Nazar Se Dil Tak - 2 in Hindi Love Stories by Payal Author books and stories PDF | नज़र से दिल तक - 2

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नज़र से दिल तक - 2


अगले कुछ हफ़्ते अनाया के लिए नए अनुभवों से भरे रहे। कॉलेज की क्लासें, असाइनमेंट्स और प्रैक्टिकल्स का दबाव तो सब पर था, मगर उसके दिल में कहीं एक कोना हमेशा राज के लिए ही धड़कता था। सुबह से शाम तक उसकी नज़रें जैसे अनजाने ही राज को तलाशने का बहाना ढूँढतीं। चाहे कैंटीन का कोना हो या लाइब्रेरी का हॉल, भीड़ में उसका चेहरा देखते ही अनाया का दिन बन जाता।

राज वैसे ही था—गंभीर, अनुशासन में रहने वाला और हर काम को perfection से करने वाला। कैंपस में सब उसकी इज़्ज़त करते थे, लेकिन उसकी दुनिया बस किताबों और पढ़ाई तक सीमित थी। उसके चेहरे पर एक अजीब-सी maturity थी, जो उसे बाक़ियों से अलग बनाती थी। शायद यही वजह थी कि अनाया के दिल में उसके लिए एक अलग ही जगह बनने लगी थी।

एक दिन लैब में प्रोफ़ेसर ने सबको ग्रुप्स में बाँटा। किस्मत का खेल देखिए—अनाया और राज एक ही ग्रुप में आ गए। अनाया का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। यह पहली बार था जब उसे सीधे राज के साथ काम करने का मौका मिला था। वो मन ही मन भगवान का शुक्रिया अदा कर रही थी।

राज ने ग्रुप को calm अंदाज़ में समझाया—
“ये एक्सपेरिमेंट ध्यान से करना, वरना रिज़ल्ट गड़बड़ हो जाएगा।”

अनाया ने हिम्मत जुटाई और धीरे से कहा—
“अगर मैं कहीं अटक गई तो…?”

राज ने पहली बार उसकी ओर सीधा देखा। उसकी आँखों में गहराई थी, आवाज़ steady थी—
“फिक्र मत करो, मैं हूँ न।”

बस इतना सुनना ही अनाया के लिए काफी था। उसके चेहरे पर अनजाने में एक मासूम-सी मुस्कान खिल उठी। दिल के किसी कोने में उसने सोचा—काश, ये लम्हा थम जाए।

लैब खत्म होने के बाद सब जल्दी-जल्दी बाहर चले गए, लेकिन अनाया वहीं रुकी रही। शायद वो और देर तक राज के साथ रहना चाहती थी। हिम्मत जुटाकर उसने पूछा—
“आप हमेशा इतने सीरियस क्यों रहते हैं? कभी दोस्तों के साथ हंसते-खेलते नहीं दिखते।”

राज कुछ पल चुप रहा। फिर धीमी लेकिन गहरी आवाज़ में बोला—
“ज़िंदगी का मक़सद अगर बड़ा हो, तो छोटी-छोटी बातों में वक्त बर्बाद करने का मन नहीं करता। मुझे डॉक्टर बनना है, और उसके लिए बस मेहनत चाहिए।”

अनाया उसकी बातों को जैसे आत्मा तक महसूस कर रही थी। उसकी आँखों में वो जुनून साफ़ झलक रहा था, जो राज को बाक़ियों से अलग करता था। उसी पल अनाया को अहसास हुआ कि राज सिर्फ़ उसका क्रश नहीं है… बल्कि उसकी इज़्ज़त, उसका सपना, और शायद उसका पहला प्यार है।

शाम को हॉस्टल लौटते वक्त अनाया पूरे दिन के बारे में सोचती रही। दिल की धड़कन अब भी तेज़ थी, जैसे अभी-अभी राज ने उसे देखा हो। कमरे में पहुँचते ही उसने अपनी डायरी खोली और लिखना शुरू किया—

“आज वो मेरे साथ था… भले ही कुछ देर के लिए, लेकिन लगा जैसे मेरी दुनिया पूरी हो गई हो। काश वो समझ पाता कि कोई है, जो उसके सपनों से भी ज़्यादा उसे दुआओं में चाहता है। उसके ‘मैं हूँ न’ कहने भर से मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी ज़िंदगी का मक़सद पूरा हो गया।”

रात को खिड़की के पास बैठकर अनाया आसमान देख रही थी। तारे चमक रहे थे, हवा में हल्की ठंडक थी। उसने फुसफुसाकर दुआ माँगी—
“हे भगवान… बस इतना करना, उसकी राहें हमेशा आसान हों। अगर वो मेरे हिस्से का नहीं भी है, तो भी उसकी खुशियाँ मेरी हों।”

शायद राज को इस सबका अंदाज़ा भी नहीं था। उसके लिए अनाया बस एक जूनियर थी—क्लास की भीड़ में एक और चेहरा। मगर अनाया के लिए? वो उसका ख्वाब था, उसकी दुआ थी, उसका पहला और सच्चा प्यार था।



 To Be Continued…


(क्या अनाया की दुआएँ कभी राज तक पहुँचेंगी? या ये मोहब्बत हमेशा अनकही रह जाएगी?)