हरी-भरी खेतों से घिरे एक छोटे से गाँव में गौरी नाम की लड़की रहती थी। बड़ी-बड़ी आँखें, चेहरे पर मासूमियत और बातें ऐसी कि सुनने वाला दिल से जुड़ जाए। गौरी का संसार बहुत छोटा था – घर, खेत और कभी-कभी नदी किनारे सहेलियों के संग हंसी-मज़ाक। उसे शहर की चमक-दमक का ज़्यादा अंदाज़ा नहीं था। उसके लिए खुशी का मतलब था, नीम की छाँव में बैठकर मिट्टी की खुशबू में साँस लेना।
उसी गाँव में एक दिन शहर से आया अर्णव। पढ़ाई और नौकरी से भरा उसका जीवन बिल्कुल अलग था। बड़े-बड़े सपने, फैशन और तेज़ रफ्तार से भरा उसका व्यक्तित्व गाँव के माहौल में नया लग रहा था। अर्णव अपने रिश्तेदारों से मिलने गाँव आया था, लेकिन उसे अंदाज़ा नहीं था कि यह गाँव उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी कहानी लिख देगा।
गाँव की पगडंडी पर पहली बार गौरी और अर्णव की मुलाकात हुई। गौरी पानी से भरी मटकी सिर पर उठाए चली आ रही थी और अचानक उसका पाँव फिसला। मटकी गिरती, उससे पहले अर्णव ने संभाल लिया। उस पल दोनों की नज़रें मिलीं। गौरी झेंपकर मुस्कुरा दी और अर्णव के दिल में कुछ अजीब सा एहसास जाग उठा।
शहर के लड़के को गाँव की लड़की में इतनी सादगी, इतनी मासूमियत कभी नहीं दिखी थी। वहीं गौरी ने भी पहली बार किसी ऐसे इंसान को देखा, जिसकी आँखों में आत्मविश्वास और सपनों की चमक थी। दोनों की दुनिया अलग थी, लेकिन दिल की धड़कनें धीरे-धीरे एक ताल में आने लगीं।
अर्णव अक्सर गाँव की गलियों में निकल आता, बहाना कोई भी हो। कभी खेतों का नज़ारा देखने, कभी नदी किनारे टहलने। और हर बार उसे गौरी कहीं न कहीं मिल ही जाती। गौरी भी धीरे-धीरे इस अनजाने एहसास को महसूस करने लगी थी। वह उसकी बातें सुनना चाहती, उसका हँसना देखना चाहती।
एक शाम गाँव के मेले में दोनों साथ-साथ घूमे। गौरी चूड़ियों की दुकान पर रुक गई। अर्णव ने उसकी हथेली में लाल रंग की चूड़ियाँ पहनाईं। उस पल दोनों के बीच खामोशी थी, पर खामोशी से गहरी कोई जुबान नहीं होती। दिल ने वही कहा, जो लब कहने की हिम्मत न जुटा पाए।
गाँव की सादगी ने अर्णव को अपनी ओर खींच लिया। उसे महसूस हुआ कि शहर की चकाचौंध में जो सुकून नहीं मिला, वो इन मिट्टी की खुशबू और गौरी की मुस्कान में है। वहीं गौरी ने भी सीखा कि मोहब्बत सिर्फ किताबों या कहानियों तक सीमित नहीं, बल्कि किसी की नज़रों में खुद को खास महसूस करने का नाम है।
लेकिन दोनों की राह आसान नहीं थी। समाज और परिवार की सोच हमेशा सवाल करती है – “गाँव की लड़की और शहर का लड़का? क्या ये रिश्ता टिक पाएगा?” गौरी ने भी ये डर महसूस किया, मगर अर्णव के भरोसे ने उसकी हिम्मत बढ़ाई।
अर्णव ने गाँव छोड़ने से पहले गौरी से कहा –
“तुम्हारी सादगी ने मुझे वो मोहब्बत सिखाई है, जो किसी बड़े शहर की किताबों या फिल्मों में भी नहीं मिलती। अगर तुम साथ हो, तो मैं हर मुश्किल का सामना कर सकता हूँ।”
गौरी की आँखों में आँसू थे, मगर होंठों पर हल्की सी मुस्कान। उसने पहली बार खुद को इतना महत्वपूर्ण महसूस किया।
दिन बीतते गए, अर्णव ने अपने परिवार को मनाया। शुरुआत में थोड़ी अनबन रही, पर उसकी सच्चाई और गौरी की अच्छाई के आगे सब मान गए। और एक दिन, गाँव की वही पगडंडी उनकी बारात का रास्ता बनी।
गौरी अब शहर की ज़िंदगी में थी, लेकिन उसकी सादगी ने अर्णव के घर को भी मोहब्बत से भर दिया। और अर्णव? उसके लिए गौरी सिर्फ़ उसकी पत्नी नहीं, बल्कि उसकी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत सीख थी –
“प्यार सिर्फ़ चमक-दमक में नहीं, बल्कि सादगी में भी पूरा हो सकता है।”
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