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प्यार मे पड चित्त किसी की सुध नही रखता । खुद कि भी नही..! किताबो मे पढा था और लिखा भी था मैने ऐसे लड़कपन मे पडे प्यार के एहसास को! जब लिखती थी तो सोचती कि क्या मै भी कभी प्यार करूंगी। जवाब आज मिला ! हां मैने भी प्यार किया है ।
मैने अपने और नैना के लिए मसाला चाय बनाई और जाकर बाल्कनी मे बैठ गई। नैना वही थी । वो स्केच बना रही थी । मैने ध्यान से देखा तो पाया कि वो मेरी तस्वीर बना रही थी । मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट खिल उठी । मेरे बस एक बार कहने पर उसने मेरे लिए पोट्रेट बनाना शुरू भी कर दिया । मैने चाय टेबल पर रखी और नैना के पीछे जाकर खडी हो गई । मैने धीरे धीरे उसके कंधे दबाना शुरू कर दिया ।
स्केच बनाती नैना के हाथ रूक गए और उसकी आंखे बंद हो गई। वो थक गई थी तो अब उसने अपना शरीर ढीला छोड दिया था ।
" चारू...लव यू यार ! ", नैना आंखे बंद करे बोली ।
मै मुस्कुरा दी । थोडी देर बाद नैना ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया । मतलब साफ था ! अब वो नही चाहती थी कि मै उसके कंधे दबाउं । मै उसकी बगल मै बैठ गई। हम दोनो ने अपने अपने चाय के कप उठाए और कुछ खट्टी मिट्ठी बातो के साथ सुबह के पंद्रह मिनट सुकून के बिताए।
नैना चाय के कप उठाकर उन्हे धोने बाथरूम मे चली गई । मैने अपना और नैना , दोनो का ही बिस्तर ठीक कर दिया । तभी मेरा फोन बजा । देखा तो पाया मम्मी का कॉल था ।
" हां मम्मी ? "
( " आज अपने आप उठ गई! रोज तो मुझे फोन करके उठाना पडता है ! ", मम्मी बोली । )
मै हल्के से हँसी और बोली , " आज जल्दी आंख खुल गई। बस अब थोडी देर मे कॉलेज जा रही हूं । "
( " ठीक है... बाय ! " , मम्मी ने कहा और फोन काट दिया । )
मै भी कपडे लेकर बाथ रूम मे चली गई। अब तक नैना बाहर आ गई थी । थोडी देर बाद जब बाहर आई तो देखा नैना ने मेरा और अपना बैग लगा दिया था और अभी अपने कपडे लेकर बिस्तर पर बैठी थी । मेरे बाहर आते ही वो अंदर चली गई।
मैने एक बार टाइम टेबल चैक किया तो देखा आज हिस्ट्री कि दो क्लास है । मेरे चेहरे पर मुस्कान सज गई। नैना बाहर आई तो उसका मूड कुछ उखड़ा हुआ था ।
उसने बैग उठाया और बिना कुछ खाए चली गई। मैने उसके और उसने लिए चीज सैंडविच बनाए थे । मैने एक नजर दरवाजे को देखा फिर सैंडविच को । अगले ही.पल वो सैंडविच फुड रेपर मै रैप थे और मै उसे हाथ मे लिए रूम लॉक कर निकल गई। नीचे आई तो पाया कि नैना खडी थी ।
मेरे आते ही वो मेरे पास आई और कुछ बोलती उससे पहले ही मै बोल पडी , " घर से फोन आया था और तेरा उसके बाद से ही मूड खराब है ! हे ना ? "
" हां ! ", नैना बोली ।
" क्या हुआ? " , मैने चलते हुए सवाल किया ।
वो मेरी बगल मे चलते हुए बोली , " उन्हे बस मेरी शादी से मतलब है । आए दिन किसी ना किसी लडके की तस्वीर भेजते रहते है ! दिमाग खराब हो गया है मेरा ! "
मै बस चलती रही । क्या जवाब दू मै उसे ! नैना कि बस मां है और वो बस नैना कि शादी करके उसे टाल देना चाहती है । यही तो होता आया है । लडकी को बस बोझ समझा जाता है जिसके जीवन का बस एक ही मकसद है । शादी !
कॉलेज पहुंचने तक हम दोनो ही नही बोले । क्लास में गए और अपने नोट्स निकाल कर.पढने लगे । आज जीयोग्राफी का टेस्ट था । थोडी देर बाद टीचर आए और हमारा टेस्ट शुरू हो गया । अगले डेढ़ घंटे बाद हमसे टेस्ट लिया जा रहा था ।
मै अपने लास्ट सवाल पर थी जोकि काफी बडा था । लिखते लिखते हाथ दर्द करने लगे थे । ये टीचर लोग आखिर क्या हम.बच्चो को मारने पर तुले रहते है । .मेरा एक आंसर अभी बचा था और सर मेरे सर पर आकर खडे हो गए थे ।
" चारू लिखना बंद करो और टेस्ट पेपर दो ! " , सर ने कहा ।
" सर बस पांच मिनट ! एक ही आंसर बचा है । " , मै सर से लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोली ।
" नही..नही ! चलो पेपर दो ! ", इतना कहकर सर ने पेपर लेना चाहा कि मैने पेपर पकड लिया ।
" सर..बस एक आंसर ..सरररर ! ", मेरे कहते कहते भी सर ने आखिर कार पेपर ले ही लिया ।
मै अपना सा मुंह लेकर बैठ गई ।
ये टीचर लोग कितने बेकार होते है । अरे पांच मिनट ही तो मांगे थे ! कौन सा ये मिश्रा सर के बाल मांग लिए जोकि है ही नही !
ये टीचर ना अलग ही प्रजाति होती है जिन्हे कसाई कहना गलत नही.होगा ।
मै मुंह बनाकर उठी और क्लास से बाहर.चली गई। नैना बाहर ही थी । हम दोनो कैंटीन की तरफ चल दिए।
मै अभी नैना से मिश्रा सर कि बुराई कर ही रही थी कि किसी से टकरा गई। मेरा बैलेंस बिगड़ और मै आगे कि तरफ गिर गई। मेरे सामने खडा शख्स भी गिर गया । मैने आंख खोलकर देखा तो हैरान रह गई।
क्रमशः
आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़ते रहे !