unfulfilled lust in Hindi Love Stories by Rakesh books and stories PDF | अधूरी हवस

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अधूरी हवस



शहर की हल्की रोशनी और बरसती बारिश के बीच, एक आलीशान अपार्टमेंट में साक्षी खिड़की के पास खड़ी थी। उसके हाथ में गिलास में बर्फीली वाइन थी, लेकिन उसका ध्यान बिल्कुल कहीं और था। उसके मन में उठते जज़्बात और अधूरी चाहतें उसे बेचैन कर रही थीं। जीवन की रंगीन दुनिया के बावजूद, उसके भीतर एक खालीपन था जिसे वह किसी के साथ बांटना चाहती थी, पर circumstances ने उसे रोक रखा था।

कुछ ही कदम दूर, अपार्टमेंट के दूसरे कमरे में अकाश बैठा था। उसकी आँखों में भी वही अधूरी चाहत झलक रही थी। दोनों की नज़रों का मिलन अक्सर होता, लेकिन शब्दों से एक-दूसरे की भावनाओं को व्यक्त करना हमेशा मुश्किल रहा।

साक्षी ने धीरे-धीरे अपने बालों को पीछे किया और अकाश की ओर देखा। उसकी सांसें थोड़ी तेज़ हो गईं, जैसे कोई अनकही कहानी हवा में गूंज रही हो। “कभी लगता है,” उसने धीरे से कहा, “कि हमारी जिंदगी बस अधूरी ख्वाहिशों और अधूरी हवस के बीच उलझी हुई है?”

अकाश ने उसकी आँखों में देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “हवस… यह सिर्फ चाहत नहीं, यह वह आग है जो हमें एक-दूसरे की ओर खींचती है, भले ही हम उसे स्वीकार करें या न करें।”

उनकी बातचीत का माहौल धीरे-धीरे और भी इंटेंस होता गया। बारिश की बूंदें खिड़की पर संगीत की तरह गिर रही थीं, और कमरे में सिर्फ उनका दिल और सांसों की आवाज़ थी। दोनों के बीच वह अधूरापन धीरे-धीरे एक-दूसरे की आँखों में प्रतिबिंबित हो रहा था।

अकाश ने धीरे से साक्षी का हाथ पकड़ लिया। उसकी उंगलियों ने साक्षी के हाथ की नाजुक रेखाओं को महसूस किया। “क्या हम…?” अकाश ने शब्द अधूरे छोड़ दिए, क्योंकि उसने महसूस किया कि कुछ चीज़ों को केवल महसूस किया जा सकता है, शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता।

साक्षी ने सिर झुकाकर उसकी नज़रों में उतरने की कोशिश की। वह जानती थी कि इस अधूरी हवस को रोकना अब नामुमकिन था। दोनों के बीच की दूरियाँ अब केवल समय और परिस्थितियों की थीं, लेकिन उनके दिलों की धड़कनें अब एक ही सुर में थीं।

रात के अंधेरे में, शहर की रोशनी और कमरे की मंद रोशनी में, उन्होंने पहली बार अपनी भावनाओं को बिना शब्दों के व्यक्त किया। उनका स्पर्श, उनकी साँसें और उनकी नज़रें – सब कुछ एक-दूसरे के प्रति उनकी अधूरी चाहत और हवस को दर्शा रही थीं।

अगले हफ्ते, साक्षी और अकाश की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए। कार्यस्थल की जिम्मेदारियाँ, परिवार की अपेक्षाएँ और समाज की निगाहें – सब कुछ उनके बीच की खाई को और गहरा कर रही थीं। लेकिन हर मुलाकात, हर बातचीत में उनकी अधूरी हवस और चाहतें और भी तीव्र होती जा रही थीं।

एक दिन, अकाश ने साक्षी को एक छोटे कैफे में बुलाया। वहाँ की शांत और रोमांटिक वायुमंडलीय वातावरण ने उनके जज्बातों को और खुलने का मौका दिया। “मैं अब और इंतजार नहीं कर सकता, साक्षी। यह अधूरी हवस मुझे अंदर से जला रही है। हमें अब निर्णय लेना होगा – या हम इसे पूरा करेंगे या हमेशा के लिए इसे अधूरा छोड़ देंगे।”

साक्षी ने उसकी बात सुनी और उसकी आँखों में देखा। उसने महसूस किया कि यह सिर्फ शारीरिक चाहत नहीं थी, बल्कि दिल, आत्मा और जज़्बातों का मिलन था। “हमें… हमें इसे संभालना होगा,” उसने धीरे कहा, “लेकिन समझदारी और प्यार के साथ।”

इसके बाद, दोनों ने एक-दूसरे की भावनाओं और चाहतों को समझते हुए धीरे-धीरे अपने रिश्ते को आगे बढ़ाया। उन्होंने एक-दूसरे की सीमाओं और जज्बातों का सम्मान किया, और इस अधूरी हवस को धीरे-धीरे पूर्णता की ओर ले गए।

समय बीतता गया, लेकिन उनकी चाहत और प्रेम अब भी उसी तीव्रता के साथ कायम था। उन्होंने सीखा कि अधूरी हवस केवल एक कमजोरी नहीं है, बल्कि यह उस रिश्ते की गहराई और भावना को समझने का तरीका भी है।

इस तरह, साक्षी और अकाश की कहानी शहर की रोशनी और बरसती बारिश के बीच अधूरी हवस और अधूरी चाहत को पूर्णता की ओर ले जाने वाली कहानी बन गई।