O Mere Humsafar - 24 in Hindi Drama by NEELOMA books and stories PDF | ओ मेरे हमसफर - 24

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ओ मेरे हमसफर - 24

(यह अध्याय दो साल बाद की कहानी को आगे बढ़ाता है। प्रिया अब भीम रियल एस्टेट में काम कर रही है और नौकरी बचाने के लिए दबाव झेल रही है, जबकि रिया IAS की तैयारी में जुटी है। उधर कुणाल, अपनी सफलता के बावजूद प्रिया की यादों में टूट चुका है और यक़ीन करता है कि उसने उसे कभी धोखा नहीं दिया। मां ललिता उसके विवाह के लिए दबाव डालती है, मगर वह प्रिया की तलाश में नैनीताल पहुँचता है। गिरीश उस पर पुराने धोखों के आरोप लगाता है। नैनीताल की सड़कों पर, एक पल के लिए कुणाल को लगता है कि उसने प्रिया को देखा—पर शायद यह सिर्फ उसका भ्रम था। अब आगे)

कमजोर स्टूडेंट

ऑफिस का माहौल गर्म था। भीम रियल एस्टेट के फ्लोर पर जुनैजा का गला फटा जा रहा था। "तुमसे कहा था पाँच प्रोजेक्ट पूरे करने को! पर तुम एक भी नहीं बेच सकी! बस, बहुत हो गया… प्रिया डोगरा, तुम निकाली जाती हो!"

सारा स्टाफ सन्न।

प्रिया का चेहरा सफेद पड़ गया। विनोद और तमन्ना चुप थे। कोई कुछ नहीं बोल रहा था। तभी —एक गहरी आवाज़ गूंजी —"इंप्लॉयी को ऐसे कैसे निकाल सकते हो, मिस्टर जुनेजा?"

सभी की नज़रें दरवाज़े की ओर घूम गईं। एक सूट-बूट में संजीदा आदमी, आत्मविश्वास से भरा, ऑफिस में दाखिल हुआ। जुनेजा ने दाँत पीसते हुए कहा — "तुम हो कौन?"

वह आदमी आगे बढ़ा, सधे कदमों से सीधा जुनेजा की चेयर पर बैठ गया। सिर्फ बैठा नहीं — जैसे वह उस कुर्सी का जन्मसिद्ध अधिकारी हो। "अब तक जिस पोस्ट पर आप थे, वह अब मेरी है।" ऑफिस में जैसे बिजली गिर गई हो।

"क्या बकवास है?" जुनैजा गरजा।

वह आदमी मुस्कराया, "हैलो फ्रेंड्स, मैं हूँ तरुण खन्ना — आपका नया सीनियर मैनेजर।" जुनेजा भड़ककर आगे बढ़ा।

तरुण ने एक फाइल से फोन निकाला और एक कॉल किया। "सर, वही आदमी है।"

फोन से कुछ सुनते ही जुनेजा के चेहरे का रंग उड़ गया।उसका शरीर काँपा और वह वहीं ज़मीन पर गिर पड़ा।

विनोद और प्रिया भागकर उसे उठाने लगे। "सर... सर..."

तमन्ना पानी का गिलास लेकर दौड़ी। तभी तरुण की ठंडी आवाज़ गूंजी —"आधे घंटे में मीटिंग रूम में सब लोग। कंपनी बदलने जा रही है। जो लोग मेहनत से काम करेंगे — वो चमकेंगे। बाकी...?"

उसने मुस्कुराकर कहा,"समझदार को इशारा काफ़ी होता है।"

....

सब लोग मीटिंग रूम में है। प्रिया ने डरते हूए कहा "क्या आप जुनेजा सर को.."

मीटिंग रूम में चुप्पी थी —

सिर्फ तरूण की आवाज़ गूंज रही थी।

"नाम क्या है तुम्हारा बेटी?"

प्रिया, झुकी नज़रों और कांपती आवाज़ में — "जी… प्रिया डोगरा।"

"कितना अनुभव है तुम्हें रियल एस्टेट का?"

"एमबीए किया है?"

"नहीं…"

(उसका स्वर टूट गया)

तरूण ने पूरे हॉल पर निगाह डाली —

"बाकी किसी ने किया है?"

चारों ओर सिर झुके थे। सन्नाटा। मुश्किल से एक आध हाथ उठे। "तो फिर ये कंपनी चलेगी कैसे?"

विनोद ने डरते हुए पूछा — "क्या आप हमें निकाल देंगे?"

तरूण का चेहरा सख्त था — "जब तुम लोग किसी काम के नहीं…"

तमन्ना घबरा गई —"पर अब हम मेहनत करेंगे सर… सच में।"

तरूण उसकी ओर घूरते हुए — "अब तक क्यों नहीं किया?"

प्रिया का सिर और झुक गया।वह सबसे असफल कर्मचारी थी।लेकिन तभी तरूण ने घोषणा की "हम किसी को नहीं निकालेंगे। ना तुम्हें, ना तुम्हारे जुनैजा सर को।"

कमरे में एक सांस जैसी राहत फैल गई।

"पर एक शर्त है— अब से रोज़ एक घंटा एक्स्ट्रा काम। ट्रेनिंग दी जाएगी। और दो साल तक कोई कंपनी नहीं छोड़ेगा।"

दो साल की पक्की नौकरी सुनकर सभी के चेहरे खिल उठे।

एक-एक करके सबने फॉर्म साइन किए। और तभी…

💥 "अब मिलिए अपने ट्रेनर से..."

तरूण ने मुस्कराते हुए कहा —

**"The King of Real Estate.

India’s most powerful business tycoon.

Please welcome…

Mr. Kunal Rathore."

⚡ पूरा मीटिंग रूम तालियों से गूंज उठा।

पर एक चेहरा — फीका पड़ गया।

प्रिया। उसके हाथ से पेन गिर गया। उसके कदम पीछे हटने लगे। कुणाल, पूरे आत्मविश्वास के साथ सीधे प्रिया के सामने से गुज़रा और सामने खड़ा हो गया।

तरूण ने धीमे से कहा — "Miss Dogra, welcome him."

प्रिया ने कांपते हाथों से पास खड़ी लड़की से गुलदस्ता लिया।

जैसे ही वह कुणाल के पास पहुँची — उनकी निगाहें मिलीं।

कुणाल की आँखें कुछ कह रही थीं, शायद — "तुम यहाँ हो… ज़िंदा हो…!"

तरूण ने प्रिया की तरफ इशारा करते हुए मुस्कराकर कहा — "आपको इसका खास ध्यान रखना होगा। यह आपकी सबसे कमजोर स्टूडेंट है।"

कुणाल ने बिना पलक झपकाए कहा — "Sure. Why not." प्रिया का चेहरा सफेद हो गया। उसने खुद को संभालते हुए झट से आगे बढते हुए गुलदस्ता कुणाल की तरफ बढ़ा दिया और तमन्ना के पास जाकर खड़ी हो गई।  —

एक चेहरा हतप्रभ — एक चेहरा मुस्कराता हुआ — और बीच में एक अतीत जो फिर से आग बनकर जलने वाला है।

...

मीटिंग रूम की भीड़ छँट चुकी थी, तरुण और कुणाल बातचीत में लगे थे, पर कुणाल की नज़रें बार-बार किसी एक ओर भटक रही थीं — प्रिया।

वह सामने थी, लेकिन जैसे अतीत का कोई ज़िंदा खंडहर बन चुकी थी।

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विनोद धीरे से पास आया, उसने प्रिया के काँधे पर हाथ रखा — "तुझे क्या हुआ?"

प्रिया की आवाज़ जैसे खो चुकी थी —

"कुछ नहीं..."

पर तभी — उसकी निगाहें एकदम सीधी

कुणाल की आँखों से टकरा गईं।

वो आँखें... जिनमें पहले कभी मोहब्बत दिखती थी, आज सिर्फ़ सवाल थे।

कुणाल ने देखा —विनोद का हाथ प्रिया के कंधे पर है।

एक पल के लिए कुणाल की मुट्ठी भींच गई। प्रिया ने जैसे झटका खाकरविनोद का हाथ हटा दिया।

कुणाल की आँखों में अब गुस्से की जगह एक अजीब सी मुस्कान थी — जैसे कोई शिकारी शिकार को तड़पते हुए देख रहा हो।

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प्रिया वहाँ से निकलने लगी, उसका बदन काँप रहा था।

तभी पीछे से आवाज़ गूंजी — "Miss Dogra!" वो रुक गई।

पीछे मुड़ते हुए जैसे उसके कदम भारी हो गए।

कुणाल अब सामने था — चेहरे पर वही तेज, वही सख्ती।

"रियल एस्टेट की सारी फाइलें आप लेकर आइए।"

प्रिया कुछ कहने ही वाली थी कि वह बिना रुके बोला —

"Thank you. We are waiting."

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सन्नाटा। वो कोई आदेश नहीं था, एक इम्तिहान था।

1. क्या प्रिया, कुणाल के सामने अपने अतीत और सच को छुपा पाएगी या उसका रहस्य कंपनी में सबके सामने उजागर हो जाएगा?

2. तरुण खन्ना की असली मंशा क्या है—क्या वह सचमुच कंपनी को बचाने आया है या इसके पीछे कोई गहरी चाल छिपी है?

3. कुणाल, जो अब उसका ट्रेनर है, क्या प्रिया को “कमजोर स्टूडेंट” मानकर सबके सामने अपमानित करेगा, या यह उसके खोए हुए प्यार की एक नई शुरुआत बनेगी?

जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र।"