दिल्ली का एक साधारण-सा रेलवे स्टेशन…
बारिश की हल्की बूंदें गिर रही थीं, लोग अपने-अपने सफ़र में जल्दी में थे। उसी भीड़ में अन्वी, एक खूबसूरत, पढ़ाई में होशियार और सपनों से भरी लड़की, ट्रेन का इंतज़ार कर रही थी। उसके हाथ में एक पुराना बैग था, जिसमें उसकी सारी उम्मीदें और संघर्ष छुपे हुए थे।
वहीं उसी स्टेशन पर अर्जुन भी खड़ा था। उसने साधारण-सी जींस और शर्ट पहनी थी, चेहरा साफ-सुथरा मगर बिल्कुल आम-सा। देखने में कोई भी कह दे कि ये किसी मिडिल क्लास लड़के जैसा है।
अन्वी के बैग का चेन अचानक टूट गया और किताबें गिर गईं। अर्जुन तुरंत झुककर किताबें उठाने लगा।
“ये आपकी गिर गईं…” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
अन्वी ने हल्की मुस्कान दी, “थैंक्यू…”
यहीं से दोनों की पहली मुलाक़ात हुई।
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दोस्ती की राह
ट्रेन में सफ़र के दौरान अर्जुन और अन्वी की बातचीत शुरू हुई।
अन्वी ने बताया कि वह दिल्ली आई है जॉब इंटरव्यू देने। उसके पापा किसान हैं और माँ गृहिणी। घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए अन्वी जल्दी नौकरी पाना चाहती है।
अर्जुन ने खुद को बस इतना बताया,
“मैं भी काम की तलाश में हूँ… छोटी-मोटी जॉब कर लेता हूँ, और लोगों की मदद करना अच्छा लगता है।”
अन्वी को अर्जुन की सादगी बहुत पसंद आई। दोनों की बातें लंबी होती गईं और दोस्ती गहरी।
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धीरे-धीरे मोहब्बत
दिन बीतते गए। अर्जुन अन्वी की हर मुश्किल में साथ खड़ा रहने लगा। जब इंटरव्यू में अन्वी को रिजेक्ट किया गया, अर्जुन ने ही हिम्मत दी।
“हार मत मानो… तुम्हारा असली मुक़ाम अभी बाकी है।”
अन्वी को अर्जुन की बातें दिल को छू गईं। धीरे-धीरे वह अर्जुन से मोहब्बत करने लगी, लेकिन उसने कभी इज़हार नहीं किया क्योंकि उसे लगता था कि दोनों की आर्थिक हालत एक जैसी है और शादी का सपना शायद कभी पूरा न हो पाए।
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बड़ा मोड़
एक दिन अन्वी के पिता बीमार हो गए। पैसों की बहुत ज़रूरत थी। अन्वी ने कई जगह मदद मांगी, लेकिन कोई आगे नहीं आया।
तभी अर्जुन ने कहा,
“तुम चिंता मत करो, मैं सब संभाल लूंगा।”
अर्जुन ने अस्पताल के सारे बिल भर दिए। अन्वी हैरान थी,
“लेकिन अर्जुन… तुम्हारे पास इतने पैसे कहाँ से आए?”
अर्जुन बस मुस्कुराया और बोला,
“कभी-कभी इंसान जितना दिखता है, उतना होता नहीं है।”
अन्वी को शक हुआ, लेकिन उसने ज़्यादा कुछ नहीं पूछा।
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सच का खुलासा
कुछ हफ्तों बाद अन्वी को एक बड़ी कंपनी से इंटरव्यू कॉल आया। जब वह कंपनी पहुँची, तो वहां देखकर उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
पूरे ऑफिस में बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी थीं — और उनमें अर्जुन का फोटो था, “अर्जुन मल्होत्रा – कंपनी का मालिक और अरबपति।”
अन्वी को विश्वास ही नहीं हुआ। वो तो उसे एक साधारण लड़का समझती थी।
अर्जुन ने अन्वी को अपने केबिन में बुलाया।
“तुम्हें सच आज पता चल ही गया… हाँ, मैं एक अरबपति हूँ। लेकिन मैंने तुम्हें कभी सच नहीं बताया क्योंकि मैं देखना चाहता था कि कोई मुझे मेरी दौलत के लिए नहीं, बल्कि मेरे दिल के लिए चाहे।”
अन्वी की आँखों में आँसू आ गए।
“तुमने मुझसे इतना बड़ा सच छुपाया, लेकिन तुम्हारा प्यार सच्चा है। मुझे पैसों से नहीं, सिर्फ तुमसे मोहब्बत है।”
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हैप्पी एंडिंग
कुछ महीनों बाद दोनों की शादी हो गई। पूरी दिल्ली में चर्चा थी कि अरबपति अर्जुन ने एक साधारण किसान की बेटी से शादी की है।
अन्वी और अर्जुन की मोहब्बत सबके लिए मिसाल बन गई। क्योंकि असली प्यार कभी पैसों से नहीं, दिल से होता है। ❤️
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🌸 सीख: इंसान की असली पहचान उसके कपड़े, पैसे या शोहरत से नहीं, बल्कि उसके दिल और इरादों से होती है।