गौतम सर अपने बेटे देखकर गर्व से भर जाते।
अंश में मासूमियत भी थी और जिम्मेदारी भी।
उसने पिता की ईमानदारी और सच्चाई का पाठ सीखा।
पड़ोस के लोग उसे देखकर कहते—“काश हमारा बच्चा भी अंश जैसा होता।
”वक़्त पंख लगाकर उड़ गया।
अंश ने हाईस्कूल में टॉप किया।
स्कॉलरशिप मिली और उसे यूनिवर्सिटी में दाख़िला मिल गया।
गौतम सर खुश थे… पर उदास भी।
बेटा अब उनके पास से दूर जा रहा था।
उस रात जब अंश ने यूनिवर्सिटी जाने की तैयारी की, तो गौतम सर ने बस इतना कहा—
“बेटा… माँ नहीं है, पर उसकी दुआएँ तुम्हारे साथ हैं।
और मैं हमेशा ह तुम्हारे साथ हूं ।
”अंश ने पिता के पैर छुए और मुस्कुराकर कहा—
“पापा…
मैं कभी आपको शर्मिंदा नहीं करूँगा।
”गौतम सर ने उसे कसकर गले लगाया।
लेकिन उन्हें कहाँ पता था…यही दिन अंश के जीवन का सबसे बड़ा मोड़ बनने वाला था।
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अंश यूनिवर्सिटी के गेट पर खड़ा था।
पहली बार उसने पिता की छाया से दूर कदम रखा था।
होस्टल का माहौल, नए दोस्त, नई क्लासें—
सब कुछ उसके लिए नया था।
शुरुआती दिनों में सब ठीक-ठाक रहा।
अंश अपनी मेहनत और होशियारी से जल्दी सबका ध्यान खींचने लगा।
क्लास में उसके जवाब सुनकर टीचर्स प्रभावित हो जाते।
पर… यही उसकी सबसे बड़ी गलती बन गई।
यूनिवर्सिटी में एक ऐसा ग्रुप था जिसे सब “बड़े घरानों के राजकुमार”कहते थे।
पैसा, ताक़त और अकड़ उनके खून में थी।
उनमें से एक लड़का… आर्यन मल्होत्रा।
आर्यन"
यूनिवर्सिटी का सबसे रईस और घमंडी लड़का था।
हर किसी पर हुक्म चलाना, लड़कियों को बेइज़्ज़त करना, और छोटे शहर से आए बच्चों का मज़ाक उड़ाना उसका शौक था।
लेकिन जब उसने अंश ,"
को देखा—उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक आ गई।
शुरू-शुरू में वो उसे नीचा दिखाने की कोशिश करता—“अरे टॉपर बाबू, गाँव से आया है ना?
यहाँ तेरी अक्ल नहीं चलेगी।
”लेकिन "अंश" हर बार शांति से जवाब देता और कभी झुकता नहीं।
यही उसकी सबसे बड़ी ‘गलती’ थी।
धीरे-धीरे आर्यन की नफ़रत और अजीब-सी चाहत… दोनों बढ़ने लगी।
वो अंश को परेशान भी करता और बिना वजह उसके करीब भी आने की कोशिश करता।
कभी क्लास के बहाने, कभी होस्टल के…एक रात, जब सारे लड़के बर्थडे पार्टी मना रहे थे,
आर्यन ने जानबूझकर सबके सामने अंश को छेड़ा—“देखो देखो, ये छोटा-सा टॉपर बाबू… हीरो बनने चला है!
”सब हँस पड़े, लेकिन अंश चुपचाप वहाँ से निकल गया।
उस रात, होस्टल की छत पर अंश अकेला बैठा था।
चाँदनी उसकी आँखों में चमक रही थी।
तभी किसी ने पीछे से आवाज़ दी—
“तुम्हें पता है, अंश… तुम्हारी सबसे बड़ी ताक़त क्या है?”
अंश पलटा।
वो आर्यन था।
उसकी आँखों में नशा था, पर चेहरा अजीब तरह से गंभीर।
“तुम्हारी जिद।
तुम कभी झुकते नहीं।
शायद इसी लिए…”वो रुका, उसकी आँखें अंश के चेहरे पर अटक गईं—
“…"
शायद इसी लिए मैं तुम्हें बाकी सब से अलग देखता हूँ।
”अंश चौंक गया।
उसके होंठ सूख गए।
“तुम ये सब क्यों कह रहे हो?
”आर्यन मुस्कुराया, पर उसकी मुस्कान के पीछे कुछ खतरनाक छिपा था।
वह अंश के करीब आया,
और धीरे से अंश के कान में फुसफुसाया ।
“क्योंकि अंश… या तो तुम मेरे होगे…या फिर किसी के नहीं।
उसके चेहरे पर तो मुस्कान थी ।
पर उसकी आंखों में वासना झलक रही थी ।
उसे देख कर अंश पहली बार डर था ।
”उस पल अंश को समझ आ गया—
यहीं से उसका असली इम्तिहान शुरू होने वाला था।
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फिर भी अंश ने खुद को संभाला और अपने कमरे में चला गया ।
उस रात उसको पूरी रात डरावने सपने आते रहे
उसने देखा कि वो किसी अंधेरी जग में कैद है ।
और कोई भी उसकी आवाज नहीं सुन रहा है।
वह चिल्ला रहा था पर किसी को उसकी प्रभा नहीं है।
उसके शरीर पर सर्प लिपटे हुए है और वे उसे हर जगा काट रहे हैं।
वो जितना बचने की कोशिश करता सर्प उतने
बडे हो जाते ।
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सुबह में वो जब उठा उसका शारीर पसीने से लथपत था।
उसकी सांसे तेज चल रही थी।
थोड़ी देर बैठे रहने के बाद ही उसे होश आया।
और उसने खुदको संभाला । ये तो एक डरावना सपना था।
उसे भूलने की कोशिश की ।
हालांकि वो । आर्यन की बात से बहुत डर गया था।
आर्यन, की उस बात से अंदर तक काँप गया था।
पर उसने फिर भी ऐसा दिखावा किया, कि कुछ हुआ ही नहीं है।
पर जब भी वो आर्यन को देखता तो उसके कानो में वो बात गूंजने लगती।
"या तो तुम मेरे होगे… या फिर किसी के नहीं।
"ये शब्द उसके कानों में हथौड़े की तरह गूंजते रहे थे।
अंश ने उसे नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की, लेकिन आर्यन अब हर जगह उसके आसपास मंडराने लगा।
कभी लाइब्रेरी में बगल वाली सीट ले लेता,कभी क्लास खत्म होते ही दरवाज़े पर खड़ा होता।
आर्यन की आँखों में कुछ था…वो नफ़रत भी थी, चाहत भी।
वो अंश को अपने काबू में करना चाहता था, और जब अंश उसकी बात नहीं मानता—
तो वो उसे और ज्यादा डराने लगा।
एक बार कैंटीन में, सबके सामने आर्यन ने अंश का हाथ पकड़ लिया।
“तू मुझे नज़रअंदाज़ क्यों करता है?
क्या तुझे पता नहीं, मैं कौन हूँ?
अंश में तुझे चाहता हूं,
और एक दिन तुझे मेरे पैर में झुकना होगा ।
में तुझे अपना गुलाम बनाएगा ।
और तेरा ये दो कौड़ी के उसूलो को अपने नीचे तोडूंगा
तुझे कही भी मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ूगा।
”पूरा हॉल सन्न हो गया।
अंश ने तुरंत अपना हाथ छुड़ाया और शांत स्वर में बोला—
“तुम चाहे जो हो… मैं किसी का गुलाम नहीं बनूगा ।
”आर्यन की आँखों में गुस्सा और जुनून दोनों चमक उठे।
उसने अंश की गर्दन पकड़ ली और उसे अपने करीब खींचा ।
और सब के सामने उसके होंठ को कुचल दिया ।
अंश ने जोर से उसके गाल पर एक तमाचा जड़ दिया ।
आर्यन ने अपने गाल को सहलाया ।
और
अंश के कान में फुसफुसाते हुए कहा—
“याद रखना…
अगर तू मेरा नहीं बना, तो तुझे जीने नहीं दूँगा।
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”उस रात अंश अपने कमरे में अकेला बैठा सोच रहा था।
उसे क्या करना चाहिए ।
क्या अपने घर लौट जाना चाहिए या फिर यही रहकर मुकाबला करना चाहिए।
उसे अब डर लग रहा था।
पर वो घर नहीं जा सकता था ।
उसे अपने पिता का नाम ऊंचा करना था ।
वो समझ गया था
कि आर्यन सिर्फ मजाक नहीं कर रहा।
उसकी आँखों में एक खतरनाक पागलपन था।
दिन बीतते गए, और आर्यन ने अपने पावर का इस्तेमाल शुरू कर दिया।
क्लास के प्रोजेक्ट्स में अंश का नाम काट दिया जाता,
एग्जाम के दौरान उसके पन्ने गायब कर दिए जाते,
यहाँ तक कि होस्टल में भी उसके कमरे के बाहर धमकियों भरे नोट चिपकाए जाने लगे।
लेकिन अंश हार मानने वालों में से नहीं था।
उसके पिता ने उसे सिखाया था—"सच्चाई और ईमानदारी कभी मत छोड़ना, चाहे कितनी भी मुश्किल आ जाए।
"यही जिद अब उसकी ढाल बन रही थी।
उसे धमकाया जाता ।
वो जहां भी जाता आर्यन नाम के भूत का साया,
हमेशा उसके सिर पर मंडराता रहता।
लेकिन अंश हार मानने वालों में से नहीं था।
पर किस्मत ने जैसे उसके खिलाफ खेल खेलना शुरू कर दिया था।
एक दिन यूनिवर्सिटी कैंपस में एक बड़ा झगड़ा हुआ।
आर्यन और उसके दोस्तों ने अंश को बीच मैदान में घेर लिया।
सबके सामने आर्यन के दोस्तों ने उसकी कॉलर पकड़कर कहा—
“आज सबको सच पता चल जाएगा।
अंश तू एक आवारा कुत्ता है ।
तू आर्यन की रखैल है ।
उसको बुरे बुरे तहाने और गालियां दी गईं।
सभी लोग उसका मजाक बना रहे थे।
हर कोई उसको बुरी नजरो से देख रहा था ।
अंश चुपचाप रोता रहा ,उसने लोगो को सम जाने की कोशिश की ।
पर किसी ने उसकी एक न सुनी ।
जब तक वो बिखर कर अपने घुटनों पर नहीं गिर गया।
और तब एक आवाज आई।
अंश… तू मेरा है।
और जो मेरे खिलाफ जाएगा, वो जिंदा नहीं बचेगा।
या तू मेरी बात मन कर मेरा गुलाम बन, नहीं तो में तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा।
”पूरी यूनिवर्सिटी उस नज़ारे को देख रही थी।
पर कोई भी उसकी मदद को नहीं आया ।
यह तक की टीचर भी देख रहे थे ,पर किसी ने अपना मुंह नहीं खोला ।
अंश की आँखें रो रो कर लाल हो चुकी थीं।
वो चुप नहीं रहा—
उसने जोर से आर्यन को धक्का दिया और कहा—
“मैं किसी का खिलौना नहीं हूँ, आर्यन।
अगर सच बोलना जुर्म है, तो मैं हर बार ये जुर्म करूँगा!
अगर ईमानदारी से जीना गुना है तो में हर रोज ये गुना करूंगा ।
ओर अगर तुमरे जैसे शैतान से डर कर , तुम्हारा गुलाम बंजाऊ,
इससे अच्छा है की मैं मर जाऊं ।
आर्यन, अपने जीते जी में तुम्हारा कभी नहीं होऊंगा।
एक पल में ही हर तरफ ”सन्नाटा छा गया।
आर्यन का चेहरा पागलों की तरह विकृत हो गया।
उसकी आँखों में नफ़रत और पागलपन का संगम था।
उस दिन से अंश की ज़िंदगी ने अंधेरे की ओर कदम बढ़ा दिया…
क्योंकि आर्यन सिर्फ एक अमीर लड़का नहीं था।
वो उन बड़े लोगों का बेटा था…जिन्होंने आगे चलकर अंश की ज़िंदगी छीन ली।
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अंश ,
यूनिवर्सिटी में मेहनत और टैलेंट से आगे बढ़ रहा था।
लेकिन आर्यन का पागलपन अब इश्क़ से निकलकर अब जुनून में बदल चुका था।
उसने ठान लिया था—
“अगर अंश मुझे ठुकराएगा, तो मैं उसकी हर पहचान मिटा दूँगा।
”धीरे-धीरे सबकुछ बदलने लगा।
क्लास के टीचर्स अचानक उसके प्रोजेक्ट्स रिजेक्ट करने लगे।
परीक्षा की कॉपियों में उसके अंक कम कर दिए जाते।
लाइब्रेरी कार्ड ब्लॉक हो गया।
होस्टल में उसके कमरे की बिजली और पानी काट दिया गया।
अंश समझ रहा था कि इसके पीछे सिर्फ एक ही नाम है—आर्यन।
पर वो चुप नहीं बैठा।
उसने हर मुसीबत से निकल कर जीना सीख लिया।
वो हारता नहीं,
गिर कर भी ,
हर बार फिर से खड़ा हो जाता,
और ये बात आर्यन को और पागल बना रही थी।---
वो जितना अंश को अपने पैरों पर गिरने की कोशिश करता उतना ही अंश ओर हिम्मत से उठ खड़ा हो जाता।
वो हर दिन अंश को अपने नीचे कुचल ते देखना चाहता था,
उसका गुरूर तोड़ना चाहता, अंश उतना ही हर
मुसीबत से बच निकलता।
आर्यन , ये सब देख कर उतना ही पागल होता जाता ।
“खेल” की शुरुआतएक
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एक दिन अंश को यूनिवर्सिटी के एक इवेंट में बुलाया गया।
वहाँ उसकी मुलाकात शहर के कुछ बड़े लोगों से कराई गई।
ये वही लोग थे जिनके नाम सुनकर आम लोग डर से काँपते थे।
—मिनिस्टर्स, बिज़नेसमैन, और माफिया ।
अंश को समझ आया कि आर्यन सिर्फ यूनिवर्सिटी का गुंडा नहीं…था।
वो उन बड़े लोगों का बेटा था, जिनके हाथों में पूरे शहर की डोरियाँ थीं।
आर्यन ने वहीं सबके सामने अंश के कंधे पर हाथ रखकर कहा—
उससे दोस्ताना व्योहार किया ,मानो वो उसका सबकुछ हो।
“ये है मेरा दोस्त… हैं ।
और अब ये हमारे साथ काम करेगा।
”अंश चौंक गया।
“मैं?
लेकिन… किस काम के लिए?
”आर्यन मुस्कुराया, पर उसकी आँखों में साया था।
“तुझे वही करना है जो हम कहेंगे।
नहीं तो में तुमरे बाप को मर दूंगा।
अंश इतना डर गया था ।
की उसके हाथ पैर कापने लगे ।
उसने कभी नहीं सोचा था ।
की एक दिन उसकी बजा से, उसके पिता की जान को खतरा होगा।
वो बस चुपचाप सुनता रहा ।
उसको बहुत डर लग रहा था ।
बस जल्द से जल्द अपने पिता से , बात करना चाहता था ।
”धीरे-धीरे अंश को एहसास हुआ।
कि ये लोग सिर्फ स्टूडेंट्स नहीं, बल्कि क्राइम और पॉलिटिक्स का खेल खेलने वाले गुंडे है ।
—ड्रग्स की सप्लाई,पैसों की हेराफेरी,और यूनिवर्सिटी को अपने पावर का अड्डा बनाना।
इनका काम था।
ये लोग
उसे भी अपने साथ दल दल में गिरना चाहते थे।
उस रात उसने अपने पिता को फोन कर, शहर से दूर दारास के इलाके में रहने के लिए कहा ।
जब उसके पिता ने उससे पूछा क्या हुआ तो ,
उसने बहाना बनाया कि उसे सहर का शोर परेशान करता है ।
और वो नहीं चाहता की उसके पापा भी परेशान हो ।
उसने उससे अपने मां के घर जाने को कहा जो ।
वो घर
उसके जनम के बाद से खाली पड़ा था ।
उसने अपने पिता को समझाया ।
पापा में इस बार की छुट्टी में, अपनी जन्म भूमि देखना चाहता हूं।
क्या आप मुझे मेरी मां की यादों से, नहीं मिलना चाहते।
उसके पिता अपने बेटे को निराश नहीं करना चाहते थे
इसलिए अगले ही दिन अपने गांव के लिए निकल गए
अंश को ये जानकर राहत महसूस हुई ।
कम से कम अब उसके पिता तो सुरक्षित है।
अंश
ने आर्यन को उसकी बात मानने से साफ इंकार कर दिया।
“मैं इस गंदे खेल का हिस्सा कभी नहीं बनूँगा।
”आर्यन का चेहरा कसकर जम गया।
उसने सबके सामने अंश के कान में फुसफुसाया—“तो फिर… तुझे जीने का हक़ नहीं है।
और बहा से निकल गया।
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बाद में अंश पर झूठे इल्ज़ाम लगने लगे।
एक लड़की ने शिकायत कर दी कि अंश उसे परेशान करता है।
कॉलेज नोटिस बोर्ड पर उसकी फर्ज़ी तस्वीरें चिपका दी गईं।
यूनिवर्सिटी मीडिया पर उसकी नंगी फोटों चिकाई गई।
खबर छापी गई,;;;
—“टॉपर स्टूडेंट का डार्क साइड।
”अंश टूटने लगा था ।
उसका स्कॉलरशिप रोका गया।
कभी जो उसको दोस्त कहते थे , अब दूर होने लगे।
जो लोग कभी उसे आदर्श मानते थे… वही अब उसे घिनौनी निगाहों से देखने लगे।
और तो और आर्यन हर जगह उसके सामने आता।
और धीमे से कहता—
“देखा
अंश…
तू अगर मेरा होता, तो आज ये हालत न होती।
”अंश ने
-- एक दिन हार कर अपने पिता को चिट्ठी लिखी
—"पापा, मैं हार नहीं मानूँगा।
सच के लिए लड़ूँगा।
आपका बेटा कभी झुकेगा नहीं।
उसके आंसुओ ने कागज को भीगा दिया था ।
उसके दिल के टुकड़े टुकड़े कब के हो चुके थे ।
पर अब तो चुभन ही रह गई थी ।
"लेकिन उसे कहाँ पता था
दरिंदो को अभी सुकून नहीं मिला था।
वे तो उसका सब कुछ लूटना चाहते थे।
वो…जिस आग से लड़ने की कोशिश कर रहा था,
वो आग इतनी बड़ी थी कि उसे निगल कर ही दम लेगी।
आर्यन और उसके दोस्तों ने खेल की आखिरी चाल चल दी थी—
अब अंश को सिर्फ बदनाम नहीं करना था…
उसे मिटाना था।-
अंश की आखिरी रात
_________________
आर्यन और उसके लोगों ने अंश को एक “पार्टी” में बुलाया।
वहाँ अंश को ड्रग्स, शराब और गंदे कामों में फँसाने की कोशिश हुई।
अंश ने सबके सामने लड़ाई की और कहा—“मैं गंदे लोगों का हिस्सा नहीं बनूँगा,।।
चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए।
”यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी।
उस रात…आर्यन ने गुस्से में कहा—
“तो फिर अब तेरी कहानी यहीं खत्म।
मौत
_______
अगले दिन खबर फैली—अंश गायब है।
किसी ने उसे मरते नहीं देखा, पर उसके कपड़े खून से सने मिले।
पुलिस ने कहा—“शायद नदी में गिर गया।
”यूनिवर्सिटी ने कहा—“शायद भाग गया।
”आर्यन ने मुस्कुराकर कहा—
“कभी लौटेगा तो देख लेना।
”लेकिन असली सच्चाई किसी को नहीं पता चली।
उसकी डेड बॉडी कभी नहीं मिली।
________&&&______
गांव में ।
गौतम सर हर रोज़ दरवाज़े की तरफ देखते रहते
“मेरा बेटा लौटकर आएगा।
”यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स उसे अब एक मिसाल की तरह याद करने लगे।
अगर आर्यन और उसके दोस्तो की बात नहीं सुनी ।
तो हाल अंश जैसा होगा।
आर्यन ने बाहर सबके सामने मासूम बनने का नाटक किया,
पर अंदर से जानता था कि अंश को उसने मिटा दिया है।
-- अंश की आखिरी
_______________
रातरात के लगभग 10 बजे थे।
यूनिवर्सिटी का बड़ा-सा हॉस्टल शांत था।
लेकिन उसी शांत माहौल में, आर्यन और उसके दोस्तों ने एक गुप्त “पार्टी” का आयोजन किया था।
अंश को ज़बरदस्ती वहाँ बुलाया गया।
उसने साफ़ कहा था कि उसे ऐसे शोर-शराबे, ड्रिंक और गंदे कामों से नफ़रत है।
लेकिन आर्यन ने धमकी दी थी—“अगर तू नहीं आया… तो तेरे गांव जाकर तेरे बाप को मर दूंगा।
उसने अंश पिता का फोटो अपने फोन में दिखाया ।
तुझे क्या लगता तू अपने पिता को दूर भेज देगा तो मुझे पता नहीं चलेगा।
मेरे आदमी हर जगह उनका पीछा कर रहे है ।
अगर तूने आज मेरी बात नहीं मानी तो में उसे मर दूंगा।
अंश को पता था। आज उसकी आखिरी रात होगी।
उसने एक छोटी सी डायरी लिखी और उसे अपने पिता के नाम भेज दिया।
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रात को
जैसे ही अंश पार्टी हॉल में पहुँचा
—सामने धुआँ,
शराब,
लड़कियों की चीखें,
लड़कों की हँसी,
सब मिलकर एक डरावना माहौल बना रहे था।
उस जग पर बेशर्मी का नंगा नाच चल रहा था।
अंश गुस्से में था उसे उस नजरे को देखकर घिन आरही थी।
—“तुम लोग इसे मज़ा कहते हो?
ये तो गंदगी है!
”आर्यन ने उसके करीब आकर कान में फुसफुसाय डार्लिंग अभी तो मजा शुरू हुआ हैं।
आज इस पार्टी में तू इन सब से जड़ा मजा करेगा।
तुझे क्या लगता है ।
ये दुनिया तेरे जैसे लोगों के लिए बनी है ।
नहीं इसपर राज हमारा चलता है ।
तुम तो बस कीड़े मकोड़े हों जो हमारे मजे के लिए जिसे मरते हो।
और है सुन अगर जिन्दा रहना है , तो आज मेरी बात सुनो।
और तो और हमें जॉइन कर… वरना मिटा दिया जाएगा।
---अंश की आँखों में आग थी
उसने सबके सामने चिल्लाकर कहा—
“मैं किसी गंदे खेल का हिस्सा नहीं बनूँगा।
चाहे मेरी जान चली जाए…
लेकिन मैं सच और ईमानदारी से समझौता नहीं करूँगा।
में अपने जीते जी अपने पिता को शर्मिंदा नहीं करूंगा ।
उनके दिए हुए संस्कार को कभी नहीं भूलेगा।
एक पल के लिए -सन्नाटा छा गया।
सबने देखा कि आर्यन के चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान फैल गई।
“तो फिर तेरा फैसला हो चुका है…
”आर्यन ने धीरे से अपने आदमियों को इशारा किया।
लाइट्स अचानक बुझ गईं।
हॉल में चीखों, धक्कामुक्की और टूटी बोतलों की आवाज़ गूँजने लगी।
…और जब आखिर कर लाइट्स दुवारा जाली ।
अंश कहीं नहीं था।
सिर्फ उसके कमरे में एक खून से सना हुआ शर्ट पड़ा
मिला।
पुलिस ने जाँच की, लेकिन बॉडी कभी नहीं मिली।
कुछ कहते थे—
“वो नदी में गिर गया।
”कुछ कहते थे—“शायद भाग गया।”
लेकिन सच्चाई कोई नहीं जान पाया।
-- गौतम सर को जब खबर मिली…तो उनकी आँखें पथरा गईं।
उन्होंने सिर्फ इतना कहा—“मेरा बेटा मरा नहीं है…वो ज़रूर लौटेगा।
”और इस तरह अंश एक रहस्य बन गया।
उसका नाम, उसकी याद, उसकी बातें—सब ज़िंदा रहीं।लेकिन उसकी डेड बॉडी कभी नहीं मिली।
______&&&&&____________
अब आगे क्या होगा क्या आर्यन को सजा मिलेगी या फिर वो ऐसे ही गुनाह पे गुनाह करता रहेगा