rugved story in Hindi Mythological Stories by Deepa shimpi books and stories PDF | ऋग्वेद कहानी

Featured Books
  • ભૂલ છે કે નહીં ? - ભાગ 96

    આમ, જાણે જીવનની બીજી ઈનિંગ શરૂ થઈ હતી. પણ હવે, મમ્મીની કોઈ પ...

  • લાગણીનો સેતુ - 3

    શિખર માટે આ લંચ માત્ર માફી માંગવાનું નહોતું. તેના મનમાં ઊંડે...

  • NICE TO MEET YOU - 5

    NICE TO MEET YOU                               પ્રકરણ - 5 (...

  • Krishna 2.0

    --- કૃષ્ણ 2.0 : કલિયુગનો અવતાર(એક આધ્યાત્મિક – વિજ્ઞાન – ઍક્...

  • અસવાર - ભાગ 1

    પંચાળનો શુરવીર અસવાર દેવાયત એક ગોઝારા અકસ્માતમાં પોતાના પગ ગ...

Categories
Share

ऋग्वेद कहानी




---

बच्चों के लिए ऋग्वेद की कहानी

बहुत बहुत समय पहले, जब धरती पर इंसान नए-नए थे, तब कुछ महान ऋषि जंगलों और नदियों के किनारे रहते थे। वे दिन-रात प्रकृति को सुनते थे — हवा की सरसराहट, नदी का गान, पक्षियों की आवाज़, बादलों की गड़गड़ाहट। धीरे-धीरे उन्होंने समझा कि इन सबके पीछे एक अद्भुत शक्ति है। उस शक्ति की बातें उन्होंने गीतों और मंत्रों में कही। यही गीत मिलकर बने ऋग्वेद।

ऋग्वेद एक किताब जैसी नहीं था, बल्कि एक बड़ा गाना था जिसे लोग याद रखते और गाते। बच्चे सुनते, शिष्य याद करते, और पीढ़ी दर पीढ़ी ये गीत चलते गए।

सबसे पहले ऋग्वेद में सबसे प्यारा नाम था अग्नि। अग्नि मतलब आग। उस समय घर में आग बहुत जरूरी थी — रोशनी के लिए, खाना बनाने के लिए और पूजा के लिए भी। ऋषि कहते थे — "अग्नि देवता है, जो हमारे संदेश आसमान तक ले जाता है।" जब भी लोग पूजा करते, वे आग में आहुति डालते और मानते कि देवता तक खुशबू और धुआँ पहुँच रहा है।

फिर आते हैं इंद्र देव। इंद्र को बहुत शक्तिशाली माना जाता था। उनके पास वज्र नाम का हथियार था। एक बार एक बड़ा दैत्य-सर्प "वृत्र" ने सारी नदियाँ रोक लीं। धरती पर पानी ही नहीं था, सब दुखी हो गए। तब इंद्र ने वज्र से वार किया और वृत्र को हरा दिया। नदियाँ फिर से बहने लगीं। सब लोग खुश हो गए और गाने लगे — "जय इंद्र, जिसने हमें जीवन का पानी लौटाया!"

इसके बाद है सोम। सोम एक खास पौधे से बना रस था। ऋषि लोग कहते थे कि इसे पीने से ताकत आती है और मन खुश हो जाता है। देवताओं को भी यह बहुत प्रिय था। बच्चे उस समय सोचते थे — "वाह! देवता भी कोई खास पेय पीते हैं!"

ऋग्वेद सिर्फ देवताओं की बातें नहीं करता, बल्कि प्रकृति की सुंदरता भी गाता है। सुबह होती तो ऋषि कहते — "देखो, उषा देवी आईं, लाल साड़ी पहनकर आसमान में छा गईं!" नदियों को वे माँ कहते, पेड़ों और पशुओं को मित्र मानते।

कभी-कभी ऋषि सवाल भी पूछते थे। एक कवि ने कहा — "यह दुनिया कहाँ से आई? किसने इसे बनाया? देवता भी तो बाद में आए। शायद कोई सबसे ऊपर बैठा है... या शायद वह भी नहीं जानता!" इस तरह ऋग्वेद केवल पूजा नहीं, बल्कि सोचने और सवाल करने की भी किताब है।

बच्चों, सबसे खास बात यह थी कि ये मंत्र किसी किताब में नहीं लिखे जाते थे। सब लोग इन्हें याद करते थे। गुरु अपने शिष्यों को सुनाते थे। हर शब्द और हर सुर बहुत सावधानी से सिखाया जाता। अगर किसी ने एक अक्षर भी गलत बोला, तो उसे फिर से ठीक करना पड़ता। यही कारण है कि हजारों साल बाद भी ये मंत्र आज तक वैसे ही सुनाई देते हैं।

आज हम कह सकते हैं कि ऋग्वेद केवल देवताओं की कहानियाँ नहीं है, बल्कि हमारे पूर्वजों का पहला "गीत-संग्रह" है। इसमें आग है, पानी है, हवा है, दोस्ती है, माँ का प्यार है और ढेर सारे सवाल हैं। यही वजह है कि यह दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे सुंदर किताबों में गिनी जाती है।
👧👦 बच्चों के लिए संदेश: ऋग्वेद हमें यह सिखाता है कि हमें प्रकृति से प्यार करना चाहिए, हर चीज़ में भगवान को देखना चाहिए और हमेशा नए-नए सवाल पूछते रहना चाहिए
दीपांजलि 
दीपा बेन शिम्पी गुजरात