Tere Naam ki Khusboo - 1-2 in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | तेरे नाम की खुशबू - 1-2

Featured Books
Categories
Share

तेरे नाम की खुशबू - 1-2

🌸 1 : पहली मुलाक़ात

शहर की भाग-दौड़ से दूर, एक छोटी-सी कॉफ़ी शॉप थी – Moonlight Café। वहाँ शाम को हल्की-सी भीड़ रहती थी, मगर एक कोने की टेबल पर हमेशा एक ही चेहरा दिखता था – आरव।पढ़ाई में होशियार, मगर भावनाओं में खोया हुआ। उसके लिए किताबें दुनिया थीं, लेकिन दिल अब भी खाली था।

उसी कॉफ़ी शॉप में पहली बार काजल आई। बारिश हो रही थी, उसके भीगे बाल चेहरे से लिपट रहे थे। हाथ में किताब थी और आँखों में चमक।आरव ने पहली नज़र में ही महसूस किया – ये लड़की सिर्फ़ किताबें पढ़ने नहीं आई, बल्कि मेरी ज़िंदगी की कहानी लिखने आई है।

दोनों की टेबल पास-पास थी। काजल की किताब नीचे गिर गई, आरव ने उठाकर दी। पहली बार उनकी उँगलियाँ छुईं… और दिल धड़कने लगा।

“धन्यवाद,” काजल ने मुस्कराकर कहा।“कोई बात नहीं,” आरव ने नज़रें झुकाकर जवाब दिया।

लेकिन उस एक पल में, दोनों के दिलों में कुछ अनकहा बीज बो दिया गया था।अध्याय 2 : बातें और एहसास

धीरे-धीरे कॉफ़ी शॉप मुलाक़ातों की जगह बन गई।कभी किताबों पर चर्चा, कभी फ़िल्मों पर हँसी-मज़ाक और कभी बस चुप्पी… मगर उस चुप्पी में भी बहुत कुछ कहा जाता था।

काजल ने एक दिन हँसते हुए कहा –“प्यार और कॉफ़ी दोनों एक जैसे होते हैं, जब तक घुलते नहीं, स्वाद नहीं आता।”आरव उसकी आँखों में देखते हुए बोला –“तो अब मुझे लगता है, मेरी कॉफ़ी मीठी हो गई है।”

काजल मुस्करा दी… और उस मुस्कान में आरव खो गया।अध्याय 3 : दिल की धड़कनें

एक शाम बारिश तेज़ हो रही थी। दोनों छतरी के नीचे खड़े थे। हवा ठंडी थी, और दिलों में गर्माहट।आरव ने धीरे से कहा –“काजल, अगर कभी तुम ज़िंदगी से ग़ायब हो जाओ… तो मैं कहाँ ढूँढूँगा तुम्हें?”

काजल ने आसमान की ओर इशारा किया –“वहाँ… सबसे चमकीले तारे में।”

आरव ने उसका हाथ पकड़ लिया –“नहीं, मुझे आसमान देखने की ज़रूरत नहीं होगी। तुम्हारी खुशबू मेरे नाम से हमेशा जुड़ी रहेगी।”

काजल की आँखों में नमी आ गई, और आरव ने पहली बार उसे गले लगा लिया

🌸 अध्याय 2 : अनजाने एहसास

उस शाम के बाद, Moonlight Café उनके दिलों का राज़दार बन गया।काजल रोज़ नहीं आती थी, मगर जब भी आती… आरव की दुनिया रोशन हो जाती।

कभी वो खिड़की के पास बैठती और बारिश को देखती, तो कभी कॉफ़ी की खुशबू में खोकर किताब पढ़ती।आरव दूर से उसे देखता और सोचता—"ये लड़की हर पल को कितना खूबसूरत बना देती है… जैसे ज़िंदगी खुद इसके चारों तरफ घूम रही हो।"

एक दिन, अचानक काजल ने आरव से पूछा—“आप हमेशा अकेले क्यों बैठते हैं? किताबें ही आपकी सबसे अच्छी दोस्त हैं क्या?”

आरव थोड़ा मुस्कराया—“हाँ… शायद। किताबें धोखा नहीं देतीं, हमेशा जवाब देती हैं।”

काजल ने उसकी आँखों में गहराई से देखा और बोली—“लेकिन कभी-कभी किताबें भी वो एहसास नहीं दे पातीं, जो एक इंसान दे सकता है।”

आरव चुप रह गया। उसके दिल में हलचल मच गई, जैसे काजल ने उसकी गुप्त सोच को पढ़ लिया हो।

धीरे-धीरे उनकी बातें बढ़ने लगीं।कभी नज़रों से, कभी हँसी से और कभी चुप्पी से।दोनों को समझ नहीं आता कि क्यों हर मुलाक़ात के बाद दिल और बेचैन हो जाता है।

एक शाम काजल ने हँसते हुए कहा—“जानते हो, प्यार और कॉफ़ी में एक समानता है।”

आरव ने हैरानी से पूछा—“कैसी समानता?”

काजल ने कप उठाकर कहा—“जब तक कॉफ़ी में शक्कर नहीं घुले, उसका असली स्वाद नहीं आता। ठीक वैसे ही, जब तक दिल में प्यार न घुले… ज़िंदगी फीकी रहती है।”

आरव ने उसकी आँखों में देखते हुए धीमे से कहा—“तो शायद… अब मेरी कॉफ़ी मीठी हो गई है।”

काजल उस पल बस मुस्कराकर उसकी तरफ देखती रही।और आरव को लगा, ये मुस्कान किसी इकरार से कम नहीं।


मैं अगला अध्याय 3 – बरसात और इकरार अभी लिख