🌙 अलौकिक दीपक – भाग 4
(आरव की कहानी)
गाँव की उस पुरानी हवेली में दीपक अब भी जल रहा था। उसकी लौ हल्की-हल्की काँप रही थी, जैसे किसी अनदेखी शक्ति से बातें कर रही हो। पिछले तीन भागों में जहाँ रहस्य और अतीत की परछाइयाँ सामने आई थीं, वहीं अब इस दीपक ने एक नया चेहरा दिखाया—आरव का।
आरव गाँव का एक साधारण लड़का नहीं था। बचपन से ही उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी। लोग कहते थे कि वह किसी पिछले जन्म की छाया अपने साथ लिए घूमता है। जब वह पहली बार उस अलौकिक दीपक के पास पहुँचा, तो लौ ने मानो उसे पहचान लिया।
दीपक की लौ अचानक तेज़ हो गई और उसके भीतर से एक स्वर गूँजा—"आरव... तुम लौट आए हो…"
आरव सन्न रह गया।उसने डरते हुए पूछा,"तुम कौन हो? मेरा नाम क्यों पुकारा?"
लौ से निकली परछाई धीरे-धीरे एक स्त्री का रूप लेने लगी। वह वही थी जिसे पहले गाँव वाले "अनामिका" कहकर जानते थे—वह आत्मा, जो दीपक में बँधी हुई थी।
अनामिका की आँखों में आँसू थे।उसने कहा—"आरव... पिछले जन्म में तुम मेरे साथी थे। हमने मिलकर इस दीपक की रक्षा की थी। मगर विश्वासघात ने हमें अलग कर दिया। अब किस्मत ने तुम्हें फिर मेरे सामने ला खड़ा किया है।"
आरव के शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई।पल भर के लिए उसे भी धुंधले-धुंधले दृश्य दिखने लगे—एक महल, युद्ध, और वही दीपक जिसके चारों ओर खून और चीखें थीं।
वह घबराकर बोला—"तो क्या यह दीपक मुझे मेरे अतीत से जोड़ रहा है?"
अनामिका ने सिर झुका दिया।"हाँ... लेकिन अब फैसला तुम्हें लेना है। क्या तुम इस अधूरी कहानी को पूरा करोगे या दीपक को अंधकार में बुझा दोगे?"
दीपक की लौ और तेज़ हो उठी। हवेली की दीवारें काँपने लगीं। बाहर हवा का तूफ़ान मच गया।
आरव ने अपने काँपते हाथों से दीपक को छुआ—और उसी क्षण उसके शरीर में एक अद्भुत शक्ति समा गई।वह समझ चुका था—यह दीपक सिर्फ़ एक रहस्य नहीं, बल्कि उसके और अनामिका के अधूरे रिश्ते का सत्य था
🌙 अलौकिक दीपक – भाग 5
(प्रेम और पुनर्जन्म का रहस्य)
आरव ने जैसे ही दीपक को छुआ, उसकी आँखों के सामने अतीत की परतें खुलने लगीं।वह खुद को किसी प्राचीन महल में खड़ा देख रहा था। उसके वस्त्र राजसी थे और पास में वही अनामिका, उसकी राजकुमारी… उसकी प्राणप्रिय।
अनामिका मुस्कुरा रही थी, उसकी आँखों में वैसा ही स्नेह था जो इस जन्म में भी उसकी आत्मा से झलकता था।"आरव… याद है, हमने वचन दिया था कि चाहे समय कितने भी जन्म क्यों न ले, हम फिर मिलेंगे?"
आरव के हृदय में अजीब सी गूंज उठी।हाँ… उसे सब याद आने लगा।वे दोनों इस दीपक के रक्षक थे। यह दीपक सिर्फ़ रोशनी का प्रतीक नहीं था, बल्कि इसमें एक दैवीय शक्ति बसी थी जो अंधकार से पूरे राज्य की रक्षा करती थी।
लेकिन उस समय उनके सबसे करीबी सेनापति ने विश्वासघात कर दिया। दीपक को पाने की लालच में उसने दोनों को अलग कर दिया।अनामिका की हत्या हुई, और आरव को श्राप मिला कि वह बार-बार जन्म लेकर अपनी अधूरी प्रेमकथा को पूरा करने की तलाश करेगा।
वर्तमान में दीपक की लौ थरथराने लगी।अनामिका ने भावुक स्वर में कहा—"आरव… यह चौथा जन्म है तुम्हारा। हर बार तुम दीपक तक आते हो, लेकिन अधूरी कहानी फिर रुक जाती है। इस बार क्या तुम अपने वचन को निभा पाओगे?"
आरव ने दृढ़ आवाज़ में उत्तर दिया—"हाँ अनामिका… इस बार चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, मैं तुम्हें और इस दीपक को बचाकर रहूँगा।"
जैसे ही उसने यह कहा, दीपक की लौ सोने जैसी चमकने लगी।हवेली के टूटे-फूटे खंडहर अचानक जगमगाने लगे।आरव और अनामिका की आत्माएँ एक-दूसरे के सामने थीं—मानो जन्म-जन्मांतर की दूरी मिट गई हो।
लेकिन तभी एक भयंकर काली छाया वहाँ प्रकट हुई।वह वही शापित आत्मा थी जिसने सदियों पहले उन्हें अलग किया था।उसकी गूँज से हवेली हिल गई—"आरव… इस बार भी तुम जीत नहीं पाओगे!"
अनामिका काँप उठी, पर आरव ने दीपक को अपने सीने से लगा लिया।उसकी आँखों में प्रेम और शक्ति की अद्भुत चमक थी।
यह तय था—अब कहानी सिर्फ़ दीपक के रहस्य की नहीं, बल्कि प्रेम और अंधकार की अंतिम जंग की ओर बढ़ रही थी।
✨ (भाग 6 में: आरव और अनामिका का प्रेम अंतिम परीक्षा से गुज़रेगा। क्या दीपक की शक्ति उन्हें सदा के लिए मिला पाएगी?)
Kajal Thakur 😊