प्रेम और अनन्या की दोस्ती अब रंग ले चुकी थी। उनकी प्यारी सी कहानी एक नई दिशा लेने जा रही थी—जहाँ दिल के फैसले, परिवार की जंजीरों से टकराने वाले थे। कॉलेज के आख़िरी साल शुरू होते ही दोनों ने तय किया कि अब रिश्ते को अगले मुकाम पर ले जाना है।लेकिन मुश्किलें इतनी आसान कहाँ होती हैं?
प्रेम के घरवालों को जब अनन्या के बारे में पता चला, घर में सन्नाटा छा गया। माँ रोने लगीं, "बेटा, जात बिरादरी का सवाल है, समाज क्या कहेगा! कभी हमारे खानदान में लव मैरिज नहीं हुई।"पिता ने गंभीर स्वर में कहा, "यह सिर्फ़ प्यार का मुद्दा नहीं, परिवार की इज़्ज़त की बात है।" अनन्या के घर भी तस्वीर कुछ अलग नहीं थी—माँ चाहती थीं कि वह करियर बनाए; पिता को डर था कि समाज में लोग क्या कहेंगे। इन अनकहे सवालों ने दोनों को हिला दिया। पहली बार प्रेम ने आँसूओं के साथ अनन्या से फोन पर कहा, "शायद हमें खुद से भी बड़ा इम्तिहान देना है।"
ऐसे में कहानी ने रोमांचक मोड़ लिया।एक शाम, जब दोनों पार्क में मिले, अनन्या ने गहरी सांस लेकर बोला—"प्रेम, मुझे तुमसे कुछ छुपाया है… पर आज सच बताना जरूरी है।"प्रेम घबरा गया—"क्या बात है?" अनन्या के चेहरे पर चिंता थी—"मेरे घरवाले चाहते हैं कि मेरी शादी मेरे बचपन के दोस्त कबीर से हो… और उन्होंने मेरी सगाई तय कर दी थी, पर मैंने मना कर दिया। वे कबीर को अब भी मनाने की कोशिश कर रहे हैं।" यह सुनकर प्रेम का दिल बैठ गया—शायद ऐसा ट्विस्ट वो कभी सोच भी नहीं सकता था! दोनों रातभर नींद न ले सके। लेकिन अनन्या ने संकल्प लिया, "अब मैं सिर्फ दिल की सुनूंगी। अगर मेरा परिवार नहीं मानेगा, तब भी मैं तुम्हारा साथ नहीं छोड़ूँगी।"
प्रेम ने भी पहली बार अपने डर को अलग रखते हुए माँ-पिता के सामने खुलकर कह दिया—"आपकी भावनाओं का आदर करता हूँ, लेकिन अनन्या के बिना ज़िंदगी अधूरी है। अगर मुझे घर से बाहर होना पड़े तो भी मैं उसका साथ नहीं छोड़ूँगा।"घर में बहस, तकरार, आँसू… लेकिन प्रेम और अनन्या ने प्यार की दीवार को पहली बार मजबूत खड़ा देखा।
इसी दरम्यान, एक चौंकाने वाली घटना हुई—प्रेम के एक दूर के रिश्तेदार ने अफवाह फैलाई कि अनन्या सिर्फ़ पैसे के लिए प्रेम से शादी करना चाहती है। ये बात घरवालों तक पहुँची, रिश्ते में शक की दीवारें उठने लगीं। प्रेम ने सीधा उस रिश्तेदार से बात की।"अगर तुम्हारे पास सबूत है तो सामने लाओ, वरना मेरे प्यार की इम्तिहान मत लो।"उसके हौसले से घरवालों की आँखें खुलीं और धीरे-धीरे सच सबको पता चला।
प्रेम और अनन्या दोनों ने मिलकर पूरे कॉलेज, अपना मोहल्ला और सबसे बढ़कर अपने-अपने परिवारों के विरोध का सामना करने की ठान ली थी। हर दिन एक नई परीक्षा थी—कभी माँ के आँसू, तो कभी दोस्तों के सवाल, तो कभी समाज की आलोचना।
प्रेम ने एक-एक करके सब रिश्तेदारों को सफाई दी। जीवन में पहली बार वह बिना डरे, अपने प्यार के लिये खड़ा रहा।अनन्या ने भी घर के बंधनों के आगे हार नहीं मानी। "अगर ज़िंदगी में किसी चीज़ के लिए जूझना पड़े, तो मोहब्बत से बेहतर और क्या?" वे दोनों पूरी दुनिया के सामने यही मिसाल देने निकले थे।
प्यार को लेकर आसपास तरह तरह की बातें बनाई जाने लगीं। "इन बच्चों को ज़्यादा आज़ादी मिल गई है।" "बड़े घराने वाली लड़की, और छोटा शहर—इनका मेल कैसे होगा?" प्रेम और अनन्या ने एक-दूसरे का हाथ थामे रखा।एक दिन कॉलेज के कार्यक्रम में दोनों के रिश्ते का सबसे खुलकर ज़िक्र हुआ।"मेरी लड़ाई सम्मान के लिए नहीं, अपने दिल की सच्चाई के लिए है।" जब घरवालों ने शादी से इंकार कर दिया, दोनों ने रजिस्ट्री मैरिज करने का फैसला किया।कमरे में बैठकर प्रेम ने अनन्या से कहा: "कुछ भी हो जाए, चाहे कोई आए या न आए, मैं तुम्हें हर हाल में अपना बनाऊँगा।"
समझौते, आँसू, और बहसों के बाद किसी तरह दोनों के परिवार वाले मैरिज रजिस्ट्रार दफ्तर पहुँच गए।शादी के दिन प्रेम और अनन्या दोनों के चेहरों पर डर के साथ गहरा विश्वास था।
शादी के दिन, प्रेम के पास एक फोन आया।वह संदेश पढ़ते ही काँप गया। "अगर आज तुमने ये शादी की, तो तुम्हारे पापा की तबियत बहुत बिगड़ जाएगी… सोचना! परिवार से बढ़कर कोई नहीं।"
यह संदेश प्रेम की छोटी बहन ने भेजा था, जो माता-पिता के दबाव में थी।अब प्रेम जूझ रहा था—एक तरफ उसका प्यार, दूसरी ओर उसके माता-पिता का स्वास्थ्य और बहन के आँसू।विवाह मंडप तक पहुँच गए, पर अंतिम फेरे से पहले वह ठिठक गया।
अब सवाल था—क्या प्रेम बिना पछतावे के आगे बढ़ पाएगा?या यह नया तूफ़ान उसकी किस्मत को नई दिशा दे देगा?