O Mere Humsafar - 21 in Hindi Drama by NEELOMA books and stories PDF | ओ मेरे हमसफर - 21

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ओ मेरे हमसफर - 21

(प्रिया को पता चलता है कि रिया डिस्को में आदित्य और उसके दोस्तों के बीच फंसी है। वह बहादुरी से रिया को बचाती है और आदित्य को थप्पड़ मारकर उसकी शादी का विरोध करती है। घर लौटकर प्रिया परिवार के सामने विद्रोह करती है और कहती है कि अगर रिया की शादी आदित्य से होने पर ही अगर उसकी शादी कुणाल से होगी तो वह कुणाल से रिश्ता तोड़ती है। रिया को दिल्ली भेजकर प्रिया उसकी IAS की पढ़ाई सुनिश्चित करती है। कुणाल आगबबुला होकर प्रिया को ढूंढता है, लेकिन हवेली वीरान है। प्रिया के साहस, परिवार और प्रेम के बीच संघर्ष की कहानी पाठक को रोमांचित करती है। अब आगे)

अधूरी मुलाकात

प्रिया बेहोश थी और जब होश आया, तो उसने खुद को एक बड़े, आलीशान कमरे में पाया। चारों ओर नजर दौड़ाते हुए वह चौंक उठी। वह भागकर दरवाजे तक पहुँची—"कुणाल! कुणाल! यह सब क्या है? मुझे बंद क्यों रखा गया है?" तभी उसकी नजर कमरे की साइड में लगे एक बड़े तस्वीर पर पड़ी। प्रिया की आंखें फैल गईं—"टोनी!"

ठीक उसी समय दरवाजा खुला और वह पीछे हट गई। सामने भानु खड़ी थी, हाथ में दुल्हन का जोड़ा लिए। भानु ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज शादी है तुम्हारी मेरे भाई टोनी के साथ।"

प्रिया चौंक उठी, "क्या बकवास है? और टोनी तुम्हारा भाई? यह बात तो किसी ने कभी नहीं बताई।"

भानु हंसते हुए बोली, "टोनी मेरा भाई है, यह किसी को पता नहीं, लेकिन तुम मेरी भाभी हो। यह बात मैं कुणाल को जरूर बताऊंगी।"

प्रिया ने ठंडी हंसी के साथ कहा, "तुम लाख कोशिश कर लो, लेकिन मुझसे मेरा कुणाल कभी नहीं छिन सकती। और रही बात इस शादी की—यह कभी नहीं होगी।"

भानु ने हंसते हुए कहा "यह देखो।" वीडियो में कुछ लोगों ने वैभव और कुमुद को बांधकर रखा था, और उन्होनें हाथ में गन तान रखी थी।

प्रिया ने तेजी से दुल्हन का जोड़ा उठाया और पहन लिया। भानु ने मुस्कुराते हुए कहा, "बहुत समझदार हो। अब नीचे आ जाना।" और चली गई।

प्रिया बाहर आई तो देखा, पंडित के सिर पर पिस्तौल थी और वह डर के मारे मंत्र पढ़ रहा था। टोनी दुल्हे के लिबास में खड़ा था, उसकी नज़रें प्रिया को कांटे की तरह चुभ रही थीं।

जैसे ही प्रिया आगे बढ़ी, अचानक हवा में फायरिंग हुई। सामने पुलिस वाले खड़े थे। सभी बंदूकधारियों को तुरंत दबोच लिया गया। एक आदमी भागकर वैभव और कुमुद की रस्सियां खोली।

कुमुद ने हैरानी से पूछा, "धन्यवाद! तुम कौन?"

वैभव ने चौंककर कहा, "गिरीश?"

गिरीश ने मुस्कुराते हुए कहा, "चिंता मत कीजिए। सब ठीक है।"

टोनी को पुलिस ने पकड़ लिया। वह जोर से चिल्ला रहा था, "शादी है हमारी! छोड़ो मुझे!"

भानु कमरे में छुप गई थी, और प्रिया ने उसे देखा लेकिन चुप रही।

गिरीश ने कहा, "आइए, आप हमारे साथ चलिए।"

प्रिया ने हिचकिचाते हुए कहा, "नहीं, ठीक है।"

तभी कुमुद लड़खड़ा गई, और वैभव व प्रिया ने उसे संभाला। गिरीश ने कुमुद को गोद में उठाया और कार के पीछे की सीट पर बिठाया। वैभव उसके बगल में बैठ गया। प्रिया को मजबूरी में आगे की सीट पर बैठना पड़ा।

कार चल पड़ी। वैभव ने चुपचाप प्रिया की ओर देखा और मन में सोचा, "काश! अगर मैं हिम्मत करके तुम्हारे साथ शादी करने के लिए हां कह देता, तो यह सब तुम्हारे साथ नहीं होता, प्रिया।"

---

कार एक बड़ी हवेली के सामने रुकी। गिरीश ने कुमुद को गोद में उठाया और अंदर ले गया, जबकि वैभव और प्रिया पीछे-पीछे चल पड़े। हवेली के गेट पर एक औरत तेज़ कदमों से भागती हुई आई और सीधे प्रिया के गले लग गई।

"हमें माफ करना, बेटा। हमने तुम्हारी और गिरीश के रिश्ते को मंजूरी नहीं दी। लेकिन अब..."

प्रिया की यादें ताज़ा हो गईं। उसने धीरे से कहा, "आन्टी, प्लीज़ पुरानी बातें भूल जाईए। और वैसे भी मैं अब किसी और से प्यार करती हूं।"

गिरीश को यह शब्द कांटे की तरह चुभ गए। वह गंभीर स्वर में बोला, "आप लोग थोड़ी देर आराम कीजिए। कुछ खा लीजिए, बाद में बात करते हैं।"

...प्रिया ने फोन उठाया ही था कि वैभव ने उससे फोन छीन लिया।

"कुणाल को फोन क्यों कर रही हो?"

प्रिया ने घबराकर कहा, "पापा, यह क्या पूछ रहे हैं। उसे बता रही हूं कि हम यहां हैं और हमें लेने आ जाए। उसे चिंता हो रही है।"

वैभव ने हैरानी से कहा, "रिश्ता तो टूट चुका है तुम्हारा।"

प्रिया ने फड़फड़ाते हुए कहा, "नहीं, कुणाल मुझे कभी नहीं छोड़ेगा। रिया दी और आदित्य का रिश्ता टूटने की वजह से वह नाराज हैं बस। वह मुझसे प्यार करता है, पापा। मैं उसे सब कुछ बता दूं तो..."

वैभव ने उसके सिर पर हाथ रखा। "मत बता। अगर तूने उसे सच बताया तो वह तेरा साथ देगा, पर जिंदा नहीं रह पाएगा।"

प्रिया को जैसे झटका लगा। "पापा..."

"हां, कुणाल बचपन से ही ललिता और मां के प्यार के लिए तरसा है। अगर उसे ललिता या आदित्य की सच्चाई का पता चला तो वह जी नहीं पाएगा।"

प्रिया की आंखों में आंसू थे। वैभव ने धीरे से कहा, "तू उसकी जिंदगी से चली जाएगी, तो शायद वह तड़प तड़प कर जी भी ले, पर ललिता जी के बिना..."

प्रिया ने गहरी सांस ली और फूट-फूट कर रो पड़ी। "पर मैं कुणाल के बिना नहीं जी सकती।"

वैभव ने आंखों में आंसू भरकर कहा, "जी ले, मेरी बच्ची, और चल यहां से—दूर, एक नई शुरुआत करते हैं।"

प्रिया वहीं बैठ फूट-फूट कर रोने लगी।

.....

उसी समय उसका फोन बजा — कुणाल का था।

दिमाग ने मना किया, लेकिन दिल की बात मानकर उसने फोन उठा लिया।

“हेलो?”

“कौन बोल रहा है? क्या...? मैं... मैं अभी आती हूँ।”

वह तुरंत भागती हुई रोड के किनारे पहुँची। कुणाल नशे में बेसुध पड़ा था, उसके आसपास शराब की तीखी गंध फैली थी।

प्रिया ने जैसे ही उसे थामना चाहा, कुणाल ने उसे झटका दे दिया, “दूर रहो मुझसे! धोखेबाज़ हो तुम! तुमने कहा था कि तुम मुझे कभी नहीं छोड़ोगी... फिर भी तुमने मुझे छोड़ दिया।”

प्रिया रोते हुए बोली, “धोखा मैंने दिया? मैने? तुमने कहा था कि अगर आदित्य और रिया दीदी की शादी नहीं हुई, तो तुम मुझसे शादी नहीं करोगे। अब बताओ, धोखा किसने दिया?”

कुणाल उसकी बात सुनकर बार में ही सबके सामने उसे पागलों की तरह चूमने लगा। प्रिया जैसे अपने सारे दर्द भूल गई थी... पर जैसे ही होश आया, उसने खुद को अलग कर लिया।

कुणाल ने उसके गालों को थामते हुए कहा, “मैं तुम्हें कभी धोखा नहीं दे सकता। आदित्य भैया और रिया भाभी की शादी हो या न हो, मेरी पत्नी सिर्फ तुम बनोगी। मैं माँ को भी मना लूँगा... बस तुम...”इतना कहकर वह बेहोश हो गया।

प्रिया ने कुणाल को टैक्सी में बिठाया, माथे को चूमा और जाते हुए उसे देखती रही। “सही कहा, कुणाल... मैं ही धोखेबाज़ हूँ।”

उसने मान लिया कि यह उसकी कुणाल से आख़िरी मुलाक़ात थी।

.....

1. क्या सच में यही थी कुणाल और प्रिया की आख़िरी मुलाकात, या फिर किस्मत उन्हें फिर से मिला पाएगी?

2. क्या प्रिया का दिल और हिम्मत कुणाल के साथ उसकी मंज़िल तक पहुँच पाएगी, या उनका प्यार हमेशा अधूरा रह जाएगा?

3. क्या प्रिया का यह बड़ा बलिदान रिया को IAS अफ़सर बना सकेगा, या उसकी कोशिशें कहीं बीच में ही ठहर जाएँगी?

जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"।