान गया। उसने उसे अपनी सोसाइटी में कई बार देखा था। रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने बताया कि अब प्रिया की बारी है। अनुभव प्रिया को लेकर डॉ. मदन के केबिन में चला गया।


राहुल अपने बेड पर बैठा था‌। उसकी मम्मी उसे समझा रही थीं। 

"डॉ. मदन ने समझाया ना कि सोशल मीडिया पर किसी की कही बात को अपने मन से मत लगाओ। बेटा वो एक आभासी दुनिया है। तुम्हारी शख्सियत उस दुनिया की मोहताज नहीं है। उस सबके बारे में सोचना छोड़ दो। बाहर निकलो। आसपास के लोगों से मिलो। फिर से ड्रॉइंग बनाना शुरू करो।"

"मम्मी मैं असफल हो गया। पापा कहते हैं कि मैं कुछ नहीं कर पाऊँगा। सचमुच मैं कुछ करने के लायक नहीं रहा। मैं अब लोगों का सामना नहीं कर सकता हूँ।"

"बेकार की बात है ये। तुम जो चाहते हो वो तुम कर सकते हो। एक इंसान की बात सुनकर तुमने हर चीज़ से मुंह मोड़ लिया‌। ऐसा इंसान जिसकी वास्तविकता तुम्हें नहीं पता है‌। जो तुम्हें जानता तक नहीं है उसकी बात पर तुम्हें यकीन है‌। मैंने तुम्हें बचपन से जाना है मुझ पर भरोसा नहीं कर सकते।"

उसकी मम्मी उठकर खड़ी हो गईं। उन्होंने कहा,

"तुम्हें इस तरह कमरे में घुटते नहीं रहने दूँगी। चलो मेरे साथ‌। नीचे चलकर पार्क में बैठो। लोगों को देखोगे तो मन बहलेगा।"

राहुल ने प्रतिरोध किया पर उसकी मम्मी ने उसकी एक नहीं सुनी। 


अनुभव ने भी छुट्टी ले ली थी। इन दिनों वह प्रिया के साथ वक्त बिताकर उसे एहसास दिलाना चाहता था कि वह उससे बहुत प्यार करता है।‌ डॉ. मदन की काउंसलिंग से प्रिया कुछ शांत हुई थी। वह अनुभव से लड़ती नहीं थी पर उदास रहती थी। अनुभव प्रिया को लेकर नीचे आया था। वह प्रिया का हाथ पकड़ कर उसके साथ बेंच‌ पर बैठा था। उसकी नज़र सामने राहुल को लेकर टहलती उसकी मम्मी पर पड़ी। उसे याद आया कि इन लोगों को उसने डॉ. मदन की क्लीनिक पर देखा था। वह सोच रहा था कि बात करके जानने की कोशिश करे कि समस्या क्या है?

राहुल टहल रहा था पर उसे हर वक्त ऐसा लग रहा था कि जैसे सब उसकी तरफ देखकर हंस रहे हैं। उसने अपनी मम्मी से कहा,

"मुझे नहीं रहना है यहाँ। मैं जा रहा हूँ।"

ये कहकर वह लिफ्ट की तरफ बढ़ गया। उसकी मम्मी परेशान होकर बेंच‌ पर बैठ गईं। अनुभव उठकर उनके पास गया। उसने कहा,

"हैलो....मेरा नाम अनुभव है।"

राहुल की मम्मी ने अपना परिचय देते हुए कहा,

"मैं वीणा मांजरेकर हूँ।"

"मैं आपसे कुछ बात कर सकता हूँ।"

अनुभव की बात सुनकर राहुल की मम्मी ने उसकी तरफ आश्चर्य से देखा। वह बोलीं,

"मुझसे बात करनी है....कहिए क्या बात है?"

अनुभव उनके पास बैठ गया। उसने कहा,

"सामने बेंच पर मेरी पत्नी प्रिया बैठी है। मैं उसे लेकर साइक्राइटिस्ट डॉ. मदन के पास गया था। वहाँ मैंने आपको उस लड़के के साथ देखा था। अभी उसके व्यवहार से मुझे लगा कि वह परेशान है। मुझे बताएंगी कि बात क्या है।"

राहुल की मम्मी कुछ असमंजस में दिखीं। उन्हें तसल्ली देने के लिए अनुभव ने उन्हें प्रिया के बारे में सबकुछ बता दिया। सब जानकर राहुल की मम्मी ने भी सारी बात खुलकर बताई। अनुभव ने कहा,

"हम दोनों की परेशानी का कारण सोशल मीडिया है। हम दोनों मिलकर अगर इस संबंध में कुछ करें तो अधिक लाभ होगा।"

राहुल की मम्मी ने कुछ सोचकर कहा,

"हाँ लेकिन हम करेंगे क्या?"

"कुछ तो सोचना पड़ेगा। ऐसा करते हैं कि हम लोग इस विषय में सोचते हैं।‌ कल शाम इसी जगह मिलेंगे। फिर हमने जो सोचा है उसके आधार पर आगे बढ़ते हैं।"

राहुल की मम्मी को ये आइडिया पसंद आया। उन्होंने कहा कि कल शाम वह इसी जगह मिलेंगी। 

अगले दिन शाम को अनुभव और राहुल की मम्मी उसी जगह मिले। राहुल की मम्मी ने कहा,

"मैंने आपकी बात पर विचार किया। मुझे लगता है कि हमें राहुल और प्रिया को मिलवाना चाहिए। दोनों खुलकर हमसे अपने मन की बात नहीं कहते हैं। शायद एक दूसरे से कहें तो उन्हें अच्छा लगे।"

अनुभव ने उनकी बात पर विचार किया। उसे आइडिया पसंद आया। उसने सुझाव दिया कि वह राहुल को लेकर कल उसके घर डिनर पर आएं। राहुल की मम्मी बात मान गईं।


अनुभव ने प्रिया को बताया कि उसने अपनी बिल्डिंग में रहने वाली मिसेज़ मांजरेकर और उनके बेटे राहुल को डिनर पर बुलाया है। उसने बताया कि राहुल भी डॉ. मदन के पास काउंसलिंग के लिए जाता है। इसलिए उसने उन लोगों को डिनर पर बुलाया है जिससे आपस में बातचीत हो सके।

अनुभव ने राहुल को प्रिया से ये कहकर मिलवाया कि वह बहुत अच्छा कलाकार है। सोशल मीडिया पर बहुत पॉपुलर है। उसके बहुत से फॉलोअर्स हैं। उसने कहा कि तुम एकबार उससे बात करके देखो। तुम्हें अच्छा लगेगा।

दोनों बात कर सकें इसलिए अनुभव और राहुल की मम्मी हॉल में एक तरफ जाकर बैठ गए। 

राहुल और प्रिया आमने सामने बैठे थे पर समझ नहीं पा रहे थे कि क्या बात करें। राहुल जानता था कि प्रिया भी डॉ. मदन के पास जाती है। वह जानना चाहता था पर कुछ पूछ नहीं पा रहा था। उसी समय व्योम प्रिया के पास आया। प्रिया ने उसे गोद में बैठा लिया।‌ राहुल ने कहा,

"आपका बेटा बहुत क्यूट है।"

प्रिया हल्के से मुस्कुरा दी। राहुल ने आगे कहा,

"आप डॉ. मदन के पास क्यों जाती हैं?"

प्रिया ने कहा,

"किसी भी डॉक्टर के पास कोई तभी जाता है जब कोई समस्या हो।"

"आपको क्या समस्या है? अनुभव जी ने बताया कि आप अच्छी कंपनी में जॉब कर रही हैं। आपका इतना सुंदर घर है। इतना क्यूट बेटा है। जितना मैंने महसूस किया उसके हिसाब से आपके पति आपकी केयर करते हैं।"

राहुल ने अपनी बात कहकर प्रिया की तरफ देखा। प्रिया ने कहा,

"अनुभव ने बताया कि तुम बहुत अच्छे कलाकार हो। सोशल मीडिया पर बहुत पॉपुलर हो। फिर तुम क्यों डॉ. मदन के पास जा रहे हो?" 

प्रिया ने जवाब देने की जगह सवाल कर दिया। राहुल ने कुछ सोचकर अपने बारे में सब बताया। प्रिया ने भी उसे अपनी समस्या बताई। एक दूसरे के बारे में जानकर दोनों को एक तसल्ली महसूस हो रही थी। दोनों को लग रहा था कि वह अकेले नहीं हैं। 

उसके बाद दोनों खुलकर बात करने लगे।

अनुभव और राहुल की मम्मी बात कर रहे थे कि आगे क्या किया जाए। कैसे प्रिया और राहुल को उनके अवसाद से बाहर निकाला जाए। दोनों ने एक दूसरे से नंबर ले लिया था।

राहुल और प्रिया अब रोज़ ही एक दूसरे से मिलते थे। कभी राहुल प्रिया के पास आ जाता था तो कभी प्रिया उसके घर चली जाती थी‌। प्रिया ने राहुल की ड्रॉइंग्स देखी थीं। वह उससे कहती थी कि कोई कुछ भी कहे पर तुम बहुत अच्छे कलाकार हो। मेहनत करोगे तो बहुत आगे जाओगे। 

राहुल भी उससे कहता था कि वह लकी है कि उसका एक परिवार है। अनुभव उसकी इतनी फिक्र करता है। उसने बताया कि कभी उसके पापा ने उसकी मम्मी की कद्र नहीं की। अपने स्वार्थ के लिए उन्हें तलाक दे दिया।

समय बीत रहा था। राहुल और प्रिया अक्सर एक दूसरे से बात करते थे। दोनों ही अपने अंदर बदलाव महसूस कर रहे थे। 

अनुभव और राहुल की मम्मी महसूस कर रहे थे कि उनका प्रयास सफल हो रहा है।।


प्रिया अब‌ महसूस करने लगी थी कि अनुभव एक सच्चा जीवनसाथी है। उसके मुश्किल वक्त में वह उसके साथ खड़ा रहा। उसे अकेला नहीं छोड़ा। अब वह दोबारा काम करने लगी थी। व्योम को अपना समय देती थी।

राहुल भी कॉलेज जाने लगा था। वह अब कोशिश करता था कि कुछ नया बनाए। उसे भी एहसास हो गया था कि सोशल मीडिया पर चाहे कितने ही फॉलोअर्स हों पर मुश्किल वक्त में अपने आसपास के लोग ही काम आते हैं।


राहुल अपने कमरे में बैठा स्केच बना रहा था। दरवाज़े पर नॉक हुई। दरवाज़ा खुला। राहुल ने स्केच बनाते कहा,

"क्या हुआ मम्मी? अभी कुछ देर पहले ही तो लंच किया था। आप शेक लेकर आ गईं।"

उसने पलट कर देखा तो हैरान रह गया। सामने प्रशांत खड़ा था। प्रशांत ने कहा,

"बचपन की दोस्ती ऐसे ही नहीं टूट जाती है। तुम भले ही मुझसे दोस्ती ना रखना चाहो पर मैं तो नहीं तोड़ सकता।"

राहुल स्केच बुक रखकर खड़ा हो गया। वह नज़रें झुकाए हुए था। प्रशांत के गले लगना चाहता था पर संकोच कर रहा था। प्रशांत उसके मन को भांप गया। उसने आगे बढ़कर उसे गले लगा लिया।

राहुल की मम्मी ने प्रशांत को उसकी हालत के बारे में बताया था। प्रशांत छुट्टियों के बाद चेन्नई चला गया था। सब जानकर उससे रहा नहीं गया। वह अपने दोस्त से मिलने छुट्टी लेकर आ गया।


प्रिया ने अभी अपना काम खत्म किया था कि उसकी सहेली विनीता का फोन आ गया। विनीता उसके और नम्रता के साथ पढ़ी थी। वह उसी शहर में रहती थी जहाँ नम्रता रह रही थी।

विनीता ने उसे जो कुछ बताया उसे सुनकर प्रिया को धक्का लगा। उसकी सहेली ने बताया कि बीते कई महीनों से नम्रता परेशान थी। उसने अपने बिज़नेस के लिए लोन लिया था। बिज़नेस सही नहीं चल रहा था। वह किश्तें नहीं चुका पा रही थी। उसका पति उसकी कोई मदद नहीं करता था। वह किसी और के साथ रिलेशनशिप में था। तंग आकर नम्रता ने आत्महत्या कर ली। 

विनीता की बात पर प्रिया को यकीन नहीं हो रहा था। उसने उन सोशल मीडिया पोस्ट्स के बारे में बताया जिन्हें देखकर वह नम्रता की ज़िंदगी से प्रभावित थी। विनीता ने बताया कि आज दिखावे की दुनिया में लोग सोशल मीडिया पर कुछ और दिखाते हैं जबकि वास्तविकता कुछ और होती है। वो सारी पिक्स और वीडियोज़ सिर्फ एक रंगीन पर्दे की तरह थीं जो सच को छुपाने का काम करती थीं।

सब जानकर प्रिया स्तब्ध थी। अनुभव कमरे में आया। उसने प्रिया से कहा,

"काम खत्म हो जाए तो हॉल में आओ। मैंने एक ट्रैवेलिंग कंपनी के पैकेज देखे हैं। आज तय करके बता देंगे कि हमें कहाँ जाना है?"

प्रिया कुर्सी से उठी और अनुभव के सीने से लगकर बोली,

"अभी कोई फॉरेन ट्रिप नहीं। अभी सेविंग करते हैं। बाद में चलेंगे।"

अनुभव समझ नहीं पा रहा था कि बात क्या है। प्रिया ने कहा,

"परेशान ना हो। मैं ठीक हूँ। आराम से प्लान करके बाद में चलेंगे। अभी कुछ दिन तुम्हारे अंकल के फार्म हाउस में बिताने चलते हैं।"

अनुभव देख पा रहा था कि प्रिया ने ये निर्णय अपनी खुशी से लिया है।